भेड़िया और सारस की कहानी, Bhediya Aur Saras Ki Kahani, हिंदी कहानी भेड़िया और सारस, Hindi Kahani Bhediya Aur Saras, The Wolf And The Crane Story In Hindi, सारस और भेड़िया स्टोरी, लालची भेड़िया और सारस, Bhediya Aur Saras, सारस और भेड़िया, Saras Aur Bhediya, सारस और भेड़िया की कहानी, Bhediya Ki Kahani, Hindi Kids Story Wolf And Cranes
भेड़िया और सारस की कहानी, Lalchi Bhediya Aur Saras Ki Kahani
एक लालची भेड़िया था। एक दिन वह खूब जल्दी-जल्दी भोजन कर रहा था। भोजन करते-करते उसके गले में एक हड्डी अटक गई। भेडि़ए ने हड्डी बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, पर वह हड्डी नही निकाल सका। वह विचार करने लगा, “अगर हड्डी मेरे गले से बाहर न निकली, तो बहुत मुश्किल होगी। मैं खा पी नहीं सकूँगा और भूख-प्यास से मर जाऊँगा।”
नदी के किनारे एक सारस रहता था। भेडि़या भागता-भागता सारस के पास पहुँचा। उसने सारस से कहा, “सारस भाई मेरे गले में एक हड्डी फँस गई है। आपकी गर्दन लंबी है। वह हड्डी तक पहुँच जाएगी। कृपा करके मेरे गले में फँसी हड्डी निकाल दो मैं तुम्हें अच्छा-सा इनाम दूँगा।”
सारस ने कहा, ठीक है! मैं अभी तुम्हारे गले की हड्डी निकाल देता हूँ। भेडि़ये ने अपना जबड़़ा फैलाया। सारस ने फौरन अपनी गर्दन भेडि़ये के गले में डालकर हड्डी बाहर निकाल दी।
अब मेरा ईनाम दो! सारस ने कहा।
“इनाम? कैसा इनाम?” भेडि़ये ने कहा, इनाम की बात भूल जाओ। भगवान का शुक्रिया अदा करो कि तुमने अपनी गर्दन मेरे गले में डाली और वह सही-सलामत बाहर चली आयी। इससे बड़़ा इनाम और क्या होगा?
शिक्षा -धूर्त की बातों में कभी नहीं आना चाहिए, उन्हें एहसान भुलाते देर नहीं लगती।
ये भी पढ़े –