Tuesday fast rituals how to follow mangalvar vrat vidhi in hindi

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मंगलवार व्रत व्रत विधि विधान, मंगलवार व्रत के नियम
हिन्दू धर्म के अनुसार मंगलवार का दिन भगवान श्री हनुमान को समर्पित है। इस दिन मंदिरों में हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। मंगलवार के दिन श्रद्धालु व्रत भी करते हैं। नारद पुराण के अनुसार मंगलवार का व्रत करने से भय और चिंताओं का तो अंत होता ही है साथ ही शनि की महादशा या साड़ेसाती से हो रही परेशानी भी खत्म हो जाती है।
मंगलवार का व्रत सम्मान, बल, पुरुषार्थ और साहस में बढोतरी के लिये किया जाता है. इस व्रत को करने से उपवासक को सुख- समृ्द्धि की प्राप्ति होती है. यह व्रत उपवासक को राजकीय पद भी देता है. सम्मान और संतान की प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत किया जाता है. इस व्रत की कथा का श्रवण करने से भी मंगल कामनाएं पूरी होने की संभावनाएं बन रही है. इस व्रत को करने से सभी पापों की मुक्ति होती है.

मंगलवार का व्रत किसे करना चाहिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का व्रत उन व्यक्तियों को करना चाहिए, जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल पाप प्रभाव में हों या वह निर्बल होने के कारण अपने शुभ फल देने में असमर्थ हों, उन व्यक्तियों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए. यह व्रत क्योकिं मंगल ग्रह की शान्ति के लिये किया जाता है. जिस व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता हो, या हिंसात्मक प्रवृ्ति हो, उन व्यक्तियोम को अपने गुस्से को शांत करने के लिये , मंगलवार का व्रत करना मन को शांत करता है. लडके इस व्रत को बुद्धि और बल विकास के लिये कर सकते है. मंगलवार का व्रत करने सें व्यवसाय में भी सफलता मिलती है.

मंगलवार व्रत महत्व
प्रत्येक व्रत का अलग-अलग महत्व और फल हैं, व्रत करने से व्यक्ति अपने आराध्य देवी- देवताओं को प्रसन्न करने में सफल होता है, और साथ ही उसे सुख-शान्ति की प्राप्ति भी होती है. इस व्रत को करने से धन, पति, असाध्य रोगों से मुक्ति आदि के लिये भी किया जाता है. वास्तव में इस मोह रुपी संसार से मुक्ति प्राप्ति के लिये भी व्रत किये जाते है.
मंगल अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में जन्म लग्न में स्थित होकर पीडित अवस्था में हों, तो इस व्रत को विशेष रुप से करना चाहीए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल की महादशा, प्रत्यन्तर दशा आदि गोचर में अनिष्टकारी हो तो, मंगल ग्रह की शात्नि के लिये उसे मंगलवार का व्रत करना चाहिए. मंगलवार का व्रत इसीलिये अति उतम कहा गया है. श्री हनुमान जी की उपासना करने से वाचिक, मानसिक व अन्य सभी पापों से मुक्ति मिलती है. तथा उपवासक को सुख, धन और यश लाभ प्राप्त होता है.

मंगलवार व्रत विधि, Mangalvar Vrat Vidhi in Hindi
मंगलवार व्रत करने वाले जातक को मंगलवार के दिन ब्रह्मचर्य का अवश्य पालन करना चाहिए। प्रत्येक मंगलवार को सुबह सूर्य उदय से पहले उठ जाना चाहिए। स्नान करने के बाद जातक को लाल रंग का वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद लाल फूल, सिंदूर, कपड़े आदि हनुमान जी को चढ़ाना चाहिए। पूरे भक्तिभाव से हनुमान जी के सामने बैठकर ज्योति जलाने के बाद हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए।

मंगलवार व्रत में क्या खाना चाहिएमंगलवार व्रत का खाना, व्रत में सात्विक भोजन , लेकिन सात्विक भोजन का चयन कैसे करें यह एक बड़ा सवाल है। शास्त्रों के अनुसार सात्विक भोजन की श्रेणी में दूध, घी, फल और मेवे आते हैं। उपवास में ये आहार इसलिए मान्य हैं कि ये भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएं हैं। शाम के समय हनुमान जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाकर बिना नमक का भोजन खाना चाहिए। हनुमान जी को खीर का भी भोग लगाया जा सकता हैं।  इस उपवास में संध्या समय में मीठा भोजन किया जाता है. दूध से बनी चीज़ें ,इसके अलावा चिकित्सकीय संदर्भ से भी ये खाद्य पदार्थ शरीर में सात्विकता बढ़ाने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं। इसलिए इन्हें ग्रहण करना सही समझा जाता है। इसके अलावा दूध से बनी कोई भी वस्तु भी ग्रहण की जा सकती है। लेकिन इसके अलावा अन्य कोई भी खाद्य पदार्थ का सेवन करना निषेध माना गया है। इसके साथ ही शारीरिक शुद्धि के लिए तुलसी जल, अदरक का पानी या फिर अंगूर भी इस दौरान ग्रहण किया जा सकता है। जबकि मानसिक शुद्धि के लिए जप, ध्यान, सत्संग, दान और धार्मिक सभाओं में भाग लेना चाहिए।

व्रत में इसका सेवन कभी ना करें – भगवद्गीता के अनुसार मांस, अंडे, खट्टे और तले हुए मसालेदार और बासी या संरक्षित व ठंडे पदार्थ राजसी-तामसी प्रवृतियों को बढ़ावा देते हैं। व्रत के अनुसार नमक का सेवन करने की भी मनाही है, क्योंकि यह शरीर में उत्तेजना उत्पन्न करता है। इसलिए उपवास के दौरान इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
मंगलवार के व्रत के दिन सात्विक विचार का रहना आवश्यक है. इस व्रत को भूत-प्रेतादि बाधाओं से मुक्ति के लिये भी किया जाता है. और व्रत वाले दिन व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए. इस व्रत वाले दिन कभी भी नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
मंगलवार का व्रत भगवान मंगल और पवनपुत्र हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिये इस व्रत को किया जाता है. इस व्रत को लगातार 21 मंगलवार तक किया जाता है. इस व्रत को करने से मंगलग्रह की शान्ति होती है. इस व्रत को करने से पहले व्यक्ति को एक दिन पहले ही इसके लिये मानसिक रुप से स्वयं को तैयार कर लेना चाहिए. और व्रत वाले दिन उसे सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. प्रात: काल में नित्यक्रियाओं से निवृ्त होकर उसे स्नान आदि क्रियाएं कर लेनी चाहिए. उसके बाद पूरे घर में गंगा जल या शुद्ध जल छिडकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए. व्रत वाले दिन व्यक्ति को लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए.
घर की ईशान कोण की दिशा में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए. पूजन स्थान पर चार बत्तियों का दिपक जलाया जाता है. और व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद लाल गंध, पुष्प, अक्षत आदि से विधिवत हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए.
श्री हनुमानजी की पूजा करते समय मंगल देवता के इक्कीस नामों का उच्चारण करना शुभ माना जाता है.

मंगलवार व्रत विधि, Mangalvar Vrat Vidhi In Hindi
1- सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का वर्त उतम है|
2- इस वर्त में गेहू और गुड का ही भोजन करना चाहिए|
3- भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना चाहिए|
4- वर्त २१ हफ्तों तक रखे|
5- इस वर्त से मनुष्य के सभी दोष नष्ट हो जाते हैं|
6- वर्त के पूजन के समय लाल पुष्पों को चडावे और लाल वस्त्र धरण करे|
7- अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए|
8- इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना भी शुभ रहता है। तत्पश्चात हनुमानजी को लाल फूल, सिन्दूर, वस्त्रादि चढ़ाने चाहिए।
9- शाम के समय बेसन के लड्डुओं या फिर खीर का भोग हनुमानजी को लगाकर स्वयं नमकरहित भोजन करना चाहिए।
10- मंगलवार का व्रत करने वालों को इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
11- मान्यता है कि मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों को भी मंगलवार का व्रत रखने से लाभ होता है।
12-  शनि की महादशा, ढैय्या या साढ़ेसाती की परेशानी को दूर करने के लिए भी यह व्रत बहुत कारगर माना जाता है।

मंगल देवता के नाम इस प्रकार है,  Names of Mangal God
1. मंगल 2. भूमिपुत्र 3. ऋणहर्ता 4. धनप्रदा 5. स्थिरासन 6. महाकाय 7. सर्वकामार्थसाधक 8. लोहित 9. लोहिताज्ञ 10. सामगानंकृपाकर 11.धरात्मज 12. कुज 13. भौम 14. भूमिजा 15. भूमिनन्दन 16. अंगारक 17. यम 18. सर्वरोगहारक 19.वृष्टिकर्ता 20. पापहर्ता 21. सब काम फल दात

हनुमान जी का अर्ध्य निम्न मंत्र से किया जाता है :
भूमिपुत्रो महातेजा: कुमारो रक्तवस्त्रक:।
गृहाणाघर्यं मया दत्तमृणशांतिं प्रयच्छ हे।
इसके पश्चात कथा कर, आरती और प्रसाद का वितरण किया जता है. सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर स्वयं प्रसाद ग्रहण किया जाता है.
मंगलवार व्रत फल, Benefits of Mangalvar Vrat Hindi
मंगलवार व्रत करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि शनि ग्रह से होने वाली परेशानियों के निदान में भी यह व्रत बेहद कारगर साबित होता है। मंगलवार व्रत मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।

मंगलवार व्रत उद्यापन
21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करके उन्हें चोला चढ़ाएं. फिर 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें.
माघ महीने में मंगलवार को व्रत करने से मिलेगा लाभ
मकर संक्रांति से लेकर कुंभ संक्रांति तक पूरा एक महीना माघ महीना कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने किए जाने वाले व्रत का फल कई गुना ज्यादा मिलता है। इस महीने में मंगलवार उपासना का शास्त्रों में अलग ही महत्व है। मंगलवार को किए उपाय से सुख, रक्त विकाराय, मान-सम्मान मिलता है।
माघ महीने में मंगलवार के व्रत किए जाते हैं। जिसमें उपासना करने वालों को एक टाइम बिना नमक का अन्न खाना चाहिए। गुड़ तिल मिलाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। वहीं जरूरतमंद को दान करना चाहिए। मंगलवार को व्रत से मनुष्य सारे दोषों से मुक्त हो जाता हैं। व्रत के पूजन के समय लाल फूल चढ़ाएं और लाल वस्त्र धारण करें। हनुमान जी की पूजा करते हुए मंगलवार की कथा सुनें।
माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। इस महीने में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए इससे पुण्य की प्राप्ति होगी व पापों से मुक्ति मिलेगी।

मंगलवार व्रत कथा
प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे उनके कोई संतान न होन कारण वह बेहद दुखी थे. हर मंगलवार ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा के करने जाता था. वह पूजा करके बजरंगबली से एक पुत्र की कामना करता था. उसकी पत्नी भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी. वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी.
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ने भोजन नहीं बना पाया और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी. तब उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी. वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही. मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई. हनुमान जी उसकी श्रद्धा और भक्ति देखकर प्रसन्न हुए. उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा.
बालक को पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हुई. उसने बालक का नाम मंगल रखा. कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है. यह सुनकर ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ. एक दिन मौका पाकर ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया.
घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा कि मंगल कहां है? तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया. उसे वापस देखकर ब्राह्मण चौंक गया. उसी रात को बजरंगबली ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उन्होंने ही उसे दिया है. सच जानकर ब्राह्मण बहुत खुश हुआ. जिसके बाद से ब्राह्मण दंपत्ति नियमित रूप से मंगलवार व्रत रखने लगे. मंगलवार का व्रत रखने वाले मनुष्य पर हनुमान जी की अपार कृपा होती है.

मंगलवार तथा मंगलिया की कहानी 
प्राचीन समय में एक बुढ़िया थी जो मंगल देवता को अपना इष्ट देवता मानती थी. सदैव मंगल का व्रत रखती तथा मंगलदेव का पूजन करती. बुढ़िया का एक पुत्र भी था जिसका जन्म मंगलवार के दिन हुआ था जिससे वह उसे मंगलिया के नाम से पुकारती थी. मंगलदेव के दिन वह ना तो वह धरती खोदती थी और ना ही वह उस दिन घर को लीपती थी.
एक बार मंगल देवता बुढ़िया की श्रद्धा व भक्ति की परीक्षा लेने उसके घर में साधु का वेष बनाकर आ गए और दरवाजे पर आवाज लगाई. बुढ़िया ने कहा कि महाराज ! क्या आज्ञा है? साधु वेष में मंगलदेव जी ने कहा कि बहुत भूख लगी है, भोजन बना दे इसके लिए तू थोड़ी सी धरती लीप देगी तो तेरा पुण्य होगा! बुढ़िया ने साधु की बात सुन कहा कि मैं आज मंगलवार की व्रती हूँ इसलिए मैं चौका नहीं लगा सकती लेकिन अगर आप कहें तो मैं जल का छिड़काव कर चौका लगा दूँ? उस पर भोजन बना दूँगी. साधु ने कहा कि मैं तो केवल गोबर से लीपे चौके पर ही भोजन बनाता हूँ.
बुढ़िया ने साधु को बहुत कहा कि धरती लीपने के अलावा आप जो भी कुछ कहेंगे मैं सब करने को तैयार हूँ. साधु ने कहा कि तुम सोच समझकर यह बात कहो क्योंकि फिर जो कुछ भी मैं कहूँगा वह बात तुम्हें पूरी करनी होगी. बुढ़िया ने फिर कहा कि हाँ महाराज धरती लीपने के अलावा जो भी आज्ञा देगें वह मैं पूरी करुंगी और बुढ़िया ने ऎसे तीन वचन साधु को दे दिए. उसके बाद साधु ने कहा कि तू अपने लड़के को बुलाकर उसे औँधा लिटा दे, मैं उसकी पीठ पर भोजन बनाऊँगा. साधु की बात सुन बुढ़िया अब चुप हो गई तब साधु ने फिर कहा कि बुला ले लड़के को, अब किस बात के लिए सोच विचार करना! बुढ़िया मंगलिया, मंगलिया कहकर लड़के को बुलाने लगी, कुछ ही देर बाद लड़का आ गया. बुढ़िया ने कहा कि जा बेटे तुझे बाबाजी बुला रहे हैं.
लड़के ने साधु के पास जाकर पूछा कि क्या आज्ञा है महाराज! साधु ने कहा कि जाओ अपनी माता को बुलाकर लाओ. माता आई तो साधु ने कहा कि तू ही इसे लिटा दे. बुढ़िया ने मंगलदेव का ध्यान करते हुए उसे औँधा लिटाकर उसकी पीठ पर अंगीठी रख दी और कहा कि महाराज आपको जो कुछ भी करना है कीजिए, मैं तो जाकर अपना काम करती हूँ. साधु ने लड़के की पीठ पर रखी अंगीठी में आग जलाई और उस पर भोजन बनाया. जब सारा भोजन बन चुका तो साधु ने बुढ़िया से कहा कि अब अपने लड़के को बुलाओ, वह भी आकर भोग ले जाए.
साधु की बात सुनकर बुढ़िया ने कहा कि यह कैसी अटपटी बात है जो आप कर रहे है कि उसकी पीठ पर आपने आग जलाई और अब उसी को भोग के लिए बुला रहे हैं, क्या यह संभव है कि उसकी पीठ पर जलती अंगीठी रखने पर भी वह जीवित रहा होगा? बुढ़िया ने फिर कहा कि आप मुझे मेरे बेटे का स्मरण ना कराएँ और भोग लगाकर जहाँ जाना हो वहाँ चले जाइए. साधु के बार-बार कहने पर बुढ़िया ने जैसे ही मंगलिया कहकर आवाज लगाई वैसे ही एक ओर से दौड़ता हुआ वह आ गया. साधु ने लड़के को प्रसाद दिया और कहा कि माई तेरा व्रत सफल हो गया है. तेरे मन में दया के साथ अपने इष्ट देव में अटल श्रद्धा भी है. इसी कारण तुम्हे जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं पहुंचेगा.

मंगलवार व्रत की आरती, Mangalvar Vrat Aarti
आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे बीरा रघुनाथ पठाये | लंका जाये सीय सुधि लाये ॥
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे | सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे | आनि संजीवन प्रान उबारे ॥
पैठि पताल तोरि जम-कारे । अहिरावन की भुजा उखारे ॥
बायें भुजा असुर दल मारे | दहिने भुजा संत जन तारे ॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे | जै जै जै हनुमान उचारे ॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई | आरती करत अंजना माई ॥
जो हनुमान जी की आरती गावै | बसहि बैकुंठ परम पद पावै ॥
लंका विध्वंश किये रघुराई | तुलसीदास स्वामी किरति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

मंगलवार का व्रत स्त्री को करना चाहिए या नहीं
कलयुग में हनुमान जी की पूजा करने से सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं। कोई भी मनोकामना हो बस आप मंगलवार को बजरंग बली की पूजा कर लें, सारे दुख दर्द से छुटकारा मिल जाता है। यही वजह है कि पुरुष ध्‍यान मगन होकर हनुमान जी का जाप करते हैं। हालांकि महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम हैं। स्‍त्रियों का हनुमान जी की उपासना करना पूरी तरह से वर्जित तो नहीं है लेकिन हां कुछ चीजें ऐसी हैं कि जिनका पालन स्‍त्रियों को करना पड़ता है।  राम भक्‍त हनुमान स्‍त्रियों को माता स्‍वरूप मानते हैं ऐसे में कोई महिला उनके चरणों के सामने झुके, वह उन्‍हें पसंद नहीं आता। हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं।

महिलाएं हनुमान जी की पूजा में यह कार्य कर सकती हैं
हिन्दू शास्त्र महिलाओं को हनुमान जी की पूजा की मनाही नहीं देता। शास्त्रों के अनुसार महिलाएं हनुमान जी की पूजा अवश्य कर सकती हैं, किंतु इससे जुड़े कुछ नियम अवश्य बताए गए हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए ही महिलाओं को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार स्त्रियां भी पुरुषों की तरह हनुमान जी की पूजा उपासना कर सकती हैं तथा मंदिर जाकर प्रसाद भी चढ़ा सकती हैं। केवल लम्बे अनुष्ठान करने में प्राकृतिक बाधा आती है। अत: वे हनुमान चालीसा के प्रतिदिन 5 या 10 पाठ कर 20 या 10 दिन में 100 पाठ का अनुष्ठान कर सकती हैं।
1- महिलाएं दीप अर्पित कर सकती हैं।
2- महिलाएं गूगुल की धूनी रमा सकती हैं।
3- महिलाएं हनुमान चालीसा, संकट मोचन, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ कर सकती हैं।
4- महिलाएं हनुमान जी का भोग प्रसाद अपने हाथों से बनाकर अर्पित कर सकती हैं।

महिलाएं हनुमान जी की पूजा में यह कार्य नहीं कर सकती
महिलाएं हनुमान पूजा के दौरान क्या – क्या नहीं कर सकती हैं। महिलाएं हनुमान जी से संबंधित लंबे अनुष्ठान नहीं कर सकती हैं, इसके पीछे उनका राजस्वला होना और घरेलू उत्तरदायित्व निभाना मुख्य कारण है।
1- महिलाएं रजस्वला होने पर हनुमान जी से संबंधित कोई भी कार्य न करें।
2- महिलाएं हनुमान जी को सिंदूर अर्पित नहीं कर सकती है ।
3- महिलाओं को हनुमान जी को चोला भी नहीं चढ़ाना चाहिए ।
4- महिलाओं को बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।
5- महिलाओं को पाद्यं अर्थात चरणपादुकाएं अर्पित नहीं करनी चाहिए।
6- महिलाएं हनुमान जी को पंचामृत स्नान नहीं करा सकती।
7- महिलाएं वस्त्र युग्मं अर्थात कपड़ों का जोड़ा समर्पित नहीं कर सकती।
8- महिलाएं यज्ञोपवीतं अर्थात जनेऊ अर्पित नहीं कर सकती।

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