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बेसमेंट का वास्तु, Basement In Hindi
वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे घर में बेसमेंट के बारे में, बेसमेंट वह जगह है जिसे ग्राउंड फ्लोर के नीचले हिस्से में बनाया जाता है. आजकल जगह की कमी के चलते अधिकतर लोग अपने घरों में बेसमेंट का निर्माण करवाने लगे हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार घर में बेसमेंट का निर्माण करवाना अच्छा नहीं होता, वास्तु के अनुसार घर में बेसमेंट बनवाने से नकारात्मक असर पड़ता है क्योंकि बेसमेंट भूमि के नीचे होता है, जिसके कारण यहां सूरज की रोशनी और ताजी हवा नहीं आ पाती और सकारात्मकता की कमी बनी रहती है, लगतार बेसमेंट में रहने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. फिर भी यदि आपके लिए घर में बेसमेंट बनवाना बहुत जरूरी है तो कुछ बातों पर ध्यान दें,

ऐसा हो बेसमेंट का निर्माण-
वास्तु विज्ञान के अनुसार भवन में बेसमेंट का निर्माण कभी भी सम्पूर्ण भूखंड में नहीं करना चाहिए. कुल निर्माण क्षेत्र का आधा या इससे कम भाग पर ही बेसमेंट बनाना चाहिए. भवन का उत्तरी एवं पूर्वी भाग, दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग की तुलना में नीचा एवं हल्का रहना शुभ फलदाई माना गया है. अतः बेसमेंट का निर्माण हमेशा भवन के उत्तर एवं पूर्व में करना श्रेष्ठ रहता है. इसका प्रवेश द्वार पूर्वी ईशान, दक्षिण आग्नेय,पश्चिमी वायव्य अथवा उत्तरी ईशान में करना चाहिए. वास्तु में दक्षिण और पश्चिम जोन को भारी रखने की सलाह दी गई है. अतः भूखंड के मध्य या दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में बनाया गया बेसमेंट वहां निवास करने वालों के लिए अत्यंत कष्टदायक हो सकता है,इससे धन की कमी, रोग, व्यापार में नुकसान जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.उत्तर-पश्चिम में बेसमेंट बनाने से आलस्य,अस्थिरता और चोरी होने का भय रहता है.यदि किसी ईमारत में पहले से ही दक्षिण-पश्चिम दिशा में बेसमेंट बना हुआ हो,तो उसका उपयोग भारी सामान रखने अथवा गैरेज हेतु करना चाहिए.

1. बेसमेंट के निर्माण के लिए भूखंड का उपयुक्त भाग
बेसमेंट को बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि यह भूखंड के किस हिस्से में और कितने हिस्से में बनाया जा रहा है. उदाहरण के लिए पश्चिम और दक्षिण हिस्सा बेसमेंट के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है, अगर केवल इसी हिस्से में यह निर्मित किया जा रहा हो. यदि बेसमेंट का निर्माण पूरे भूखंड में किया जा रहा हो, तो दक्षिण व पश्चिम दिशा इसमें सम्मिलित होने के बावजूद भी ऐसा निर्माण यहां बेहतर होगा. इसके अतिरिक्त बेसमेंट उत्तर-पूर्व दिशा में बनाया जा सकता है. उत्तर या पूर्व दिशा से शुरू करके भूखंड के आधे हिस्से तक भी इसे निर्मित किया जा सकता है.

2. बेसमेंट का प्रवेश द्वार और सीढ़ियां
किसी भूखंड पर बना हुआ बेसमेंट शुभ है या अशुभ, इस बात का निर्धारण करने में सबसे अहम बात है उसका प्रवेश द्वार और सीढ़ियों की स्थिति. एक सामान्य घर के समान ही इसमें भी प्रवेश द्वार बहुत अहमियत रखता है. प्रवेश द्वार के निर्धारण के लिए आप कम्पास की सहायता से भूखंड को 360 डिग्री का एक वृत्त बनाकर बाँट देंगे. उत्तर दिशा में 337 डिग्री से 11 डिग्री, पूर्व दिशा में 67 से 90 डिग्री, दक्षिण में 157 से 180 डिग्री और पश्चिम में 247 से 270 डिग्री के बीच आप प्रवेश द्वार बना सकते हैं.

ध्यान रहे यह बातें-
1- बेसमेंट की गहराई 10-12 फ़ीट से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए,जिसमें से ऊपर के 3-4 फ़ीट ज़मीन के लेवल से ऊपर आने चाहिए,ताकि प्राकृतिक रोशनी और हवा के लिए खिड़कियां रखी जा सकें.
2- बेसमेंट में आने-जाने के लिए सीढ़ियां ईशान कोण या पूर्व दिशा से वास्तु में लाभ देने वाली मानी गई हैं.
3- सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के लिए बेसमेंट में सफ़ेद,हल्का पीला,हरा या हल्का गुलाबी रंग का पेंट होना चाहिए. नकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि न हो इसलिए यहाँ गहरे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
4- घर में बेसमेंट का प्रयोग ध्यान,जप व एकाग्रता के लिए किया जाना उत्तम रहता है, यहाँ मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में करके बैठना शुभकारी होता है.
5- बेसमेंट के पूर्व,उत्तर एवं ईशान कोण को खाली एवं स्वच्छ बनाए रखें. इस दिशा में जल रख सकते हैं. बेसमेंट के मुख्य द्वार पर विंडचाइम लगाना भी शुभ माना गया है,इससे यहाँ सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी.

6– व्यवसाय के लिहाज़ से बेसमेंट के दक्षिण-पश्चिम(नैऋत्य)दिशा में भारी सामान या मशीनें आदि रखी जानी चाहिए वहीँ बेचने के लिए जो सामान रखा जाए उसे बेसमेंट की उत्तर-पश्चिम(वायव्य)दिशा में रखा जाना चाहिए.एयरकंडीशन,एग्जॉस्ट फैन हो तो सभी पूर्व दिशा या अग्नि कोण में ही होने चाहिए.
7- बेसमेंट के चारों ओर से जल निकासी का ढलान नहीं होना चाहिए और बरसात के पानी के रिसाव आदि के लिए भूतल पर काफी दूरी पर परछत्ते बने होने चाहिए, ताकि बरसाती पानी बेसमेंट में न घुस सके.
8- बेसमेंट की छत 9 से 10 फीट ऊंची बनवाएं ताकि बेसमेंट पूरी तरह जमीन के भीतर न रहे. बेसमेंट का मुख्यद्वार पूरब या उत्तर पूर्व दिशा में बनवाएं ताकि बेसमेंट में प्राकृतिक रोशनी आ सके. उत्तर और पूर्वी भाग को खुला रखें ताकि वायु का प्रभाव लगातार बना रहे. प्लाट के किसी एक भाग में बेसमेंट बनाना हो तो उत्तर अथवा पूर्व दिशा में बेसमेंट बनवाएं.

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