शांतनु और गंगा महाभारत – शांतनु और गंगा की प्रेम कहानी, शान्तनु और गंगा का विवाह, भीष्म का जन्म, भीष्म प्रतिज्ञा, देवव्रत की प्रतिज्ञा, Shantanu Mahabharat, Shantanu and Ganga Story in Hindi, Shantanu and Ganga Vivah, Bhishma Janm Katha, Bhishma Pratigya, Devavrata, Shantanu, Ganga
शांतनु और गंगा महाभारत
एक बार हस्तिनापुर के महाराज प्रतीप गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। उनके रूप-सौन्दर्य से मोहित होकर गंगा उनकी जाँघ पर आकर बैठ गईं। गंगा ने कहा- “हे राजन! मैं ऋषि की पुत्री गंगा हूँ और आपसे विवाह करने आपके पास आई हूँ।” इस पर महाराज प्रतीप बोले- “गंगे! तुम मेरी दहिनी जाँघ पर बैठी हो। पत्नी को तो वामांगी होना चाहिये, दाहिनी जाँघ तो पुत्र का प्रतीक है, अतः मैं तुम्हें अपनी पुत्रवधू के रूप में स्वीकार करता हूँ।” यह सुन कर गंगा वहाँ से चली गईं।
अब महाराज प्रतीप ने पुत्र प्राप्ति के लिये घोर तप करना आरम्भ कर दिया। उनके तप के फलस्वरूप उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने शान्तनु रखा। शान्तनु के युवा होने पर उसे गंगा के साथ विवाह करने का आदेश देकर महाराज प्रतीप स्वर्ग चले गये। पिता के आदेश का पालन करने के लिये शान्तनु ने गंगा के पास जाकर उनसे विवाह करने के लिये निवेदन किया।
गंगा बोलीं- “राजन! मैं आपके साथ विवाह तो कर सकती हूँ, किन्तु आपको वचन देना होगा कि आप मेरे किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।” शान्तनु ने गंगा के कहे अनुसार वचन देकर उनसे विवाह कर लिया। गंगा के गर्भ से महाराज शान्तनु के आठ पुत्र हुए, जिनमें से सात को गंगा ने गंगा नदी में ले जाकर बहा दिया और अपने दिये हुये वचन में बँधे होने के कारण महाराज शान्तनु कुछ बोल न सके। जब गंगा का आठवाँ पुत्र हुआ और वह उसे भी नदी में बहाने के लिये ले जाने लगी तो राजा शान्तनु से रहा न गया और वे बोले- “गंगे! तुमने मेरे सात पुत्रों को नदी में बहा दिया, किन्तु अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मैंने कुछ न कहा। अब तुम मेरे इस आठवें पुत्र को भी बहाने जा रही हो। मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ कि कृपा करके इसे नदी में मत बहाओ।”
महाराज शान्तनु की बात सुनकर गंगा ने कहा- “राजन! आपने अपनी प्रतिज्ञा भंग कर दी है, इसलिये अब मैं आपके पास नहीं रह सकती।” इतना कह कर गंगा अपने पुत्र के साथ अन्तर्ध्यान हो गईं। तत्पश्चात महाराज शान्तनु ने छत्तीस वर्ष ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके व्यतीत कर दिये। फिर एक दिन उन्होंने गंगा के किनारे जाकर गंगा से कहा- “गंगे! आज मेरी इच्छा उस बालक को देखने की हो रही है, जिसे तुम अपने साथ ले गई थीं।” गंगा एक सुन्दर स्त्री के रूप में उस बालक के साथ प्रकट हो गईं और बोलीं- “राजन! यह आपका पुत्र है तथा इसका नाम ‘देवव्रत’ है, इसे ग्रहण करो। यह पराक्रमी होने के साथ विद्वान भी होगा। अस्त्र विद्या में यह परशुराम के समान होगा।” महाराज शान्तनु अपने पुत्र देवव्रत को पाकर अत्यन्त प्रसन्न हुये और उसे अपने साथ हस्तिनापुर लाकर युवराज घोषित कर दिया।
एक दिन महाराज शान्तनु यमुना के तट पर घूम रहे थे कि उन्हें नदी में नाव चलाते हुये एक सुन्दर कन्या दृष्टिगत हुई। उसके अंग-अंग से सुगन्ध निकल रही थी। महाराज ने उस कन्या से पूछा- “हे देवि! तुम कौन हो?” कन्या ने बताया- “महाराज! मेरा नाम सत्यवती है और मैं निषाद कन्या हूँ।” शान्तनु उसके रूप यौवन पर रीझ कर तत्काल उसके पिता के पास पहुँचे और सत्यवती के साथ अपने विवाह का प्रस्ताव किया। इस पर निषाद बोला- “राजन! मुझे अपनी कन्या का आपके साथ विवाह करने में कोई आपत्ति नहीं है, परन्तु आपको मेरी कन्या के गर्भ से उत्पन्न पुत्र को ही अपने राज्य का उत्तराधिकारी बनाना होगा।।”
निषाद के इन वचनों को सुनकर महाराज शान्तनु चुपचाप हस्तिनापुर लौट आये। सत्यवती के वियोग में महाराज शान्तनु व्याकुल रहने लगे। उनका शरीर दुर्बल होने लगा। महाराज की इस दशा को देखकर देवव्रत को बड़ी चिंता हुई। जब उन्हें मन्त्रियों के द्वारा पिता की इस प्रकार की दशा होने का कारण ज्ञात हुआ तो वे तत्काल समस्त मन्त्रियों के साथ निषाद के घर जा पहुँचे और उन्होंने निषाद से कहा- “हे निषाद! आप सहर्ष अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह मेरे पिता शान्तनु के साथ कर दें। मैं आपको वचन देता हूँ कि आपकी पुत्री के गर्भ से जो भी बालक जन्म लेगा वही राज्य का उत्तराधिकारी होगा। कालान्तर में मेरी कोई सन्तान आपकी पुत्री के सन्तान का अधिकार छीन न पाये, इस कारण से मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं आजन्म अविवाहित रहूँगा।”
देवव्रत की इस प्रतिज्ञा को सुनकर निषाद ने हाथ जोड़कर कहा- “हे देवव्रत! आपकी यह प्रतिज्ञा अभूतपूर्व है।” इतना कहकर निषाद ने तत्काल अपनी पुत्री सत्यवती को देवव्रत तथा उनके मन्त्रियों के साथ हस्तिनापुर भेज दिया। देवव्रत ने अपनी माता सत्यवती को लाकर अपने पिता शान्तनु को सौंप दिया। पिता ने प्रसन्न होकर पुत्र से कहा- “वत्स! तूने पितृभक्ति के वशीभूत होकर ऐसी प्रतिज्ञा की है, जैसी कि न आज तक किसी ने की है और न ही भविष्य में करेगा। मैं तुझे वरदान देता हूँ कि तेरी मृत्यु तेरी इच्छा से ही होगी। तेरी इस प्रकार की प्रतिज्ञा करने के कारण तू ‘भीष्म’ कहलायेगा और तेरी प्रतिज्ञा ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ के नाम से सदैव प्रख्यात रहेगी।”
गंगा ने शांतनु को बताया पुत्र बलिदान का सच , ganga ne apne putra ko nadi me kyu bahaya
गंगा ने शांतनु से कहा ,आप यही जानना चाहते हैं ना कि मां होकर भी मैंने अपने ही पुत्रों का जीवन क्यों छीना? तो सुनिए महाराज, कोई भी मां अपनी ही संतान को कभी सहर्ष मृत्यु नहीं दे सकती, लेकिन साथ ही यह भी सच है कि कोई भी मां अपनी संतान को तिल-तिल मरते नहीं देख सकती। मैं अपनी संतानों का भविष्य जानती थी। मेरे आठों पुत्र शापित यक्ष हैं। इनका जन्म ही हर पल दुख सहने के लिए हुआ था।
गंगा ने कहा ,मां के अभाव में शिशु जीवित नहीं रह पाएगा। इसे आपके वंश के अनुसार योग्य बनाकर आपको वापस लौटाउंगी। ऐसा वचन देकर मां गंगा नवजात शिशु को लेकर अपने लोक चली गईं। आगे चलकर यही शिशु पितामह भीष्म बना, जिन्हें कभी कोई सांसारिक सुख प्राप्त नहीं हुआ, बल्कि हर कदम पर दुख ही दुख झेलकर वे कठिन मृत्यु को प्राप्त हुए।
महाभारत से संबंधित सारी कथाएं-
- सम्पूर्ण महाभारत हिंदी में, Complete Mahabharata In Hindi
- महाभारत की कथा: कुरुवंश की उत्पत्ति, Mahabharat Ki Suruat, कुरु वंश की उत्पत्ति, कुरू वंश की उत्पत्ति की क्या कथा है, Mahabharat Origin of Kuruvansh
- महर्षि वेदव्यास का जन्म, महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेदव्यास की जन्म कथा, सत्यवती कथा, वेदव्यास के माता-पिता कौन हैं, महर्षि वेदव्यास का जन्म
- शांतनु और गंगा महाभारत – शांतनु और गंगा की प्रेम कहानी, शान्तनु और गंगा का विवाह, भीष्म का जन्म, भीष्म प्रतिज्ञा, Shantanu and Ganga Story in Hindi
- महाभारत कथा धृतराष्ट्र,पाण्डु तथा विदुर का जन्म- Mahabharat Katha Dhritarashtra, Pandu and Vidur, Pandu Mahabharat, Vidur Mahabharat, Dhritarashtra
- महाभारत की कथा, कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य, गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, Mahabharat Kripacharya and Dronacharya, Kripacharya Mahabharat
- महाभारत कथा: पाण्डु का राज्य अभिषेक (Mahabharat Katha Pandu Ka Rajyabhishek)
- सूर्यपुत्र कर्ण का जन्म, कर्ण के जन्म की कथा, सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत, कर्ण का जन्म और कुन्ती का विलाप, दानवीर कर्ण के जन्म की कथा, कुंती पुत्र कर्ण
- पांडवों का जन्म, पाँच पांडव – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव, पांडवों के जन्म की कथा, पांडवों के माता- पिता ,Mahaabhaarat Katha Paandavon Ka Janm
- द्रौपदी का जन्म, द्रौपदी और धृष्टद्युम्न के जन्म की कथा, द्रौपदी का जन्म कैसे हुआ, द्रौपदी के माता-पिता कौन थे, द्रौपदी किसकी बेटी थी, Mahaabhaarat Katha
- कर्ण को श्राप की कथा, परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया, Parashuraam Ne Karn Ko Shraap Kyon Diya, Why Did Parashurama Curse Karna
- शौर्य वीर एकलव्य की कथा, एकलव्य की गुरुभक्ति, एकलव्य की गुरु दक्षिणा, द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा क्यों मांगा, एकलव्य महाभारत, Ekalavya Ki Gurubhakti
- कर्ण दुर्योधन मित्रता, कर्ण-दुर्योधन के मित्रता की कथा, रंगभूमि में कर्ण और अर्जुन, Karna Duryodhan Ke Mitrata Ki Katha, Duryodhana and Karna Friendship Story
- पाण्डवों की तीर्थयात्रा, पांडवों की तीर्थ यात्रा, पांडवों का तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान, Mahabharat Katha in Hindi, Pandavon Ki Tirth Yatra
- महाभारत लाक्षागृह षड्यंत्र, लाक्षाग्रह षड्यंत्र क्या था,लाक्षाग्रह षड्यंत्र, लाक्षागृह, पांडव लाक्षागृह में कैसे बचे, लाक्षागृह की घटना, Lakshagriha Shadyantra Kya Hai, Lakshagriha
- द्रौपदी स्वयंवर, महाभारत में द्रोपदी का स्वयंवर, मत्स्य भेदन और द्रौपदी स्वयंवर, द्रौपदी स्वयंवर में कर्ण क्यों नहीं ले सके भाग, Mahabharat Draupadi Swayamvar
- पाण्डव-द्रौपदी विवाह, द्रौपदी का विवाह पांडव से कैसे हुआ? द्रौपदी- पांडव विवाह का रहस्य , Mahabharat Draupadi, Mahaabhaarat Katha Pandav Draupadi Vivah
- इन्द्रप्रस्थ की स्थापना, खाण्डव वन कैसे बना इन्द्रप्रस्थ, इन्द्रप्रस्थ का इतिहास, इन्द्रप्रस्थ हिस्ट्री, Establishment of Indraprastha, Indraprastha History in Hindi
- इन्द्रप्रस्थ की स्थापना, Mahabharata Katha in Hindi Establishment of Indraprastha
- कौरवों का कपट, युधिष्ठिर को द्यूत-क्रीड़ा का आमंत्रण, द्यूत-क्रीड़ा में मामा शकुनि की चाल, Mahabharata Katha: Kauravon Ka Kapat, Dyoot-Kreeda
- द्रौपदी चीरहरण महाभारत, द्रौपदी वस्त्र हरण, द्रौपदी का चीरहरण क्यों हुआ, द्रौपदी वस्त्र हरण, द्रोपदी चीर हरण, Draupadi Cheer Haran Mahabharat
- यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, यक्ष-युधिष्ठिर सवाल- जवाब, यक्ष प्रश्न, महाभारत कथा, Yaksha Prashna, Yaksh Yyudhishthir Samvad in Hindi, Yaksha Prashna
- अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति, अर्जुन को दिव्यास्त्र प्राप्ति, अर्जुन दिव्यास्त्र, अर्जुन के दिव्यास्त्र, Mahabharat Katha in Hindi, Divyastron Ki Prapti
- दुर्योधन की रक्षा, युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा, Mahabharat Katha in Hindi Duryodhana Ki Raksha, Mahabharat Yudhisthir, Duryodhana Yudhishthira
- द्रौपदी हरण, जयद्रथ ने क्यों किया द्रौपदी का हरण, जयद्रथ ने द्रौपदी का हरण कैसे किया, Mahabharat Katha: Draupadi Haran, Jayadrath Ne Kyon Kiya Draupadi Ka Haran
- जयद्रथ की दुर्गति, भीम द्वारा जयद्रथ की दुर्गति, Mahabharat Katha in Hindi Jaidrath Ki Durgati, Bheem Ke Dwara Jayadrath Ki Durgati
- पांडवों का अज्ञातवास, पांडवों का अज्ञातवास क्यों हुआ, पांडवों का अज्ञातवास कितने वर्ष का था, पांडवों का वनवास, महाभारत पांडवों का अज्ञातवास, Mahabharat Katha
- पाण्डवों का राज्य, Mahabharat Katha in Hindi Pandavon Ka Rajya
- पाण्डवों की विश्वविजय, Pandavo Ki Vishwavijay
- कीचक वध, Kichak Vadh, कीचक वध की कथा, विराट कीचक वध, महाभारत कीचक वध, Keechak Vadh, कीचक वध महाभारत, Kichak Ka Vadh
- विराट नगर पर कौरवों का आक्रमण, विराट नगर पर आक्रमण, कौरव अटैक मत्स्य देश, विराट नगर पर आक्रमण, Viraat Nagar Par Kauravon Ka Aakraman
- शांतिदूत श्रीकृष्ण, शांति दूत श्रीकृष्ण, भगवान श्री कृष्ण का शांति प्रस्ताव, क्यूँ भगवान् श्री कृष्णा बने शांतिदूत, Mahabharat Katha in Hindi, Shanti Doot Shri Krishna
- महाभारत युद्ध का आरम्भ, महाभारत युद्ध के नियम, कौरवों की ओर से युद्ध करने वाले महारथी, पाण्डवों की ओर से लड़ने वाले योद्धा, महा युद्ध का आरंभ महाभारत
- भीष्म-अभिमन्यु वध, भीष्म के साथ अभिमन्यु का युद्ध, अभिमन्यु और भीष्म के बीच युद्ध, अभिमन्यु युद्ध, अभिमन्यु की मृत्यु, अभिमन्यु दुर्योधन युद्ध, भीष्म पितामह वध
- द्रौपदी ने भीष्म पितामह से पूछा कि जब मेरा चीर हरण हो रहा था, तब आप चुप क्यों थे?
- जयद्रथ घटोत्कच तथा गुरु द्रोण का वध, जयद्रथ घटोत्कच और गुरु द्रोण के वध की कथा, आचार्य द्रोण वध कथा, दुर्योधन का वध, गुरु द्रोणाचार्य युद्ध महाभारत
- कर्ण और अर्जुन का संग्राम और कर्ण वध, कर्ण और अर्जुन का युद्ध, कर्ण का वध, कर्ण और अर्जुन का संग्राम, करण और अर्जुन का अंतिम युद्ध, Karan Aur Arjun Ka Yudh
- दुर्योधन वध, भीम और दुर्योधन युद्ध, दुर्योधन का वध, भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध, भीमसेन और दुर्योधन का गदा युद्ध, भीम और दुर्योधन का संग्राम
- महाभारतयुद्ध की समाप्ति, महाभारत युद्ध की समाप्ति, महाभारत युद्ध के बाद की कथा, Mahabharat Yudh Ki Samapti, Mahabharat Yudh Story in Hindi
- परीक्षित जन्म, परीक्षित के जन्म की कथा, राजा परिक्षित का जन्म कैसे हुआ, परीक्षित की कथा, Mahabharat Katha in Hindi, Pareekshit Ke Janm Ki Katha
- यादव कुल, यदुकुल का संहार, यादव कुल का अंत, यदुवंश का नाश, यदुकुल का विनाश, यदुवंशियों का नाश, यदुवंश का इतिहास, Yadukul Ka Nash Kaise Hua
- पाण्डवों का स्वर्गगमन, पाण्डवों का स्वर्ग गमन, पांडवों का स्वर्गारोहण, पाण्डवों का हिमालय गमन, पांडवों के स्वर्ग जाने की कथा, Pandvas Go to Swarg