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करवा चौथ के दिन क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य, करवा चौथ के दिन छलनी से चांद को देखने का कारण, धार्मिक कारण, करवा चौथ के मंत्र, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लाभ, Karwa Chauth Par Chandrma Ko Arghya Dene Ka Karan, Karwa Chauth Ke Din Chalni Se Kyo Dekhte Hein Chand, Chandrma Ko Arghya Dene Ka Laabh, Karwa Chauth Mantra

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करवा चौथ के दिन क्यों दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य
करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख के लिए निर्जल व्रत रखकर चौथ माता की पूजा (Chauth Mata Ki Puja) करती हैं. इस दिन पूरे दिन उपवास रखने के बाद महिलाएं रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति का चेहरा देखती हैं. फिर पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के दिन छलनी से ही चांद को क्यों देखा जाता है, इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है, इसका धार्मिक कारण क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…

छलनी से ही क्यों देखा जाता है चांद
दरअसल करवा चौथ की कथा में कहा गया है कि, एक बहन थी जिसके भाईयों ने स्नेहवश उसे भोजन कराने के लिए छल से चांद दिखाया. इसके लिए उन्होंने छलनी की ओठ में दीपक जलाया जो आकाश में चांद की छवि जैसा नजर आया, इससे उसका व्रत भंग हो गया और इस भूल को सुधारने के लिए उनकी बहन ने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और तब दोबारा करवा चौथ का समय आया तो उन्होंने पूरे विधि विधान से इसका व्रत रखा. इस तरह उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति हुई और इस बार कन्या ने हाथ में छलनी लेकर चंद्र दर्शन किए थे.

करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की धार्मिक मान्यता (Karwa Chauth Par Chandrma Ko Arghya Dene Ki Dharmik Manyata)
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिव परिवार का पूजन किया जाता है। देवी पार्वती सभी आदर्श स्त्रियों का प्रतीक भी है। इस दिन स्त्रियां चंद्रमा को निमित बनाकर शिव परिवार का पूजन करती हुई प्रार्थना करती हैं। जिस प्रकार पार्वती जी ही भगवान शिव की अरधांगिनी बनीं। वैसे ही वो भी अपने पति की संगिनी बनी रहें। जिस प्रकार सती सावित्री का सौभाग्य अजर अमर है। वैसे ही वे भी जन्म जन्मांतर सौभाग्यवती बनीं रहें।

उन्हें भी गणेश जी की तरह बुद्धिमान और कार्तिकेय जैसी बलवान और देवताओं के हित की रक्षा करने वाली संतान हो। चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का प्रतीक रूप माना गया है। चंद्र पूजन के पीछे दीर्घ आयु और परस्पर प्रेम वृद्धि का प्रार्थना भी अमर रहे। करवा चौथ के समय आकाश बिल्कुल साफ रहता है। जिस कारण चंद्रमा का अधिक प्रकाश पृथ्वीं पर पड़ता है। चंद्रमा को मन का कारक भी माना जाता है। स्त्रियों का मन अधिक चंचल होता है। जिसके कारण करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करके उसे अर्घ्य दिया जाता है। इसके अलावा कार्तिक माह हेमंत ऋतु में आता है।

तंत्र शास्त्र के अनुसार इस ऋतु में सम्मोहन कर्म करने का विधान है। तंत्र शास्त्र में शुक्ल पक्ष की अपेक्षा कृष्ण पक्ष की अधिक महत्वता है। चंद्रमा को जाग्रत देवता भी माना जाता है। क्योंकि चंद्रमा को हम प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं। इसलिए भी शाम के समय चंद्रमा का पूजन करके अर्घ्य दिया जाता है। करवा चौथ का यह पर्व सुहागन स्त्रियों के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है इस दिन महिलाएं सारा दिन भूखे प्यासे रहकर चंद्र पूजन और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही करवा चौथ का व्रत खोलती हैं।

चंद्रमा को अर्घ्य देने के लाभ
चांदी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना, असुरक्षा की भावना और पति के स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। औषधियों का स्वामी और मन के कारक चंद्रदेव पूजन से पति की दीर्घ आयु और पति-पत्नी के बीच परस्पर प्रेम में वृद्धि होती है.

चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करें जप
चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र के जप करने से घर में सुख व शांति आती है।
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
इसका अर्थ है कि सागर समान आकाश के माणिक्य, दक्षकन्या रोहिणी के प्रिय व श्री गणेश के प्रतिरूप चंद्रदेव मेरा अर्घ्य स्वीकार करें।

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