Heart Attack Ke Lakshan Karan Upchar ilaj Dawa in Hindi dil ka daura

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परिचय – हार्ट अटैक और व्यायाम, Heart Attack Vyayam

हार्ट अटैक प्रकार, कारण, लक्षण, परहेज़ और बचाव – दिल का दौरा (हृदयाघात) तब पड़ता है जब हृदय तक जाने वाले ऑक्सीजन युक्त खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। यह वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों के कारण होता है जो हृदय तक खून पहुँचाने वाली धमनियों (कोरोनरी धमनियों) में प्लेक (Plaque; एक चिपचिपा जमाव) बनाकर उन्हें अवरुद्ध करते हैं। बाधित रक्त प्रवाह के कारण हृदय को ऑक्सीजन नहीं मिलता है और यदि हृदय को ऑक्सीजन जल्दी ना मिले तो हृदय की मांसपेशियां नष्ट हो जाती हैं।
भारत में हर 33 सेकंड्‌स में एक व्यक्ति की मृत्यु दिल के दौरे के कारण होती है। भारत में 1 साल में दिल के दौरे के लगभग 20 लाख मामले होते हैं।

दिल का दौरा के प्रकार, Types of Heart Attack in Hindi

दिल के दौरे 3 प्रकार के होते हैं:

  • एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इन्फार्कशन (स्टेमी) (ST Segment Elevation Myocardial Infarction (STEMI)): स्टेमी (STEMI) से छाती के बीच में दर्द होता है। इसमें तीव्र दर्द नहीं होता है बल्कि दबाव और जकड़न महसूस होती है। कुछ लोगों को बाहों, गले, जबड़े और पीठ में भी दबाव और जकड़न महसूस होती है।
  • नोन-एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इन्फार्कशन (एनस्टेमी) (Non-ST Segment Elevation Myocardial Infarction (NSTEMI)): एनस्टेमी (NSTEMI) में कोरोनेरी धमनियां आंशिक रूप से अवरुद्ध होती हैं। एनस्टेमी (NSTEMI) से एलेक्ट्रोकार्डिओग्राम (Electrocardiogram) में एसटी (ST) सेगमेंट में कोई बदलाव नहीं आता है।
  • अस्थिर एनजाइना या कोरोनेरी ऐंठन: इसके लक्षण स्टेमी (STEMI) के समान होते हैं लेकिन इसे ज्यादातर अपच या मांसपेशियों में दर्द समझ कर नज़रअंदाज़ किया जाता है। जब हृदय की धमनियां संकुचित हो जाती हैं तो हृदय तक जाने वाले रक्त का प्रवाह रुक जाता है या कम हो जाता है। अस्थिर एनजाइना का निदान केवल इमेजिंग (Imaging) या रक्त की जाँच से पता चलता है। कोरोनेरी ऐंठन से कोई खतरनाक हानि नहीं होता है लेकिन इससे दिल का दौरा फिर से पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है।

लक्षण – हार्ट अटैक के लक्षण,  Heart Attack Symptoms in Hindi

दिल का दौरा पड़ने से जुड़े जरूरी लक्षणों को जानें , दिल का दौरा पड़ने के लक्षण इस प्रकार हैं

  • छाती या बाहों पर दबाव, जकड़न या दर्द महसूस होना जो आपके गले, जबड़े और पीठ तक फैल सकता है।
  • मतली, अपच, सीने में जलन, पेट में दर्द होना।
  • सांस लेने में कठिनाई होना।
  • “कोल्ड स्वेट” आना (भय, चिंता, या बीमारी के कारण पसीना आना)।
  • थकान।
  • चक्कर आना।

दिल के दौरे के लक्षण सभी लोगों के लिए सामान्य नहीं होते हैं। सीने में दर्द हमेशा तीव्र होता है लेकिन कुछ लोगों को बहुत कम दर्द भी महसूस हो सकता है जैसा अपच में महसूस होता है। कुछ लोगों (खासकर महिलाओं, बुज़ुर्गों और मधुमेह से पीड़ित) को दर्द ही नहीं होता है।

कारण – हार्ट अटैक के कारण,  Heart Attack Causes in Hindi

  • जब आपकी एक या एक से अधिक कोरोनरी धमनी अवरुद्ध हो जाए तो दिल का दौरा पड़ता है। कोलेस्ट्रॉल और कई अन्य पदार्थों के संचय के कारण कोरोनरी धमनी संकुचित हो सकती है। इस अवस्था को कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease) कहते हैं और अधिकांश दिल के दौरे इसी कारण होते हैं।
  • दिल के दौरे के दौरान, प्लेक (Plaque; एक चिपचिपा जमाव) फट सकता है और, कोलेस्ट्रॉल और कई अन्य पदार्थ रक्तधारा में फैल सकते हैं। जहाँ प्लेक (Plaque; एक चिपचिपा जमाव) फटता है वहाँ खून का थक्का बन जाता है। अगर यह थक्का बड़ा हो तो इसके कारण रक्त प्रवाह पूरी तरह अवरुद्ध हो सकता है।
  • दिल का दौरा पड़ने का एक ओर कारण है कोरोनेरी धमनी की ऐंठन जिसके कारण हृदय की मांसपेशियों तक जाने वाला रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। तंबाकू और गैरकानूनी नशीले पदार्थों जैसे कोकेन से जानलेवा ऐंठन पैदा हो सकती है। दिल की धमनी के फटने (स्पोंटेनियस कोरोनेरी आर्टरी डाइसेक्शन; Spontaneous Coronary Artery Dissection) के कारण भी दिल का दौरा पड़ सकता है।

बचाव – दिल का दौरा से बचाव,  Prevention of Heart Attack in Hindi

दिल के दौरे का खतरा कम करने के लिए:

  • दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम करने के लिए और अपने क्षतिग्रस्त दिल के कार्य को बेहतर करने के लिए डॉक्टर द्वारा सलाहित दवाइयों का उपयोग करें और अपने चिकित्सक से सलाह लेते रहें।
  • स्वस्थ आहार के साथ-साथ स्वस्थ वज़न बनाए रखें, धूम्रपान ना करें, रोज़ व्यायाम करें, ज़्यादा तनाव ना लें और हाई बीपी, रक्त में कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर और मधुमेह जैसी समस्याओं का नियंत्रण करें।
  • यदि आपको मधुमेह हो तो उसके लिए सलाहित दवाइयों का उपयोग करें और अपने रक्त के शुगर के स्तर की जाँच कराते रहें। यदि आपको कोई हृदय रोग हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और डॉक्टर द्वारा सलाहित दवाओं का उपयोग करें।

परीक्षण – दिल का दौरा पड़ने पर परीक्षण – Diagnosis of Heart Attack

नियमित शारीरिक जाँच के दौरान आपका डॉक्टर ऐसे जोखिम वाले कारकों की जाँच करेगा जिनके कारण दिल का दौरा पड़ सकता है।
दिल के दौरे की जाँच के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:

  • एलेक्ट्रोकार्डिओग्राम (ईसीजी) (Electrocardiogram (ECG)): दिल का दौरे का निदान करने के लिए सबसे पहले ईसीजी (ECG) किया जाता है। यह टेस्ट दिल की विद्युतीय (एलेक्ट्रिकल) गतिविधियों की जाँच करता है। क्षतिग्रस्त दिल की विद्युतीय (एलेक्ट्रिकल) गतिविधियां सामान्य नहीं होती हैं इसलिए ईसीजी (ECG) से पता चल जाता है कि दिल का दौरा पहले कभी पड़ा है या भविष्य में पड़ने वाला है।
  • रक्त की जाँच: जब दिल का दौरा पड़ता है तो कई एंजाइम रक्त में फैल जाते हैं। यह जानने के लिए की यह एंजाइम रक्त में है या नहीं, आपका डॉक्टर आपके रक्त की जाँच करवा सकता है।

इलाज – हार्ट अटैक का इलाज, Heart Attack Treatment in Hindi

दिल के दौरे का उपचार आपको हुए दिल के दौरे के प्रकार पर निर्भर करेगा।

  • एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इन्फार्कशन (स्टेमी) (ST Segment Elevation Myocardial Infarction (STEMI)) दिल के दौरे का सबसे गंभीर प्रकार होता है और इसमें आपातकालीन उपचार की आवश्यकता होती है ताकि दिल के दौरे के कारण होने वाले हानि को कम किया जा सके।
  • यदि आपको हो रहे लक्षण दिल के दौरे के हों और आपके एलेक्ट्रोकार्डिओग्राम (ईसीजी) (Electrocardiogram (ECG)) के परिणाम से प्रमाणित हो जाए की आपको स्टेमी (STEMI) है तो आपकी कोरोनरी धमनियों को खोलने के लिए उपचार किया जाएगा।

दिल के दौरे का उपचार इस प्रकार किया जाता है:

  • यदि आपको लक्षण पिछले 12 घंटो से महसूस हो रहे हों तो आपका उपचार प्राइमरी परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (पीसीआइ) (Primary Percutaneous Coronary Intervention (PCI)) से किया जाएगा।
  • यदि आपको लक्षण पिछले 12 घंटो से महसूस हो रहे हों लेकिन आपको जल्द से जल्द पीसीआइ (PCI) देना संभव ना हो तो आपको खून के थक्कों का विश्लेषण करने के लिए दवाई दी जाएगी।
  • यदि आपको लक्षण पिछले 12 घंटो से ज़्यादा समय से महसूस हो रहे हों तो आपको दिया जाने वाला उपचार एंजिओग्राम (Angiogram) के बाद तय होगा। आपको पीसीआई (PCI) या दवाई दी जा सकती है या आपकी बायपास सर्जरी की जा सकती है।

दिल के दौरे के उपचार के लिए कुछ शल्य प्रक्रिया इस प्रकार हैं

  • एंजिओप्लास्टी (Angioplasty): बैलून का इस्तेमाल करके या अवरद्ध करने वाले पदार्थ को हटाकर अवरुद्ध धमनी को खोला जाता है।
  • स्टेंट डालना: एंजिओप्लास्टी (Angioplasty) के बाद धमनी को खुला रखने के लिए एक प्रकार का ट्यूब (स्टेंट) अवरुद्ध भाग में डाला जाता है।
  • बायपास सर्जरी: हृदय के अवरुद्ध भाग में रक्त के प्रवाह की आपूर्ति कराने के लिए सर्जरी।
  • हार्ट वाल्व सर्जरी: जिस वाल्व में रिसाव हो रहा हो उस वाल्व को बदलने के लिए सर्जरी।
  • पेसमेकर सर्जरी: हृदय की असामान्य लय का एक पेसमेकर की मदद से नियंत्रण किया जाता है।
  • हृदय प्रत्यारोपण: यह गंभीर स्तिथियों में किया जाता है जब दिल के दौरे के कारण हृदय की ऊतकें पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं।

दिल के दौरे के उपचार के लिए दवाइयाँ

दिल के दौरे के उपचार के लिए आपको निम्नलिखित दवाइयाँ दी जा सकती हैं

  • एस्पिरिन (Aspirin) या अन्य एंटीप्लेटलेट (Antiplatelet) दवाइयाँ।
  • रक्त के थक्कों के विश्लेषण के लिए दवाइयाँ।
  • एंटीकोअग्युलेंट्स (Anticoagulants; खून को पतला करने वाले पदार्थ) जैसे हेपारिन (Heparin) (ऐसी बहुत अन्य दवाइयाँ उपलब्ध हैं)
  • दर्द निवारक।
  • नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerin) जैसे नाइट्रो (Nitro) (ऐसी बहुत अन्य दवाइयाँ उपलब्ध हैं)
  • उच्च रक्तचाप के लिए दवाइयाँ।

यहां दी गई दवाइयां केवल आपकी जानकारी के लिए अत: इन दवाइयों को लेने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य पूँछे।

जरूरी बातें-

उपचार के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है
आपको 5-7 दिनों के लिए अस्पताल में रहना पड़ सकता है। आपके नियमित गतिविधियों को पूरी तरह से फिर से शुरू करने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं।
भारत में इलाज की कीमत क्या है
बाईपास सर्जरी की लागत ₹ 150000- ₹ 400000 तक होती है। कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग की लागत ₹ 100000- ₹ 300000 हो सकती है।
उपचार के परिणाम स्थायी हैं
उचित देखभाल की जाने पर उपचार के परिणाम स्थायी हैं।
उपचार के विकल्प क्या हैं
इलाज के लिए कोई विकल्प नहीं हैं।

दिल का दौरा के जोखिम और जटिलताएं , Heart Attack Risks & Complications 

निम्नलिखित लोगों को दिल का दौरा आसानी पड़ सकता है:

  • उम्र: 45 से ज़्यादा उम्र के पुरुषों और 55 से ज़्यादा उम्र की महिलाओं को दिल का दौरा आसानी से पड़ सकता है।
  • तंबाकू: धूम्रपान करने से या जो लोग धूम्रपान करते हैं उनके आसपास रहने से दिल का दौरा आसानी से पड़ सकता है।
  • उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप से धमनियों को हानि पहुँचता है। जब उच्च रक्तचाप मोटापे, धूम्रपान, उच्च कोलेस्ट्रॉल या शुगर के कारण होता है तो यह जोखिम ओर भी बढ़ जाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के उच्च स्तर: एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से धमनियां संकुचित हो जाती हैं। ट्राइग्लिसराइड के उच्च स्तर से दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ सकता है।
  • मधुमेह: जब शरीर पर्याप्त इन्सुलिन (Insulin) का उत्पादन नहीं करता है तो शरीर में शुगर के स्तर बढ़ जाते हैं। अनियंत्रित मधुमेह से दिल के दौरे का जोखिम बढ़ जाता है।
  • दिल के दौरे की पारिवारिक समस्या: यदि आपके परिवार के लोगों (पुरुषों को 55 से पहले या महिलाओं को 65 से पहले) को दिल का दौरा पड़ा हो तो आपको दिल का दौरा आसानी से पड़ सकता है।
  • शारीरिक व्यायाम की कमी: शारीरिक व्यायाम की कमी से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है और मोटापा भी होता है जिससे दिल के दौरे का जोखिम बढ़ता है।
  • मोटापा: अपने शरीर का 10 प्रतिशत वज़न घटाने से ही आप दिल का दौरा पड़ने के जोखिम को कम कर सकते हैं।
  • तनाव: तनाव से दिल का दौरा पड़ने के जोखिम बढ़ सकते हैं।
  • नशीले पदार्थों का उपयोग: ऐसे नशीले पदार्थ जो आपके तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं या कोकेन से आपकी कोरोनेरी धमनियों में ऐंठन हो सकती है जिससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ सकता है।
  • प्रीएक्लम्पसिया (Preeclampsia) की पारिवारिक समस्या: गर्भावस्था के दौरान प्रीएक्लम्पसिया.(Preeclampsia) होने से उच्च रक्तचाप हो जाता है जिससे दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है।
  • ऐसे बीमारी जिसमे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं को नुक्सान पहुँचाती है जैसे रूमटॉइड आर्थराइटिस या लुपस से दिल का दौरा पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है।

दिल का दौरा में परहेज़ 

दिल के दौरे से पीड़ित लोगों को निम्नलिखित परहेज़ करने चाहिए।

  • दिल के दौरे के बाद 2-3 हफ़्तों तक यौन-संबंध ना बनाए।
  • धूम्रपान दिल के दौरे का प्रमुख कारण है इसलिए धूम्रपान ना करें।
  • तली हुई सब्ज़ियां या मांस ना खाएं। भोजन में ऑयल, डाल्डा या घी का सेवन काम करें।
  • सॉफ्ट ड्रिंक (शीतल पेय) या अन्य पेय जिनमें चीनी हो, उन्हें ना पीयें।
  • ज़्यादा नमक वाला भोजन ना खाएं।
  • सफ़ेद चावल ना खाएं।
  • तनाव व चिंता ना करें , रोजाना कम से कम 8 घण्टे की नींद लें।
  • धूम्रपान ना करें
  • शक्कर अथवा मीठा कम खाएं। मीठा सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बहुत बढ़ सकता है। इससे रक्त के थक्के बन सकते हैं, या रक्त गाढ़ा हो सकता है। यह शरीर के लिए घातक साबित होता है।

दिल का दौरा में क्या खाना चाहिए,   What to eat during Heart Attack

दिल के दौरे से पीड़ित लोगों को निम्नलिखित चीज़े खानी चाहिए:

  • ताज़ी सब्ज़ियाँ (जैसे ब्रोकोली, पालक आदि)
  • खट्टे और ताज़े फल (जैसे संतरे, अनार, अंगूर आदि)
  • गेहूं का आटा
  • दलिया
  • जैतून का तेल, सब्ज़ियों का तेल, कनोला का तेल
  • मछली
  • जामुन, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी आदि
  • सोयाबीन के उत्पाद (जैसे सोया मिल्क या टोफू)
  • बादाम, अखरोट, पिस्ता, मूंगफली आदि
  • ग्रीन टी
  • कॉफ़ी

आकस्मिक  दिल का दौरा पड़ने पर

हार्ट अटैक आने पर आकस्मिक ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है, यह एक इमरजेंसी स्थिति होती है. ऐसे में अगर आपके साथ कोई हार्ट पेशेंट है तो घबराने के बजाए उसका उपचार करना चाहिए. हार्ट अटैक के लक्षण देखते ही सावधान हो जाएं और उपचार करें. यदि व्यक्ति को 15 मिनट में किसी तरह का उपचार मिल जाता है तो स्थिति चिंताजनक होने से बच सकती है और मरीज की जान बचायी जा सकती है.

दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें

लक्षणों को पहचानें
हार्टअटैक के लक्षणों को पहचानें, इससे आपको किसी प्रकार का भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी. इसके प्रमुख लक्षणों में सीने में जकड़न और बेचैनी, सांसों का तेजी से चलना, कंधों और जबड़ों की तरफ फैलता दर्द, चक्कर के साथ पसीना आना, नब्ज कमजोर पड़ना और मतली आना आदि शामिल हैं.
मरीज को लिटायें
हार्टअटैक आने पर मरीज को सबसे पहले आरामदायक स्थिति में लिटाएं और उसे एस्प्रीन की टेबलेट चूसने को दें. एस्प्रीन चूसने से हार्टअटैक में मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है. क्‍योंकि यह दवा ब्लड क्लॉट बनने को रोकती है है और नसों और मांसपेशियों में खून नहीं जमता है. इसलिए अपने पास एस्पिरिन की टेबलेट को जरुर रखें.
इमरजेंसी फोन करें
मरीज को लिटाने और एस्पिरिन की टेबलेट देने के फ़ौरन बाद इमरजेंसी नंबर पर फोन करें, एंबुलेंस को फोन कर स्थिति के बारे में अवगत कराकर तुंरत बुलाएं.
सीने को दबायें
हार्ट अटैक में धड़कने बंद हो सकती हैं. दौरा यदि अचानक हो और कार्डियो पल्मोनेरी के लक्षण हो जहां दिल की धड़कन बंद होने लगती है तो सीने को दबाकर सांस चालू करने की कोशिश करें. यह बहुत आसान है और इससे धड़कने फिर से शुरू हो जाती हैं. इसे सीपीआर तकनीक कहते हैं.
सीपीआर कैसे दें
इससे दिल की बंद हुई धड़कने शुरू हो जाती हैं. इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटायें, अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच रखें. हाथ को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए. प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक ऐसा करते रहे जब तक दूसरी तरह की सहायता नहीं मिल जाती है.
कृत्रिम सांस दीजिए
मरीज को शीघ्र ही कृत्रिम श्वांस देने की व्यवस्था कीजिए. मरीज का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़ कर ऊपर उठा दें. इससे सांस की नली का ब्लॉकेज कम हो जाता है और कृत्रिम सांस में कोई ब्लॉकेज नहीं होता है.
नाक को दबायें
रोगी की नाक को उंगलियों से दबाकर रखिए और अपने मुंह से कृत्रिम सांस दें. नथुने दबाने से मुंह से दी जा रही सांस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी. लंबी सांस लेकर अपना मुंह चिपकायें, हवा मुंह से किसी तरह से बाहर न निकल रही हो. मरीज के मुंह में धीमे-धीमे सांस छोड़ें, 2-3 सेकेंड में मरीज के फेफड़ों में हवा भर जायेगी. ऐसा दो से तीन बार कीजिए. अगर मरीज सांस लेना बंद कर दे तब सांस न दें.

हार्ट अटैक व्यायाम , दिल को स्वस्थ रखने के लिए आजमाएं ये व्यायाम 

व्यायाम शुरू करने से पहले, अपने डॉक्टर से आपकी हेल्थ कंडीशन के बारे में बात करना ज़रूरी है. आपका डॉक्टर ही आपकी हालत देखकर, यह सही-सही बता सकता है कि क्या आप एक्सरसाइज़ शुरू कर सकते हैं।
1. हृदयगति दुरुस्त रखने के लिए हफ्ते में कम से कम एक बार 30 मिनट के लिए एरोबिक्स जरूर करें। सप्ताह में तीन दिन किया गया एरोबिक्स हर रोज किए जाने वाले बीस मिनट के कसरत से बेहतर होता है।
2. रोजाना साइकिल चलाना भी हृदय के लिए बेहद लाभकारी व्यायाम है। रोज 8-12 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आधे घंटे साइकिल चलाना दिल को मजबूत बनाता है।
3. हर रोज वाकिंग करना और सीढ़ियां चढ़ना भी दिल की सेहत को दुरुस्त रखता है। इसके लिए आप हर रोज 1000 स्टेप्स पूरा करने का लक्ष्य बनाकर टहलें। इसके अलावा तीन मिनट के लिए सीढ़ी की चढ़ाई करने से भी दिल की गति बेहतर रहती है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है।

हार्ट अटैक के प्राकृतिक उपचार, हार्ट अटैक के आयुर्वेदिक उपचार, हार्ट अटैक घरेलु उपाय

हार्ट अटैक से बचाव के घरेलू उपाय– हार्ट अटैक के इलाज के लिए कोई विकल्प नहीं हैं। पर आप कुछ घरेलू उपाय कर सकते है जो आपकी हेल्थ को अच्छा रखने मै मदद करेगा।प्राकृतिक उपचार के जरिए भी काफी हद तक दिल के दौरे से बच सकते हैं।आप इन चीज़ो को शुरु करने से पहले चिकित्सक से एक बार परामर्श लें।
अनार के फायदे  – हार्ट अटैक से बचने के लिए अनार बहुत ही लाभदायक है। अनार में फाइटोकेमिकल्स होता है, जो एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में धमनियों की परत को क्षतिग्रस्त होने से रोकता है। रोजाना एक कप अनार के रस का सेवन करें। अनार का सेवन हार्ट अटैक से बचने का उपाय है। हार्ट ब्लॉकेज के लक्षणों से राहत पाने में अनार का घरेलू उपाय फायदेमंद साबित होता है।
दालचीनी – यह बेकार कोलेस्ट्रॉल को शरीर से कम करने मै मदद करती है, और हार्ट को मजबूती करती है। इसमें भी ओक्सिडाइजिंग तत्व होते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से सांसों की तकलीफ दूर होती है। दालचीनी हार्ट अटैक के लक्षणों से राहत पाने, और हार्ट ब्लॉकेज खोलने में सहायता कर सकता है।
लाल मिर्च – इसमें मौजूद कैप्सेसिन नामक तत्व खराब कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल ऑक्सीकरण से बचाता है। यह रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जो धमनियों के बंद होने के मुख्य कारणों में से एक है। इसके अलावा यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है। यह दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करता है। गर्म पानी के एक कप में आधा या एक चम्मच लाल मिर्च मिला लें। कुछ हफ्तों के लए इसे नियमित रूप से लें। आप चिकित्सक की सलाह से लाल मिर्च के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
नींबू – आप नींबू को पानी में निचोड़कर कुछ दिनों तक नियमित सेवन करें। ऐसा करने से दिल की बीमारी से राहत मिलती है और दिल में जमी हुई गंदगी दूर हो जाती है।
लौकी – लौकी को भोजन में शामिल करना भी दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लौकी को उबालकर उसमें जीरा, हल्दी का पाउडर और हरा धनियां डालकर कुछ देर तक पकाकर खाएं। यह हार्ट अटैक से दिल को बचाने में लाभकारी है।
अलसी – अलसी के बीज रक्तचाप और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह अल्फालिनोलेनिक एसिड (ALA) के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। यह बंद धमनियों को साफ रखने, और पूरे ह्रदय के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। हार्ट ब्लॉकेल को खोलने के लिए अलसी का घरेलू उपचार लाभप्रद साबित हो सकता है। इससे हार्ट अटैक के लक्षणों से राहत मिलने में मदद मिलती है।अलसी में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर एलडीएल होता है, जो धमनियों को साफ करने में मदद करता है। आप एक चम्मच अलसी के बीज को नियमित रूप से पानी के साथ लें। इसके अलावा आप इसको जूस, सूप या स्मूदी में मिलाकर भी ले सकते हैं।

अर्जुन वृक्ष की छाल – हार्ट से जुड़ी बीमारियों जैसे कि हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी में ब्लॉकेज और कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ के इलाज में अर्जुन वृक्ष की छाल से फायदा होता है। यह कोलेस्ट्रोल लेवल को नियमित रखता है, और दिल को स्वस्थ बनाता है। इसकी छाल में प्राकृतिक ऑक्सिडाइजिंग होता है।
आंवला – दूध में पिसा हुआ आंवला घोलकर पीने से हृदय रोग की समस्या दूर होती है। यह एक दिन में दो बार पीने से लाभ होता है।
सरसों के तेल – सरसों के शुद्ध तेल से ही भोजन बनाएं। खाने में दही की मात्रा बढ़ाएं साथ ही शहद का सेवन करने से भी दिल की दुर्बलता दूर होती है।
अदरक – अदरक एक लाभकारी औषधि के रूप में काम करता है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। इसके अलावा हृदय रोग के लक्षणों से राहत मिलती है।
अंगूर – अंगूर स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है। अंगूर में कैलोरी, फाइबर के साथ-साथ विटामिन-सी, विटामिन-ई भरपूर मात्रा में मिलता है। अंगूर के रोजाना सेवन से उम्र भी बढ़ती है, क्योंकि यह नई टिशू के निर्माण में सहायक है। यह हार्ट अटैक के लक्षणों से राहत मिलने में भी मदद करता है।
तुलसी – हार्ट अटैक के बचने के लिए तुलसी बहुत ही फायदेमंद होती है। तुलसी के 25-30 पत्तोंं का रस, 1 नींबू तथा थ़ोड़ा-सा शहद (अगर ड़ायबिटीज नहीं है तो) थोड़ी मात्रा में चाटें, या पानी में मिलाकर पियें।
हल्दी – हल्दी बंद धमनियों को खोलने का काम करता है। हल्दी में करक्यूमिन रहता है, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण होता है। यह खून को जमने में रोकता है। गर्म दूध में रोजाना हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए। सर्दियों से हल्दी का प्रयोग कई तरह के बीमारियों से राहत पाने के लिए किया जाता है।
गोझरण अर्क – गोझरण अर्क को ह्रदय संबंधित रोगों के लिए टॉनिक माना जाता है। यह कार्डियो को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ एन्टीएजिंग जैसा काम करता है। यह एंटीथेरोस्क्लोरोटिक गुणों वाला भी होता है। गोझरण अर्क, त्रिदोषों को संतुलित करने की क्षमता रखता है।
फल और सब्जिया – आप अपने खान पान में आप फलों जैसे अमरूद, अन्नास, मौसमी, लीची, सेब का इस्तेमाल करते रहें। सब्जियों में आप अरबी, चैलाई, का सेवन जरूर करें। ठंड के मौसम में 3 से 4 काली मिर्च, चार बादाम और 5 से 6 तुलसी के पत्तों को पीसकर आधे कप पानी में डालकर पीते रहने से कुछ ही दिनों में दिल की कमजोरी दूर हो जाती है।

हार्ट अटैक से सम्बंधित सवाल – जवाब

सवाल – क्या मोटापे से दिल की बीमारी हो सकती है?
जवाब – मोटापे से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर होने का खतरा हो जाता है। ऐसे में तीन से चार गुना अधिक हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसमें पेट के आस-पास का फैट सबसे अधिक घातक होता है।
सवाल – भागमभाग भरी जीवनशैली में दिल को कैसे सुरक्षित रखें?
जवाब – रोजाना कुछ देर पैदल चलें और व्यायाम करे। फास्टफूड, मीठा व तैलीय खाद्य पदार्थ न खाएं। पौष्टिक आहार का सेवन करें।
सवाल – पर्याप्त नींद नहीं लेना भी क्या हार्ट अटैक का कारण है?
जवाब – नींद लेने से बॉडी व मसल्स को आराम मिल जाता है और आराम हमारे शरीर की अवशयकता है । अच्छी नींद लेने से हृदय को भी आराम मिलता है और हृदय को फिट रखने में सहायक होती है। रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद। दिल के लिए कई तरीके से यह फायदेमंद है।
सवाल: कभी-कभी चेस्ट पेन होने लगता है। क्या करें?
जवाब: कभी-कभी चेस्ट पेन हो रहा है। चलने-फिरने में दिक्कत हो रही है तो कोई हार्ट की समस्या हो सकती है। कन्फर्म करने के लिए आप एक बार डॉक्टर को दिखा ले।
सवाल – कभी-कभी बहुत घबराहट होती है। सीने से गले तक भारीपन लगता है।
जवाब – चलने-फिरने में यदि सीने में भारीपन लगता है, तो यह एंजाइना के लक्षण हैं। आप एक बार डॉक्टर को दिखा लें।

सवाल – दिल का दौरा या बाईपास सर्जरी के बाद कितना व्यायाम करना चाहिए ?
जवाब – सप्ताह में तीन से पांच दिन मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि (जॉगिंग, पैदल चलना, साइकिल चलाना, सीढ़ी चढ़ना, दौड़ना, एरोबिक्स और तैराकी आदि) के लिए कम से कम ३० मिनट की सिफारिश की जाती है। सप्ताह में सभी सातों दिन व्यायाम नहीं करना चाहिए। कार्डियक इवेंट के बाद, प्रतिदिन ५ से १० मिनट पैदल चलकर व्यायाम शुरू करना चाहिए। एक बार जब रोगी व्यायाम के इस स्तर के साथ सहज महसूस करता है, तो धीरे-धीरे अवधि हर हफ्ते पाँच मिनट तक बढ़ सकती है। चलने की गति को भी धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
सवाल – भविष्य में हृदय की समस्याओं और रोगो को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?
जवाब – नियमित रूप से व्यायाम करना, दैनिक कार्यक्रम में बदलाव करना जैसे उच्च कैलोरी आहार से परहेज करना और धूम्रपान से हृदय रोग के जोखिम को कम करना भविष्य में कम हो सकता है। नियमित व्यायाम उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और फिटनेस और स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
सवाल – कब व्यक्ति को व्यायाम के बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए?
जवाब – निम्नलिखित शारीरिक शिकायतों के मामले में, व्यायाम शुरु करने से पहले डॉक्टर से परामर्श

  • करने की सलाह दी जाती है।
  • दिल की बीमारी।
  • कुछ शारीरिक रूप से गतिविधियों के साथ सीने में दर्द।
  • सांस की अत्यधिक कमी।
  • बहुत उच्च रक्तचाप।
  • ढीली चेतना के लिए प्रवण या बहुत चक्कर आना।

सवाल – घर पर व्यायाम करने के लिए क्या करे और क्या ना करे ?
जवाब – व्यायाम से पहले हमेशा अपने शरीर को गर्म (वार्म-अप) करें।

  • आसान एक्सरसाइज़ के साथ शुरुआत करें।
  • व्यायाम के दौरान लक्ष्य हृदय गति का धयान रखे।
  • व्यायाम करने के बाद शांत रहें।
  • एक व्यायाम डायरी रखें और अपने आराम को रिकॉर्ड करें और हृदय गति का अभ्यास करें।
  • भोजन के बाद दो घंटे के भीतर व्यायाम न करें।
  • व्यायाम से दो घंटे पहले शराब न पिएं।
  • व्यायाम से पहले धूम्रपान न करें।
  • सुस्ताना न भूलें -एक्सरसाइज़ करने के तुरंत बाद, सीधे अपने रोज़मर्रा के काम में न जुट जाएं.
  • किसी भी असामान्य लक्षण के लिए, जैसे कि अनियमित दिल की धड़कन, सांस की अत्यधिक कमी या प्रकाशस्तंभ रुकना और आराम करना। यदि लक्षण कुछ मिनटों में कम नहीं होते हैं, तो तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

Disclaimer – हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसके उपभोक्ताओं को विशेषज्ञ-समीक्षा, सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले। हालांकि, इसमें दी गई जानकारी को एक योग्य चिकित्सक की सलाह के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं की जाना चाहिए। यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है यह सभी संभावित दुष्प्रभावों, या चेतावनी या अलर्ट को कवर नहीं कर सकता है। कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी या दवा से संबंधित अपने सभी प्रश्नों पर चर्चा करें। हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है।

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