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रथ सप्तमी क्या है? What Is Ratha Saptami In Hindi, Ratha Saptami Kya Hai
माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला रथ सप्तमी मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह शुभ त्योहार जनवरी के मध्य से फरवरी के मध्य की अवधि में आता है. आमतौर पर, रथ सप्तमी के अनुष्ठान वसंत पंचमी समारोह के दो दिन बाद किए जाते हैं. रथ सप्तमी को सबसे महत्वपूर्ण और धार्मिक रूप से प्रासंगिक त्योहारों में से एक माना जाता है, जिसे पूरे भारत में मनाया जाता है. रथ सप्तमी को माघ सप्तमी, माघ जयंती, सूर्य जयंती, अचला सप्तमी और आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है.

रथ सप्तमी क्यों मनाई जाती है? , Ratha Saptami Kyu Manayi Jati Hai – रथ सप्तमी सूर्य भगवान के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. इसी दिन भगवान सूर्य ने पुरे विश्व को अपनी ऊर्जा से रोशन किया था. माना जाता है कि इस विशेष दिन पर, भगवान सूर्य ने अपनी गर्माहट और चमक से पूरे ब्रह्मांड को चमका दिया था. रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना करना बहुत शुभ माना जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, इस सप्तमी को जो व्यक्ति सूर्य की पूजा करके केवल मीठा भोजन या फलाहार करता है, उसे पूरे वर्ष सूर्य का व्रत व पूजा करने का पुण्य मिलता है. यह व्रत सौभाग्य, सुंदरता व उत्तम संतान प्रदान करता है. आइए जानते हैं रथ सप्तमी कैसे मनाई जाती है?, रथ सप्तमी व्रत पूजा विधि, अचला सप्तमी महत्व , रथ सप्तमी पूजा के लाभ, रथ सप्तमी की पौराणिक कथा एवं अनुष्ठान के बारे में-
रथ सप्तमी कैसे मनाई जाती है? सूर्य जयंती/ अचला सप्तमी/ आरोग्य सप्तमी कैसे मनाई जाती है
कई मंदिर और पवित्र स्थान हैं जो भगवान सूर्य की भक्ति में निर्मित किए गए हैं. इन सभी स्थानों पर रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर विशाल समारोह और विशेष अनुष्ठान होते हैं. तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर, श्री मंगूज मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में मंदिरों में भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं.

रथ सप्तमी व्रत पूजा विधि, Ratha Saptami Vrat Puja Vidhi, सूर्य जयंती/ अचला सप्तमी/ आरोग्य सप्तमी पूजा विधि, Achala Saptami/ Arogya Saptami/ Surya Saptami Puja Vidhi
1. इस दिन किसी जलाशय, नदी, नहर में सूर्योदय से पहले स्नान करके उगते हुए सूर्य का दर्शन और उन्हें अर्घ्य दें. ऊँ घृणि सूर्याय नम: अथवा ऊँ सूर्याय नम: सूर्य मंत्र का जाप करें.
2. स्नान करते समय अपने सिर पर बदर वृक्ष और अर्क पौधे की सात-सात पत्तियाँ रखकर स्नान करना चाहिए.
3.स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य की आराधना करें व सात प्रकार के फलों, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि को जल में मिलाकर उगते हुए भगवान सूर्य को जल देना चाहिए.
4. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके इस मंत्र का 108 बार जप करें.
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते.
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर..
5.दीप दान विशेष महत्व रखता है, इसके अतिरिक्त कपूर, धूप, लाल पुष्प इत्यादि से भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए.
6. इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों तथा ब्राह्मणों को दान देना चाहिए. इसके अतिरिक्त आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति संभव होती है.

रथ सप्तमी के अनुष्ठान
1. रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले भक्त पवित्र स्नान करने के लिए जाते हैं. यह स्नान इस दिन का महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना गया है और इसे केवल अरुणोदय यानि भोर के दौरान करना चाहिए. लोगों का मानना है कि इस विशेष समय अवधि (अरुणोदय) पर पवित्र स्नान करने से कई तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वीद मिलता है. इस कारण से रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. तमिलनाडु में भक्त इस पवित्र स्नान के लिए इरुकु की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं.
2. अगले अनुष्ठान में भक्त स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय अर्घ्यदान देते हैं. अर्घ्यदान का अनुष्ठान भगवान सूर्य को कलश से धीरे-धीरे जल अर्पण करके किया जाता है. बता दें इस अनुष्ठान के दौरान भक्त नमस्कार मुद्रा में खड़े हो और भक्त का मुख भगवान सूर्य की दिशा में होना चाहिए. अधिक लाभ पाने के लिए बहुत से भक्त इस अनुष्ठान को भगवान सूर्य के विभिन्न नामों का जाप करते हुए 12 बार करते हैं.
3. इसके बाद भक्त घी का दीपक जलाकर लाल रंग के फूल, कपूर और धूप के साथ भगवान सूर्य की पूजा करते हैं.
4. इस दिन महिलाएं सूर्य देवता के स्वागत के लिए उनका और उनके रथ के साथ चित्र बनाती है. कई जगहों पर महिलाएं अपने घरों के सामने सुंदर रंगोली बनाती हैं.
5. इस दिन आंगन में मिट्टी के बर्तनों में दूध डाल दिया जाता है और इस दूध को सूर्य की गर्मी से उबाला जाता है. उबलने के बाद इसी दूध का उपयोग भोग (मीठे चावल) को तैयार करने के लिए किया जाता है और बाद में इसे भगवान सूर्य को अर्पित कर दिया जाता है.

रथ सप्तमी की पौराणिक कथा, सूर्य जयंती की कथा, अचला सप्तमी की कथा, आरोग्य सप्तमी की कथा
पहली कथा- कथा है कि एक गणिका इन्दुमती ने वशिष्ठ मुनि के पास जाकर मुक्ति पाने का उपाय पूछा. मुनि ने कहा, माघ मास की सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत करो. गणिका ने मुनि के बताए अनुसार व्रत किया. इससे मिले पुण्य से जब उसने देह त्यागी, तब उसे इन्द्र ने अप्सराओं की नायिका बना दिया. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था. शाम्ब ने अपने इसी अभिमानवश होकर दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया. दुर्वासा ऋषि को शाम्ब की धृष्ठता के कारण क्रोध आ गया, जिसके पश्चात उन्होंने को शाम्ब को कुष्ठ हो जाने का श्राप दे दिया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र शाम्ब से भगवान सूर्य नारायण की उपासना करने के लिए कहा. शाम्ब ने भगवान कृष्ण की आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरम्भ कर दी. जिसके फलस्वरूप सूर्य नारायण की कृपा से उन्हें अपने कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई.

दूसरी कथा – शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है इनकी उपासना से रोग मुक्ति का उपाय बताया जाता है. माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है. कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था. अपने इसी अभिमान के मद में उन्होंने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया और शाम्ब की धृष्ठता को देखकर उन्हों ने शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने शाम्ब को सूर्य भगवान की उपासना करने के लिए कहा. शाम्ब ने आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरम्भ कर दी जिसके फलस्वरूप उन्हें अपने कष्ट से मुक्ति प्राप्त हो सकी इसलिए इस सप्तमी को सके दिन सूर्य भगवान की आराधना जो श्रद्धालु विधिवत तरीके से करते हैं उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है.

रथ सप्तमी का महत्व, अचला सप्तमी / माघ सप्तमी / माघ जयंती / सूर्य जयंती / आरोग्य सप्तमी का महत्व
महत्व- शास्त्रों और चिकित्सा पद्धति दोनों में सूर्य को आरोग्यदायक माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य की उपासना से शरीर के रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने और उगते सूर्य को जल देने का विधान है. मान्यता है कि सूर्य सप्तमी के दिन सूर्य की ओर मुख करके पूजा करने से चर्म रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है. ज्योतिष में भी सूर्य का महत्व माना गया है. इसके अनुसार सूर्य की उपासना करने से पिता-पुत्र के संबंध मजबूत होते हैं और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.
रथ सप्तमी पूजा के लाभ, Ratha Saptami Puja ke Laabh
किंवदंतियों के अनुसार, यह माना जाता है कि रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर भगवान सूर्य की पूजा करने से, भक्त अपने अतीत और वर्तमान पापों से छुटकारा पाते हैं और मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग के समीप एक कदम बढ़ाते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान सूर्य दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य को प्रदान करते हैं और यह माना जाता है कि भक्तों को इसका आशीर्वाद मिलता है यदि वे इस शुभ अवसर पर देवता की पूजा करते हैं.

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