द्रौपदी का जन्म, द्रौपदी और धृष्टद्युम्न के जन्म की कथा, द्रौपदी का जन्म कैसे हुआ, द्रौपदी के माता-पिता कौन थे, द्रौपदी किसकी बेटी थी, Mahaabhaarat Katha, Birth of Draupadi and Dhritdyumn Story in Hindi, Draupadi Aur Dhritdyumn Ke Janm Ki Katha, Draupadi Ka Janm Kaise Hua

द्रौपदी का जन्म
जब पाण्डव तथा कौरव राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण हो गई तो उन्होंने द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा देना चाहा। द्रोणाचार्य को पांचाल नरेश तथा अपने पूर्व के मित्र द्रुपद के द्वारा किये गये अपने अपमान का स्मरण हो आया और उन्होंने राजकुमारों से कहा- “राजकुमारों! यदि तुम गुरु दक्षिणा देना ही चाहते हो तो पांचाल नरेश द्रुपद को बन्दी बनाकर मेरे समक्ष प्रस्तुत करो। यही तुम लोगों की गुरुदक्षिणा होगी।” गुरुदेव के इस प्रकार कहने पर समस्त राजकुमार अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र लेकर पांचाल देश की ओर चल दिए।
पांचाल पहुँचने पर अर्जुन ने द्रोणाचार्य से कहा- “गुरुदेव! आप पहले कौरवों को राजा द्रुपद से युद्ध करने की आज्ञा दीजिये। यदि वे द्रुपद को बन्दी बनाने में असफल रहे तो हम पाण्डव युद्ध करेंगे।”

गुरु की आज्ञा मिलने पर दुर्योधन के नेतृत्व में कौरवों ने पांचाल पर आक्रमण कर दिया। दोनों पक्षों के मध्य भयंकर युद्ध होने लगा, किन्तु अन्त में कौरव परास्त होकर भाग निकले। कौरवों को पलायन करते देख पाण्डवों ने आक्रमण आरम्भ कर दिया। भीम तथा अर्जुन के पराक्रम के समक्ष पांचाल नरेश की सेना हार गई।

अर्जुन ने आगे बढ़कर द्रुपद को बन्दी बना लिया और गुरु द्रोणाचार्य के समक्ष ले आये। द्रुपद को बन्दी के रूप में देखकर द्रोणाचार्य ने कहा- “हे द्रुपद! अब तुम्हारे राज्य का स्वामी मैं हो गया हूँ। मैं तो तुम्हें अपना मित्र समझ कर तुम्हारे पास आया था, किन्तु तुमने मुझे अपना मित्र स्वीकार नहीं किया था। अब बताओ क्या तुम मेरी मित्रता स्वीकार करते हो?”

द्रुपद ने लज्जा से सिर झुका लिया और अपनी भूल के लिये क्षमा याचना करते हुये बोले- “हे द्रोण! आपको अपना मित्र न मानना मेरी भूल थी और उसके लिये अब मेरे हृदय में पश्चाताप है। मैं तथा मेरा राज्य दोनों ही अब आपके आधीन हैं, अब आपकी जो इच्छा हो करें।” द्रोणाचार्य ने कहा- “तुमने कहा था कि मित्रता समान वर्ग के लोगों में होती है। अतः मैं तुमसे बराबरी का मित्र भाव रखने के लिये तुम्हें तुम्हारा आधा राज्य लौटा रहा हूँ।”

इतना कहकर द्रोणाचार्य ने गंगा नदी के दक्षिणी तट का राज्य द्रुपद को सौंप दिया और शेष को स्वयं रख लिया। द्रोण से पराजित होने के उपरान्त महाराज द्रुपद अत्यन्त लज्जित हुये और उन्हें किसी प्रकार से नीचा दिखाने का उपाय सोचने लगे। इसी चिन्ता में एक बार वे घूमते हुए कल्याणी नगरी के ब्राह्मणों की बस्ती में जा पहुँचे। वहाँ उनकी भेंट ‘याज’ तथा ‘उपयाज’ नामक महान कर्मकाण्डी ब्राह्मण भाइयों से हुई। राजा द्रुपद ने उनकी सेवा करके उन्हें प्रसन्न कर लिया एवं उनसे द्रोणाचार्य के वध का उपाय पूछा। उनके पूछने पर बड़े भाई याज ने कहा- “इसके लिये आप एक विशाल यज्ञ का आयोजन करके अग्नि देव को प्रसन्न कीजिये, जिससे कि वे आपको महान बलशाली पुत्र का वरदान दे देंगे।”

द्रुपद ने याज और उपयाज से उनके कहे अनुसार यज्ञ करवाया। उनके यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्नि देव ने उन्हें एक ऐसा पुत्र दिया जो सम्पूर्ण आयुध एवं कवच कुण्डल से युक्त था। उसके पश्चात उस यज्ञ कुण्ड से एक कन्या उत्पन्न हुई, जिसके नेत्र खिले हुए कमल के समान देदीप्यमान थे, भौहें चन्द्रमा के समान वक्र थीं तथा उसका वर्ण श्यामल था। उसके उत्पन्न होते ही एक आकाशवाणी हुई कि “इस बालिका का जन्म क्षत्रियों के संहार और कौरवों के विनाश के हेतु हुआ है।” बालक का नाम धृष्टद्युम्न एवं बालिका का नाम कृष्णा (द्रौपदी) रखा गया।

द्रौपदी किसका अवतार थी?
दक्षिण भारत में लोकप्रिय मान्यता है कि द्रौपदी महा काली का अवतार थी, जो भगवान कृष्ण की सहायता के लिए पैदा हुए थी (जो भगवान विष्णु का एक अवतार है, जो देवी पार्वती के भाई हैं) भारत के सभी अभिमानी राजाओं को नष्ट करने के लिए।

द्रोपदी पूर्व जन्म में कौन थी?
क्योंकि भविष्य पुराण में बताया गया है कि पाण्डवों की महारानी द्रौपदी पूर्व जन्म में एक गरीब ब्राह्मणी थी। वन में रहकर यह किसी तरह अपना गुजारा किया करती थी। लेकिन अपने एक पुण्य के कारण यह अगले जन्म में पाण्डवों की महारानी बनी।

द्रौपदी के विभिन्न नाम क्या हैं? , द्रौपदी के नाम
द्रौपदी को ‘द्रौपदी’ इसलिए कहा जाता था कि वे राजा द्रुपद की पुत्री थीं। उन्हें ‘पांचाली’ इसलिए कहा जाता था कि राजा द्रुपद पांचाल देश के राजा थे। उनका एक नाम ‘कृष्णा’ भी था, क्योंकि वे भगवान कृष्ण की सखी थीं। आइये जानते है सारे नाम।

  1. कृष्‍णा  -द्रौपदी का जब जन्‍म हुआ तो उनकी त्‍वचा का रंग सांवला और चमकदार था इसलिए उनके पिता ने उनका नाम कृष्‍णा रखा था।
  2. यज्ञासनी – द्रौपदी का जन्‍म एक यज्ञ कुंड से हुआ था। दरअसल द्रौपदी के पिता ने पुत्र की इच्‍छा से पुत्राकामेष्टि यज्ञ किया था । वह चाहते थे कि जो पुत्र इस यज्ञ कुंड से निकलेगा वह द्रोण से बदला लेगा। मगर यज्ञ से दृष्‍टाद्युमना के साथ उसकी बहन द्रौपदी का भी जन्‍म हुआ । इसलिए द्रौपदी को यज्ञासनी भी कहा जाता है।
  3. द्रौपदी – द्रौपदी को द्रौपदी इसलिए भी कहा जाता है क्‍योंकि वो राजा द्रुपद की पुत्री थी। इसलिए उनके पिता ने उन्‍हें अपना नाम दिया था। आज पूरी दुनिया में द्रौपदी को इसी नाम से ज्‍यादतर लोग जानते हैं।
  4. पांचाली – द्रौपदी का जन्‍म पांचाल राज्‍य में हुआ था और वह वहां कि राजकुमारी थी। इसलिए लोग उन्‍हें प्‍यार से पांचाली भी कहते थे।
  5. पंचमणी – द्रौपदी को पंचमणी भी कहा जाता है क्‍योंकि उन्‍होंने पांच पुरुषों विवाह किया था। आपको बता दें कि वनवास के समय द्रौपदी अपने पांच पतियों के साथ जिन गुफायों में रहीं उस जगह का नाम भी पंचमणी रख दिया गया।
  6. परशाति – द्रौपदी एक शक्तिशाली पिता कि पुत्री थी परिशता का अर्थ भी शक्तिशाली ही होता है इसलिए द्रौपदी को कई लोग परशाति नाम से भी पुकारते थे।
  7. नित्‍यायुवनी –द्रौपदी को भगवान शिव का एक वरदान मिला था। वरदान के तहत वह हर रात अपनी वर्जिनिटी वापिस हासिल कर लेती थीं।
  8. मालिनी – मालिनी का अर्थ होता है खूबसूरत और द्रौपदी को सजने संवरने का बेहद शौक था। वह चाहती थी कि दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला का खिताब उसे मिल जाए और वास्‍तव में द्रौपदी बेहद सुंदर और सुसज्जित महिला थी।

द्रोपती के कितने बच्चे थे? , पांचाली के कितने पुत्र थे?
द्रौपदी के पांच पुत्र थे : द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था। समय-समय पर वह पांचों पतियों के साथ रमण करती थी। द्रौपदी ने एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया। इस तरह द्रौपदी के पांच पुत्र थे।

द्रौपदी के पुत्र 
1- द्रौपदी से जन्मे युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य था।
2- द्रौपदी से जन्मे भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम था।
3- द्रौपदी से जन्मे अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था।
4- द्रौपदी से जन्मे नकुल के पुत्र का नाम शतानीक था। और
5- द्रौपदी से जन्मे सहदेव के पुत्र का नाम श्रुतसेन था।

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