विराट नगर पर कौरवों का आक्रमण, विराट नगर पर आक्रमण, कौरव अटैक मत्स्य देश, विराट नगर पर आक्रमण, कौरवों का आक्रमण, महाभारत विराट नगर, विराट नगर की लड़ाई, Viraat Nagar Par Kauravon Ka Aakraman, Kauravas Attack on Virat Nagar, Virat Nagar Aakraman, Virat Nagar Mahabharat, Virat Nagar Mahabharat Yudh
विराट नगर पर कौरवों का आक्रमण
कीचक के वध की सूचना आँधी की तरह चारों ओर फैल गई। वास्तव में कीचक बड़ा पराक्रमी था और उससे त्रिगर्त के राजा सुशर्मा तथा हस्तिनापुर के कौरव आदि डरते थे। कीचक की मृत्यु हो जाने पर राजा सुशर्मा और कौरवों विराट नगर पर आक्रमण करने के उद्देश्य से एक विशाल सेना गठित कर ली।
कौरवों ने सुशर्मा को पहले चढ़ाई करने की सलाह दी। उनकी सलाह के अनुसार सुशर्मा ने उनकी सलाह मानकर विराट नगर पर धावा बोलकर उस राज्य की समस्त गौओं को हड़प लिया। इससे राज्य के सभी ग्वालों ने राजसभा में जाकर गुहार लगाई- “हे महाराज! त्रिगर्त के राजा सुशर्मा हमसे सब गौओं को छीनकर अपने राज्य में लिये जा रहे हैं। आप हमारी शीघ्र रक्षा करें।” उस समय सभा में विराट और कंक आदि सभी उपस्थित थे।
राजा विराट ने निश्चय किया कि कंक, बल्लव, तन्तिपाल, ग्रन्थिक तथा उनके स्वयं के नेतृत्व में सेना को युद्ध में उतारा जाये। उनकी इस योजना के अनुसार सब ने मिलकर राजा सुशर्मा के ऊपर धावा बोल दिया। छद्मवेशधारी पाण्डवों के पराक्रम को देखकर सुशर्मा के सैनिक अपने-अपने प्राण लेकर भागने लगे। सुशर्मा के बहुत उत्साह दिलाने पर भी वे सैनिक वापस आकर युद्ध करने के लिये तैयार नहीं थे। अपनी सेना के पैर उखड़ते देखकर राजा सुशर्मा भी भागने लगा, किन्तु पाण्डवों ने उसे घेर लिया। बल्लव (भीम) ने लात घूँसों से मार-मार कर उसकी हड्डी पसली तोड़ डाली। सुशर्मा को अधमरा करने के बाद बल्लव ने उसे उठाकर पृथ्वी पर पटक दिया। भूमि पर गिरकर वह जोर-जोर चिल्लाने लगा। भीमसेन ने उसकी एक न सुनी और उसे बाँधकर युधिष्ठिर के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। सुशर्मा के द्वारा दासत्व स्वीकार करने पर धर्मराज युधिष्ठिर ने उसे छोड़ दिया।
इधर दूसरी ओर से कौरवों ने विराट नगर पर हमला बोल दिया। प्रजा राजसभा में आकर रक्षा के लिये गुहार लगाने लगी, किन्तु उस समय तो महाराज चारों पाण्डवों के साथ सुशर्मा से युद्ध करने चले गये थे। महल में केवल राजकुमार उत्तर ही थे। प्रजा को रक्षा के लिये गुहार लगाते देखकर सैरन्ध्री (द्रौपदी) से रहा न गया और उन्होंने राजकुमार उत्तर को कौरवों से युद्ध करने के लिये न जाते हुए देखकर खूब फटकारा।
सैरन्ध्री की फटकार सुनकर राजकुमार उत्तर ने शेखी बघारते हुये कहा- “मैं युद्ध में जाकर कौरवों को अवश्य हरा देता, किन्तु असमर्थ हूँ, क्योंकि मेरे पास कोई सारथी नहीं है।” उसकी बात सुनकर सैरन्ध्री ने कहा- “राजकुमार! बृहन्नला बहुत निपुण सारथी है और वह कुन्तीपुत्र अर्जुन का सारथी रह चुकी है। तुम उसे अपना सारथी बनाकर युद्ध के लिये जाओ।”
अन्ततः राजकुमार उत्तर बृहन्नला को सारथी बनाकर युद्ध के लिये निकला। उस दिन पाण्डवों के अज्ञातवास का समय समाप्त हो चुका था तथा उनके प्रकट होने का समय आ चुका था। उर्वशी के शापवश मिली अर्जुन की नपुंसकता भी समाप्त हो चुकी थी। अतः मार्ग में अर्जुन ने उस श्मशान के पास, जहाँ पाण्डवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र छुपाये थे, रथ रोका और चुपके से अपने हथियार ले लिये। जब उनका रथ युद्धभूमि में पहुँचा तो कौरवों की विशाल सेना और भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, दुर्योधन आदि पराक्रमी योद्धाओं को देखकर राजकुमार उत्तर अत्यन्त घबरा गया और बोला- “बृहन्नला! तुम रथ वापस ले चलो। मैं इन योद्धाओं से मुकाबला नहीं कर सकता।”
बृहन्नला ने कहा- “हे राजकुमार! किसी भी क्षत्रियपुत्र के लिये युद्ध में पीठ दिखाने से तो अच्छा है कि वह युद्ध में वीरगति प्राप्त कर ले। उठाओ अपने अस्त्र-शस्त्र और करो युद्ध।” किन्तु राजकुमार उत्तर पर बृहन्नला के वचनों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह रथ से कूदकर भागने लगा। इस पर अर्जुन (वृहन्नला) ने लपक कर उसे पकड़ लिया और कहा- “राजकुमार! भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मेरे होते हुये तुम्हारा कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आज मैं तुम्हारे समक्ष स्वयं को प्रकट कर रहा हूँ। मैं पाण्डुपुत्र अर्जुन हूँ और ‘कंक’ युधिष्ठिर, ‘बल्लव’ भीमसेन, ‘तन्तिपाल’ नकुल तथा ‘ग्रन्थिक’ सहदेव है। अब मैं इन कौरवों से युद्ध करूँगा, तुम रथ की बागडोर संभालो।” यह वचन सुनकर राजकुमार उत्तर ने गदगद होकर अर्जुन के पैर पकड़ लिये। अर्जुन के ‘देवदत्त’ शंख की ध्वनि रणभूमि में गूँज उठी। उस विशिष्ट ध्वनि को सुनकर दुर्योधन भीष्म से बोला- “पितामह! यह तो अर्जुन के देवदत्त शंख की ध्वनि है, अभी तो पाण्डवों का अज्ञातवास समाप्त नहीं हुआ है।
अर्जुन ने स्वयं को प्रकट कर दिया, इसलिये अब पाण्डवों को पुनः बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास भोगना होगा।” दुर्योधन के वचन सुनकर भीष्म पितामह ने कहा- “दुर्योधन! कदाचित तुम्हें ज्ञात नहीं है कि पाण्डव काल की गति जानने वाले हैं, बिना अवधि पूरी किये अर्जुन कभी सामने नहीं आ सकता। मैंने भी गणना कर लिया है कि पाण्डवों के अज्ञातवास की अवधि पूर्ण हो चुकी है।”
दुर्योधन एक दीर्घ निःश्वास छोड़ते हुये बोला- “अब जब अर्जुन का आना निश्चित हो चुका है तो पितामह! हमें शीघ्र ही व्यूह रचना कर लेनी चाहिये।” इस पर भीष्म ने कहा- “वत्स! तुम एक तिहाई सेना लेकर गौओं के साथ विदा हो जाओ। शेष सेना को साथ लेकर हम लोग यहाँ पर अर्जुन से युद्ध करेंगे।” भीष्म पितामह के परामर्श के अनुसार दुर्योधन गौओं को लेकर एक तिहाई सेना के साथ हस्तिनापुर की ओर चल पड़ा। यह देखकर कि दुर्योधन रणभूमि से लौटकर जा रहा है, अर्जुन ने अपना रथ दुर्योधन के पीछे दौड़ा दिया और भागते हुए दुर्योधन को मार्ग में ही घेरकर अपने असंख्य बाणों से उसे व्याकुल कर दिया। अर्जुन के बाणों से दुर्योधन के सैनिकों के पैर उखड़ गये और वे पीठ दिखाकर भाग गये। सारी गौएँ भी रम्भाती हुईं विराट नगर की और भाग निकलीं।
दुर्योधन को अर्जुन के बाणों से घिरा देखकर कर्ण, द्रोण, भीष्म आदि सभी वीर उसकी रक्षा के लिय दौड़ पड़े। कर्ण को सामने देखकर अर्जुन के क्रोध का पारावार न रहा। उन्होंने कर्ण पर इतने बाण बरसाये कि उसके रथ, घोड़े, सारथी सभी नष्ट भ्रष्ट हो गये और कर्ण भी मैदान छोड़कर भाग गया। कर्ण के चले जाने पर भीष्म और द्रोण एक साथ अर्जुन पर बाण छोड़ने लगे, किन्तु अर्जुन अपने बाणों से बीच में ही उनके बाणों के टुकड़े-टुकड़े कर देता था। अन्ततः अर्जुन के बाणों से व्याकुल होकर सारे कौरव मैदान छोड़ कर भाग गये। कौरवों के इस प्रकार भाग जाने पर अर्जुन भी विजयशंख बजाते हुये विराट नगर लौट आये।
महाभारत से संबंधित सारी कथाएं-
- सम्पूर्ण महाभारत हिंदी में, Complete Mahabharata In Hindi
- महाभारत की कथा: कुरुवंश की उत्पत्ति, Mahabharat Ki Suruat, कुरु वंश की उत्पत्ति, कुरू वंश की उत्पत्ति की क्या कथा है, Mahabharat Origin of Kuruvansh
- महर्षि वेदव्यास का जन्म, महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेदव्यास की जन्म कथा, सत्यवती कथा, वेदव्यास के माता-पिता कौन हैं, महर्षि वेदव्यास का जन्म
- शांतनु और गंगा महाभारत – शांतनु और गंगा की प्रेम कहानी, शान्तनु और गंगा का विवाह, भीष्म का जन्म, भीष्म प्रतिज्ञा, Shantanu and Ganga Story in Hindi
- महाभारत कथा धृतराष्ट्र,पाण्डु तथा विदुर का जन्म- Mahabharat Katha Dhritarashtra, Pandu and Vidur, Pandu Mahabharat, Vidur Mahabharat, Dhritarashtra
- महाभारत की कथा, कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य, गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, Mahabharat Kripacharya and Dronacharya, Kripacharya Mahabharat
- महाभारत कथा: पाण्डु का राज्य अभिषेक (Mahabharat Katha Pandu Ka Rajyabhishek)
- सूर्यपुत्र कर्ण का जन्म, कर्ण के जन्म की कथा, सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत, कर्ण का जन्म और कुन्ती का विलाप, दानवीर कर्ण के जन्म की कथा, कुंती पुत्र कर्ण
- पांडवों का जन्म, पाँच पांडव – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव, पांडवों के जन्म की कथा, पांडवों के माता- पिता ,Mahaabhaarat Katha Paandavon Ka Janm
- द्रौपदी का जन्म, द्रौपदी और धृष्टद्युम्न के जन्म की कथा, द्रौपदी का जन्म कैसे हुआ, द्रौपदी के माता-पिता कौन थे, द्रौपदी किसकी बेटी थी, Mahaabhaarat Katha
- कर्ण को श्राप की कथा, परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया, Parashuraam Ne Karn Ko Shraap Kyon Diya, Why Did Parashurama Curse Karna
- शौर्य वीर एकलव्य की कथा, एकलव्य की गुरुभक्ति, एकलव्य की गुरु दक्षिणा, द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा क्यों मांगा, एकलव्य महाभारत, Ekalavya Ki Gurubhakti
- कर्ण दुर्योधन मित्रता, कर्ण-दुर्योधन के मित्रता की कथा, रंगभूमि में कर्ण और अर्जुन, Karna Duryodhan Ke Mitrata Ki Katha, Duryodhana and Karna Friendship Story
- पाण्डवों की तीर्थयात्रा, पांडवों की तीर्थ यात्रा, पांडवों का तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान, Mahabharat Katha in Hindi, Pandavon Ki Tirth Yatra
- महाभारत लाक्षागृह षड्यंत्र, लाक्षाग्रह षड्यंत्र क्या था,लाक्षाग्रह षड्यंत्र, लाक्षागृह, पांडव लाक्षागृह में कैसे बचे, लाक्षागृह की घटना, Lakshagriha Shadyantra Kya Hai, Lakshagriha
- द्रौपदी स्वयंवर, महाभारत में द्रोपदी का स्वयंवर, मत्स्य भेदन और द्रौपदी स्वयंवर, द्रौपदी स्वयंवर में कर्ण क्यों नहीं ले सके भाग, Mahabharat Draupadi Swayamvar
- पाण्डव-द्रौपदी विवाह, द्रौपदी का विवाह पांडव से कैसे हुआ? द्रौपदी- पांडव विवाह का रहस्य , Mahabharat Draupadi, Mahaabhaarat Katha Pandav Draupadi Vivah
- इन्द्रप्रस्थ की स्थापना, खाण्डव वन कैसे बना इन्द्रप्रस्थ, इन्द्रप्रस्थ का इतिहास, इन्द्रप्रस्थ हिस्ट्री, Establishment of Indraprastha, Indraprastha History in Hindi
- इन्द्रप्रस्थ की स्थापना, Mahabharata Katha in Hindi Establishment of Indraprastha
- कौरवों का कपट, युधिष्ठिर को द्यूत-क्रीड़ा का आमंत्रण, द्यूत-क्रीड़ा में मामा शकुनि की चाल, Mahabharata Katha: Kauravon Ka Kapat, Dyoot-Kreeda
- द्रौपदी चीरहरण महाभारत, द्रौपदी वस्त्र हरण, द्रौपदी का चीरहरण क्यों हुआ, द्रौपदी वस्त्र हरण, द्रोपदी चीर हरण, Draupadi Cheer Haran Mahabharat
- यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, यक्ष-युधिष्ठिर सवाल- जवाब, यक्ष प्रश्न, महाभारत कथा, Yaksha Prashna, Yaksh Yyudhishthir Samvad in Hindi, Yaksha Prashna
- अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति, अर्जुन को दिव्यास्त्र प्राप्ति, अर्जुन दिव्यास्त्र, अर्जुन के दिव्यास्त्र, Mahabharat Katha in Hindi, Divyastron Ki Prapti
- दुर्योधन की रक्षा, युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा, Mahabharat Katha in Hindi Duryodhana Ki Raksha, Mahabharat Yudhisthir, Duryodhana Yudhishthira
- द्रौपदी हरण, जयद्रथ ने क्यों किया द्रौपदी का हरण, जयद्रथ ने द्रौपदी का हरण कैसे किया, Mahabharat Katha: Draupadi Haran, Jayadrath Ne Kyon Kiya Draupadi Ka Haran
- जयद्रथ की दुर्गति, भीम द्वारा जयद्रथ की दुर्गति, Mahabharat Katha in Hindi Jaidrath Ki Durgati, Bheem Ke Dwara Jayadrath Ki Durgati
- पांडवों का अज्ञातवास, पांडवों का अज्ञातवास क्यों हुआ, पांडवों का अज्ञातवास कितने वर्ष का था, पांडवों का वनवास, महाभारत पांडवों का अज्ञातवास, Mahabharat Katha
- पाण्डवों का राज्य, Mahabharat Katha in Hindi Pandavon Ka Rajya
- पाण्डवों की विश्वविजय, Pandavo Ki Vishwavijay
- कीचक वध, Kichak Vadh, कीचक वध की कथा, विराट कीचक वध, महाभारत कीचक वध, Keechak Vadh, कीचक वध महाभारत, Kichak Ka Vadh
- विराट नगर पर कौरवों का आक्रमण, विराट नगर पर आक्रमण, कौरव अटैक मत्स्य देश, विराट नगर पर आक्रमण, Viraat Nagar Par Kauravon Ka Aakraman
- शांतिदूत श्रीकृष्ण, शांति दूत श्रीकृष्ण, भगवान श्री कृष्ण का शांति प्रस्ताव, क्यूँ भगवान् श्री कृष्णा बने शांतिदूत, Mahabharat Katha in Hindi, Shanti Doot Shri Krishna
- महाभारत युद्ध का आरम्भ, महाभारत युद्ध के नियम, कौरवों की ओर से युद्ध करने वाले महारथी, पाण्डवों की ओर से लड़ने वाले योद्धा, महा युद्ध का आरंभ महाभारत
- भीष्म-अभिमन्यु वध, भीष्म के साथ अभिमन्यु का युद्ध, अभिमन्यु और भीष्म के बीच युद्ध, अभिमन्यु युद्ध, अभिमन्यु की मृत्यु, अभिमन्यु दुर्योधन युद्ध, भीष्म पितामह वध
- द्रौपदी ने भीष्म पितामह से पूछा कि जब मेरा चीर हरण हो रहा था, तब आप चुप क्यों थे?
- जयद्रथ घटोत्कच तथा गुरु द्रोण का वध, जयद्रथ घटोत्कच और गुरु द्रोण के वध की कथा, आचार्य द्रोण वध कथा, दुर्योधन का वध, गुरु द्रोणाचार्य युद्ध महाभारत
- कर्ण और अर्जुन का संग्राम और कर्ण वध, कर्ण और अर्जुन का युद्ध, कर्ण का वध, कर्ण और अर्जुन का संग्राम, करण और अर्जुन का अंतिम युद्ध, Karan Aur Arjun Ka Yudh
- दुर्योधन वध, भीम और दुर्योधन युद्ध, दुर्योधन का वध, भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध, भीमसेन और दुर्योधन का गदा युद्ध, भीम और दुर्योधन का संग्राम
- महाभारतयुद्ध की समाप्ति, महाभारत युद्ध की समाप्ति, महाभारत युद्ध के बाद की कथा, Mahabharat Yudh Ki Samapti, Mahabharat Yudh Story in Hindi
- परीक्षित जन्म, परीक्षित के जन्म की कथा, राजा परिक्षित का जन्म कैसे हुआ, परीक्षित की कथा, Mahabharat Katha in Hindi, Pareekshit Ke Janm Ki Katha
- यादव कुल, यदुकुल का संहार, यादव कुल का अंत, यदुवंश का नाश, यदुकुल का विनाश, यदुवंशियों का नाश, यदुवंश का इतिहास, Yadukul Ka Nash Kaise Hua
- पाण्डवों का स्वर्गगमन, पाण्डवों का स्वर्ग गमन, पांडवों का स्वर्गारोहण, पाण्डवों का हिमालय गमन, पांडवों के स्वर्ग जाने की कथा, Pandvas Go to Swarg