फलवाला और पंसारी हिंदी कहानी, Falwala And Pansari Hindi Kahani, हिंदी कहानी फलवाला और पंसारी, Hindi Kahani Falwala And Pansari
फलवाला और पंसारी हिंदी कहानी
एक बार एक पंसारी ने एक फलवाले से उसका तराजू और बाट उधार लिए कुछ दिनो बाद फलवाले ने पंसारी से अपने तराजू और बाट वापस मागें पंसारी ने कहा, “कैसा तराजू और बाँट उन्हे तो चूहा खा गया इसलिए मुझे खेद है कि मै उन्हे लौटा नही सकता।”
बेईमान पंसारी की बात सुनकर फल वाले को बहुत गुस्सा आया पर उसने गुस्से को दबाते हुए कहा, “कोई बात नही मित्र! इसमे तुम्हारा कोई दोष नही है मेरी तकदीर खराब है।”
उसके बाद एक दिन फलवाले ने पंसारी से कहा,”देखो! मैं कुछ समान लेने बाहर जा रहा हूँ तुम चाहो तो मेरे साथ अपने बेटे को भेज सकते हो हम लोग कल तक वापस आ जाएगें।”
पंसारी ने बेटे को फलवाने के साथ भेज दिया दूसरे दिन फलवाला लौटा तो वह अकेला था।
अरे! मेरा बेटा कहाँ है? पंसारी ने पूछा,
“क्या बताऊँ तुम्हारे बेटे को सारस उठा ले गया फलवाले ने जवाब दिया!”
“अबे झूठे इतने बड़े लड़के को सारस कैसे उठा ले जा सकता है” पंसारी ने गुस्से से कहा, फलवाले ने जवाब दिया, “उसी तरह जैसे चूहे तराजू और बाँट खा सकते हैं।” पंसारी को अपनी भूल समझ मे आई उसने फलवाले का तराजू और बाट वापस कर दिया वह आँसू भरी आँखो से बोला, “भाई! मैंने तुम्हारे साथ छल किया मुझे माफ कर दो और मेरा बेटा मुझे लौटा दो।” फलवाले ने पंसारी के बेटे को उसके पिता के पास लौटा दिया।
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