हिंदी कहानी बुढ़िया और उसके नौकर, बुढ़िया और उसके नौकर हिंदी कहानी, Old Lady and Her Servants Story in Hindi, Budhiya Aur Uske Naukar Hindi Kahani
हिंदी कहानी बुढ़िया और उसके नौकर, Old Lady and Her Servants Story in Hindi
एक बुढि़या थी। उसके यहाँ दो नौकर थे। बुढि़या रोज सुबह मुर्गे के बाग देते ही उठ जाती थी। फिर वह अपने नौकरौ को जगाती और उन्हे काम पर लगा देती। नौकरो को सुबह इतनी जल्दी उठना पसंद नही था। वे दोनो हमेशा यही सोचा करते ऐसा कोई उपाय करना चाहिये। ताकि हम आराम से सो सके। एक दिन एक नौकर ने कहा, ‘क्यो न हम सभी मुर्गो को मार डाले।
न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी यदि मालकिन सुबह मुर्गे की बाॅग नही सुनेगी तो जल्दी उठेगी कैसे। यदि वह सुबह जल्दी जाँगेगी नही तो हमें नींद से कौन उठाएगा। फिर हम चैन की नीद सो सकेगे।” दूसरे नौकर को यह बात पसंद आ गई। दूसरे दिन दोनो नौकरो ने मिलकर मुर्गे को मार डाला। जब मुर्गा ही नही रहा तो बड़े सबेरे बाँग कौन देता? अब बुढि़या को सुबह उठने का समय नही पता चलता था। इसलिए वह पहले की अपेक्षा और जल्दी उठ जाती थी।
एक बार वह जग जाती तो नौकरो को भी सोने न देती। मुर्गा तो मर गया पर नौकरो की परेशानी पहले से ज्यादा बढ़ गई। अब उन्हे और भी जल्दी उठना पडता था।
शिक्षा -बिना बिचारे जो करे सो पीछे पछताए।
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