संपूर्ण रामायण कथा बालकाण्ड: ब्राह्मणत्व की प्राप्ति, विश्वामित्र को ब्राह्मणत्व की प्राप्ति, विश्वामित्र जी की कथा (Sampurna Ramayan Katha Bal Kand: Brahmanatva Ki Praapti, Viswamitra Ko Brahmanatva Ki Praapti, Vishvaamitr Ki Katha)

ब्राह्मणत्व की प्राप्ति, विश्वामित्र को ब्राह्मणत्व की प्राप्ति
वार्ता जारी रखते हुए शतानन्दजी ने कहा, हे रामचन्द्र! देवताओं के चले जाने के बाद विश्वामित्र ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिये पूर्व दिशा में जाकर पुनः कठोर तपस्या करने लगे। बिना अन्न जल ग्रहण किये वर्षों तक तपस्या करते करते उनकी देह सूख कर काँटा बन गई। इस तपस्या को भ़ंग करने के लिए नाना प्रकार के विघ्न उपस्थित हुए किन्तु उन्होंने उन सबका निवारण किया और वह भी बिना क्रोध किये। तपस्या की अवधि समाप्त होने पर जब वे अन्न ग्रहण करने के लिए बैठे। ज्योंही प्रथम ग्रास उठाया भी न था कि ब्राह्मण भिक्षुक के रुप में आकर इन्द्र ने भोजन की याचना की। विश्वामित्र ने अपना भोजन उस याचक को दे दिया और स्वयं निराहार रह गये।

इन्द्र को भोजन दे देने के पश्चात विश्वामित्र के मन में विचार आया कि सम्भवत: अभी मेरे भोजन ग्रहण करने का अवसर नहीं आया है, इसीलिये याचक के रूप में यह विप्र उपस्थित हो गया। मुझे अभी और तपस्या करना चाहिये। अतएव वे मौनव्रत धारण कर फिर से दीर्घकालीन तपस्या में लीन हो गये। इस बार उन्होंने प्राणायाम से श्वाँस रोक कर महादारुण तप किया। उनके तप से प्रभावित देवताओं ने ब्रह्माजी से निवेदन किया कि भगवन्! विश्वामित्र की तपस्या अब पराकाष्ठा को पहुँच गई है। अब वे क्रोध और मोह की सीमाओं को पार कर गये हैं। अब इनके तेज से सारा संसार प्रकाशित हो उठा है। सूर्य और चन्द्रमा का तेज भी इनके तेज के सामने फीका पड़ गया है। अतएव आप प्रसन्न होकर इनकी अभिलाषा पूर्ण कीजिये।

देवताओं के इन वचनों को सुनकर ब्रह्मा जी उन से देवताओं को साथ लेकर विश्वामित्र जी के पास पहुँचे और बोले कि हे विश्वामित्र! निःसन्देह तुम्हारी तपस्या प्रशंसनीय है। हम तुमसे अत्यन्त प्रसन्न हैं और तुम्हें ब्राह्मणश्रेष्ठ की उपाधि प्रदान करते हैं। तुम संसार में महान यश के भागी बनोगे। ब्रह्मा जी से यह वरदान पाकर विश्वामित्र ने कहा कि हे भगवन्! जब आपने मुझे यह वरदान दिया है तो मुझे ओंकार, षट्कार तथा चारों वेदों का ज्ञान भी प्रदान करें। प्रभो! अपनी तपस्या को मैं तभी सफल समझूँगा जब वशिष्ठ जी मुझे ब्राह्मण और ब्रह्मर्षि स्वीकार करेंगे।

विश्वामित्र की बात सुन कर समस्त देवताओं ने वशिष्ठ जी के पास जाकर उन्हें सारा वृत्तान्त सुनाया। उनकी तपस्या की कथा सुनकर वशिष्ठ जी स्वयं विश्वामित्र के पास पहुँचे और उन्हें अपने हृदय से लगा कर बोले कि विश्वामित्र जी! आप वास्तव में ब्रह्मर्षि हैं। मैं आज से आपको ब्राह्मण स्वीकार करता हूँ।
हे रघुनन्दन! इतनी कठोर तपस्याओं एवं भारी संघर्ष के पश्चात् विशवामित्र जी ने यह महान पद प्राप्त किया है। ये बड़े विद्वान, धर्मात्मा, तेजस्वी एवं तपस्वी हैं।

राजा जनक भी शतानन्द द्वारा वर्णित विश्वामित्र जी की कथा सुन रहे थे। वे बोले, हे कौशिक! मैं आपको और इन राजकुमारों को मिथिला में पाकर कृतार्थ हो गया हूँ। अब अधिक समय व्यतीत हो चला है। भगवान भास्कर अस्ताचल की ओर जा रहे हैं। सन्ध्या-उपासना का समय हो गया है। इसलिये मुझे आज्ञा दीजिये। प्रातःकाल पुनः आपके दर्शन के लिये आउँगा। इस प्रकार मुनि से आज्ञा ले राजा जनक अपने मन्त्रियों सहित विदा हये। विश्वामित्र जी भी दोनों राजकुमारों के साथ अपने निश्चित स्थान के लिये चल पड़े।

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  37. अयोध्याकाण्ड: श्री राम-भरत मिलाप कथा, राम और भरत का मिलन, चित्रकूट में भरत मिलाप की कहानी, राम-भरत मिलाप संवाद, श्रीराम की चरण पादुका लेकर अयोध्या लौटे भरत
  38. अयोध्याकाण्ड: महर्षि अत्रि का आश्रम, अत्रि ऋषि के आश्रम पहुंचे श्री राम Sampurna Ramayan Katha Ayodhya Kand- Maharishi Atri Ka Ashram
  39. अरण्यकाण्ड: दण्डक वन में विराध वध, श्री राम द्वारा विराध राक्षस का वध, भगवान श्री राम ने किया दंडकवन के सबसे बड़े राक्षस विराध का वध
  40. अरण्यकाण्ड: महर्षि शरभंग का आश्रम, महर्षि शरभंग, शरभंग ऋषि की कथा, सीता की शंका Sampurna Ramayan Katha Aranyakaand
  41. अरण्यकाण्ड: अगस्त्य का आश्रम, महर्षि अगस्त्य मुनि, श्रीराम और अगस्त मुनि का मिलन स्थल सिद्धनाथ आश्रम Sampurna Ramayan Katha Aranyakaand
  42. अरण्यकाण्ड: पंचवटी में आश्रम, श्री राम-लक्ष्मण एवं सीता पंचवटी आश्रम में कैसे पहुँचे?, पंचवटी किस राज्य में है, पंचवटी की कहानी, पंचवटी क्या है, पंचवटी कहां है
  43. अरण्यकाण्ड: रावण की बहन शूर्पणखा, श्री राम का खर-दूषण से युद्ध, खर-दूषण वध, खर-दूषण का वध किसने किया? Sampurna Ramayan Katha Aranyakaand
  44. अरण्यकाण्ड: सीता की कथा और स्वर्ण मृग, श्री राम और स्वर्ण-मृग प्रसंग, मारीच का स्वर्णमृग रूप, सीता हरण, रामायण सीता हरण की कहानी, सीता हरण कैसे हुआ
  45. संपूर्ण रामायण कथा अरण्यकाण्ड: जटायु वध, रावण द्वारा गिद्धराज जटायु वध, सीता हरण व जटायु वध, रावण जटायु युद्ध, जटायु प्रसंग, जटायु कौन था
  46. अरण्यकाण्ड: रावण-सीता संवाद, रावण की माता सीता को धमकी, रावण और सीता संवाद अशोक वाटिका Sampurna Ramayan Katha Aranyakaand
  47. अरण्यकाण्ड: राम की वापसी और विलाप, श्री राम और लक्ष्मण विलाप, सीता हरण पर श्री राम जी के द्वारा विलाप, जटायु की मृत्यु, पक्षीराज जटायु की मृत्यु कैसे हुई
  48. अरण्यकाण्ड: कबन्ध का वध, राम द्वारा कबन्ध राक्षस का वध, रामायण में कबंध राक्षस, कबंध कौन था Sampurna Ramayan Katha Aranyakaand
  49. अरण्यकाण्ड: शबरी का आश्रम, भगवान राम शबरी के आश्रम क्यों गए, श्री राम शबरी के आश्रम कैसे पहुँचे? शबरी के झूठे बेर प्रभु राम ने खाएं, शबरी के बेर की कहानी
  50. किष्किन्धाकाण्ड: राम हनुमान भेंट, श्रीराम की हनुमान से पहली मुलाकात कहां और कब हुई, राम हनुमान मिलन की कहानी
  51. किष्किन्धाकाण्ड: राम-सुग्रीव मैत्री, राम-सुग्रीव मित्रता, श्री राम और सुग्रीव के मित्रता की कहानी, राम-सुग्रीव वार्तालाप, राम-सुग्रीव संवाद
  52. किष्किन्धाकाण्ड: बाली सुग्रीव युध्द वालि-वध, बाली का वध, राम द्वारा बाली का वध, बाली-राम संवाद, तारा का विलाप
  53. किष्किन्धाकाण्ड: सुग्रीव का अभिषेक, बाली वध के बाद सुग्रीव का राज्याभिषेक (Sampurna Ramayan Katha Kishkindha Kand
  54. किष्किन्धाकाण्ड: हनुमान-सुग्रीव संवाद, हनुमान और सुग्रीव की मित्रता, लक्ष्मण-सुग्रीव संवाद, राम का सुग्रीव पर कोप, रामायण सुग्रीव मित्रता
  55. किष्किन्धाकाण्ड: माता सीता की खोज, माता सीता की खोज में निकले राम, राम द्वारा हनुमान को मुद्रिका देना, माता सीता की खोज में निकले हनुमान
  56. किष्किन्धाकाण्ड: जाम्बवन्त द्वारा हनुमान को प्रेरणा, जाम्बवन्त के प्रेरक वचन Sampurna Ramayan Katha Kishkindha Kand
  57. सुन्दरकाण्ड: हनुमान का सागर पार करना, हनुमान जी ने समुद्र कैसे पार किया, हनुमान जी की लंका यात्रा, हनुमान जी का लंका में प्रवेश
  58. सुन्दरकाण्ड: लंका में सीता की खोज, माता सीता की खोज में लंका पहुंचे हनुमान, अशोक वाटिका में हनुमान, सीता से मिले हनुमान, अशोक वाटिका में हनुमान सीता संवाद
  59. सुन्दरकाण्ड: रावण -सीता संवाद, अशोक वाटिका में रावण संवाद, रावण सीता अशोक वाटिका, रावण की सीता को धमकी
  60. सुन्दरकाण्ड: जानकी राक्षसी घेरे में, माता सीता राक्षसी घेरे में, पति राम के वियोग में व्याकुल सीता, अशोक वाटिका में हनुमान जी किस वृक्ष पर बैठे थे
  61. सुन्दरकाण्ड: हनुमान सीता भेंट, सीता जी से मिले हनुमान, अशोक वाटिका में हनुमान सीता संवाद, हनुमान का सीता को मुद्रिका देना
  62. सुन्दरकाण्ड: हनुमान का विशाल रूप, हनुमान जी का पंचमुखी अवतार, हनुमान जी ने क्यों धारण किया पंचमुखी रूप, हनुमान के साथ क्यों नहीं गईं सीता, बजरंगबली का विराट रूप
  63. सुन्दरकाण्ड: हनुमान ने उजाड़ी अशोक वाटिका, हनुमान जी ने रावण की अशोक वाटिका को किया तहस-नहस, अशोक वाटिका विध्वंस, हनुमान राक्षस युद्ध
  64. सुन्दरकाण्ड: मेधनाद हनुमान युद्ध, लंका में हनुमान जी और मेघनाद का भयंकर युद्ध, मेघनाद ने हनुमान पर की बाणों की वर्षा
  65. सुन्दरकाण्ड: रावण के दरबार में हनुमान, रावण हनुमान संवाद, हनुमान-रावण की लड़ाई, लंका दहन, हनुमान जी द्वारा लंका दहन, हनुमान ने सोने की लंका में लगाई आग
  66. सुन्दरकाण्ड: माता सीता का संदेश देना, हनुमान के द्वारा राम सीता का संदेश, हनुमान ने राम को दिया माता सीता का संदेश
  67. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): समुद्र पार करने की चिन्ता, वानर सेना का प्रस्थान, वानर सेना का सेनापति कौन था, वानर सेना रामायण, वानर सेना का गठन
  68. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): लंका में राक्षसी मन्त्रणा, विभीषण ने रावण को किस प्रकार समझाया, विभीषण का निष्कासन, विभीषण का श्री राम की शरण में आना
  69. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): सेतु बन्धन, राम सेतु पुल, क्यों नहीं डूबे रामसेतु के पत्‍थर, राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ, नल-नील द्वारा पुल बाँधना
  70. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): सीता के साथ छल, रावण का छल, रावण ने छल से किया माता सीता का हरण Sampoorna Ramayan Yuddha Kand (Lanka Kand)
  71. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): अंगद रावण दरबार में, अंगद ने तोड़ा रावण का घमंड, रावण की सभा में अंगद-रावण संवाद, रावण की सभा में अंगद का पैर जमाना
  72. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): राम लक्ष्मण बन्धन में, नागपाश में राम लक्ष्मण, धूम्राक्ष और वज्रदंष्ट्र का वध, राक्षस सेनापति धूम्राक्ष का वध, अकम्पन का वध, प्रहस्त का वध
  73. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): रावण कुम्भकर्ण संवाद, कुम्भकर्ण वध, कुंभकरण का वध किसने किया, कुम्भकर्ण की कहानी Sampoorna Ramayan Yuddha Kand (Lanka Kand)
  74. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): त्रिशिरा, अतिकाय आदि का वध, अतिकाय का वध, मायासीता का वध, रावण पुत्र मेघनाद (Sampoorna Ramayan Yuddha Kand (Lanka Kand)
  75. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): लक्ष्मण मेघनाद युद्ध कथा, मेघनाथ लक्ष्मण का अंतिम युद्ध, मेघनाद वध, मेघनाथ को कौन मार सकता था? लक्ष्मण ने मेघनाद को कैसे मारा
  76. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): लक्ष्मण मूर्छित, मेघनाद ने ब्रह्म शक्ति से लक्ष्मण को किया मूर्छित, लक्ष्मण मूर्छित होने पर राम विलाप, संजीवनी बूटी लेकर आए हनुमान
  77. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): रावण का युद्ध के लिये प्रस्थान, श्रीराम-रावण का युद्ध, राम और रावण के बीच युद्ध, रावण वध, मन्दोदरी का विलाप 
  78. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): विभीषण का राज्याभिषेक, रावण के बाद विभीषण बना लंका का राजा (Sampoorna Ramayan Yuddha Kand Lanka Kand)
  79. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): माता सीता की अग्नि परीक्षा, माता सीता ने अग्नि परीक्षा क्यों दी थी? माता सीता ने अग्नि परीक्षा कैसे दी?, माता सीता की अग्नि परीक्षा कहां हुई थी? 
  80. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): अयोध्या को प्रस्थान, राम अयोध्या कब लौटे थे, अयोध्या में राम का स्वागत, राम का अयोध्या वापस आना, वनवास से लौटे राम-लक्ष्मण और सीता
  81. युद्धकाण्ड (लंकाकाण्ड): भरत मिलाप, राम और भरत का मिलन, राम भरत संवाद, राम का राज्याभिषेक Sampoorna Ramayan Yuddha Kand (Lanka Kand)
  82. उत्तरकाण्ड: रावण के पूर्व के राक्षसों के विषय में, रावण के जन्म की कथा, रावण का जन्म कैसे हुआ, रावण का जन्म कहां हुआ, रावण के कितने भाई थे
  83. उत्तरकाण्ड: हनुमान के जन्म की कथा, रामभक्त हनुमान के जन्म की कहानी, हनुमान की कथा, हनुमान जन्म लीला, पवनपुत्र हनुमान का जन्म कैसे हुआ
  84. उत्तरकाण्ड: अभ्यागतों की विदाई, प्रवासियों में अशुभ चर्चा, सीता का निर्वासन, राम ने सीता का त्याग क्यों किया, राम ने सीता को वनवास क्यों दिया
  85. उत्तरकाण्ड: राजा नृग की कथा, सूर्यवंशी राजा नृग की कथा, राजा नृग कुएँ का गिरगिट, राजा नृग का उद्धार कैसे हुआ? राजा नृग की मोक्ष कथा, राजा नृग का उपाख्यान 
  86. उत्तरकाण्ड: राजा निमि की कथा, शाप से सम्बंधित राजा की कथा, राजा निमि कौन थे? राजा निमि की कहानी, विदेह राजा जनक Sampoorna Ramayan Uttar Kand
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  89. उत्तरकाण्ड: पूर्व राजाओं के यज्ञ-स्थल एवं लवकुश का जन्म, लव कुश का जन्म कहां पर हुआ था, लव कुश में बड़ा कौन है, वाल्मीकि आश्रम कहां है, च्यवन ऋषि का आगमन
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