Thyroid Problems and Disease know Causes of Thyroid Symptoms Treatment Thyroid ke karan lakshan ilaj dawa upchar in Hindi Thyroid Kya Hota Hai

क्या थायराइड लाइलाज है, थ्रेड का इलाज, थायराइड क्‍या है, Thyroid In Hindi थायराइड के लक्षण कारण उपचार इलाज परहेज दवा,  थायराइड का आयुर्वेदिक, घरेलू और होम्योपैथिक इलाज, थायराइड के लिए योगासन और डाइट प्लान, Thyroid Se Hone Wali Problem ,Thyroid Ke Karan Lakshan Prakar Ilaj Dawa, Diet Plan For Thyroid Disease

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परिचय – थायराइड, Thyroid

भारत में रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या थायराइड की बीमारी से पीड़ित हैं. तनावग्रस्त जीवनशैली या जरूरत से ज्यादा आरामपरस्त जीवन के चलते यह बीमारी लोगों को अपना शिकार बना लेती है. इस बीमारी में तेजी से वजन बढ़ने लगता है और हार्मोन भी गड़बड़ा जाते हैं, लेकिन ये बीमारी लाइलाज नहीं है, बशर्ते सही समय पर इसकी जांच कर इलाज शुरु कर दिया जाए. कई बार उपचार के बाद भी यह बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं होती. इसलिए एक बार इसका उपचार करवाने के बाद भी समय-समय पर इसकी जांच करवानी पड़ती है. अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में इनका इलाज संभव है.

थायराइड की बीमारी, Thyroid Disease Details in Hindi

थायराइड गर्दन के निचले हिस्से के बीच में तितली के आकार की एक छोटी सी ग्रंथि होती है. यानी कि थायराइड ग्रंथि गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर स्थित होती है. थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि (नलिकाहीन ग्रन्थियां) है, जो कि हार्मोन बनाने का काम करती है. थायराइड विकार एक आम समस्‍या है, जो कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दस गुना ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या का ज्यादा होना है.

थायराइड क्‍या है?, What is Thyroid in Hindi?

थायराइड एक एंडोक्राइन ग्रंथि है जो ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) नामक दो हार्मोन बनाती है. इन हार्मोनों का उत्‍पादन और स्राव थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) द्वारा नियंत्रित किया जाता है. टीएसएच पिट्यूटरी में बनता है जिसके स्राव को थायराइड रिलीज करने वाले हार्मोन या टीआरएच द्वारा नियंत्रित किया जाता है. ये हार्मोन शरीर की सामान्‍य चयापचय प्रक्रिया के लिए जिम्‍मेदार होते हैं. थायराइड ग्रंथि के ज्‍यादा या कम मात्रा में हार्मोन बनाने पर थायराइड की समस्‍या उत्‍पन्‍न होने लगती है. ऑटोइम्‍यून या थायराइड ग्रंथि में कैंसरयुक्त या कैंसर रहित कोशिकाओं के बनने या ग्रंथि में सूजन के कारण हार्मोंस के उत्‍पादन में असंतुलन आ सकता है. वैश्विक स्‍तर पर पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्‍त होती हैं. 0.5% पुरुषों की तुलना में 5% महिलाएं थायराइड का शिकार होती हैं. थायराइड हार्मोन का कम या ज्‍यादा बनना, शरीर की प्रत्‍येक कोशिका को प्रभावित करता है.

प्रकार – थायराइड कितने प्रकार के होते हैं?, Thyroid Kitne Prakar Ka Hota Hai?

प्रमुख तौर पर थायराइड दो प्रकार का होता है , 1 – हाइपरथायराइड और 2 – हाइपोथायराइड. हाइपरथायराइडिज्‍म में ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनने लगता है जबकि हाइपोथायराइडिजम में इस हार्मोन का उत्‍पादन कम हो जाता है. थायराइड ग्रंथि से जुडी अन्‍य गंभीर समस्‍याओं में थायराइड कैंसर भी शामिल है, जो कि एंडोक्राइन कैंसर का सबसे सामान्‍य प्रकार है. लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अब इन सभी समस्‍याओं के कारण का पता लगाया जा चुका है और टेस्‍ट के ज़रिए इस बीमारी की जांच की जा सकती है. जीवनशैली में बदलाव एवं उचित उपचार की मदद से थायराइड ग्रंथि ठीक तरह से काम कर सकती है.
उदाहरण स्वरूप संतुलित आहार और पर्याप्‍त मात्रा में आयोडीन का सेवन एवं तनाव को दूर करने के लिए योग तथा ध्यान की मदद से थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है. थायराइड ग्रंथि से संबंधित समस्‍याओं को नियंत्रित करने के लिए एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श और चैकअप करवाते रहना चाहिए. थायराइड हार्मोन मेटाबोलिक रेट, भोजन ग्रहण करने और थर्मोजेनेसिस को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है. हाइपरथायराइडिज्‍म में थायराइड हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगता है. इसमें टी3 और टी4 का स्‍तर बढ़ने एवं टीएसएच का स्‍तर घटने लगता है. कभी-कभी थायराइड ग्रंथि की सूजन के कारण स्‍थायी तौर पर हाइपरथायराइडिजम हो सकता है.थायराइड का दूसरा प्रकार है हाइपोथाइराडिज्‍म जिसमें थायराइड हार्मोन कम बनने लगता है और टी3 एवं टी4 का सीरम लेवल घटने तथा टीएसएच का स्‍तर बढ़ने लगता है.

1. हाइपरथायराइडिज्‍म, Hyperthyroidism

हाइपरथायराइडिज्‍म: इसमें थायराइड ग्रंथ के अधिक सक्रिय होने के कारण थायराइड हार्मोन का अत्‍यधिक स्राव होने लगता है. हाइपरथायराइडिज्‍म के सबसे सामान्‍य लक्षण हैं:

  • वजन कम होना
  • घबराहट, चिंता, परेशानी और मूड बदलना
  • गलगंड (घेंघा रोग)
  • थकान
  • सांस फूलना
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • गर्मी ज्‍यादा लगना
  • कम नींद आना
  • अधिक प्‍यास लगना
  • आंखों में लालपन और सूखापन होना
  • बाल झड़ना और बालों का पतला होना

हाइपरथायराइडिज्‍म के विभिन्‍न कारण इस प्रकार हैं , Hyperthyroidism Reasons

  • ग्रेव्स डिजीज: हाइपरथायराइडिज्‍म का सबसे सामान्‍य कारण ग्रेव्स डिजीज है. ये एक ऑटोइम्‍यून रोग है जिसमें ऑटो एंटीबॉडीज अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्‍पादन एवं स्राव करने के लिए ग्रंथि को उत्तेजित करने लगती हैं. ये समस्‍या पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं में देखी जाती है.
  • थायराइ‍ड ग्रंथि में गांठ: थायराइड ग्रंथि पर गांठ (जो कैंसरयुक्‍त न हो) बनने की वजह से हार्मोंस का अत्‍यधिक मात्रा में स्राव हो सकता है.
  • आयोडीन का अधिक सेवन: थायराइड हार्मोंस के उत्‍पादन के लिए आयोडीन एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्‍यूट्रिएंट) है. हालांकि, आयोडीन का ज्‍यादा सेवन करने पर हाइपरथायराइडिज्‍म हो सकता है.
  • गर्भावस्‍था: गर्भावस्‍था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण हाइपरथायराइडिज्‍म हो सकता है. पिट्यूटरी ग्रंथि में कैंसर रहित कोशिकाओं के वि‍कसित होने पर थायराइड हार्मोंस का उत्‍पादन बढ़ सकता है.

हाइपरथायराइडिज्‍म के जोखिम कारक

  • गर्भावस्‍था
  • धूम्रपान
  • ऑटोइम्‍यून रोग जैसे कि स्जोग्रेन सिंड्रोम
  • आनुवंशिकी के परिणामस्वरूप
  • थायरोट्रोपिन -रिलीजिंग हॉर्मोन (Thyrotropin-Releasing Hormone (TRH)) का उत्पादन नहीं होना

हाइपरथायराइडिज्‍म बचाव के उपाय

हाइपरथायराइडिज्‍म के स्‍पष्‍ट कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है जिस वजह से इस समस्‍या की रोकथाम भी मुश्किल है. हालांकि, तनाव और धूम्रपान की लत को दूर कर एवं संतुलित आहार की मदद से हाइपरथायराइडिज्‍म के खतरे को कम किया जा सकता है.

हाइपरथायराइडिज्‍म के लिए निम्‍न उपचार उपलब्‍ध हैं:

  • दवाएं- रेडियोएक्टिव आयोडीन एबलेशन, थायरायइड-रोधी दवाओं जैसे कि निओमरकाजोल (हार्मोंस के रिलीज होने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए) और सूजन-रोधी दवाओं (लक्षणों से राहत दिलाने के लिए) की सलाह दी जाती है.
  • सर्जरी -थायराइड ग्रंथि के प्रभावित हिस्‍से को सर्जरी से निकालना या थायराइडेक्‍टोमी
    आंखों का सूखापन दूर करने के लिए आर्टिफिशियल टियर्स का इस्‍तेमाल
  • अच्छी जीवनशैली – जीवनशैली में बदलाव , दवाओं के अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव कर के भी थायराइड ग्रंथि की सक्रियता पर नज़र रखी जा सकती है. नियमित हैल्‍थ चेकअप, धूम्रपान छोड़कर और योग की मदद से थायराइड की समस्‍या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, आयोडीन और मैग्नीशियम युक्‍त संतुलित आहार से भी हाइपरथायराइडिज्‍म के लक्षणों से राहत तथा संपूर्ण सेहत में सुधार लाने में मदद मिल सकती है.

हाइपरथायराइडिज्‍म की वजह से निम्‍नलिखित प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है:

  • कार्डियोवस्‍कुलर रोग जैसे कि स्ट्रोक और हार्ट फेल
  • लकवा
  • ऑस्टियोपोरोसिस , हड्डियों को पतला और कमजोर कर देता है
  • अनियमित मासिक धर्म के कारण बांझपन
  • जिस हिस्‍से में थायराइड हार्मोन उच्‍च मात्रा में रिलीज़ होता है, वहां पर थायराइड स्‍टोर्म होना

2. हाइपोथायराइडिज्‍म, Hypothyroidism

इसमें थायराइड ग्रंथि सामान्‍य से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का स्राव करती है. हाइपोथायराइडिज्‍म के सबसे सामान्‍य लक्षण हैं:

  • वजन बढ़ना
  • थकान
  • नाखूनों और बालों का कमजोर होना
  • त्‍वचा का रूखा और पतला होना
  • बालों का झड़ना
  • सर्दी ज्‍यादा लगना
  • अवसाद (डिप्रेशन)
  • मांसपेशियों में अकड़न
  • गला बैठना
  • मानसिक तनाव

हाइपोथायराइडिज्‍म के विभिन्‍न कारण

हार्मोन की कमी के कारण हाइपोथायराइडिज्‍म होता है. हाइपोथायराइडिज्‍म दो प्रकार का होता है, एक थायराइड ग्रंथि विकार के कारण होता है और दूसरा पिट्यूटरी ग्रंथि या हाइपोथैलेमस से संबंधित विकार के कारण होता है.

  • हाशिमोटो डिजीज: थायराइड ग्रंथि में ऑटोइम्‍यून सूजन के कारण थायराइड ग्रंथि कम सक्रिय हो जाती है.
  • आयोडीन की कमी: थायराइड ग्रंथि के बाद थायराइड हार्मोन को बनाने में आयोडीन अहम भूमिका निभाता है और इसकी कमी की वजह से हाइपोथायराइडिज्‍म हो सकता है.
  • थायरॉयडेक्टॉमी: एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें पूरी थायरॉयड ग्रंथि या थायरॉयड ग्रंथि का कुछ हिस्सा निकाल दिया जाता है. ये आगे चलकर हाइपोथायराइडिज्‍म का रूप ले सकता है.
  • रेडियोथेरेपी -हाइपरथायराइडिज्‍म की दवा और उपचार के कारण थायराइड हार्मोन का उत्‍पादन कम हो सकता है.
  • जन्मजात हाइपोथायराइडिज्म – इसे कॉन्जेनिटल हायपो-थायरॉयडिज्म (सीएच) कहते हैं जो शिशु के मानसिक विकास में बड़ी बाधा बन सकती है.जन्म से बच्चे में थायरॉयड हार्मोन की कमी या इसके न बनने की परेशानी भी देखने में आती है. इसके लक्षण जन्म के 3-4 माह बाद दिखते हैं लेकिन आपको जन्म के बाद 3-4 दिनों में नवजात की जांच करनी चाहिए.

हाइपोथायरायडिज्म के सेकेंडरी कारण

  • पिट्यूटरी एडिनोमा (कैंसर रहित कोशिकाओं का विकास)
  • पिट्यूटरी सर्जरी
  • सिर में चोट

हाइपोथैलेमिक ट्यूमर जोखिम कारक

परिवार में किसी सदस्‍य को हाइपोथायराइडिज्‍म होने पर अन्‍य सदस्‍यों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है. इस स्थिति में जन्‍मजात हाइपोथायराइडिज्‍म बहुत सामान्‍य है. इसके अलावा कम आयोडीन वाला आहार भी हाइपोथायराइडिज्‍म का महत्‍वपूर्ण कारक है.

हाइपोथायराइडिज्‍म बचाव के उपाय

हाइपोथायराइडिज्‍म अनुवांशिक और हार्मोनल कारणों की वजह से होता है इसलिए इसे रोकना कठिन है. हालांकि, इस बीमारी की जांच और इलाज काफी आसान है. पर्याप्‍त मात्रा में आयोडीन के सेवन और संतुलित आहार की मदद से हाइपोथायराइडिज्‍म से बचा जा सकता है.

हाइपोथायराइडिज्‍म के लिए निम्‍न उपचार उपलब्‍ध हैं

  • थायरोक्सिन -नियमित थायरोक्सिन की खुराक, हाइपोथायराइडिज्‍म का सबसे सामान्‍य उपचार है. इलाज शुरु होने के बाद नियमित खून की जांच करवाते रहना चाहिए ताकि खून में हार्मोन लेवल के अनुसार खुराक में बदलाव किया जा सके.
  • आयुर्वेदिक दवा –आयुर्वेद में कई जड़ी बूटियों का इस्‍तेमाल हाइपोथायराइडिज्‍म के इलाज के लिए किया जाता है. आप अपने चिकित्‍सक से हाइपोथायराइडिज्‍म के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के इस्‍तेमाल और खुराक के बारे में बात कर सकते हैं.
  • जीवनशैली में बदलाव – दवा के अलावा चेकअप और व्‍यायाम एवं योग की मदद से थायराइड हार्मोन के स्‍तर को नियंत्रित किया जा सकता है.

हाइपोथायराइडिज्‍म रोग से परेशानी 

  • थायरॉक्सिन की नियमित खुराक से हाइपोथायराइडिज्‍म का इलाज किया जा सकता है. अगर सही इलाज न लिया जाए हाइपोथायराइडिज्‍म की वजह से कोई गंभीर समस्‍या हो सकती है.
  • जटिलताएं – थायराइड ग्रंथि के कम सक्रिय होने पर एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों के अंदर कोलेस्ट्रॉल का जमाव) जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं. कुछ मामलों में इसकी वजह से हार्मोनल जरूरतों को पूरा करने के लिए थायराइड ग्रंथि बढ़ भी सकती है.
  • इसके अलावा हाइपोथायराइडिज्‍म के कारण मैक्सिडेमा कोमा की स्थिति‍ भी आ सकती है. मैक्सिडेमा कोमा एक बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है, थायरॉयड हार्मोन का बहुत ही कम उत्पादन इसकी विशेषता होती है.

समस्‍याएं – थायराइड से जुड़ी सामान्‍य समस्‍याएं, थायराइड संबंधी समस्याएं 

थाइरॉइड हार्मोन शरीर में सभी प्रक्रियाओं की गति के एक नियंत्रक के रूप में काम करता है. इस गति को चयापचय कहा जाता है. यदि बहुत ज्यादा थाइरॉइड हार्मोन हो, तो शरीर के हर कार्य में तेजी आने लगती है. इसलिए आश्चर्य की बात नहीं है कि अतिगलग्रंथिता के कुछ लक्षणों में शामिल घबराहट, चिड़चिड़ापन, पसीना में वृद्धि, दिल का जोरों से धड़कना, हाथ का कांपना, चिंता, सोने में तकलीफ होना, त्वचा का पतला होना, नाजुक बाल, खासकर ऊपरी बाहों और जांघों की मांसपेशियों में कमजोरी आना, शामिल हैं.

थायराइड कैंसर, Thyroid Cancer

एंडोक्राइन ट्यूमर का सबसे खतरनाक रूप थायराइड कैंसर ही है. ऊतकों के आधार पर थायराइड कैंसर को निम्‍न प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1 – डिफरेंशियल थायराइड कैंसर: पैपिलरी थायराइड कैंसर और फॉलिक्युलर थायराइड कैंसर के एक साथ होने पर डिफरेंशियल थायराइड कैंसर होता है. इस प्रकार का कैंसर उपकला या एपिथीलियमी कोशिकाओं से होता है और ये थायराइड कैंसर का सबसे सामान्‍य रूप है.
2 – ऐनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर: ऐनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर एक दुर्लभ और तेज़ी से बढ़ने वाला कैंसर है जिसका इलाज बहुत मुश्किल है. केवल 2 फीसदी कैंसर ही ऐनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर होता है. यह कैंसर आमतौर पर 60 या उससे अधिक उम्र के वयस्कों में होता है. इसमें नई तरह की कोशिकाएं विकसित हो जाती हैं जो थायराइड ऊतकों से बिलकुल अलग होते हैं.

लक्षण – थायराइड कैंसर लक्षण

थायराइड कैंसर सामान्‍य लक्षण , थायराइड कैंसर के लक्षण गले के कैंसर या सांस से संबंधित रोगों के लक्षणों की तरह ही होते हैं. आइए जानते हैं थायराइड कैंसर के लक्षण क्‍या हैं:

  • गले में तेजी से गांठ का बढ़ना
  • गर्दन में सूजन
  • आवाज़ में बदलाव आना
  • खाना निगलने में दिक्‍कत होना
  • सांस लेने में परेशानी आना
  • बिना किसी संक्रमण या एलर्जी के लगातार खांसी रहना

कारण – थायराइड कैंसर कारण

  • अनुवांशिक कारण: थायराइड कैंसर से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति के जींस से इस कैंसर के होने का खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है. माता-पिता या शरीर में कैंसर पैदा करने वाले जींस के कारण थायराइड कैंसर हो सकता है.
  • रेडिएशन: कार्सिनोजेन एक लोकप्रिय रेडिएशन है. कम उम्र में थायराइड ग्रंथि रेडिएशन के प्रति बहुत संवेदनशील होती है. इन रेडिएशन के कारण कार्सिनोजेनिक बदलाव होता है. डायग्‍नोस्टिक इमेजिंग प्रक्रिया की वजह से भी थायराइड कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
  • डायबिटीज: इंसुलिन रेसिस्‍टेंस और टीएसएच का लेवल बढ़ने के कारण डायबिटीज के मरीज़ों में थायराइड कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
  • हार्मोन: थायराइड कैंसर में एस्‍ट्रोजन अहम भूमिका निभाता है. अध्‍ययन में भी ये बात सामने आई है कि जिन महिलाओं ने हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय निकालने वाली सर्जरी) करवाई थी उनमें थायराइड कैंसर का खतरा ज्‍यादा था.
  • जीवनशैली: आहार में उच्‍च मात्रा में नाइट्रेट लेना और फूड एडिटिव्‍स की वजह से भी थायराइड कैंसर हो सकता है. धूम्रपान और शारीरिक सक्रियता की कमी भी थायराइड कैंसर पैदा करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
  • ऑटोइम्युनिटी: ग्रेव्स डिजीज और हाशिमोटो थायरोडिटिस के मरीज़ों में थायराइड कैंसर का अधिक खतरा रहता है.
  • आयोडीन -स्‍पष्‍ट रूप से ये नहीं कहा जा सकता है कि आयोडीन का संबंध थायराइड कैंसर से होता है. कुछ अध्‍ययन में ये बात सामने आई है कि अपर्याप्‍त मात्रा में आयोडीन का सेवन करने से थायराइड कैंसर हो सकता है जबकि कई अध्‍ययन ये संकेत देते हैं कि आयोडीन से भरपूर सीफूड के कारण थायराइड कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए, ये बात साफ नहीं है कि आयोडीन किस तरह थायराइड कैंसर का कारण बनता है. अत: बेहतर होगा कि आप सही एवं उचित मात्रा में आयोडीन का सेवन करें.

थायराइड कैंसर के जोखिम कारक

  • महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा रहता है
  • अनुवांशिक
  • टीएसएच का लेवल बढ़ना
  • ऑटोइम्‍यून रोग
  • विषाक्‍त रसायन और रेडिएशन के संपर्क में आने

उपाय – थायराइड कैंसर बचाव के उपाय

थायराइड कैंसर की रोकथाम किसी चुनौती से कम नहीं है. हालांकि, दोषपूर्ण जीन का पता लगाकर और थायराइड ग्रंथि को निकालकर कैंसर से बचने में मदद मिल सकती है. रेडिएशन के अधिक संपर्क में न आने से भी थायराइड कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.

थायराइड कैंसर के लिए निम्‍न उपचार उपलब्‍ध हैं

थायराइड कैंसर का उपचार इसके प्रकार और थायराइड कैंसर के स्‍तर (स्‍टेज) पर निर्भर करता है. आमतौर पर थायराइड कैंसर के इलाज के लिए निम्‍न उपचार उपलब्‍ध हैं:

  • सर्जरी: थायराइड ग्रंथि को पूरा या इसका कुछ हिस्‍सा और गर्दन की लिम्‍फ नोड्स को सर्जरी से निकाल दिया जाता है.
  • रेडिएशन थेरेपी -सर्जरी के बाद बचे हुए थायराइड ऊतकों को रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी से निकाला जाता है.
  • कीमोथेरेपी: कैंसर-रोधी दवाओं को नसों में डालना
  • टारगेटिड थेरेपी: कैंसरयुक्‍त ऊतकों को दवाओं से नष्‍ट करना
  • जीवनशैली – संतुलित आहार, नियमित व्‍यायाम करने और धूम्रपान न कर के कुछ हद तक थायराइड कैंसर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है.

थायराइड कैंसर रोग से परेशानी 

समय पर जांच और उपचार की मदद से कैंसर युक्‍त कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है. कार्सिनोमा, थायराइड हार्मोन के स्‍तर को प्रभावित कर कार्डियोवस्‍कुलर और मेटाबोलिक समस्‍याएं उत्‍पन्‍न कर सकता है. जटिलताएं –  कैंसर आसपास के हिस्‍सों में फैल सकता है और स्‍वर तंत्र के कार्य को प्रभावित कर सकता है. ये लिम्‍फ नोड्स तक भी फैल सकता है जिसकी वजह से मुश्किलें और ज्‍यादा बढ़ सकती हैं.

थायराइड रोग और जीवनशैली

जीवनशैली में बदलाव करने सेअच्छी तरह से प्रतिक्रिया करता है, इसलिए थायराइड रोग के इन कारणों पर ध्यान दें. इन परेशानियों को दूर करने से आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इन कारणों से आप थायराइड रोग का शिकार हो सकते हैं.

  • तनाव में रहना : तनाव हर तरह से आपके साथ खिलवाड़ कर सकता है और थायराइड फंक्शन बिगड़ने के सबसे बड़े कारणों में से एक है. कई लोगों को महसूस हो जाता है कि थायरायड की समस्या उनके जीवन में तनावपूर्ण समय के बाद शुरू हुई थी.
  • विटामिन ए की कमी से : विटामिन ए की कमी आपके थायरॉयड के लिए परेशानी पैदा कर सकता है क्योंकि यह वसा में घुलनशील विटामिन टी 3 के स्तर को बढ़ावा देने और टीएसएच को सामान्य करने के लिए दिखाया गया है.
  • आयोडीन की अधिकता या कमी : थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आयोडी की जरूरत होती है, लेकिन आयोडीन की अधिकता या इसकी कमी थायराइड रोग पैदा करती है.
  • वायरल इंफेक्शन होना : एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) जैसे वायरस की निम्न-श्रेणी की प्रतिक्रियाएं ऑटोइम्यून थायरॉइड समस्याओं जैसे हाशिमोटो से जुड़ी हुई हैं.
  • हार्मोन का असंतुलन होना : आपके हार्मोन सभी जुड़े हुए हैं और किसी भी हार्मोन का उत्पादन करने वाले एक एंडोक्राइन ग्रंथि में शिथिलता से होने वाला प्रभाव आपके थायरायड को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. कम एस्ट्रोजन, इंसुलिन रजिस्टेंस और कम टेस्टोस्टेरोन सभी थायराइड फंक्शंस को बाधित करते हैं.
  • लो सेलेनियम के कारण : सेलेनियम आपके लिवर में टी4 को टी3 में बदलने के लिए आवश्यक है. सेलेनियम ऑटोइम्यून थायरॉयड समस्याओं से भी बचाता है.
  • टॉक्सिन्स : विषाक्त पदार्थों जैसे कि कीटनाशक, प्लास्टिक, जीवाणुरोधी उत्पाद और भारी धातुएं थायरॉयड गतिविधि को प्रभावित करती है. वे ऑटोइम्यून डिसीज भी ट्रिगर करती है.
  • ग्लूटेन : यह प्रोटीन गेहूं, राई, जई, जौ में पाया जाता है और थायराइड की समस्या वाले कई लोगों के लिए एक मुद्दा है. यह इन अनाज से बनी चीजों में भी यह ग्लूटेन मौजूद होता है जैसे रवा या सूजी, दलिया, सेवइयां, पास्ता और मैदा गेहूं से बने उत्पाद हैं.
  • धूम्रपान करते है तो : धूम्रपान किसी के लिए भी स्वस्थ नहीं है, लेकिन जिन लोगों में आनुवंशिक रूप से थायरायड की समस्या होती है, उनके लिए तो यह घातक है. ऑटोइम्यून थायरायड विकारों वाले लोगों पर धूम्रपान के प्रभाव को देखा जाता है.

थायराइड से बचाव

थायरॉइड से सम्बन्धित बीमारी अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण जीवन जीने के कारण होती है. आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त व कफ के कारण थायरॉइड संबंधित रोग होता है. जब शरीर में वात एवं कफ दोष हो जाता है तब व्यक्ति को थायरॉइड होता है. थायराइड में परहेज करना भी जरूरी है. इसलिए, नीचे दिए गए कुछ टिप्स को फॉलो करके कुछ हद तक थायराइड से बच सकता है.

  • आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें.
  • स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से योग व व्यायाम करें. इसके लिए भुजंगासन, हलासन, विपरीत-करणी,
    मत्स्यासन व धनुरासन आदि किए जा सकते हैं. बेहतर होगा कि ये योगासन प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में ही किए जाएं.
  • नियमित रूप से वजन चेक कराते रहें.
  • धूम्रपान, शराब व कैफीन से दूर रहें.
  • ज्यादा तली-भुनी, जंक फूड और मिर्च-मसाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
  • गर्भवती महिलाओं को भी थाइराइड का जोखिम हो सकता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान और बाद में भी थायराइड जरूर चेक करवाएं .
  • हर 5 साल में थायराइड की जांच करवाते रहें. खासकर, 30 साल के बाद तो यह और जरूरी हो जाता है.

आयुवेर्दिक उपाय – थाइरोइड के लिए आयुवेर्दिक उपाय

थायराइड मै आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां भी बहुत कारगर है  , थायराइड की समस्या से निजात पाने के लिए कई प्राचीन आयुवेर्दिक उपाय ऐसे हैं जिनके जरिए हम अपने में घर में ही मौजूद चीजों से रोकथाम के उपाय कर सकते हैं. देखिए लिस्ट क्या हैं ये चीजें?

  • अदरक  – घरों में आमतौर पर मिलने वाली चीजों में से एक अदरक है. इसमें मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं. अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है.
  • दही और दूध का सेवन –  थायराइड की समस्या से गृसित लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए. दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं.
  • मुलेठी का सेवन – थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं. एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है. मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं. थकान को उर्जा में बदल देते हैं. मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है.
  • गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल – थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने में गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल भी मददगार हो सकता है. गेहूं और ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है. इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है.
  • साबुत अनाज – जौ, गेंहू और साबुत अनाज से बने पदार्थों का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होती है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है.
  • अश्वगंधा – अश्वगंधा में थायराइड ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन्स को संतुलित करने का गुण है. एंटीऑक्सीडेंट से भरा अश्वगंधा ग्रंथी को सही मात्रा में हार्मोन उत्पादन करने में मदद करता है. हार्मोन संतुलन के साथ ही अश्वगंधा इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है. अश्वगंधा को आप किसी भी रूप में ले सकते हैं. चाहे गोलियां ले या इसका पाउडर रोज खाएं.
  • अलसी थायराइड हार्मोंस को सुधारती है – ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर अलसी थायराइड हार्मोंस को संतुलित करने में कारगर है. ओमोगा-3 फैटी एसिड थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने के लिए फोर्स करता है. हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों को अलसी का प्रयोग किसी भी रूप में जरूर करना चाहिए.
  • ब्लैडररैक हर्ब – ब्लैडररैक हर्ब भी हाइपोथायराडिज्म और इससे जुड़ी बीमारियों में बेहद फायदेमंद साबित होता है. ये एक समुद्री शैवाल है जो आयोडिन से भरा होता है. यही कारण है कि ये थायराइड ग्रंथि को संतुलित कर हार्मोन उत्सर्जन को बढ़ाता है.
  • साबुत धनिये का उपयोग : एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रात के समय में भिगोकर रख दें तथा सुबह के समय में इसे मसलकर उबाल लें. फिर जब पानी चौथाई भाग रह जाये तो खाली पेट इसे पी लें तथा गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें. यह उपचार लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.
  • थायराइड में नोनी जूस –नोनी का रस हमारे टी-कोशिकाओं को बढ़ाकर प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर सकता है. कुछ लोगों के अनुसार, जिन लोगों को थायराइड की समस्या थी, वे नोनी के जूस से ठीक महसूस कर रहे थे और थायराइड स्तर को संतुलित था. नोनी जूस पीने से कुछ लाभकारी प्रभाव होते हैं. कई लोगों ने नोनी रस की मदद से अपनी अतिसक्रिय थायरॉयड ग्रंथि को सफलतापूर्वक ठीक किया. यह प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ संक्रमण और अन्य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. यह अवसाद को भी कम करता है, क्योंकि यह तंत्रिका हार्मोन को सही से काम करने में मदद करता है.
  • इचिन्सिया जड़ी-बूटी – इचिन्सिया जड़ी-बूटी है और इसका प्रयोग ज्यादातर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है. लेकिन कई अध्ययन में पाया गया कि ये थायराइड को नार्मल करने में भी बेहद कारगर साबित हुआ है. खास कर हाइपोथायरायडिज्म में यह बेहद कारगर है.
  • लहसुन – स्वास्थ्य के लिए लहसुन कितना फायदेमंद है ये तो हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं थाइराइड के लिए भी लहसुन हमारी काफी मदद करता है. एक शोध के अनुसार, थायराइड में वृद्धि के खिलाफ लहसुन का सुरक्षात्मक प्रभाव देखा गया है. आपको बता दें कि लहसुन में एलिसिन और फ्लेवोनाइड जैसे कई तत्व पाए जाते हैं, जो थायराइड को ठीक करने के लिए कारगर माने जाते हैं.
  • फलों और सब्जियों का सेवन : थायराइड के रोगियों को फलों और सब्जियों का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए. फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है. जो थायराइड को कभी बढ़ने नहीं देता है. सब्जियों में टमाटर, हरि मिर्च आदि का सेवन करें. इससे थायराइड की समस्या से छुटकारा मिलता है.
  • बाकोपा – बाकोपा भी एक जड़ी बूटी है जो थायराइड में बेहद शक्तिशाली साबित होता है. ये जड़ी बूटी भी थायराइड ग्रंथि को संतुलित करने के काम करता है.
  • फलों का रस : थायराईड रोगों का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (नारियल पानी, पत्तागोभी, अनानास, संतरा, सेब, गाजर, चकुन्दर, तथा अंगूर का रस) पीना चाहिए, इससे थायराईड की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है.
  • काले अखरोट – सीफूड के अलावा काला अखरोट भी आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत माना गया है. इसे रोज नट्स के रूप खाना आपके हार्मोंस के गति को सुधारता है.

थायराइड में क्या खाएं

  • पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – हरी सब्जियां, फल या फलों के जूस व नट्स का सेवन किया जा सकता है.
  • मछली और बीन्स के जरिए प्रोटीन का सेवन करें.
  • खाना बनाने के लिए ऑलिव आयल यानी जैतून का तेल व वर्जिन नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • खाने में डाइटरी फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं, क्योंकि यह पाचन क्रिया में मदद कर सकता है.
  • ऐसे फैट का चुनाव करें, जो एलडीएल (LDL) यानी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम कर सके. इसके लिए बीज, नट्स व फलियों का चुनाव कर सकते हैं.

थायराइड में क्या न खाएं

  • ब्रोकली और फूलगोभी जैसी सब्जियां : क्रुसिफेरस सब्जियों जैसे ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरी होती हैं, लेकिन अगर आयोडीन की कमी है तो ये थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करती हैं. इन्हें पचाने से आयोडीन का उपयोग करने के लिए थायराइड की क्षमता अवरुद्ध हो सकती है, जो सामान्य थायराइड के लिए आवश्यक है.
  • ग्लूटेन -ब्रेड, पास्ता और चावल में पाया जाने वाला ग्लूटेन : हाइपोथायरायडिज्म वाले लोग ग्लूटेन के अपने सेवन को कम करें. ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और अन्य अनाजों से बने प्रोसेस्ड फूड्स में पाया जाता है. अगर किसी को सीलिएक डिसीज है, तो यह ग्लूटेन छोटी आंत को परेशान कर सकता है और थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट मेडिकेशन के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है.
  • फैटी फूड्स –फैटी फूड्स जैसे बटर, मीट और सभी तली हुई चीजें : फैट्स यानी वसा भी हार्मोन का उत्पादन करने के लिए थायराइड की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकती है. तले हुए खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट से दूर रखें और बटर, मेयोनीज़, मार्जरीन जैसे पदार्थों का सेवन कम करें.
  • शुगरी फूड्स :हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है. अगर आप सावधान नहीं हैं तो वजन तेजी से बढ़ेगा. चॉकलेट चीज़केक जैसे चीनी की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, क्योंकि यह बिना पोषक तत्वों के बहुत अधिक कैलोरी है. चीनी की मात्रा को कम करना या इसे अपने आहार से पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश करना सबसे अच्छा है.
  • प्रोसेस्ड फूड्स : प्रोसेस्ड फूड्स में बहुत अधिक सोडियम होता है और हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों को सोडियम से बचना चाहिए. अंडरएक्टिव थायराइड होने से हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम बढ़ जाता है और बहुत अधिक सोडियम इस जोखिम को और बढ़ा देता है.
  • फलियां , बीन्सऔर सब्जियों से अतिरिक्त फाइबर : पर्याप्त फाइबर प्राप्त करना आपके लिए अच्छा है , लेकिन बहुत अधिक आपके हाइपोथायरायडिज्म के उपचार को जटिल कर सकता है. संपूर्ण अनाज, सब्जियों, फलों, फलियों से मिलने वाले फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा होने पर पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं और थायराइड हार्मोन को प्रभावित करती हैं.
  • कैफीन : जिन लोगों को थायराइड की समस्या है उन्हें कैफीन से बचना चाहिए. इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए. इससे थायराइड के कारण होने वाले समस्या में बढ़ोतरी होती है. ऐसे में चाय और कॉफी से परहेज करें.
  • एल्कोहल : एल्कोहल से बचें. इससे एनर्जी लेवल बढ़ता है, जो आपके थायराइड को प्रभावित करता है. इससे आपको नींद की समस्या आती है. यह ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ाता है.
  • कार्बोहाइड्रेट -कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें या कम से कम सेवन करें. ये ह्रदय संबंधी समस्याओं और कैंसर का कारण हो सकते हैं.
  • सैचुरेटेड फैट – सैचुरेटेड फैटजो मीट और चीज़ प्रोडक्ट से मिलता है, उसका सेवन न करें.
  • पेय सॉफ्ट ड्रिंक -सॉफ्ट ड्रिंक या ऐसे ही अन्य पेय पदार्थों का सेवन न करें.
  • जंक फूड जैसे – चिप्स, कैंडी, बर्गर व पिज्जा आदि खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.

थायरॉयड के लिए डाइट प्लान, Diet Plan for Thyroid Disease

सुबह उठकर दांतों को साफ करने (बिना कुल्ला किये) से पहले खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी एवं नाश्ते से पूर्व आवंला व एलोवेरा रस पिएं. अगर शुरू में दिक्कत हो रही है तो १ गिलास से शुरू करे फिर धीरे – धीरे २ गिलास पानी पीना शुरू कर दीजिये. इसके साथ ही इन बातों का पालन करें.

समय आहार योजना (शाकाहार)

1 – नास्ते में आहार  – नाश्ता (8 :30 AM) 1 कप दिव्य पेय + 2-3 बिस्कुट  / पोहा /उपमा (सूजी ) /दलिया / कॉर्नफ्लैक्स /ओट्स / मुरमुरे / 1-2 पतली रोटी + 1 कटोरी हरी सब्जियां /1 प्लेट फलों का सलाद / फलों का जूस (केला, अनार, संतरा, सेब, पपीता)
2 – दिन का आहार – दिन का भोजन (12:30-01:30 PM 1-2 पतली रोटियां + 1 कटोरी हरी सब्जियां + 1 कटोरी दाल + 1 कटोरी मटठा /छाछ + 1 प्लेट सलाद
3 – शाम का नाश्ता – शाम का नाश्ता (3:30 PM 1कप दिव्य पेय + 2-3 बिस्कुट  / सब्जियों का सूप /मूंग दाल
4 – रात का आहार – रात का भोजन (7: 00 – 8:00 Pm) 1-2 पतली रोटियां  + 1 कटोरी हरी सब्जिया (रेशेदार) + 1 कटोरी दाल मूंग (पतली)
5 – सोते समय 10:00:00 PM 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण हल्का गर्म दूध या पानी के साथ

होम्योपैथिक दवा – थायराइड का होम्योपैथिक इलाज

थायराइड विकार के मामले में, होम्योपैथिक इलाज थायराइड के बिगड़े हुए कार्य को दोबारा से ठीक करके काम करता है. ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी काम करती है और उन एंटीबाडी को खत्म करती हैं जो थायराइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे स्वप्रतिरक्षित समस्याएं उत्पन्न होती हैं. शुरूआती दौर में ही थायरॉइड का पता लगाकर अच्छे से उपचार किया जाये तो होम्योपैथिक दवाओं से बिना किसी दुष्प्रभाव के थायराइड विकार के कारण होने वाली शारीरिक व मानसिक जटिलताओं को रोका जा सकता है. थायराइड के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाओं के बारे में नीचे दिया गया है:

1 – ब्रोमियम (Bromium) – थायराइड के लिए ब्रोमियम
सामान्य नाम: ब्रोमाइन (Bromine)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए है, जिनका शरीर नाजुक है और बाल व आंखें हल्की है. नीचे दिए लक्षणों के लिए ये दवा असरदार है:

  • बार-बार थायराइड, टॉन्सिल्स और पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन होना.
  • गोइटर.
  • दिल के बढ़ने के साथ धड़कनें तेज होना.
  • बार-बार श्वसन संबंधी समस्याएं होना, जैसे अस्थमा व लेरिन्जाइटिस.
  • चेहरे पर बार-बार मुंहासे और फोड़े होना.
  • शाम से आधी रात तक लक्षण बदतर होना और ठंडी हवा व पानी से बढ़ जाना.

2 – कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica) -थायराइड के लिए कैल्केरिया कार्बोनिका
सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ़ लाइम (Carbonate of lime)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए अधिक असरदार है, जिनका रंग गोरा है, जिनका वज़न आसानी से बढ़ जाता है और जिन्हें बहुत अधिक पसीना आता है, खासकर सिर व गर्दन पर. इससे निम्नलिखित लक्षणों में आराम मिलता है:

  • हाथ-पांव, सिर और पेट पर ठंडक महसूस होना.
  • अत्यधिक कब्ज होना, जिसमें मल को चिकित्सकीय तौर पर निकालने की आवश्यकता होती है.
  • अनियमित मासिक धर्म होना. पीरियड्स जल्दी-लेट होना, ज्यादा होना, लंबे होना या न होना.
  • हड्डियों की कमजोरी और चलने व खड़े होने में दिक्कत होना, खासकर बच्चों में.
  • अंडे खाने की इच्छा होना और दूध व मीट खाने का बिलकुल मन न करना.
  • आसानी से ठंड लगना.

3 – फुकस वेसिकुलोसस (Fucus Vesiculosus) -थायराइड के लिए फुकस वेसिकुलोसस
सामान्य नाम: सी केल्प (Sea kelp)
लक्षण: नीचे दिए लक्षणों में इस दवा से आराम मिलता है:

  • थायराइड ग्रंथि के बढ़ने के साथ आंखों की पुतलियों का बाहर निकलना.
  • मोटापा.
  • बदहजमी और पेट फूलना.
  • कब्ज होना.

4- आयोडिनम (Iodinum) -थायराइड के लिए आयोडिनम
समान्य नाम: आयोडीन (Iodine)
लक्षण: थायराइड बढ़ने के लिए आयोडिनम एक बहुत अच्छी दवा है और ये उन लोगों को सूट करती है जो पतले हैं . निम्नलिखित लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

  • उचित तरीके से खाने के बाद भी वजन कम होना.
  • अत्यधिक कमजोरी के साथ बहुत पसीना आना.
  • नब्ज बढ़ जाना, खासकर सीढ़ियां चढ़ते समय.
  • थायराइड ग्रंथि का सख्त होना व बढ़ना.
  • खाने के बाद लक्षण बेहतर होना.

5- नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum) -थायराइड के लिए नैट्रम म्यूरिएटिकम
सामान्य नाम: कॉमन साल्ट (Common salt)
लक्षण: थायराइड संबंधी समस्याओं के लिए ये एक बहुत अच्छी दवा है और ये उन लोगों को सूट करती है जो नाज़ुक हैं, ज्यादा सोचते हैं और आसानी से रो पड़ते हैं. नीचे दिए लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

  • ठीक से खाने के बाद भी वज़न कम होना. गर्दन के आसपास मांस कम होना.
  • गोइटर.
  • कब्ज होना और मल करने के बाद गुदा में चुभन वाला दर्द.
  • योनि का सूखापन और अनियमित मासिक धर्म.
  • नब्ज व धड़कन तेज होना. छाती में संकुचन महसूस होना.
  • बाल झड़ना.
  • बार-बार तेज सिरदर्द होना, जो आंखों पर जोर पड़ने से व धूप में जाने से शुरू होता है और सूरज उगने से
  • ढलने तक रहता है.
  • नमक खाने की बहुत अधिक इच्छा होना.
  • त्वचा का तैलीय होना, एनीमिया, वजन घटना और आसानी से सर्दी जुकाम हो जाना.

6- स्पोंजिया टोस्टा (Spongia Tosta) -थायराइड के लिए स्पोंजिया टोस्टा
सामान्य नाम: रोस्टेड स्पॉन्ज (Roasted sponge)
लक्षण: ये दवा खासकर बच्चों और महिलाओं को सूट करती है. ये उन लोगों पर असर करती है जिनके बाल हल्के हैं और रंग गोरा है. इससे नीचे दिए लक्षण ठीक किए जा सकते हैं:

  • गोइटर.
  • रात के समय दम घुटने की भावना होना.
  • श्वसन नली और गले का सूखापन महसूस होना.
  • गर्म पेय पदार्थ लेने पर लक्षण बेहतर होना.
  • छाती में दर्द के साथ दम घुटना और पसीना आना.
  • दिल में मौजूद वाल्व का लीक करना.
  • अचानक धड़कन तेज होने के साथ दर्द और चिंता होना, खासकर रात के समय.
  • बार-बार आवाज़ वाली व सूखी खांसी होना, खासकर मीठा व ठंडा खाने-पीने के बाद या धूम्रपान करने से.

7 – थायरियोडाईनम (Thyreoidinum) -थायराइड के लिए थायरियोडाईनम
सामान्य नाम: ड्राइड थायराइड ग्लैंड ऑफ़ दि शीप (Dried thyroid gland of the sheep)
लक्षण: थायराइड घटने पर निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:

  • थायराइड बहुत कम होना, जिससे व्यक्ति का पोषण व विकास प्रभावित होता है, खासकर उन बच्चों का जिन्हें जन्मजात हाइपोथायरॉइडिज़्म है.
  • एनीमिया, मांसपेशियों की कमजोरी, हाथ-पैर व चेहरे कांपना, नब्ज बढ़ना और धड़कन तेज होना.
  • गोइटर और मोटापा.
  • हल्का सा परिश्रम करने पर व ठंड से लक्षण बढ़ना और आराम करने से बेहतर हो जाना.
  • त्वचा के रूखेपन के साथ हाथ-पैर ठंडे होना.
  • मिठाई खाने की इच्छा होना.

होम्योपैथी में थायराइड के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव

होम्योपैथिक दवाओं का इलाज लेने वाले व्यक्ति डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही खानपान रखना चाहिए क्योंकि आपकी जरा सी गलती आपको बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं.आपको हमेशा डॉक्टर की सलाह लेकर इन दवाइयों का सेवन करना चाहिए , होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको कुछ सावधानियों की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:

होम्योपैथिक उपचार में क्या करें

  • होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, जिसके कारण इनके कार्य पर आसानी से बुरा असर पड़ सकता है. इससे बचने के लिए दवाओं को साफ-सुथरी व सूखी जगह पर रखना आवश्यक है.
  • दवाओं को सीधी धूप से दूर रखें.
  • हर मौसम में ताज़ी हवा में थोड़ी सैर करने अवश्य जाएं.
  • रोज़ाना नियमित रूप से सैर करें और थोड़ा शारीरिक परिश्रम करें ताकि आपकी मांसपेशियां मजबूत हों.
  • कुछ एक्सरसाइज से दिमाग शांत करने में भी मदद मिलती है.
  • स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें.

होम्योपैथिक उपचार में क्या करें इन चीजों से दूर रहें

ऐसे खान-पान और कॉस्मेटिक से दूर रहें, जो दवा के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे:

  • तेज गंध वाले खान-पान के पदार्थ, जैसे कॉफी, हर्बल चाय, शराब, मसाले और चॉकलेट.
  • औषधीय प्रभाव वाले टूथपेस्ट और माउथवाश.
  • परफ्यूम.
  • तेज मसालों वाला खाना और सॉस.
  • आइसक्रीम जैसे ठंडे, जमे पदार्थ.
  • खाने में और सूप में कच्ची सब्जियां और जड़ी बूटी.
  • अजवाइन, अजमोद, बासा चीज और मीट.
  • सुस्ती भरी जीवनशैली न अपनाएं, दोपहर के समय ज्यादा देर तक सोने से दवाओं के कार्य पर दुष्प्रभाव हो सकता है.
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना बहुत जरुरी है.

थायराइड के लिए कौन सा योग करना चाहिए?, थायराइड के लिए आसान योगासन (Yoga for Thyroid In Hindi)

आज लोगो के टाइम नहीं है , सब बहुत व्यस्त है और तनाव में भी. जो बीमारी का कारन बन जाता है. तनावग्रस्त जीवनशैली एक प्रमुख कारण है जिस वजह से थायराइड रोग बढ़ रहा है. योग एक आध्यात्मिक प्रकिया हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है. योग करते रहने से किसी भी प्रकार का रोग, शोक, संताप, तनाव, अनिद्रा और बीमारी पास नहीं फटकती है. थायराइड के रोग में भी योग बहुत लाभदायक है. योग आपको फिट रखता है साथ ही आपका दिमाग भी संतुलित होता है. हम आपको कुछ योगासन बता रहे है जो थायराइड को कण्ट्रोल करने में बहुत कारगर है. आप कुछ सावधानियां रखते हुए योग कर सकते है.
सावधानी : जिन्हें गंभीर थायराइड, उच्च रक्तचाप, कमर में दर्द, हर्निया, कमजोरी या फिर गर्दन व कंधे में चोट लगी है, तो उन्हें किसी प्रशिक्षक की सलाह पे और देखरेख में योग करना चाहिए.

  • नाड़ीशोधन प्राणायाम : कमर-गर्दन सीधी रखकर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी गहरी श्वास लेकर दूसरे स्वर से निकालें, फिर उसी स्वर से श्वास लेकर दूसरी नाक से छोड़ें. 10 बार यह प्रक्रिया करें.
  • ध्यान : आँखें बंद कर मन को सामान्य श्वास-प्रश्वास पर ध्यान करते हुए मन में श्वास भीतर आने पर ‘सो’ और श्वास बाहर निकालते समय ‘हम’ का विचार 5 से 10 मिनट करें.
  • मांजरासन : चौपाये की तरह होकर गर्दन, कमर ऊपर-नीचे 10 बार चलाना चाहिए.
  • ब्रह्ममुद्रा : वज्रासन में या कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ. दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ.
  • मत्स्यासन : वज्रासन या पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें.
  • शशकासन : वज्रासन में बैठकर सामने झुककर 10-15 बार श्वास -प्रश्वास करें.
  • उष्ट्रासन : घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ. 10-15 श्वास-प्रश्वास करें.
  • सर्वांगासन : पीठ के बल लेटकर हाथों की मदद से पैर उठाते हुए शरीर को काँधों पर रोकें. 10-15 श्वास-प्रश्वास करें.
  • भुजंगासन : पीठ के बल लेटकर हथेलियाँ कंधों के नीचे जमाकर नाभि तक उठाकर 10- 15 श्वास-प्रश्वास करें.
  • धनुरासन : पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़कर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 श्वास-प्रश्वास करें.
  • शवासन : पीठ के बल लेटकर, शरीर ढीला छोड़कर 10-15 श्वास-प्रश्वास लंबी-गहरी श्वास लेकर छोड़ें तथा 30 साधारण श्वास करें और आँखें बंद रखें.

थायरॉयड के दौरान जीवनशैली

  • तनाव मुक्त जीवन जीने की कोशिश करें.
  • ध्यान एवं योग का अभ्यास रोज करें.
  • ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करें.
  • तीन से चार बार भोजन अवश्य करें.
  • योगासन करें.
  • टहलें, हल्का व्यायाम करें.
  • रोज दो बार दांतों को साफ करें.
  • भोजन लेने के बाद 3-5 मिनट टहलें.
  • सूर्यादय से पहले [5:30 – 6:30 am] जाग जाएं.
  • भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे-धीरे खाएं.
  • धूप का सेवन करें.
  • उपवास करें, हफ्ते में एक बार उपवास करें.
  • रात में सही समय [9-10 PM] पर नींद लें.
  • रात में ना जागें.
  • किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागें एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करें.
  • धूम्रपान, एल्कोहल आदि नशीले पदार्थों से बचें.
  • जंक फूड एवं प्रिजरवेटिव युक्त आहार को नहीं खाएं.

थायराइड Thyroid से सम्बंधित सवाल व जवाब

सवाल – थायराइड और मोटापा , थायराइड की वजह से मोटापा बढ़ गया है सलाह दें ?
जवाब – हम आपको थायराइड की समस्या के साथ वजन कम करने के आसान व असरदार तरीके बता रहे हैं. अगर आप भी थायराइड से ग्रस्त है तो मोटापा कंट्रोल करने के लिए अपना आदतों और खान में कुछ बदलाव करें. इससे ना सिर्फ थायराइड कंट्रोल में रहेगा बल्कि आप सेहतमंद भी रहेंगे.

  • थायराइड की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस खाए.
  • खाने में उबले आलू या शकरकंद को शामिल करें. ये दोनों आपके शरीर को कम कोलेस्ट्रॉल में भी पर्याप्त पोटैशियम देते हैं, जिससे थायराइड में जल्दी आराम मिलता है.
  • खाने में मछली, अंकुरित दाल, अनाज, जूस और ड्राईफ्रूट्स को शामिल करें.
  • थायराइड में वजन घटाने के आपको खान-पान की आदतों में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत है.
  • इस बीमारी के कारण बढ़ रहे मोटापे को कम करने के लिए नियमित व्यायाम करें. सप्ताह में कम से कम पांच दिन तीस मिनट रोज व्यायाम या स्विमिंग करने से आपका मोटापा गायब हो जाएगा.
  • अपनी डाइट में फलों और पौष्टिक चीजों के साथ सलाद और उबली हुई सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें.
  • थायराइड के दौरान मोटापा बढ़ने की एक बड़ी वजह दवा लेने में अनियमितता है. ऐसे में अगर आप इस बीमारी से जूझ रहे हैं तो सबसे पहले अपनी दवा लेने का एक समय निश्चित कर लें, आप दवा लेने में भूल न करें.
  • नमक और चीनी का सेवन कम मात्रा में करें.
  • गोभी, सोयाबीन, कैफीन वाले पदार्थ, ग्लूटेन वाले आहार, फास्टफूड और मीठी चीजों से परहेज करें.
  • वजन घटाने के लिए आजकल ज्यादातर लोग ग्रीन-टी पीना पसंद करते हैं लेकिन अगर आप थायराइड से ग्रस्त हैं तो ग्रीन टी का सेवन ना करें. थायराइड के रोग में ग्रीन टी का इस्तेमाल कई बार खतरनाक हो जाता है इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले अपने चिकित्सक से जरूर सलाह लें.
  • थायराइड की परेशानी होने पर एल्कोहल का सेवन करने से भी आपका मोटापा बढ़ जाता है. इसके अलावा इससे आपका एनर्जी लेवल कम हो जाता है और रात को नींद न आना, बेचैनी और घबराहट जैसी समस्याएं हो जाती है.

सवाल – थायराइड बढ़ने पर क्या होता है? – थायराइड बढ़ने के क्या लक्षण है?
जवाब – शरीर का वजन बढ़ने लगता है और शरीर में सूजन भी आ जाती है. सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है. शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है. हर समय थकावट महसूस होना. स्मरणशक्ति कमजोर होन. सर्दी न सह नहीं पाना.मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है.

सवाल – थायराइड से क्या नुकसान होता है?
जवाब – थाइरॉइड बढ़ने के बहुत ही बुरे परिणाम हो सकते है. विशेषज्ञों के मुताबिक असंतुलित थाइरॉइड दिल की बीमारी, बांझपन, अल्जाइमर, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और यहां तक कि मौत का कारण बन सकता है. असंतुलित थाइरॉइड की वजह से होने वाला थाइरॉइड कैंसर बहुत ही आम हो चुका है. यह एंडोक्राइन ग्लैंड में होने वाला कैंसर है.

सवाल – थाइरोइड ग्लैंड क्या है?
जवाब – थायराइड ग्लैंड यह एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो कि हार्मोन का स्राव करता है. थायराइड ग्लैंड गले के आगे हिस्से में मौजूद होता है. इन हार्मोन की मदद से हमारा मेटाबोलिज्म, श्वास, हृद्य गति, शरीर का तापमान आदि नियंत्रित होता है.

सवाल – क्या थायराइड लाइलाज है? लाइलाज नहीं थाइराइड की बीमारी
जवाब -थायराइड लाइलाज नहीं है,  लेकिन आपको बहुत सावधानी रखनी होगी थायराइड को समय से जांच और दवा के साथ अच्छा खानपान के जरिये ठीक किया जा सकता है. थायराइड एक एंडोक्राइन ग्लैंड है जो गले में स्थित होती है और इससे थायराइड हार्मोन निकलता है जो मेटाबालिज्म को संतुलित रखता है. इस थायराइड ग्रंथि से कम या ज्यादा मात्रा में हार्मोन निकलने से थायराइड की समस्या हो जाती है . अच्छे खानपान से थायराइड कंट्रोल हो सकता है.

सवाल – क्या थायराइड जानलेवा है?
जवाब – अगर आप पहले से ही सचेत हो गए और थायराइड का इलाज अच्छे से शुरू कर दे तो ये कण्ट्रोल मै आ जाएगी. आप थोड़ा भी लापरवाही न करे. थायराइड एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षणों को नजरअंदाज करने देना जानलेवा भी साबित हो सकता है. इसलिए ध्यान रहे की थायराइड के लक्षण दिख जानें पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं,क्योंकि अगर एक बार थायराइड बिगड़ जाए तो यह शरीर पर बहुत बुरा असर करती है.

सवाल – थायराइड कैंसर की जांच कैसे होती है?
जवाब -थायराइड कैंसर का टेस्ट पता लगाने के लिए विभिन्न टेस्ट किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं – अल्ट्रासाउंड, स्कैन, बायोप्सी और लैरिंगोस्कोपी. इसके अलावा ब्लड में कैल्शियम, फास्फोरस और कैल्सीटोनिन की मात्रा की जांच भी होती है.

सवाल – प्रेग्‍नेंसी के दौरान थाइरॉयड लेवल कितना होना चाहिए ?
जवाब – तमाम अध्‍ययनों से यह बात सामने आई है है कि प्रेग्‍नेंसी के पहले तीन महीनों के दौरान महिला के शरीर में थाइरॉयड लेवल 0.1 ml/u से 2.5 ml/u के बीच रहना चाहिए. समय-समय पर इसकी जांच कराते रहना चाहिए.

सवाल – क्या थाइरोइड टेस्ट खाली पेट होता है?
जवाब – थायरॉयड की अनियमितता पता लगाने के लिए एक स्क्रीनिंग टैस्ट किया जाता ह. शरीर में हार्मोन के स्तर को जानने के लिए ब्लड सैंपल लिया जाता है. इसे खाली पेट या भोजन के बाद डॉक्टर के निर्देशानुसार करवाया जा सकता है. हमारी गर्दन में थायरॉयड नाम की ग्रंथि होती है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित कर थायरॉयड हार्मोंस स्त्रावित करती है.

सवाल – क्या खाने से थायराइड बढ़ता है?
जवाब – अपने आहार में आयोडीन वाला खाना, कैफीन , रेड मीट,वनस्पति घी, आदि खाद्य पदार्थो का सेवन ना करे. मैदा से बने प्रोडक्ट जैसे पास्ता, मैगी, व्हाइट ब्रेड, सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल, कैफीन, रेड मीट, ज्यादा मीठी चीजें जैसे मिठाई, चॉकलेटका सेवन ना करे.सोयाबीन और सोया प्रोडक्ट रेड मीट, पैकेज्ड फूड, ज्यादा क्रीम वाले प्रोडक्ट जैसे केक, पेस्ट्री, स्वीट पोटैटो, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, मूंगफली, बाजरा आदि, फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, शलगम आदि.

सवाल – T3 T4 TSH परीक्षण क्या है?
जवाब – हमारी बॉडी में बहुत-से एंडोक्राइन ग्लैंड्स (अंत: स्रावी ग्रंथियां) होते हैं, जिनका काम हॉर्मोन्स बनाना होता है. इनमें से थायरॉइड भी एक है, जो कि गर्दन के बीच वाले हिस्से में होता है. थायरॉइड से दो तरह के हॉर्मोन्स निकलते हैं : T3 और T4, जो हमारी बॉडी के मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करते हैं. T3 10 से 30 माइक्रोग्राम और T4 60 से 90 माइक्रोग्राम निकलता रहता है. एक तंदुरुस्त आदमी के शरीर में थायरॉइड इन दोनों हॉर्मोन्स को सही मात्रा में बनाता है, जबकि गड़बड़ी होने पर ये बढ़ या घट जाते हैं. थॉयराइड डिस्ऑर्डर के कारण महिलाओं में बांझपन और पीरियड्स के अनियमित होने की प्रॉब्लम हो जाती है. शरीर में इन दोनों के लेवल को TSH हॉर्मोन कंट्रोल करता है. THS (Thyroid Stimulating Harmone) पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलने वाला एक हॉर्मोन है.
क्या है थायरॉइड डिस्ऑर्डर – थायरॉइड ग्लैंड से निकलने वाले T3 और T4 हॉर्मोन्स का कम या ज्यादा होना थायरॉइड डिस्ऑर्डर कहलाता है.
कैसे पता चलता है – किसी को थायरॉइड डिस्ऑर्डर है या नहीं, इसके लिए यह चेक किया जाता है कि बॉडी में T3, T4 और TSH लेवल नॉर्मल है या नहीं. पहले लक्षणों और फिर जांच (थायरॉइड प्रोफाइल टेस्ट) से इसका पता चलता है. थायरॉइड डिस्ऑर्डर में पहले TSH चेक किया जाता है और अगर उसमें कोई घट-बढ़ पाई जाती है तो फिर T3 और T4 टेस्ट किया जाता है.

सवाल – थायराइड की दवा कब लेनी चाहिए?
जवाब – थाइरॉयड की दवा सुबह लेनी है या दिन में अथवा रात में ये सलाह आपका डॉक्टर आपको देंगे. वो जो भी टाइम बताये आप उसी के अनुसार दवा ले, और डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन करे.

सवाल – थायराइड को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें? क्या थायराइड जड़ से खत्म हो सकता है?
जवाब – डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन करे. सबसे पहले तो आप खान पान सही करें. रेगुलर चेक अप कराते रहे. दवाओं का सेवन सही टाइम पे करें. पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ जैसे हरी सब्जियां, फल या फलों के जूस व नट्स का सेवन करें.अपने आहार में आयोडीन वाला खाना, कैफीन , रेड मीट,वनस्पति घी, आदि खाद्य पदार्थो का सेवन ना करे.

सवाल – थायराइड कैसे कम करें? – थायराइड कम करने के लिए क्या करें?
जवाब – थायराइड बहुत ही जटिल बीमारी है. आपको डॉक्टर के सुझाव नियमानुसार करने चाहिए. थायराइड में वजन कम करने के लिए रोजाना हेल्दी भोजन लें. अपने भोजन में सब्जियां और फल को शामिल करें. इसके अलावा वसायुक्त डेयरी उत्पादों और प्रोटीन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें. इस बीमारी के कारण बढ़ रहें मोटापे को कम करने के लिए नियमित योग और व्यायाम करे.

सवाल – महिलाओं में थायराइड क्या है?
जवाब – हमारे गले में अखरोट के आकार की थायरॉइड ग्रंथि होती है जो दो तरह के थायरॉइड हार्मोन टी3 और टी4 बनाती है. यह शरीर की सबसे जरूरी ग्रंथि है जो कई चीजों को नियंत्रित करती है जैसे नींद, पाचन तंत्र, मेटाबॉलिज्म, लिवर की कार्यप्रणाली और शरीर का तापमान आदि. आप थायरॉइड ग्रंथि को शरीर का सेंट्रल कंट्रोलर मान सकते हैं. वैश्विक स्‍तर पर पुरुषों से ज्‍यादा महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्‍त होती हैं. 0.5% पुरुषों की तुलना में 5% महिलाएं थायराइड का शिकार होती हैं.

सवाल – थायरॉइड की समस्या तेजी से क्यों बढ़ रही है?
जवाब – इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है मिट्टी में आयोडीन तत्व न के बराबर होना है. इसलिए सब्जियों, फलों में बहुत कम पाया जाता है. इसलिए शरीर में असंतुलन तेजी से बढ़ा है. यह समस्या 15—20 साल पहले उतनी नहीं थी. इसका विकल्प आयोडाइज्ड नमक है.

सवाल – थायरॉइड का खानपान से क्या संबंध है?
जवाब – आयोडीन की कमी या अधिकता इसका प्रमुख कारण है. 100-150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत पड़ती है. इसके लिए दस ग्राम नमक नियमित लेना चाहिए. पत्ता गोभी में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो थायरॉइड के सुचारु कार्य करने में बाधा उत्पन्न करते हैं. खाानपान सही करें. अपनी डाइट चार्ट में ऐसे खाद्य-पदार्थों को शामिल कीजिए जिसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा हो. क्‍योंकि आयोडीन की मात्रा थायराइड फंक्‍शन को प्रभावित करती है. समुद्री जीवों में सबसे ज्‍यादा आयोडीन पाया जाता है. समुद्री शैवाल, समुद्र की सब्जियों और मछलियों में आयोडीन की भरपूर मात्रा होती है. कॉपर और आयरन युक्‍त आहार के सेवन करने से भी डायराइड फंक्‍शन में बढ़ोतरी होती है. काजू, बादाम और सूरजमुखी के बीज में कॉपर की मात्रा होती है.

सवाल – क्या थायराइड में सेंधा नमक लेना जरूरी है?
जवाब – नहीं, क्योंकि आयोडीन की पूर्ति के लिए यह ठीक नहीं होता है. इसलिए मरीजों को इसे लेने से बचना चाहिए.

सवाल – थायराइड में मरीजों के शरीर में सूजन क्यों आ जाती है?
जवाब – हार्मोन की कमी से कोशिकाओं में पानी ज्यादा जमा होने लगता है. दवा से वजन कम होता है पर शरीर थुलथुला हो जाता है.

सवाल – थायराइड में सूजन कैसे कम करें?
जवाबनारियल का तेल– खाना बनाने में नारियल का तेल प्रयोग करें. नारियल के तेल में मौजूद फैटी एसिड होता है जो थायराइड के खतरे को टालता है.
नारियल तेल और दूध– थायराइड को सही करने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट एक ग्लास दूध में एक चम्मच नारियल का तेल मिलाकर सेवन करें.
हरी-पत्तेदार सब्जियां– थायराइड में आयरन मददगार होता है. अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा हरी-पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए.
लौकी का जूस- रोज सुबह खाली पेट एक ग्लास लौकी का जूस पीना चाहिए. यह थायराइड को ठीक करने में मदद करता है.
अखरोट और बादाम- थायराइड के कारण गले में होने वाली सूजन से बादाम और अखरोट से आराम मिलता है.अखरोट और बादाम थायराइड के हॉरमोंस को बनने से रोकता है.

सवाल – प्रेग्नेंसी में थायरॉइड का बच्चे पर क्या असर होता है?
जवाब – थायरॉइड ग्रंथि आयोडीन से बनती है. इससे टी-३, टी-4 हार्मोन निकलते हैं जो दिमाग के विकास के लिए जरूरी हैं. शुरुआती तीन माह मां का थायरॉक्सिन बच्चों को जाता है. इसके बाद बच्चे की थायराइड ग्लैंड विकसित हो जाती है जो स्वत: काम करती है. कई बार ग्लैंड विकसित न होने से मां का टी-3, टी-4 हार्मोन काम करता है. ऐसे बच्चे कंजेनाइटिल हाइपो थायरॉइड से ग्रस्त होतेे हैं.

सवाल – थायरॉइड के मरीजों में थकान औरचिड़चिड़ापन क्यों रहता है?
जवाब – मरीज के मस्तिष्क और शरीर को जरूरी पोषकतत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते हैं. इससे उनमें चिड़चिड़ापन, याद्दाश्त में कमी जैसी दिक्कतें होती हैं. हार्मोन के असंतुलन से हृदय संबंधी बीमारियां भी होती हैं.

सवाल – कैसे जानें कि नवजात में थायरॉइड की समस्या है?
जवाब – पैदा होने के छह हफ्ते के अंदर जांच कराएं. कंजेनाइटिल थायरॉइड की जांच करानी चाहिए. बीमारी का समय से इलाज नहीं होने से मानसिक दिक्कत हो सकती है. इससे अनिद्रा, कोलेस्ट्रॉल, अवसाद, मधुमेह, अस्थमा, और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है. इसके अलावा ऑटो इम्यून डिजीज की आशंका भी बढ़ती है.

सवाल – क्या थायराइड का बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ता है?
जवाब – जब कोई महिला गर्भवती होती है तो बच्चे को थायरॉइड डिसऑर्डर न हो इसके लिए मां को आयोडीनयुक्त नमक देते हैं. यदि शिशु को थायरॉइड डिसऑर्डर है तो टीएसएच के स्तर के अनुसार दवाओं की खुराक तय करते हैं. उचित मात्रा में दवा देने से बच्चा स्वस्थ रहता है लेकिन सही खुराक न मिलने से शारीरिक व मानसिक विकास में दिक्कतें आती हैं.

सवाल – थायरॉइड होने पर क्या यह पूरी तरह ठीक नहीं होता है?
जवाब – 99 प्रतिशत मामलों में यह सही नहीं होता है. जेस्टेशनल (गर्भावस्था के समय) थायरॉइड की समस्या के सही होने की संभावना ज्यादा होती है. इसके लिए समय से दवा, पौष्टिक व संतुलित खानपान और नियमित दिनचर्या जरूरी है.

सवाल – थायराइड से क्या परेशानी होती है?
जवाब -हाइपोथायराइडिज्म थायराइड के मरीज में वजन घटना, गर्मी न झेल पाना, ठीक से नींद न आना, प्यास लगना, अत्यधिक पसीना आना, हाथ कांपना, दिल तेजी से धड़कना, कमजोरी, चिंता, और अनिद्रा शामिल हैं और हाइपोथायरायडिज्म थायराइड के मरीज में सुस्ती, थकान, कब्ज, धीमी हृदय गति, ठंड, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन, अनियमित मासिकचक्र और इन्फर्टिलिटी के लक्षण दिखाई देते हैं.

सवाल – थायराइड ग्रंथि कौन सा हार्मोन बनाती है? – थायराइड से निकलने वाला हार्मोन कौन सा है?
जवाब -थायराइड ग्रंथि का हमारे शरीर के लगभग हर हिस्से पे कोई ना कोई असर होता है. थायराइड ग्रंथि अथवा ग्लैंड गले में सांस नली के ऊपर और स्वर यंत्र के नीचे एक तितली के आकार की एंडोक्राइन ग्रंथि है. यह ग्रंथि टी 3 और टी 4 नामक हार्मोन बनाती है. थायराइड हार्मोन का असर शरीर के लगभग हर भाग पर पड़ता है. यह ग्रंथि शरीर के तापमान का नियंत्रण करती है और शरीर के मेटाबॉलिज्म की एक प्रमुख नियंत्रक है.

सवाल – थायरॉइड महिला मरीज है तो प्रेग्रेंसी में क्या दिक्कतें आती हैं?
जवाब – थायरॉइड की महिला मरीजों में हार्मोन असंतुलन से गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है. यदि किसी तरह से कंसीव हो भी गया तो ऐसे मामलों में स्वत: गर्भपात या शिशु में शारीरिक, मानसिक विकृति की आशंका रहती है.

सवाल – टीएसएच टेस्ट टेस्ट क्या होता है? – टश टेस्ट क्या होता है? , थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट
जवाब – जिन लोगों को लगता है कि उनका वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ा हुआ है, उन्हें समय-समय पर थायराइड टेस्ट करवाते रहना चाहिए. यदि किसी को बिना किसी कारण के थकान होती है, कमजोरी लगती है, आलस्य आता है, हाथ-पैर में सूजन है, भूख ज्यादा लगती है तो भी थायराइड हो सकता है.  वयस्कों में इसका सामान्य स्तर 0.4 से 5 मिली इंटरनेशनल यूनिट्स प्रति लीटर (mIU/L) होता है. यदि खून में टीएसएच का स्तर ज्यादा है तो अंडरएक्टिव थायराइड हो सकता है. प्रेग्नेंसी के दौरान टीएसएच बढ़ा हुआ हो सकता है. यदि मरीज स्टेरॉयड, डोपामाइन, या ओपिओइड दर्द निवारक (जैसे मॉर्फिन ) दवाओं का सेवन कर रहा है तो जांच में टीएसएच का सामान्य से कम स्तर आ सकता है. टीएसएच का कम स्तर ऑवरएक्टिव थायराइड का संकेत देता है. यदि टेस्ट में टीएसएच का सामान्य से कम स्तर आता है तो इसका अर्थ है कि शरीर में आयोडीन बहुत अधिक बढ़ गया है. मरीज थायराइड हार्मोन की दवाओं का जरूरत से अधिक सेवन कर रहा है.

सवाल – थायरॉइड के मरीज त्वचा पर झुर्रियां क्यों आतीं?
जवाब – स्किन पर असर होता है क्योंकि यह थायरॉइड हार्मोन को नियंत्रित करते हैं. इसके टीएसएच के बढऩे से ब्लड शुगर की दिक्कत हो सकती है. जिसका त्वचा पर असर पड़ता है. थायराइड ग्रंथि से स्रावित होने वाले हार्मोन टी-3 व टी-4 मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के साथ वजन को भी नियंत्रित करते हैं. यह शरीर में ऊर्जा स्तर, आंतरिक शरीर का तापमान, बाल आदि का विकास भी नियंत्रित करते हैं.

थायराइड फंक्शन टेस्ट – भारत में थायराइड फंक्शन टेस्ट/थाइरोइड टेस्ट की कीमत- ₹ 300 to ₹ 500

थायराइड के लिए पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां 

जब शरीर में वात एवं कफ दोष हो जाता है तब व्यक्ति को थायरॉइड की तकलीफ होती है. थायराइड का इलाज करने के लिये आयुर्वेदिक तरीकों को भी आजमाया जा सकता हैं. आयुर्वेदीय उपचार वात और कफ दोषों को सन्तुलित करने में सहयोगी है. अच्छी बात तो यह है कि पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां थायरॉइड के लिए भी उप्लभ्ध है और अच्छी क्वालिटी की दवाओं की वजह से पतंजलि सबका प्रिय आयुर्वेदिक ब्रांड है. हम आपको पतंजलि की दवाओं लिस्ट शेयर कर रहे है और कैसे प्रयोग की जाती है ये जानकारी भी दी है.

1- निम्नलिखित दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पियें.
दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 200 ग्राम ( MRP: Rs 25 for 100 GM )
दिव्य मुलेठी क्वाथ – 100 ग्राम ( MRP: Rs 30 for 100 GM )

2 – निम्नलिखित सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं. प्रात: नाश्ते एवं रात्रि को भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/ मलाई से सेवन करें.
दिव्य त्रिकटु चूर्ण – 50 ग्राम ( MRP: Rs 33 for 25 GM )
दिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्राम ( MRP: Rs 56 for 25 GM )
दिव्य गोदन्ती भस्म 10 ग्राम ( MRP: Rs 10 for 10 GM )
दिव्य बहेड़ा चूर्ण – 20 ग्राम ( MRP: Rs 14 for 25 GM )
दिव्य शिलासिन्दूर – 2 ग्राम ( MRP: Rs 23 for 1 GM )
दिव्य ताम्र भस्म – 1 ग्राम ( MRP: Rs 25 for 1 GM )
दिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्राम ( MRP: Rs 60 for 2 GM )

3- तीनों में से 1-1 गोली दिन में तीन बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद सुखोष्ण (गुनगुने) जल से सेवन करें.
दिव्य कांचनार गुग्गुलु –60 ग्राम ( MRP: Rs 33 for 20 GM , Number of Tablets- 40, 500MG )
दिव्य वृद्धिवाधिका वटी – 40 ग्राम ( MRP: Rs 37 for 20GM , No Of Tablets- 80 Tab, 250MG )
दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी– 40 ग्राम ( MRP: Rs 89 for 40GM ,No Of Tablets- 160 Tab 250MG)

Disclaimer – हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसके उपभोक्ताओं को विशेषज्ञ-समीक्षा, सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले. हालांकि, इसमें दी गई जानकारी को एक योग्य चिकित्सक की सलाह के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है यह सभी संभावित दुष्प्रभावों, दवा बातचीत या चेतावनी या अलर्ट को कवर नहीं कर सकता है. कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी या दवा से संबंधित अपने सभी प्रश्नों पर चर्चा करें. हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है.

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