Category: पाठकों की डायरी से

  • व्यंग्य : खिचड़ी बनाम बिरयानी (Khichdi vs Biryani)

    व्यंग्य : खिचड़ी बनाम बिरयानी (Khichdi vs Biryani)

    “मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का” ऐसा ही कुछ हाल आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह से चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है । धरना, वैचारिक मतभेदों को लेकर…

  • व्यंग्य : हम कागज नहीं दिखाएंगे (Hum Kaagaz Nahi Dikhayenge)

    व्यंग्य : हम कागज नहीं दिखाएंगे (Hum Kaagaz Nahi Dikhayenge)

    “युग के युवा,मत देख दाएं और बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलें न अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है  देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रण सामने तेरे पड़ा, युग का जुआ “ युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों…

  • व्यंग्य : लोग सड़क पर

    व्यंग्य : लोग सड़क पर

    “नानक नन्हे बने रहो, जैसे नन्ही दूब बड़े बड़े बही जात हैं दूब खूब की खूब “ श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर कर सिख श्रद्धालुओं पर पत्थर बाज़ी की गयी और एक कमज़र्फ ने धमकी दी…

  • आपको क्या तकलीफ है (नए कानून पर व्यंग्य)

    आपको क्या तकलीफ है (नए कानून पर व्यंग्य)

    Satire On New Law Citizenship Amendment Act : रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला। वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से। उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला । रिपोर्टर ,बच्चे से-“बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है”? बच्चा हँसते हुये-“अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं…

  • व्यंग्य : अबकी बार, तीन सौ पार

    व्यंग्य : अबकी बार, तीन सौ पार

    “नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही “ जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है। बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा। एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की हुंकार के साथ…

  • व्यंग्य : ….तो क्यों धन संचय

    व्यंग्य : ….तो क्यों धन संचय

    Vyangya to Kyon Dhan Sanchay Amitabh Bachchan हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी, “पूत कपूत तो क्यों धन संचय पूत सपूत तो क्यों धन संचय” जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का उपदेश दिया है लोगों ने इस वाक्य को आई ओपनर की संज्ञा दी है…

  • व्यंग्य: मेला ऑन ठेला (Mela on Thela -Parody)

    व्यंग्य: मेला ऑन ठेला (Mela on Thela -Parody)

    “सारी बीच नारी है ,या नारी बीच सारी सारी की ही नारी है,या नारी ही की सारी” जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का है ।मेले में ठेला है ,ये ठेले पर मेला है ।बकौल शायर “नजर नवाज नजारा ना…