पाण्डवों की तीर्थयात्रा, पांडवों की तीर्थ यात्रा, पांडवों का तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान, Mahabharat Katha in Hindi, Pandavon Ki Tirth Yatra
पाण्डवों की तीर्थयात्रा
दुःखी होकर उन्हीं के विषय में बातें कर रहे थे कि वहाँ पर लोमश ऋषि पधारे। धर्मराज युधिष्ठिर ने उनका यथोचित आदर-सत्कार करके उच्चासन प्रदान किया। लोमश ऋषि बोले, “हे पाण्डवगण आप लोग अर्जुन की चिन्ता छोड़ दीजिये। मैं अभी देवराज इन्द्र की नगरी अमरावती से आ रहा हूँ। अर्जुन वहाँ पर सुखपूर्वक निवास कर रहे हैं। उन्होंने भगवान शिव एवं अन्य देवताओं की कृपा से दिव्य तथा अलौकिक अस्त्र-शस्त्र तथा चित्रसेन से नृत्य-संगीत कला की शिक्षा भी प्राप्त कर लिया है। वे अब निवात और कवच नामक असुरों का वध करके ही यहाँ आयेंगे। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
देवराज इन्द्र ने आपके लिये यह संदेश भेजा है कि आप पाण्डवगण अब तीर्थयात्रा करके अपने आत्मबल में वृद्धि करें। देवराज इन्द्र के दिये गये संदेश के अनुसार युधिष्ठिर अपने भाइयों, पुरोहित धौम्य, लोमश ऋषि आदि को साथ ले कर तीर्थयात्रा के लिये चल पड़े। वे लोग नैमिषारण्य, कन्या-तीर्थ, अश्व-तीर्थ, गौ-तीर्थ आदि में दर्शन-स्नानादि करते हुये अगस्त्य ऋषि के आश्रम आ पहुँचे। लोमश ऋषि ने उस आश्रम की प्रशंसा करते हुये बताया, “हे धर्मराज यह अगस्त्य मुनि एवं उनकी धर्मात्मा पत्नी लोपामुद्रा की पवित्र तपस्थली है। एक बार अगस्त्य मुनि यहाँ घूमते हुये पहुँचे तो उन्होंने एक गड्ढे में अपने पूर्वजों को उल्टे लटकते देखा। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
अगस्त्य मुनि के द्वारा उनके इस प्रकार से लटकने का कारण पूछने पर पूर्वजों ने बताया कि हे पुत्र तुम्हारे निःसंतान होने के कारण हमें यह नरक कुण्ड मिला है। इसलिये शीघ्र अपना विवाह कर पुत्र उत्पन्न करो, जिससे हमारा उद्धार हो। पितृगणों की बात से दुःखी होकर अगस्त्य एक सुयोग्य पत्नी की खोज में निकले और विदर्भ देश की राजकुमारी लोपामुद्रा से विवाह कर लिया। जब अगस्त्य मुनि ने लोपामुद्रा के सौन्दर्य पर मुग्ध होकर पुत्रोत्पत्ति की अभिलाषा से उसे अपने पास आने के लिये कहा तो लोपामुद्रा बोली कि हे स्वामी मैं राजकुमारी हूँ इसलिये आपका मेरे साथ समागम भी राजोचित ढंग से होना चाहिये। पहले आप धन की व्यवस्था कर के मेरे और स्वयं के लिये सुन्दर वस्त्र तथा स्वर्णाभूषण ले कर आइये। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
अपनी पत्नी की वाणी से प्रभावित होकर अगस्त्य मुनि धन माँगने के लिये राजा श्रुतर्वा, व्रघ्नश्व तथा इक्ष्वाकु वंशी त्रसदृस्यु के पास गये किन्तु सभी राजाओं का कोष खाली होने के कारण उन राजाओं क्षमाप्रार्थना करते हुये ने अगस्त्य मुनि को धन देने में असमर्थता प्रकट कर दिया। निराश होकर अगस्त्य मुनि इल्वल नामक दैत्य के पास पहुँचे। इल्वल दैत्य ने प्रसन्नता के सा उन्हें मुँहमाँगा धन प्रदान कर दिया। धन प्राप्त करके अगस्त्य मुनि ने अपनी पत्नी की इच्छापूर्ति की और दृढस्यु नामक पुत्र उत्पन्न किया। कालान्तर में यह तीर्थस्थान अगस्त्याश्रम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी तीर्थस्थान में स्नान करके परशुराम ने अपना तेज पुनः प्राप्त किया था। इसलिये हे युधिष्ठिर यहाँ स्नान करके आप दुर्योधन केद्वारा छीने गये अपने तेज को पुनः प्राप्त कीजिये।” Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
लोमश ऋषि के आदेशानुसार वहाँ स्नान-पूजा आदि करके युधिष्ठिर ने लोमश ऋषि से पूछा, “हे प्रभो कृपा करके यह बताइये कि परशुराम निस्तेज कैसे हुये थे?” लोमश ऋषि ने उत्तर दिया, “धर्मराज दशरथनन्दन श्री राम जब शिव जी के धनुष को तोड़कर सीता जी से विवाह कर अपने पिता, भाइयों, बारातीगण आदि के साथ अयोध्या लौट रहे थे तो एक बड़े जोरों की आँधी आई जिससे वृक्ष पृथ्वी पर गिरने लगे। तभी राजा दशरथ की दृष्टि भृगुकुल के परशुराम पर पड़ी। उनकी वेशभूषा बड़ी भयंकर थी। तेजस्वी मुख पर बड़ी बड़ी जटायें बिखरी हुई थीं नेत्रों में क्रोध की लालिमा थी। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
कन्धे पर कठोर फरसा और हाथों में धनुष बाण थे। ऋषियों ने आगे बढ़ कर उनका स्वागत किया और इस स्वागत को स्वीकार करके वे श्री रामचन्द्र से बोले़ “दशरथनन्दन राम हमें ज्ञात हुआ है कि तुम बड़े पराक्रमी हो और तुमने शिव जी के धनुष को तोड़ डाला है और उसे तोड़कर तुमने अपूर्व ख्याति प्राप्त की है। मैं तुम्हारे लिये एक अच्छा धनुष लाया हूँ। यह धनुष साधारण नहीं है, जमदग्निकुमार परशुराम का है। इस पर बाण चढ़ाकर तुम अपने शौर्य का परिचय दो। तुम्हारे बल और शौर्य को देखकर मैं तुमसे द्वन्द्व युद्ध करूँगा। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
परशुराम की बात सुनकर राजा दशरथ विनीत स्वर मे बोले, “भगवन् आप वेदविद् स्वाध्यायी ब्राह्मण हैं। क्षत्रियों का विनाश करके आप बहुत पहले ही अपने क्रोध का शमन कर चुके हैं। इसलिये हे ऋषिराज आप इन बालकों को अभय दान दीजिये।” किन्तु परशुराम जी ने दशरथ की अनुनय-विनय पर कोई ध्यान न देते हुये राम से कहा, “राम सम्भवतः तुम्हें ज्ञात नहीं होगा कि संसार में केवल दो ही धनुष सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। सारा संसार उनका सम्मान करता हैं विश्वकर्मा ने उन्हें स्वयं अपने हाथों से बनाया था। उनमें से पिनाक नामक एक धनुष को देवताओं ने भगवान शिव को दिया था। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
इसी धनुष से भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। तुमने उसी धनुष को तोड़ डाला है। दूसरा दिव्य धनुष मेरे हाथ में है। इसे देवताओं ने भगवान विष्णु को दिया था। यह भी पिनाक की भाँति ही शक्तिशाली है। विष्णु ने भृगुवंशी ऋचीक मुनि को धरोहर के रूप में वह धनुष दे दिया। वंशानुवंश रूप से यह धनुष मुझे प्राप्त हुआ है। अब तुम एक क्षत्रिय के नाते इस धनुष को लेकर इस पर बाण चढ़ाओ और सफल होने पर मेरे साथ द्वन्द्व युद्ध करो। परशुराम के द्वारा बार-बार ललकारे जाने पर रामचन्द्र बोले, “हे भार्गव मैं ब्राह्मण समझकर आपके सामने विशेष बोल नहीं रहा हूँ। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
किन्तु आप मेरी इस विनशीलता को पराक्रमहीनता एवं कायरता समझकर मेरा तिरस्कार कर रहे हैं। लाइये, धनुष बाण मुझे दीजिये।” यह कह कर उन्होंने झपटते हुये परशुराम के हाथ से धनुष बाण ले लिये। फिर धनुष पर बाण चढ़ाकर बोले, “हे भृगुनन्दन ब्राह्मण होने के कारण आप मेरे पूज्य हैं, इसलिये इस बाण को मैं आपके ऊपर नहीं छोड़ सकता। परन्तु धनुष पर चढ़ने के बाद यह बाण कभी निष्फल नहीं जाता। इसका कहीं न कहीं उपयोग करना ही पड़ता है। इसलिये इस बाण के द्वारा आपकी सर्वत्र शीघ्रतापूर्वक आने-जाने की शक्ति को नष्ट किये देता हूँ।” श्री राम की यह बात सुनकर शक्तिहीन से हुये परशुराम जी विनयपूर्वक कहने लगे, “बाण छोड़ने से पूर्व मेरी एक बात सुन लीजिये। क्षत्रियों को नष्ट करके जब मैंने यह भूमि कश्यप जी को दान में दी थी तो उन्होंने मुझसे कहा था कि अब तुम्हें पृथ्वी पर नहीं रहना चाहिये क्योंकि तुमने पृथ्वी का दान कर दिया है। Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
तभी से गुरुवर कश्यप जी की आज्ञा का पालन करता हुआ मैं कभी रात्रि में पृथ्वी पर निवास नहीं करता। अतः हे राम कृपा करके मेरी गमन शक्ति को नष्ट मत करो। मैं मन के समान गति से महेन्द्र पर्वत पर चला जाउँगा। चूँकि इस बाण का प्रयोग निष्फल नहीं जाता, इसलिये आप उन अनुपम लोकों को नष्ट कर दें जिन पर मेँने अपनी तपस्या से विजय प्राप्त की है। आपने जिस सरलता से इस धनुष पर बाण चढ़ा दिया है, उससे मुझे विश्वास हो गया है कि आप मधु राक्षस का वध करने वाले साक्षत विष्णु हैं।” परशुराम की प्रार्थना को स्वीकार करके राम ने बाण छोड़कर उनके द्वारा तपस्या के बल पर अर्जित किये गये समस्त पुण्यलोकों को नष्ट कर दिया और इससे परशुराम जी निस्तेज हो गये। फिर परशुराम जी तपस्या करने के लिये महेन्द्र पर्वत पर चले गये। वहाँ उपस्थित सभी ऋषि-मुनियों सहित राजा दशरथ ने रामचन्द्र की भूरि भूरि प्रशंसा की।Mahabharat Katha in hindi Pandavon Ki Tirth Yatra
महाभारत से संबंधित सारी कथाएं-
- सम्पूर्ण महाभारत हिंदी में, Complete Mahabharata In Hindi
- महाभारत की कथा: कुरुवंश की उत्पत्ति, Mahabharat Ki Suruat, कुरु वंश की उत्पत्ति, कुरू वंश की उत्पत्ति की क्या कथा है, Mahabharat Origin of Kuruvansh
- महर्षि वेदव्यास का जन्म, महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेदव्यास की जन्म कथा, सत्यवती कथा, वेदव्यास के माता-पिता कौन हैं, महर्षि वेदव्यास का जन्म
- शांतनु और गंगा महाभारत – शांतनु और गंगा की प्रेम कहानी, शान्तनु और गंगा का विवाह, भीष्म का जन्म, भीष्म प्रतिज्ञा, Shantanu and Ganga Story in Hindi
- महाभारत कथा धृतराष्ट्र,पाण्डु तथा विदुर का जन्म- Mahabharat Katha Dhritarashtra, Pandu and Vidur, Pandu Mahabharat, Vidur Mahabharat, Dhritarashtra
- महाभारत की कथा, कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य, गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, Mahabharat Kripacharya and Dronacharya, Kripacharya Mahabharat
- महाभारत कथा: पाण्डु का राज्य अभिषेक (Mahabharat Katha Pandu Ka Rajyabhishek)
- सूर्यपुत्र कर्ण का जन्म, कर्ण के जन्म की कथा, सूर्यपुत्र कर्ण महाभारत, कर्ण का जन्म और कुन्ती का विलाप, दानवीर कर्ण के जन्म की कथा, कुंती पुत्र कर्ण
- पांडवों का जन्म, पाँच पांडव – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव, पांडवों के जन्म की कथा, पांडवों के माता- पिता ,Mahaabhaarat Katha Paandavon Ka Janm
- द्रौपदी का जन्म, द्रौपदी और धृष्टद्युम्न के जन्म की कथा, द्रौपदी का जन्म कैसे हुआ, द्रौपदी के माता-पिता कौन थे, द्रौपदी किसकी बेटी थी, Mahaabhaarat Katha
- कर्ण को श्राप की कथा, परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया, Parashuraam Ne Karn Ko Shraap Kyon Diya, Why Did Parashurama Curse Karna
- शौर्य वीर एकलव्य की कथा, एकलव्य की गुरुभक्ति, एकलव्य की गुरु दक्षिणा, द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा क्यों मांगा, एकलव्य महाभारत, Ekalavya Ki Gurubhakti
- कर्ण दुर्योधन मित्रता, कर्ण-दुर्योधन के मित्रता की कथा, रंगभूमि में कर्ण और अर्जुन, Karna Duryodhan Ke Mitrata Ki Katha, Duryodhana and Karna Friendship Story
- पाण्डवों की तीर्थयात्रा, पांडवों की तीर्थ यात्रा, पांडवों का तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान, Mahabharat Katha in Hindi, Pandavon Ki Tirth Yatra
- महाभारत लाक्षागृह षड्यंत्र, लाक्षाग्रह षड्यंत्र क्या था,लाक्षाग्रह षड्यंत्र, लाक्षागृह, पांडव लाक्षागृह में कैसे बचे, लाक्षागृह की घटना, Lakshagriha Shadyantra Kya Hai, Lakshagriha
- द्रौपदी स्वयंवर, महाभारत में द्रोपदी का स्वयंवर, मत्स्य भेदन और द्रौपदी स्वयंवर, द्रौपदी स्वयंवर में कर्ण क्यों नहीं ले सके भाग, Mahabharat Draupadi Swayamvar
- पाण्डव-द्रौपदी विवाह, द्रौपदी का विवाह पांडव से कैसे हुआ? द्रौपदी- पांडव विवाह का रहस्य , Mahabharat Draupadi, Mahaabhaarat Katha Pandav Draupadi Vivah
- इन्द्रप्रस्थ की स्थापना, खाण्डव वन कैसे बना इन्द्रप्रस्थ, इन्द्रप्रस्थ का इतिहास, इन्द्रप्रस्थ हिस्ट्री, Establishment of Indraprastha, Indraprastha History in Hindi
- इन्द्रप्रस्थ की स्थापना, Mahabharata Katha in Hindi Establishment of Indraprastha
- कौरवों का कपट, युधिष्ठिर को द्यूत-क्रीड़ा का आमंत्रण, द्यूत-क्रीड़ा में मामा शकुनि की चाल, Mahabharata Katha: Kauravon Ka Kapat, Dyoot-Kreeda
- द्रौपदी चीरहरण महाभारत, द्रौपदी वस्त्र हरण, द्रौपदी का चीरहरण क्यों हुआ, द्रौपदी वस्त्र हरण, द्रोपदी चीर हरण, Draupadi Cheer Haran Mahabharat
- यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, यक्ष-युधिष्ठिर सवाल- जवाब, यक्ष प्रश्न, महाभारत कथा, Yaksha Prashna, Yaksh Yyudhishthir Samvad in Hindi, Yaksha Prashna
- अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति, अर्जुन को दिव्यास्त्र प्राप्ति, अर्जुन दिव्यास्त्र, अर्जुन के दिव्यास्त्र, Mahabharat Katha in Hindi, Divyastron Ki Prapti
- दुर्योधन की रक्षा, युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा, Mahabharat Katha in Hindi Duryodhana Ki Raksha, Mahabharat Yudhisthir, Duryodhana Yudhishthira
- द्रौपदी हरण, जयद्रथ ने क्यों किया द्रौपदी का हरण, जयद्रथ ने द्रौपदी का हरण कैसे किया, Mahabharat Katha: Draupadi Haran, Jayadrath Ne Kyon Kiya Draupadi Ka Haran
- जयद्रथ की दुर्गति, भीम द्वारा जयद्रथ की दुर्गति, Mahabharat Katha in Hindi Jaidrath Ki Durgati, Bheem Ke Dwara Jayadrath Ki Durgati
- पांडवों का अज्ञातवास, पांडवों का अज्ञातवास क्यों हुआ, पांडवों का अज्ञातवास कितने वर्ष का था, पांडवों का वनवास, महाभारत पांडवों का अज्ञातवास, Mahabharat Katha
- पाण्डवों का राज्य, Mahabharat Katha in Hindi Pandavon Ka Rajya
- पाण्डवों की विश्वविजय, Pandavo Ki Vishwavijay
- कीचक वध, Kichak Vadh, कीचक वध की कथा, विराट कीचक वध, महाभारत कीचक वध, Keechak Vadh, कीचक वध महाभारत, Kichak Ka Vadh
- विराट नगर पर कौरवों का आक्रमण, विराट नगर पर आक्रमण, कौरव अटैक मत्स्य देश, विराट नगर पर आक्रमण, Viraat Nagar Par Kauravon Ka Aakraman
- शांतिदूत श्रीकृष्ण, शांति दूत श्रीकृष्ण, भगवान श्री कृष्ण का शांति प्रस्ताव, क्यूँ भगवान् श्री कृष्णा बने शांतिदूत, Mahabharat Katha in Hindi, Shanti Doot Shri Krishna
- महाभारत युद्ध का आरम्भ, महाभारत युद्ध के नियम, कौरवों की ओर से युद्ध करने वाले महारथी, पाण्डवों की ओर से लड़ने वाले योद्धा, महा युद्ध का आरंभ महाभारत
- भीष्म-अभिमन्यु वध, भीष्म के साथ अभिमन्यु का युद्ध, अभिमन्यु और भीष्म के बीच युद्ध, अभिमन्यु युद्ध, अभिमन्यु की मृत्यु, अभिमन्यु दुर्योधन युद्ध, भीष्म पितामह वध
- द्रौपदी ने भीष्म पितामह से पूछा कि जब मेरा चीर हरण हो रहा था, तब आप चुप क्यों थे?
- जयद्रथ घटोत्कच तथा गुरु द्रोण का वध, जयद्रथ घटोत्कच और गुरु द्रोण के वध की कथा, आचार्य द्रोण वध कथा, दुर्योधन का वध, गुरु द्रोणाचार्य युद्ध महाभारत
- कर्ण और अर्जुन का संग्राम और कर्ण वध, कर्ण और अर्जुन का युद्ध, कर्ण का वध, कर्ण और अर्जुन का संग्राम, करण और अर्जुन का अंतिम युद्ध, Karan Aur Arjun Ka Yudh
- दुर्योधन वध, भीम और दुर्योधन युद्ध, दुर्योधन का वध, भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध, भीमसेन और दुर्योधन का गदा युद्ध, भीम और दुर्योधन का संग्राम
- महाभारतयुद्ध की समाप्ति, महाभारत युद्ध की समाप्ति, महाभारत युद्ध के बाद की कथा, Mahabharat Yudh Ki Samapti, Mahabharat Yudh Story in Hindi
- परीक्षित जन्म, परीक्षित के जन्म की कथा, राजा परिक्षित का जन्म कैसे हुआ, परीक्षित की कथा, Mahabharat Katha in Hindi, Pareekshit Ke Janm Ki Katha
- यादव कुल, यदुकुल का संहार, यादव कुल का अंत, यदुवंश का नाश, यदुकुल का विनाश, यदुवंशियों का नाश, यदुवंश का इतिहास, Yadukul Ka Nash Kaise Hua
- पाण्डवों का स्वर्गगमन, पाण्डवों का स्वर्ग गमन, पांडवों का स्वर्गारोहण, पाण्डवों का हिमालय गमन, पांडवों के स्वर्ग जाने की कथा, Pandvas Go to Swarg