टॉर्च टेस्ट

टॉर्च टेस्ट, टॉर्च टेस्ट क्यों किया जाता है, TORCH Test Kya Hota Hai, Torch Test in Hindi, टॉर्च टेस्ट पॉजिटिव ट्रीटमेंट In Hindi, TORCH Test After Miscarriage In Hindi, What Is Torch Test In Hindi, टॉर्च टेस्ट की कीमत, टॉर्च क्या होता है, Torch Test Treatment In Hindi, Torch Profile Test In Hindi, TORCH Test Before Pregnancy In Hindi, TORCH Test PriceI, Torch InfectionI, टॉर्च टेस्ट फुल फॉर्म

टॉर्च टेस्ट, टॉर्च टेस्ट क्यों किया जाता है, TORCH Test Kya Hota Hai, Torch Test in Hindi, टॉर्च टेस्ट पॉजिटिव ट्रीटमेंट In Hindi, TORCH Test After Miscarriage In Hindi, What Is Torch Test In Hindi, टॉर्च टेस्ट की कीमत, टॉर्च क्या होता है, Torch Test Treatment In Hindi, Torch Profile Test In Hindi, TORCH Test Before Pregnancy In Hindi, TORCH Test PriceI, Torch InfectionI, टॉर्च टेस्ट फुल फॉर्म

परिचय – टॉर्च टेस्ट क्या है?, TORCH Test Kya Hota Hai, Torch Test In Hindi

टॉर्च टेस्ट (TORCH Test) या टॉर्च स्क्रीन टेस्ट (TORCH Screen) एक सामान्य रक्त परीक्षण है जिसके द्वारा गर्भवती महिलाओं या नवजात शिशुओं में संक्रमण की जांच की जाती है. गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला को भ्रूण में संक्रमण का खतरा हो सकता है. बता दें कि गर्भावस्था के दौरान एक महिला कुछ विशिष्ट प्रकार के वायरस से संक्रमित हो सकती है, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को भी संक्रमण का खतरा होता है. गर्भावस्था के दौरान संक्रमण की शुरुआती पहचान करने के लिए यह परीक्षण जरुरी हो जाता है. ताकि शुरुआती समय में ही इस संक्रमण का पता लगाकर उसका सही उपचार कर नवजात को संक्रमण से बचाया जा सके. इसके अलावा जिन महिलाओं का बारबार गर्भपात हो जाता हो उनको भी टॉर्च टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है.
टॉर्च टेस्ट (TORCH Test ) को TORCHS Test भी कहा जाता है –TORCH स्क्रीन टेस्ट रक्त परीक्षण का एक समूह है। ये परीक्षण नवजात शिशु (New Born) में कई अलग-अलग प्रकार के संक्रमणों की जांच करने में सक्षम है। TORCH का पूर्ण रूप टोक्सोप्लाज्मोसिस, रूबेला साइटोमेगालोवायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स और एचआईवी है। हालाँकि, इसमें अन्य नवजात संक्रमण भी हो सकते हैं। कभी-कभी टेस्ट को TORCHS भी कहा जाता है, जहां अतिरिक्त S सिफलिस Syphilis के लिए जाना जाता होता है।

टॉर्च टेस्ट फुल फॉर्म, TORCH Test Full Form

टॉर्च (TORCH) का पूरा नाम निम्न है:
1- T = (Toxoplasmosis) टोक्सोप्लाज्मोसिस
2- O = Other (HIV, Hepatitis Viruses, Varicella, Parvovirus) अन्य (एचआईवी, हेपेटाइटिस वायरस, वेरीसेल्ला, परवोविरस)
3- R = (Rubella) रूबेला
4- C = (Cytomegalovirus) साइटोमेगालोवायरस
5- H = (Herpes Simplex) हर्पीस सिम्पलेक्स
हालांकि, इसमें अन्य नवजात संक्रमण भी हो सकते हैं. कभी-कभी टॉर्च (TORCH) को TORCHS भी कहा जाता है जहाँ S = (Syphilis) सिफलिस संक्रमण बीमारी को प्रगट करता है.

टॉर्च टेस्ट द्वारा पता चलने वाले रोग – टॉर्च टेस्ट क्यों किया जाता है ?

टॉर्च टेस्ट (TORCH Test) के द्वारा मुख्य रूप से संक्रमण बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. इस टेस्ट के माध्यम से निम्न रोगों का पता चलता है, जैसे :

1- टोक्सोप्लाज़मोसिज़ (Toxoplasmosis) – T

टोक्सोप्लाज्मोसिस (Toxoplasmosis) एक बीमारी है, जो टोक्सोप्लाज्मा गोंडी (Toxoplasma gondii) नामक एक परजीवी के कारण होती है. यह परजीवी मां द्वारा बिल्ली को संभालने या दूषित मांस या बिना पका हुआ मांस खाने से ग्रहण किया जा सकता है. गर्भ में टॉक्सोप्लाज्मोसिस (Toxoplasmosis) से संक्रमित शिशु आमतौर पर जन्म के कई सालों तक कोई लक्षण प्रगट नहीं करते हैं। इस संक्रमण बीमारी के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
A- दृष्टि खोना (Vision Loss)
B- मानसिक मंदता (Mental Retardation)
C- बहरापन (Deafness)
D- सिफिलिस (Syphilis)

2- अन्य ( Other ) – O

A- एचआईवी ( HIV )
B- हेपेटाइटिस वायरस ( Hepatitis Viruses )
C- वेरीसेल्ला ( Varicella )
D- परवोविरस ( Parvovirus)

3- रूबेला (Rubella) – R

रुबेला (Rubella), जिसे जर्मन खसरा (German measles) भी कहा जाता है. रूबेला (Rubella) एक वायरस है, जिसका संक्रमण या प्रकोप मौसमी पैटर्न पर आधारित है. इस वायरस से महामारी का सबसे अधिक प्रकोप वसंत ऋतु में होता है. अगर रूबेला (Rubella) वायरस के कारण भ्रूण में संक्रमण होता है,तो यह शिशु के लिए निम्न लक्षणों का कारण बनता है:-
A- रक्त विकार (Blood Disorders)
B- दृष्टि की समस्याएं (Vision Problems)
C- हृदय रोग (Heart Disease)
D- मंद विकास (Slow Growth)
E- निमोनिया (Pneumonia)

4- साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus) – C

साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus) (CMV) संक्रमण, हरपीस वायरस (Herpes Virus) परिवार में से एक है। यह वायरस वयस्कों दिखाई देने योग्य कोई लक्षण प्रगट नहीं करता है। हालांकि, साइटोमेगालोवायरस के परिणामस्वरूप विकासशील भ्रूण (Developing Fetus) में बौद्धिक अक्षमता, मिर्गी (Epilepsy) और सुनने की क्षमता में कमी आदि लक्षण प्रगट किये जा सकते हैं.

5- हर्पीस सिम्पलेक्स (Herpes Simplex) – H

हर्पीस सिम्पलेक्स (Herpes Simplex) वायरस आमतौर पर प्रसव के दौरान मां से भ्रूण (Fetus) को स्थानांतरित कर दिया जाता है. यह संक्रमण शिशुओं में गंभीर मुद्दों का कारण बन सकता है, इस वायरस के लक्षण आमतौर पर बच्चे के जन्म के दूसरे सप्ताह से देखे जा सकते हैं. जिनमें निम्न शामिल हैं:
A- साँस की समस्या (Breathing Problem)
B- मस्तिष्क क्षति (Brain Damage)
C- मिर्गी के दौरे (Seizures) आदि

6- सिफिलिस (Syphilis) – S 

सिफिलिस ट्रेपोनेमा पैलिडम (Treponema Pallidum) के कारण होता है। यह यौन संभोग के माध्यम से वयस्कों के बीच फैलता है। सिफिलिस (Syphilis) समय पूर्व डिलीवरी (Early Delivery), गर्भपात (Miscarriage) या भ्रूण के लिए संक्रमण का कारण बन सकता है. जो शिशुओं की मृत्यु का भी कारण बनता है. इसके अतिरिक्त एचआईवी, हेपेटाइटिस वायरस, वेरीसेल्ला (varicella), परवोविरस (Parvovirus) आदि संक्रमित बीमारियों का भी टॉर्च टेस्ट (TORCH Test) के माध्यम से निदान किया जा सकता है.

7- अन्य बीमारियां (Other Diseases)

इसके अतिरिक्त अन्य संक्रामक बीमारियां शामिल हो सकती हैं, जिनका निदान टॉर्च टेस्ट (TORCH Test) के माध्यम से किया जा सकता हैं, जैसे :
1- चिकनपॉक्स (Chickenpox)
2- एपस्टीन बार वायरस (Epstein-Barr virus)
3- ह्यूमन पर्वोवायरस (Human Parvovirus)
4- खसरा (Measles)
5- कण्ठमाला का रोग (Mumps)
गर्भावस्था या प्रसव के दौरान इन सभी बीमारियों को मां से गर्भ या भ्रूण (Fetus) में स्थानांतरित किया जा सकता है. अतः इन सभी बीमारियों का निदान कर उपचार उपलब्ध करने और शिशुओं के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए टॉर्च टेस्ट (TORCH Test) महत्वपूर्ण हो जाता है.
टॉर्च टेस्ट (TORCH test) के लिए कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है. यदि किसी महिला को लगता है कि वह टॉर्च टेस्ट (TORCH Test) से सम्बंधित किसी भी वायरस से संक्रमित हैं, तो वह इस परीक्षण हेतु डॉक्टर से परामर्श कर सकती है। परीक्षण से पहले किसी भी ओवर-द-काउंटर (Over-The-Counter) या अन्य दवाओं के सेवन करने या न करने की जानकारी डॉक्टर को जरुर देनी चाहिए. डॉक्टर की सिफारिश पर परीक्षण से पहले कुछ दवाओं का सेवन बंद करने या अन्य पदार्थों के सेवन से परहेज करने की आवश्यकता पड़ सकती है.

टॉर्च टेस्ट कब किया जाता है 

टॉर्च सिंड्रोम (TORCH Syndrome) के विभिन्न लक्षणों के प्रगट होने पर यह परीक्षण किया जा सकता है. इन लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
1- प्लेटलेट्स (Platelets) का निम्न स्तर होने पर.
2- त्वचा के लाल चकत्ते (Skin Rash).
3- प्रसव (Delivery) के दौरान मां की गर्भावस्था की लंबाई के अनुपात में अपेक्षाकृत छोटे आकार के शिशु का जन्म होने पर.
4- बढ़ा हुआ लिवर (Enlarged Liver) और प्लीहा (Spleen).
5- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) की हानि होने पर टॉर्च परीक्षण (TORCH Test) किया जा सकता है.
6- जिन महिलाओं को बारबार गर्भपात हो जाता हो.
7- जांडिस (Jaundice) की स्थिति में भी टॉर्च परीक्षण (TORCH Test) आवश्यक हो जाता है.

टॉर्च टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है? 

आमतौर पर आईजीए, आईजीजी और आईजीएम टेस्ट के रिजल्ट एक साथ बताए जाते हैं. असामान्य रिजल्ट बताता है कि कुछ है जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर रहा है. ऐसी स्थिति में आपको कुछ अन्य जांचें करवानी पड़ सकती हैं. इम्यूनोग्लोबुलिन्स टेस्ट से उपचार नहीं किया जाता है. इस टेस्ट से सामान्य तौर पर बीमारी या तकलीफ का पता लगाया जाता है. कई ऐसी स्थितियां हैं, जो इम्यूनोग्लोबुलिन्स के बढ़े होने या घटे होने से जुड़ी हुई हैं.
बढ़ा हुआ स्तर:  – पालीक्लोनल इम्यूनोग्लोबुलिन्स सामान्य तौर पर लिम्फोसाइट्स या प्लाज्मा सेल्स में मौजूद ब्लड सेल ट्यूमर्स में देखे जाते हैं. इन बीमारियों में, इम्यूनोग्लोबुलिन के एक क्लास में बढ़ोत्तरी और अन्य दो क्लासेज में घटोत्तरी देखी जाती है. हालांकि बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के पूरे इम्यूनोग्लोबुलिस का स्तर बढ़ा होता है. दरअसल वो इम्यूकॉम्प्रोमाइज्ड होते हैं क्योंकि ज्यादातर इम्यूग्लोबुलिन्स असामान्य होते हैं और ये इम्यून रिस्पॉन्स में काम नहीं करते हैं.
घटा हुआ स्तर:  इम्यूनोग्लोबुलिन्स स्तर घटे होने का सबसे सामान्य कारण वो स्थितियां हैं, जो शरीर में इम्यूनोग्लोबुलिन्स के बनने को प्रभावित करती हैं या फिर वो वजह होती हैं, जिनके कारण शरीर में प्रोटीन का क्षय होता है. इम्यूनोसप्रेसैन्ट्स, कॉर्टीकोस्टेरॉयड्स, फेनीटॉइन्स और कार्बमेजपाइन जैसी दवाइयों के कारण से भी इम्यूनोग्लोबुलिन्स में कमी होती है.

टॉर्च टेस्ट प्राइस, भारत में इलाज की क्या कीमत है ? , Torch Test Price in Hindi

टॉर्च टेस्ट (TORCH test) की कीमत इंडिया में लगभग Rs.1000 से Rs.3000 तक हो सकती है. यह कीमत विभिन्न प्रयोगशाला और विभिन्न शहरों के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। इसके अतिरिक्त टॉर्च टेस्ट के अंतर्गत किये जाने वाले विभिन्न टेस्टों के अनुसार इसकी कीमत कम या ज्यादा हो सकती है.

उपचार के विकल्प क्या हैं ?

दवाओं के अलावा, कुछ प्राकृतिक तत्वों में रूबेला संक्रमण के इलाज में चौंकाने वाले प्रभाव पड़ते हैं. डॉक्टर आहार में अधिक सब्जियों और कम मांस के सेवन की सलाह देते हैं. चकत्ते में मुसब्बर वेरा का उपयोग संक्रमण के प्रसार को प्रतिबंधित करता है. उसी समय, इचिनेसिया (Ichinesia) और एस्ट्रैग्लस (Astraglas) शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को उत्तेजित करने और रक्त में संक्रमण के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं. हल्दी और सर्दी चेरी का उपयोग रूबेला के इलाज में बेहद आसान हो जाता है.

टॉर्च टेस्ट, टॉर्च टेस्ट क्यों किया जाता है, TORCH Test Kya Hota Hai, Torch Test in Hindi, टॉर्च टेस्ट पॉजिटिव ट्रीटमेंट in Hindi, TORCH Test After Miscarriage in Hindi, What Is Torch Test in Hindi, टॉर्च टेस्ट की कीमत, टॉर्च क्या होता है, Torch Test Treatment in Hindi, Torch Profile Test in Hindi, Torch Test Kya Hai, TORCH Test Before Pregnancy in Hindi, TORCH Test Price in Hindi, Torch Infection in Hindi, टॉर्च टेस्ट फुल फॉर्म

स्वास्थ्य से सम्बंधित आर्टिकल्स – 

  1. बीकासूल कैप्सूल खाने से क्या फायदे होते हैं, बिकासुल कैप्सूल के लाभ, Becosules Capsules Uses in Hindi, बेकासूल, बीकोस्यूल्स कैप्सूल
  2. शराब छुड़ाने की आयुर्वेदिक दवा , होम्योपैथी में शराब छुड़ाने की दवा, शराब छुड़ाने के लिए घरेलू नुस्खे , शराब छुड़ाने का मंत्र , शराब छुड़ाने के लिए योग
  3. कॉम्बिफ्लेम टेबलेट की जानकारी इन हिंदी, कॉम्बिफ्लेम टेबलेट किस काम आती है, Combiflam Tablet Uses in Hindi, Combiflam Syrup Uses in Hindi
  4. ज्यादा नींद आने की वजह, Jyada Nind Kyon Aati Hai, ज्यादा नींद आना के कारण, ज्यादा नींद आना, शरीर में सुस्ती, शरीर में थकावट
  5. अनवांटेड किट खाने के कितने दिन बाद ब्लीडिंग होती है, अनवांटेड किट खाने की विधि Hindi, अनवांटेड किट ब्लीडिंग टाइम, अनवांटेड किट की कीमत
  6. गर्भाशय को मजबूत कैसे करे, कमजोर गर्भाशय के लक्षण, गर्भाशय मजबूत करने के उपाय, बच्चेदानी का इलाज, बच्चेदानी कमजोर है, गर्भाशय योग
  7. जिम करने के फायदे और नुकसान, जिम जाने से पहले क्या खाएं, जिम जाने के बाद क्या खाएं,  जिम जाने के फायदे, जिम जाने के नुकसान,  जिम से नुकसान
  8. माला डी क्या है, Mala D Tablet Uses in Hindi, माला डी कैसे काम करती है, Maladi Tablet, माला डी गोली कब लेनी चाहिए
  9. Unienzyme Tablet Uses in Hindi, Unienzyme गोली, यूनिएंजाइम की जानकारी, यूनिएंजाइम के लाभ, यूनिएंजाइम के फायदे,यूनिएंजाइम का उपयोग
  10. मानसिक डर का इलाज, फोबिया का उपचार, डर के लक्षण कारण इलाज दवा उपचार और परहेज, डर लगना, मानसिक डर का इलाज, मन में डर लगना
  11. हिंदी बीपी, उच्च रक्तचाप के लिए आहार, High Blood Pressure Diet in Hindi, हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए, हाई ब्लड प्रेशर डाइट
  12. क्या थायराइड लाइलाज है, थ्रेड का इलाज, थायराइड क्‍या है, थायराइड के लक्षण कारण उपचार इलाज परहेज दवा,  थायराइड का आयुर्वेदिक
  13. मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट, वजन घटाने के लिए डाइट चार्ट, बाबा रामदेव वेट लॉस डाइट चार्ट इन हिंदी, वेट लॉस डाइट चार्ट
  14. हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार, हाई ब्लड प्रेशर, बीपी हाई होने के कारण इन हिंदी, हाई ब्लड प्रेशर १६० ओवर ११०, बीपी हाई होने के लक्षण
  15. खाना खाने के बाद पेट में भारीपन, पेट में भारीपन के लक्षण, पतंजलि गैस की दवा, पेट का भारीपन कैसे दूर करे, पेट में भारीपन का कारण
  16. योग क्या है?, Yoga Kya Hai, योग के लाभ, योग के उद्देश्य, योग के प्रकार, योग का महत्व क्या है, योग का लक्ष्य क्या है, पेट कम करने के लिए योगासन, पेट की चर्बी कम करने के लिए बेस्‍ट योगासन