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Garbhpat Hone Ke Lakshan

परिचय – गर्भपात, गर्भपात क्या है?

गर्भपात क्या है? – जब गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भ में भ्रूण की मृत्यु हो जाए, तो उसे गर्भपात कहते हैं। इसे स्वत: गर्भपात भी कहा जाता है। किसी भी गर्भवती महिला के लिए गर्भपात दुखद और डरावना शब्द है। हर महिला चाहती है कि उसका शिशु स्वस्थ और बिना किसी तकलीफ के इस दुनिया में आए, लेकिन कभी-कभी शारीरिक समस्याओं के चलते कुछ महिलाएं गर्भपात का शिकार हो जाती हैं। गर्भपात जितना शारीरिक रूप से तकलीफ देता है, उतना ही मानसिक रूप से महिला को कमज़ोर बना देता है। ऐसे में ज़रूरी है कि जिस महिला का गर्भपात हुआ हो, उसे मानसिक रूप से उबरने में मदद की जाए, ताकि यह सदमा धीरे-धीरे उसके जहन से निकल जाए। इस लेख में हम गर्भपात से जुड़ी कुछ समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि जो महिलाएं गर्भवती हैं या गर्भवती होने की तैयारी कर रही हैं, उन्हें इसका सामना न करना पड़े।

प्रकार – गर्भपात के विभिन्न प्रकार

गर्भपात कई तरह के होते हैं और यह आपकी प्रेग्नेंसी की अवस्था पर निर्भर करता है। हर गर्भपात के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे हम बताने जा रहे हैं कि गर्भपात कितने तरह के हो सकते हैं-
1. मिस्ड गर्भपात (Missed Abortion) : इसमें गर्भावस्था खुद से खत्म हो जाती है। इस दौरान न ही कोई रक्तस्राव होता है और न ही किसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में तो गर्भपात होने के बाद भी भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब गर्भ में भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका पता अल्ट्रासाउंड से किया जाता है।
2. अधूरा गर्भपात / अपूर्ण गर्भपात (Incomplete Abortion) : इस तरह के गर्भपात में महिला को भारी रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द होता है। इसमें भ्रूण का कुछ ही भाग बाहर आ पाता है। यही कारण है कि इसे अधूरा गर्भपात कहा जाता है। इसका निदान अल्ट्रासाउंड से किया जा सकता है।
3. पूर्ण गर्भपात (Complete Abortion): नाम की तरह यह गर्भपात पूरी तरह से होता है। इसमें गर्भाशय से भ्रूण पूरी तरह से बाहर आ जाता है। पेट में तेज़ दर्द होना और भारी रक्तस्राव होना पूर्ण गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं।
4. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Abortion) : इसमें रक्तस्राव होता रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है, जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन होती रहती है।
5. संक्रमित (सेप्टिक) गर्भपात : इस दौरान गर्भ में संक्रमण हो जाता है, जिससे गर्भपात होता है।

गर्भपात कितना आम है?

गर्भपात होना आम बात है। खासतौर पर प्रारंभिक गर्भावस्था में गर्भपात कई महिलाओं को हो सकता है। इसके अलावा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि गर्भपात होता कब है। पांच में से एक गर्भवती महिला का गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भपात हो जाता है.

लक्षण –गर्भपात के संकेत और लक्षण 

गर्भपात का सबसे आम लक्षण है पेट में ऐंठन और योनि से रक्तस्राव होना। अगर गर्भावस्था के दौरान ऐसे कुछ लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यहां हम गर्भावस्था के लक्षणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं .
योनि से रक्तस्राव : योनि से रक्तस्राव होना गर्भपात का सबसे अहम लक्षण हो सकता है। इस दौरान आपको स्पॉटिंग, खून के थक्के या अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। यह रक्तस्राव भूरे या गहरे लाल रंग का हो सकता है।
पीठ में तेज़ दर्द : गर्भावस्था में पीठ में दर्द होना आम है, लेकिन यह दर्द कभी-कभी असहनीय हो सकता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भपात का संकेत हो सकता है।
पेट के निचले हिस्से में ऐंठन : पेट के निचले हिस्से में दर्द होना चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि यह भी गर्भपात के लक्षणों में से एक है। यह दर्द महावारी के समय होने वाले दर्द जितना तीव्र या उससे भी अधिक तेज़ हो सकता है।
इसके अलावा, कई बार ऐसा भी होता है कि गर्भपात के लक्षण महसूस ही न हों। ऐसे में इसका पता तब लगता है, जब गर्भवती नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास जाती है।

कारण  – गर्भपात होने के कारण  

गर्भपात के कुछ मुख्य कारणों के बारे में हम यहां बता रहे हैं  :

  • हार्मोनल असंतुलन। स्त्री के शरीर में हामोन्स की गड़बड़ी का होना ।
  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता या ब्लड क्लॉटिंग की समस्या।
  • थायरॉयड या मधुमेह जैसी समस्याएं।
  • गर्भ या गर्भाशय में किसी तरह की समस्या।
  • बहुत ज्यादा धूम्रपान के कारण।
  • नींद का पूरा न होना।
  • तनाव में रहना भी एक बड़ा कारण है।
  • बिना चिकित्सक की सलाह के स्वयं दवाओं का सेवन करना।
  • फास्ट फूड – बर्गर, पिज्जा, पास्ता आदि का सेवन करना गर्भवती महिलाओं और शिशु के लिए बेहद घातक हो सकता है।
  • सही उम्र ना होना – देरी से गर्भ धारण करना या अधिक उम्र भी गर्भपात का बहुत बड़ा कारण होता है।
  • किसी तरह का रोग हो जाने के कारण ।
  • इसके अलावा इन्फैक्शन या गर्भाशय की कमजोरी ।

गर्भपात होने के अन्य कारण

क्रोमोजोम असामान्यता : यह भी गर्भपात का एक कारण हो सकता है। व्यक्ति के शरीर में मौजूद छोटी-छोटी संरचनाओं को क्रोमोजोम कहते हैं। ये संरचनाएं जीन्स को लाने और ले जाने का काम करती हैं। किसी-किसी मामले में जब पुरुष के शुक्राणु अंडों से मिलते हैं, तो अंडे या शुक्राणु में से किसी एक में त्रुटि आ जाती है, जिससे भ्रूण में एक क्रोमोजोम का मेल असामान्य हो जाता है, ऐसे में गर्भपात हो सकता है ।
गर्भाशय असामान्यताएं और असमर्थ सर्विक्स : जब महिला के गर्भाशय का आकार और गर्भाशय का विभाजन (इसमें गर्भाशय का अंदरुनी भाग मांसपेशीय या फाइब्रस दीवार से विभाजित होता है) असामान्य होता है, तो गर्भपात की स्थिति बन सकती है, क्योंकि ऐसे में भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित नहीं हो पाता।
इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर : कभी-कभी इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर (इसमें अस्थमा, एलर्जी, ऑटोइनफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो सकती हैं) के कारण गर्भाशय में भ्रूण का प्रत्यारोपण नहीं हो पाता, इस वजह से भी गर्भपात हो सकता है।
पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) : जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या रहती है, उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन व एस्ट्रोजन हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाता है, जिस कारण गर्भधारण के लिए अंडे विकसित नहीं हो पाते हैं।
ऊपर आपने पढ़े गर्भपात होने के कारण, आइए, अब जानते हैं बार-बार गर्भपात होने के कारण।

बार-बार गर्भपात होने के कारण

जिन महिलाओं का गर्भपात बार-बार होता है, उसके पीछे क्रोमोज़ोम असामान्य होना अहम कारण हो सकता है। यहां हम कुछ अन्य कारण बता रहे हैं, जिनकी वजह से बार-बार गर्भपात हो सकता है, जैसे :
अधिक उम्र में गर्भधारण की कोशिश करना : जो महिलाएं 35 वर्ष से ज्यादा उम्र में गर्भधारण की कोशिश करती हैं, उन्हें बार-बार गर्भपात हो सकता है ।
ज्यादा भागदौड़ करना या ज्यादा यात्रा करना : गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा भागदौड़ करना या पहली और तीसरी तिमाही में यात्रा करना गर्भपात का कारण बन सकता है।
पेट पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ना या चोट लगना : अगर गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट पर चोट लगती है या दबाव पड़ता है, तो भी गर्भपात हो सकता है।
योनि में किसी तरह का संक्रमण होना : महिलाओं को योनि में संक्रमण होना आम बात है। ऐसे में बार-बार होने वाला योनि संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है ।

गर्भपात को रोकने के तरीके

किसी भी समस्या को रोकने के लिए लोग सबसे पहले प्राकृतिक तरीकों को अपनाने के बारे में सोचते हैं। यहां हम गर्भपात रोकने के कुछ प्राकृतिक तरीके बता रहे हैं :
फोलिक एसिड और प्रसव पूर्व विटामिन लें : गर्भपात का खतरा टालने के लिए आपको गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड और अन्य विटामिन लेने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर रोज़ाना 400 से 800 एमजी फोलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं ।
नियमित टीकाकरण : कुछ पुरानी बीमारियों के चलते गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप ज़रूरी टीके लगवाकर इस समस्या से बच सकती हैं।
नियमित रूप से व्यायाम करें : गर्भावस्था में हल्का व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है। इस दौरान स्ट्रेचिंग व योग आदि करना गर्भपात के जोखिम को कम कर सकता है। इसे करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें और योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें।
सिगरेट व तंबाकू से दूर रहें : सिगरेट और तंबाकू न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खराब है, बल्कि यह गर्भपात का मुख्य कारण हो सकता है। इसलिए, आप इन सब चीज़ों का सेवन करना तुरंत बंद कर दें।
आइए, अब गर्भपात रोकने के कुछ घरेलू उपचार के बारे में जानते हैं।

घरेलू उपचार – गर्भपात रोकने के लिए घरेलू उपचार

नीचे हम कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप गर्भपात को रोक सकते हैं, जैसे :

  • आंवला और शहद – एक चम्मच आंवले के गूदे में शहद मिलाकर खाने से गर्भावस्था में होने वालीं समस्याओं और गर्भपात के खतरे को टाला जा सकता है।
  • बादाम – अगर गर्भावस्था के दौरान आपको एसिड-रिफ्लक्स (बदहजमी के कारण एसिड आहार नली में ऊपर गले की ओर चला जाता है, जिसे एसिड रिफ्लक्स कहा जाता है) लगता है, तो 3-4 बादाम खाने से इस स्थिति से निपटा जा सकता है।
  • संतुलित मात्रा में करें विटामिन सी का सेवन – प्रेंग्नेंसी के समय महिलाओं को विटामिन-सी की बहुत जरूरत होती है। क्योंकि ये आयरन की कमी को पूरा करता है और भ्रूण का विकास होने में मदद करता है। शिशु की इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है। जैसे; पत्ता गोभी, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, संतरा आदि खाना चाहिए लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान में रखें कि विटामिन-सी का इस्तेमाल बहुत अधिक मात्रा में ना करें।
  • गाजर का सेवन भी है फायदेमंद – गर्भावस्था में एक गिलास दूध में एक गाजर का रस मिलाकर उबालें, जब आधा रह जाए तो इसे गर्भवती महिला को पीने के लिए देना चाहिए। इसका प्रयोग प्रतिदिन करना फायदेमंद होता है। यह नुस्खा बहुत-सी महिलाओं के लिए कारगर साबित हुआ है।
  • काला चने का काढ़ा – काले चने का काढ़ा बहुत लाभप्रद होता है। यह भी गर्भपात की संभावनाओं को टालता है।
  • लौकी का जूस – जिन महिलाओं को बार-बार गर्भपात की समस्या होती है उन महिलाओं को नियमित तौर पर लौकी का जूस या सब्जी खिलानी चाहिए।
  • हींग का प्रयोग – प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अपने खाने में हींग का प्रयोग करना चाहिए। जिससे महिलाओं में गर्भपात की समस्या कम हो जाती है इसलिए शुरुआती महीनों में महिलाओं को गर्भपात के खतरे से बचने के लिए हींग को अपने खाने में शामिल करना चाहिए।
  • जौ , काले तिल और मिश्री – 12 ग्राम जौ के आटे को 12 ग्राम पिसे काले तिल और 12 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर आधा-आधा चम्मच रोज शहद के साथ चाटने को दें। इससे बार-बार होने वाला गर्भपात को रोकने में बहुत मदद मिलती है।
  • गाय का घी – गाय के घी को गर्भवती के पेट पर मालिश करने से गर्भपात होना रुक जाता है । किन्तु गर्भवती को पूर्ण विश्राम दें।

निदान – गर्भपात का निदान

गर्भपात का सही समय पर निदान कर लिया जाए, तो संक्रमण जैसी समस्या से बचा जा सकता है। ऐसा न होने पर महिला को खतरा हो सकता है। नीचे हम बता रहे हैं कि गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है:

  • पेल्विक जांच : इस दौरान डॉक्टर ग्रीवा के फैलाव की जांच करेंगे।
  • अल्ट्रासाउंड : अल्ट्रासाउंड के दौरान, डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करके पता लगाएंगे कि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं। अगर इससे कुछ पता नहीं चलता है, तो लगभग एक सप्ताह में फिर से अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।
  • ब्लड टेस्ट : इस दौरान डॉक्टर आपके रक्त का नमूना लेकर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) के स्तर की तुलना पहले के स्तर से कर सकते हैं। अगर यह बदला हुआ आए, तो यह समस्या का संकेत हो सकता है। डॉक्टर यह भी जांच सकते हैं कि कहीं आपको एनीमिया तो नहीं है।
  • टिश्यू टेस्ट : अगर ग्रीवा से टिश्यू बाहर निकलने लगे हैं, तो डॉक्टर गर्भपात का पता लगाने के लिए इनकी जांच कर सकते हैं।
  • क्रोमोजोम टेस्ट : अगर आपको पहले भी गर्भपात हो चुका है, तो डॉक्टर क्रोमोजोम संबंधी परेशानी का पता लगाने के लिए आपका और आपके पति का ब्लड टेस्ट कर सकते हैं।

इलाजगर्भपात का इलाज

  • अगर गर्भावस्था के शुरुआत में ही गर्भपात हो जाता है, तो भ्रूण की मृत्यु के एक हफ्ते के भीतर वह अपने आप ही योनी मार्ग से बाहर निकल जाता है। इसे प्राकृतिक गर्भपात कहते हैं। अगर यह प्राकृतिक रूप से न हो, तो मेडिकल ट्रीटमेंट लेने की ज़रूरत पड़ सकती है।
  • मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए गर्भपात में या तो दवाइयां खाकर इलाज किया जाता है या फिर योनि मार्ग से दवा डालकर इसका उपचार किया जाता है। ज्यादातर डॉक्टर योनि मार्ग से दवा डालकर इसका उपचार करते हैं। इस प्रक्रिया में 24 घंटे का समय लग सकता है।
  • इसका उपचार सर्जरी से भी किया जाता है, जिसे डायलेशन एंड क्यूरेटेज (D&C) प्रक्रिया कहा जाता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर गर्भाशय से भ्रूण के उत्तक बाहर निकालते हैं। यह तब किया जाता है, जब उत्तक खुद बाहर नहीं निकलते।

गर्भपात के बाद सावधानियां , गर्भपात के बाद क्या सावधानी रखनी चाहिए?

गर्भपात के बाद महिला की देखभाल और अच्छी तरह करने की ज़रूरत होती है। महिला के शारीरिक रूप से पूरी तरह ठीक न होने पर और देखभाल करने की आवश्यकता होती है। यहां हम बता रहे हैं कि गर्भपात के बाद क्या-क्या सावधानियां बरतने की ज़रूरत होती है।

  • गर्भपात होने के बाद डॉक्टर की बताई गई दवाई समय पर खाएं। गर्भावस्था हो या गर्भपात तनाव को दूर रखें और साथ ही अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें। अच्छे से भोजन करे। हेल्थ का धयान रखना जरूरी है। गर्भपात होने के बाद महिला को 15 से 30 दिन तक पूरा आराम करना चाहिए। एक महीने तक शारीरिक संबंध न बनाए।
  • खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। कच्चा मांस व सॉफ्ट चीज़ खाने से बचें।
  • गर्भपात के बाद जब तक आपके दो मासिक धर्म के चक्र पूरे न हो जाएं, तब तक दूसरी गर्भावस्था के शुरू करने के बारे में न सोचें।
  • गर्भपात के बाद डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए और अपना वज़न नियंत्रित रखना चाहिए।
  • अगर गर्भपात के बाद बुखार आ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। बुखार को बिल्कुल भी अनदेखा न करें, क्योंकि यह गर्भपात के बाद इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है।
  • गर्भपात के बाद कुछ समय तक शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
  • धूम्रपान और कैफीन का सेवन न करें।

प्रेग्‍नेंसी में गर्भपात से बचने के लिए न खाएं ये चीजें

गर्भपात Miscarriage से बचने के लिए न खाएं ये चीजें – प्रेग्‍नेंसी के दौरान गर्भवती क्‍या खाए इस पर काफी ध्‍यान दिया जाना चाहिए। जानकारों ने कुछ ऐसे भोज्‍य पदार्थों को प्रेग्‍नेंसी के समय नहीं खाने की सलाह दी है , इनको प्रेग्‍नेंसी के दौरान खाने से मिसकैरेज या गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए इन चीजों से प्रेग्‍नेंसी में करें परहेज करे।

  • सी फूड ( Sea Food )- सी फूड खासकर कच्‍चे या अधपके सीफूड में लिस्‍टीरिया नाम का बैक्‍टीरिया होता है। इसकी वजह से गर्भवती महिला को मिसकैरेज या समय से पहले डिलिवरी हो सकती है। इसलिए गर्भावस्‍था में समुद्री जीवों से बने व्‍यंजन न खाएं।
  • सहजन की फलियां ( Drumstick Beans ) – सहजन की फलियों या ड्रम स्टिक्‍स में अल्फा सीटोस्टेरॉल ( Alpha-Sitosterol ) नामका तत्‍व होता है जिसकी वजह से मिसकैरेज की संभावना हो सकती है।
  • एलोवेरा Aloe Vera (घृत कुमारी) – एलोवेरा के जूस में ऐसे तत्‍व होते हैं जो आपके पेट को साफ तो करते हैं पर यही तत्‍व गर्भाशय को सिकोड़ते भी हैं जिससे गर्भपात का खतरा रहता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान इसके किसी भी रूप में सेवन करने से बचना चाहिए।
  • पपीता ( Papaya  )- पपीता से गर्भवती महिलाओं को दूर रहने की सलाह दी जाती है। वजह यह है कि इसमें मौजूद एंजाइम भी गर्भाशय को सिकुड़ने को प्रेरित करते हैं जिनसे गर्भ गिरने का खतरा रहता है।
  • धूम्रपान और कैफीन – धूम्रपान और कैफीन का सेवन बंद कर दे। ये भी एक कारण हो सकता है गर्भपात का।
  • कच्‍चे अंडे, बिना उबले डेयरी उत्‍पाद – कच्‍चे अंडों , कच्चा दूध और इनके उत्‍पादों में बैक्‍टीरिया आसानी से पनप सकते हैं। इन्‍हें खाने से फूड पॉयज़निंग हो सकती है जिससे गर्भस्‍थ बच्‍चे को नुकसान हो सकता है गर्भपात का भी जोखिम होता है।
  • अनानास ( पाइनऐपल – Pineapple )  – अनानास स्‍वादिष्‍ट फल है लेकिन इसमें मौजूद ब्रोमेलैन Bromelain नाम का एंजाइम गर्भवती महिला के गर्भाशय में संकुचन पैदा करता है। इसलिए प्रेग्‍नेंसी में न तो पाइनऐपल से दूरी बना लेना ही सही है।
  • ज्यादा नमक –  प्रेग्नेंसी के दौरान जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन ना करें. हालांकि सामान्य तौर पर भी डॉक्टर्स कम नमक खाने की सलाह देते हैं. इससे दिल की बीमारियों का खरा बढ़ जाता है.
  • जंक फूड – खास तौर से रेस्तरां में मिलने वाले चाइनीज फूड या कोई भी जंक फूड का सेवन बिलकुल न करें। इसमें अजीनोमोटो होता है, जो गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के लिए बेहद नुकसानदेह होता है और इसकी वजह से मिसकैरेज का खतरा भी बढ जाता है। आपको हेल्थी खाना ही लेना चाहिए।
  • फ्रोजेन फूड – पोषक तत्वों के मामले में फ्रोजेन फूड बिल्कुल ठीक नहीं होते. इसमें विटामिन सी, विटामिन बी1, बी2 और विटामिन ए नहीं होते. फलों और सब्ज‍ियों को ताजा खाया जाए तो ही अच्छा होता है.

गर्भपात के बाद का क्या खाये, गर्भपात के बाद का भोजन 

  • गर्भपात अथवा मिस कैरेज के बाद शरीर में खून की कमी हो जाती है। इसलिए आयरन युक्त फलों और सब्जियों जैसे, सेब, केला, अनार, चुकंदर, पालक, मेथी आदि का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  • मिसकैरेज के बाद थकान और कमजोरी महसूस होना आम बात है। बींस, हरी पत्तेदार सब्जियों, किशमिश, दालें, कद्दू के बीज, सोयाबीन, ब्राउन राइस और डार्क चॉकलेट आयरन से भरपूर होती है।
  • विटमिन सी युक्त फलों जैसे संतरा, नीबू, मौसमी, अंगूर आदि का सेवन भी जरूरी है, तभी आपके शरीर को आयरन का पर्याप्त पोषण मिल पाएगा।
  • अपने भोजन में दाल, दूध और पनीर जैसी प्रोटीन और कैल्शियम युक्त चीजों की मात्रा बढा दें, क्योंकि इनसे टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत होती है।
  • गर्भावस्‍था के दौरान शरीर में कैल्शियम की मात्रा में तेजी से गिरावट आती है। इसलिए आपको कैल्शियम से युक्‍त चीजें खाना बहुत जरूरी है। सूखे मेवे, डेयरी उत्‍पाद, दूध, सीफूड, गहरे रंग की हरी पत्तेदार सब्जियां और सोया कैल्शियम से युक्‍त होती हैं। नॉन-वेजटेरियन हैं तो अंडा, चिकेन और मछली का सेवन भी फायदेमंद साबित होगा।
  • गर्भपात के बाद महिलाएं डिप्रेशन में भी जा सकती हैं। उनका सपनों का टूटना काफी दर्द देता है। आप फील-गुड फूड खाएं तो मिसकैरेज के बाद डिप्रेशन से बचने में मदद मिल सकती है। आपको डिप्रेशन से निकलने के लिए मैग्‍नीशियम युक्‍त चीजें खानी चाहिए जैसे कि बींस, नट्स और प्‍लेन चॉकलेट आदि।
  • आप को आराम की बहुत जरूरत होती है इसलिए कम से कम पंद्रह दिनों तक आराम करें और कोई भारी सामान न उठाएं।

गर्भपात के बाद का क्या ना खाये 

कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं ,जिनका सेवन बहुत ही अस्वास्थ्यकर होते हैं और यदि गर्भपात के बाद अत्यधिक मात्रा में, सेवन किए जाते हैं तो इससे नुकसान हो सकता है। गर्भपात के बाद बड़ी मात्रा में क्या क्या ना खाए।

  • फास्ट फूड और जंक फ़ूड – कचोरी, पानीपूरी, समोसा, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, पिज्जा, बर्गर, डोनट्स आदि स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। इनमें ट्रांस-फैट्स होते हैं जो शरीर में सूजन का कारण होता हैं, अगर इनका अधिक सेवन किया जाए तो परिणामस्वरूप मोटापा और हृदय रोग का खतरा हो सकता है।
  • मीठी चीज़े जैसे मिठाइयां – अधिक मीठी चीज़े खाने से बचें। क्योंकि इस चरण में आप भावनात्मक पहलुओं के कारण अधिक खा सकती हैं। चीनी से भरी मिठाइयां आपको कोई पोषक तत्व प्रदान नहीं करेंगी। इसके बजाय, खजूर या अंजीर से बनी मिठाइयों का विकल्प अच्छा है और स्वास्थकारी भी।
  • अधिक कार्बोहाइड्रेट और कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ –  इंस्टेंट नूडल्स, पॉलिश किए गए सफेद चावल, भारतीय नाश्ते जैसे बिस्कुट, मुरुक्कू, हलवा, कटलेट और नान आदि जैसी भारतीय ब्रेड जो मैदे से बनी होती है, ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए । उसके बदले में, जटिल कार्ब्स खाएं जैसे गेहूँ की रोटी।
  • अधिक फैट वाले दुग्ध उत्पाद और मांस – गर्भपात के बाद डेयरी और मांस में मौजूद वसा शरीर में सूजन पैदा करने के कारण हो सकते हैं और आपके दर्द को बढ़ा सकते हैं । इसलिए, पूर्ण मलाई युक्त दूध, मक्खन, वसा से भरपूर पनीर या चीज़ जैसे खाद्य पदार्थों से बचें। इसके बजाय, कम फैट वाला मांस और टोन्ड दूध के उत्पाद चुनें।

गर्भपात के बारे में कुछ तथ्य और मिथक

गर्भपात के बारे में बहुत से मिथक प्रचलित हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। नीचे हम गर्भपात से जुड़े कुछ मिथक और उनके तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं :

  • बहुत से लोगों का यह मानना है कि गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती नहीं हुआ जा सकता है, जोकि पूरी तरह से गलत है। गर्भपात के बाद सही देखभाल के बाद महिला फिर से गर्भवती हो सकती है और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म भी दे सकती है।
  • बहुत से लोग समझते हैं कि गर्भावस्था के दौरान योनि से रक्त निकलना गर्भपात ही होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भावस्था में हल्की स्पॉटिंग होना सामान्य है। खासतौर पर शुरुआती तीन महीनों में यह समस्या होना आम है।
  • कुछ लोग समझते हैं कि गर्भावस्था के दौरान संभोग करने से गर्भपात हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भपात और संभोग का आपस में कोई संबंध नहीं है। गर्भ में शिशु एम्नियोटिक कवच में पूरी तरह सुरक्षित होता है, इसलिए सेक्स करने से गर्भपात का खतरा नहीं होता। सिर्फ आपको सेक्स पॉज़िशन पर ध्यान देने की जरूरत होती है।

ये तो थे कुछ मिथक, जिन पर लोग विश्वास कर लेते हैं, जोकि पूरी तरह से गलत है। आइए, अब गर्भावस्था से जुड़े कुछ सवालों पर नज़र डाल लेते हैं।

गर्भपात के बाद मैं गर्भवती होने की कोशिश कब शुरू कर सकती हूं?

गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती होने के लिए कोई निर्धारित समय नहीं है। जब डॉक्टर आपको बता दें कि अब आप शारीरिक रूप से दूसरी गर्भावस्था के लिए तैयार हैं, तो आप दूसरी प्रेग्नेंसी की योजना बना सकती हैं। इसके अलावा, गर्भपात से उबरने के लिए कुछ लोगों को समय लग सकता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इससे कब तक उबर पाती हैं.

Disclaimer – हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसके उपभोक्ताओं को विशेषज्ञ-समीक्षा, सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले। हालांकि, इसमें दी गई जानकारी को एक योग्य चिकित्सक की सलाह के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है यह सभी संभावित दुष्प्रभावों, दवा बातचीत या चेतावनी या अलर्ट को कवर नहीं कर सकता है। कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी या दवा से संबंधित अपने सभी प्रश्नों पर चर्चा करें। हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है।

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