Bhai Dooj 2019

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भैया दूज कब है 2021, Bhai Dooj Kab Hai 2021
भाई दूज का त्यौहार, भाई बहन के अटूट प्रेम और विश्चास का पर्व है. यह पर्व स्नेह का प्रतीक है. भाई दूज दिवाली के बाद दूसरे यानी अगले दिन आता है, इस दिन बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उनकी लम्बी आयु, सुख, समृद्धि की कामना करती है. वहीं बदले में भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है. भैया दूज का त्यौहार दिवाली के 5 दिन का सबसे आखिरी त्यौहार है. आइए हम जानते है की साल 2021 में भाई दूज का त्यौहार कब है, तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त, भाई दूज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है, भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है आदि के बारे में-

भैया दूज कब है?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया को भैया दूज का त्‍योहार मनाया जाता है. दीपावली के दो दिन बाद भैया दूज आता है. इस बार भाई दूज या यम द्व‍ितीया 6 नवंबर 2021, शनिवार को है.
भैया दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त
भैयादूज / यम द्वितीया की तिथि –  6 नवंबर 2021, शनिवार
भाई दूज तिलक का समय- 13:10 से 15:22 तक
कुल अवधि – 2 घंटे 11 मिनट
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – 05 नवम्बर 2021, 11:14 PM
द्वितीया तिथि समाप्त – 06 नवम्बर 2021, 07:43 PM

भाई दूज के अन्य नाम- Bhai Dooj Different names, Other Names of Bhai Dooj
भारत में यह त्यौहार अपने अन्य नामो से भी जाना जाता है, जैसे भाई टीका, भैया दूज (Bhaiya Dooj), यम द्वितीया, भारत द्वितीया आदि. उत्तर भारत राज्य में इसे भाई दूज के नाम से, महाराष्ट्र और गुजरात में इसे भाऊ बीज और बंगाल में इसे भाई पोंटा के नाम से भी जाना जाता है.

भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
कई कथाऐं और कहानियां हैं जो भाई दूज की उत्पत्ति से जुड़ी हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि इस दिन, मृत्यु के देवता भगवान यम ने अपनी बहन यमी या यमुना से मुलाकात की थी। उसने आरती और मालाओं से उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाया और उन्हें मिठाई और विशेष व्यंजन भेंट किए। इसके बदले में, यमराज ने उसे एक अनोखा उपहार दिया और कहा कि इस दिन जो भाई अपनी बहन द्वारा आरती और तिलक का अभिवादन पाऐंगे, वह संरक्षित होंगे और उन्हें लंबी आयु का आशीर्वाद मिलेगा। इसी कारण इस दिन को ‘यम द्वितीया’ या ‘यमद्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है। एक अन्य कथा में बताया गया है कि भगवान कृष्ण, राक्षसों के राजा नरकासुर का वध करने के बाद, अपनी बहन, सुभद्रा के पास गए, जिन्होंने उनका स्वागत मिठाई, माला, आरती और तिलक लगाकर किया।

भाई दूज कैसे मनाया जाता है?
भैया दूज पर, बहनें अपने भाइयों को एक सुस्वाद भोज के लिए अपने घर बुलाती हैं, जिसमें अक्सर मिठाई और उनके सभी प्रिय व्यंजन शामिल होते हैं। बहनें अपने भाइयों का ‘आरती’ से स्वागत करती हैं और उनके माथे पर सिंदूर (तिलक) और चावल लगाती हैं, उन्हें मिठाई देती हैं और उनके स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। जबकि भाई अपनी बहनों के लिए जीवन की रक्षा करने के वादे के साथ उपहार भेंट करते हैं। जिसका भाई न हो या जिनके भाई दूर रहते हैं, वे महिलाएँ चाँद की पूजा करती हैं या चन्द्र भगवान की आरती करके चाँद की पूजा करती हैं।

महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात के कुछ हिस्सों में, इस त्यौहार को भाऊ बीज के नाम से जाना जाता है और इस दिन भाइयों और बहनों में बहुत उत्साह देखा जाता है। बहनें और भाई उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों को आमंत्रित किया जाता है और बसुंडी पूरी (महाराष्ट्र) जैसी स्वादिष्ट मिठाई तैयार की जाती है।

भैया दूज पर क्‍या करें?
1- भैया दूज के दिन नहा-धोकर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें. इस दिन बहनें नए कपड़े पहनती हैं.
2- इसके बाद अक्षत (ध्‍यान रहे कि चावल खंड‍ित न हों), कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं.
3- अब भाई की लंबी उम्र और कल्‍याण की कामना के साथ व्रत का संल्‍प लें.
4- अब विधि-विधान के साथ यम की पूजा करें.
5- यम की पूजा के बाद यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करें.
6- अब भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें.
7- इस मौके पर भाई को यथाशक्ति अपनी बहन को उपहारा या भेंट देनी चाहिए.
8- पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को ही व्रत करना होता है.
9- पूजा संपन्‍न होने के बाद भाई-बहन साथ में मिलकर भोजन करें.

भैया दूज का महत्‍व
हिन्‍दू धर्म में भैया दूज का विशेष महत्‍व है. इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ और ‘भ्रातृ द्वितीया’ भी कहा जाता है. रक्षाबंधन के बाद भैया दूज दूसरा ऐसा त्‍योहार है जिसे भाई-बहन बेहद उत्‍साह के साथ मनाते हैं. जहां, रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं वहीं भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है. कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाइयों को तेल लगाकर उन्‍हें स्‍नान भी कराती हैं. यमुना नदी में स्‍नान कराना अत्‍यंत शुभ माना जाता है. अगर यमुना में स्‍नान संभव न हो तो भैया दूज के दिन भाई को अपनी बहन के घर नहाना चाहिए. अगर बहन विवाहित है तो उसे अपने भाई को आमंत्रित कर उसे घर पर बुलाकर यथा सामर्थ्‍य भोजन कराना चाहिए. इस दिन भाइयों को चावल खिलाना अच्‍छा माना जाता है. अगर सगी बहन नहीं है तो ममेरी या चचेरी बहन के साथ भी इस त्‍योहार को मनाया जा सकता है. इस त्‍योहार का संदेश यही है कि भाई-बहन के बीच प्‍यार हमेशा बना रहना चाहिए. चाहे दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में कितने ही व्‍यस्‍त क्‍यों न हों लेकिन एक-दूसरे के साथ कुछ पल तसल्‍ली के जरूर गुजारने चाहिए.

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