नागरिक का फर्ज हिंदी कहानी, Nagrik Ka Farz Hindi Kahani, हिंदी कहानी नागरिक का फर्ज, Hindi Kahani Nagrik Ka Farz, मोटिवेशनल स्टोरी नागरिक का फर्ज, Motivational Story Citizen’s Duty In Hindi, Hindi Story Citizenship Responsibilities
नागरिक का फर्ज हिंदी कहानी, Nagrik Ka Farz Hindi Kahani
एक बार की बात है चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस अपने चेलो के साथ एक पहाड़ी से गुजर रहे थे । थोड़ी दूर चलने के बाद वो एक जगह अचानक रुक गये और कन्फ्यूशियस बोले ” कंही कोई रो रहा है ” वो आवाज को लक्ष्य करके उस और बढ़ने लगे । शिष्य भी पीछे हो लिए एक जगह उन्होंने देखा कि एक स्त्री रो रही है ।
कन्फ्यूशियस ने उसके रोने का कारण पूछा तो स्त्री ने कहा इसी स्थान पर उसके पुत्र को चीते ने मार डाला । इस पर कन्फ्यूशियस ने उस स्त्री से कहा तो तुम तो यंहा अकेली हो न तुम्हारा बाकि का परिवार कंहा है ? इस पर स्त्री ने जवाब दिया हमारा पूरा परिवार इसी पहाड़ी पर रहता था लेकिन अभी थोड़े दिन पहले ही मेरे पति और ससुर को भी इसी चीते ने मार दिया था । अब मेरा पुत्र और मैं यंहा रहते थे और आज चीते ने मेरे पुत्र को भी मार दिया ।
इस पर कन्फ्यूशियस हैरान हुए और बोले कि अगर ऐसा है तो तुम इस खतरनाक जगह को छोड़ क्यों नहीं देती । इस पर स्त्री ने कहा ” इसलिए नहीं छोडती क्योंकि कम से कम यंहा किसी अत्याचारी का शासन तो नहीं है ।” और चीते का अंत तो किसी न किसी दिन हो ही जायेगा ।
इस पर कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों से कहा निश्चित ही यह स्त्री करूँणा और सहानुभूति की पात्र है लेकिन फिर भी एक महत्वपूरण सत्य से इसने हमे अवगत करवाया है कि एक बुरे शासक के राज्य में रहने से अच्छा है किसी जंगल या पहाड़ी पर ही रह लिया जाये । जबकि मैं तो कहूँगा एक समुचित व्यवस्था यह है कि जनता को चाहिए कि ऐसे बुरे शासक का जनता पूर्ण विरोध करें और सत्ताधारी को सुधरने के लिए मजबूर करे और हर एक नागरिक इसे अपना फर्ज़ समझे ।
ये भी पढ़े –