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इंसानियत पर कहानी, Insaniyat Par Kahani
एक समय की बात है एक छोटा सा गाँव था जहाँ के लोग रोजमर्रा के कामों व अपने शांत वातावरण में खुश रहते थे| उसी गाँव से कुछ दूरी पर एक आश्रम था जहाँ पर एक महान गुरु निवास करते थे| जब भी गाँव में किसी भी प्रकार की समस्या आती तो गाँव वाले गुरु जी के पास जाते और उस समस्या का उपाय पूछते| गुरु जी उन्हें ऐसा उपाय बताते कि समस्या समाप्त भी हो जाती और अगले कई वर्षों तक उस प्रकार की समस्या फिर से न होती| इसी कारण से गाँव वाले उनका सम्मान करते थे और उन्हें पूजनीय मानते थे|
इसी प्रकार की बातें व घटनाएं सुनकर कई दूसरे गाँव के लोग उनके शिष्य बनने की इच्छा लेकर आया करते थे लेकिन उन्हें निराश होकर जाना पड़ता था क्योंकि गुरु जी किसी को भी अपना शिष्य नहीं बनाते थे| जो भी उनका शिष्य बनने के लिए आता था, गुरूजी उसकी बुद्धिमता व व्यवहार जानकर ऐसा भिन्न प्रकार का प्रश्न पूछते कि कोई भी उसका उत्तर नहीं दे पाता था इस कारण उन्हें वापस जाना पड़ता था|
एक बार एक गाँव से दो लड़के उनके शिष्य बनने आये तब गुरूजी ने उनसे कहा कि मैं तुम्हे अपना शिष्य बना लूँगा लेकिन तुम्हे मेरा एक काम मेरे नियमो के द्वारा करना पड़ेगा| दोनों लडको ने गुरूजी की बात मान ली|
तब गुरूजी ने एक भेड़ की तरफ इशारा करके कहा कि जाओ ऐसा स्थान ढूंढ कर आओ जहाँ पर इस भेड़ को मारा जा सके और कोई देखने वाला न हो| तब दोनों लड़के गुरूजी की आज्ञानुसार जंगल में वह जगह ढूँढने के लिए चले गए जहाँ पर भेड़ को मारा जा सके और कोई देख न सके|
बहुत समय कोशिश करने पर पहले लड़के को एक गुफा मिली जहाँ घना अँधेरा व सन्नाटा था| उस लड़के ने सोचा कि यही स्थान भेड़ को मारने के लिए उचित रहेगा क्योंकि यहाँ पर कोई देखने वाला नहीं है|
दूसरा लड़का भी वह स्थान ढूँढने की कोशिश कर रहा था जहाँ पर कोई देखने वाला न हो लेकिन उसे वह स्थान मिल नहीं पा रहा था क्योंकि वह जहाँ भी जाता वहां उसे कोई न कोई पक्षी या जानवर या कोई व्यक्ति मिल ही जाता| अंत में उसे वही गुफा नजर आई जहाँ पहला लड़का गया था| उसने कुछ देर उस गुफा को देखा और वापस गुरूजी के आश्रम चला गया|
जब दोनों गुरु के पास गए तो गुरु ने पूछा – “क्या तुम वह जगह ढूंढ कर आ गए जहाँ पर इस भेड़ को मारा जा सके और कोई देखे ना?
पहले लड़के ने कहा – “मुझे एक गुफा मिली है जहा पर घना अँधेरा है और उस जगह पर कोई भी देखने वाला नहीं है”
तो गुरु ने दूसरे लड़के को पूछा – क्या तुम्हे कोई स्थान नहीं मिला???
दूसरे लड़के ने कहा – “गुरूजी मुझे क्षमा कर दीजिये क्योंकि मैं उस जगह को ढूँढने में असफल रहा जहाँ पर इस भेड़ को मारा जा सके”
तो गुरु ने कहा – “क्या तुम्हे वह गुफा नहीं मिली?”
लड़के ने उतर दिया – “मुझे वह गुफा मिली थी लेकिन उस स्थान पर इस भेड़ को नहीं मारा जा सकता क्योंकि उसे मारते समय मेरी आत्मा देख रही होगी, गुफा का घना अँधेरा देख रहा होगा, शांत हवाएं देख रही होगी, परमपिता परमेश्वर देख रहे होंगे और तो और यह भेड़ भी देख रही होगी| इस कारण वह गुफा तो क्या पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा स्थान नहीं होगा जो इस कार्य के लिए उचित हो| अगर कोई ऐसा स्थान होता भी तो भी आपका यह काम नहीं कर पाऊंगा क्योंकि किसी भी जीव-जंतु को मारने का अधिकार किसी को भी नहीं है| अगर मैं इस भेड़ को मारता हूँ तो मैं अपनी सोच और इंसानियत को ख़त्म कर दूंगा|”
यह बात सुनकर गुरूजी ने उसे अपने गले से लगा लिया और आजीवन उसे शिष्य बना लिया|
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