वीर दुर्गाजी शेखावत और उनकी दृढ-प्रतिज्ञा हिंदी कहानी, दुर्गाजी शेखावत की प्रतिज्ञा, Veer Durgaji Shekhavat, Durgaji Shekhavat Ki Pratigya, Veer Durgaji Shekhavat Aur Unaki Drdh-pratigya Hindi Kahani, Veer Durgaji Shekhawat And His Strong Pledge

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वीर दुर्गाजी शेखावत और उनकी दृढ-प्रतिज्ञा हिंदी कहानी
दुर्गा जी शेखावत भारतीय इतिहास में ऐसे ही एक दृढ प्रतिज्ञ वीर थे जिन्होंने एक राजपूत राजकुमारी द्वारा किये गए प्रण को पुरा करने में सहयोग के लिए अपने पिता के राज्य के उतराधिकार का अधिकार का त्याग करने की दृढ प्रतिज्ञा की व उसे निभाया भी। वीर वर दुर्गा जी शेखावाटी और शेखावत वंश के प्रवर्तक महान योद्धा राव शेखाजी के सबसे बड़े पुत्र थे और अपने पिता के राज्य के उतराधिकारी थे। पर उन्होंने अपने भविष्य में पैदा होने वाले छोटे भाई के लिए राज्य के त्याग की प्रतिज्ञा की व उसे दृढ़ता पूर्वक निभाया भी।
इतिहासकारों के अनुसार- चोबारा के चौहान शासक स्योब्रह्म जी की राजकुमारी गंगकँवर ने राव शेखाजी की वीरता और कीर्ति पर मुग्ध होकर मन ही मन प्रण कर लिया कि वो विवाह शेखाजी के साथ ही करेगी। किन्तु उसके पिता को अपनी पुत्री का यह हठ स्वीकार नहीं था। क्योंकि उस समय तक शेखाजी के चार विवाह हो चुके थे और उनकी रानियों से शेखाजी को कई संताने भी थी। जिनमे उनके ज्येष्ट पुत्र दुर्गा जी उनके राज्य अमरसर के उतराधिकारी के तौर पर युवराज के रूप में मौजूद थे। और स्योब्रहम जी अपनी पुत्री का विवाह ऐसे किसी राजा से करना चाहते थे जिसके पहले कोई संतान ना हो और उन्हीं की पुत्री के गर्भ से उत्पन्न पुत्र उस राज्य का उतराधिकारी बने।
चौहान राजकुमारी के हठ व उनके पिता का असमंजस के समाचार सुन कुंवर दुर्गाजी चोबारा जाकर राव स्योब्र्ह्म जी से मिले और राजकुमारी की इच्छा को देखते हुए उसका विवाह अपने पिता के साथ करने का अनुरोध किया साथ ही चौहान सामंत के सामने यह प्रतिज्ञा की कि- इस चौहान राजकुमारी के गर्भ से शेखाजी का जो पुत्र होगा उसके लिए वे राज्य गद्दी का अपना हक त्याग देंगे और आजीवन उसकी सुरक्षा व सेवा में रहेंगे।
दुर्गाजी के इस असाधारण त्याग के परिणामस्वरूप महाराव शेखाजी का चौहान राजकुमारी गंगकँवर के साथ विवाह संपन्न हुआ और उसी चौहान राणी के गर्भ से उत्पन्न शेखाजी के सबसे छोटे पुत्र रायमल जी का जन्म हुआ जो शेखाजी की मृत्यु के बाद अमरसर राज्य के उतराधिकारी बन स्वामी बने।
असाधारण वीर पुरुषों के साथ विवाह करने हेतु राजपूत स्त्रियों के हठ पकड़ने के कई प्रकरण राजस्थान के अनेक वीर पुरुषों के सबंध में प्रचलित है जिनमे राजस्थान के लोक देवता पाबूजी राठौड़, सादाजी भाटी और वीरमदेव सोनगरा आदि वीरों के नाम प्रमुख है। वीरमदेव सोनगरा के साथ तो विवाह करने का हठ अल्लाउद्दीन खिलजी की पुत्री ने किया था।
वीरवर दुर्गा जी का जन्म शेखाजी की बड़ी राणी गंगाकंवरी टांक जी के गर्भ से वि।स्।1511 में हुआ था। उनकी माता एक धर्मपरायण और परोपकारी भावनाओं वाली स्त्री थी। उसने अपने पुत्र दुर्गा में त्याग,बलिदान और शौर्यपूर्ण जीवन जीने के संस्कार बचपन में ही पैदा कर दिए थे। दुर्गाजी ने अपने पिता के राज्य विस्तार में वीरता पूर्वक लड़कर कई युद्धों में सहयोग किया और आखिर एक स्त्री की मानरक्षा के लिए उनके पिता द्वारा गौड़ राजपूतों के साथ किये घाटवा नामक स्थान पर किये युद्ध में लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की।
उस युद्ध में दुर्गा जी के बाद उनके पिता राव शेखाजी भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। दुर्गा जी की माँ ने शेखाजी के साथ सती होने के बजाय दुर्गाजी के नाबालिक पुत्र के लालन पालन व संरक्षण के लिए जीने का निर्णय लिया और वह अन्य रानियों के साथ शेखाजी के साथ सती नहीं हुई।
दुर्गाजी के वीर वंशज दुर्गावत शेखावत नहीं कहलाकर उनके मातृपक्ष टांक वंश के नाम पर टकणेत शेखावत कहलाये जो आज भी राजस्थान के लगभग 80 गांवों में निवास करते है। दुर्गा जी की व उनके पिता राव शेखाजी की वीरगति घाटवा युद्ध में ही हुई थी अत: दुर्गा जी का दाह-संस्कार भी रलावता गांव के पास अरावली की तलहटी में शेखाजी की चिता के पास ही किया गया था। उस स्थान पर शेखाजी की स्मृति में एक छत्री बनी थी कहते है उस छत्री के पास दुर्गाजी की स्मृति में भी एक चबूतरा बना था पर आज वह मौजूद नहीं है। शेखाजी के इस स्मारक पर अब शेखाजी की एक विशाल मूर्ति लगी है जिसका अनावरण उन्हीं की कुल वधु तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल देवीसिंह शेखावत ने किया था। अब महाराव शेखा संस्थान ने शेखाजी की विशाल प्रतिमा के साथ ही वीरवर दुर्गाजी की स्मृति हेतु उनकी भी एक प्रतिमा लगाने निर्णय किया है जिसे जल्द पुरा करने हेतु महाराव शेखा संस्थान कार्यरत है।
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