Ways to Promote a Healthy Uterus and Increase Your Chances for Fertility

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परिचय – कमजोर गर्भाशय

गर्भाशय  – गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आंकड़ों की मानें, तो हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं। लेकिन अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता कि उनके गर्भाशय में कोई समस्या है, क्योंकि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में ही इसकी असामान्यता के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकते हैं। इन छोटे-छोटे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं।

लक्षण – कमजोर गर्भाशय के लक्षण, Kamajor Garbhashay Ke Lakshan

1- कमजोर शरीर या वीकनेस महसूस होना
2- योनि से ब्लीडिंग होना
3- पेशाब करते समय दर्द या जलन
4- यूरिन पर बिल्कुल नियंत्रण न कर पाना
5- योनि से सफ़ेद पानी या फिर जरूरत से ज्यादा डिस्चार्ज होना
6- योनि और योनि के पास जकड़न होना
7- शारारिक संबंध बनाते वक्त दर्द
8- सही से खाना नहीं पचना, कमजोर पाचन

कारण – बच्चेदानी में कमजोरी का कारण

महिला में गर्भधारण से लेकर प्रसव तक गर्भ को सही रखने के लिए बच्चेदानी यानि गर्भाशय का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। यह महिला प्रजनन प्रणाली का आधार बनाता है लेकिन गलत खान-पान व लाइफस्टाइल के कारम यूट्रस कमजोर हो जाती है। इसके अलावा.
1- महिलाओं में शारीरिक कमजोरी के कारण बच्चेदानी में कमजोरी आ जाती है।
2- प्रसव के बाद भी बच्चेदानी कमजोर हो जाती है।
3- मानसिक कमजोरी।
4- बच्चेदानी का सिकुड़ना।
5- बाहरी या अंदरूनी चोट के कारण।
6- बच्चेदानी में छाले आना।
7- पेट में दर्द, थकान व कमजोरी होना।
8- पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहना।
9- मोनोपाज के बाद अचानक ब्लीडिंग शुरू हो जाना।
10- यूरिन के साथ खून आना, यूरिन पर बिल्कुल नियंत्रण न कर पाना।
11- मल त्याग के समय दर्द होना, ट्यूटर छोटी आंत, पेट व मूत्राशय पर दबाव डालती है।

बढ़ता है मिसकैरेज का खतरा

कमोजरी के कारण यूट्रस अंडों को संभाल नहीं पाता, जिसके कारण गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इससे आपको ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप सही डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल से गर्भाश्य को मजबूत बना सकती है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है और आपके यूट्रस में कमजोरी आ गई है तो आपको इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आप सिर्फ अच्छी डाइट लेकर भी इस समस्या को दूर कर सकती हैं।

बच्चेदानी का मुंह बंद हो तो क्या करें, Bacchedani Ka Muh Band Ho To Kya Karen

गर्भाशय का मुंह बंद नहीं होता बल्कि इसके स्ट्रक्चर में कोई प्रॉब्लम हो सकता है लेकिन गर्भाशय के नीचे जो गर्भाशय ग्रीवाcervix होता है उसके मुंह का बंद होना आम बात है जिसे बच्चेदानी का मुंह भी कहा जाता है गर्भावस्था के दौरान इसका मुंह का बंद होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि क्या बच्चे को saport deta है अगर सर्विक्स का मुंह खुला हुआ कंडीशन में हो तो बच्चे का समय से पहले जन्म हो जाता है जिसे प्रीमैच्योर डिलीवरी भी कहा जाता है इसलिए गर्भावस्था का समय जैसे-जैसे badte जाता है वैसे वैसे ही सर्विक्स पूरी तरह सेripe होता है और गर्भावस्था के लास्ट स्टेज में यह पूरी तरह खुलता है.

बच्चेदानी का मुंह कब तक खुला रहता है, Bacchedani Ka Muh Kab Tak Khula Rehta Hai

शिशु का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से होने के लिए Cervix यानी बच्चेदानी का मुंह 10 सेंटीमीटर तक खुलना चाहिए तो ही नॉर्मल डिलीवरी होती है। इसलिए नॉर्मल डिलीवरी होने के लिए बच्चेदानी का मुंह 10 सेंटीमीटर तक खुला जरूरी होता है और प्रेगनेंसी में बच्चेदानी का मुंह 39 से 40 हफ्ते में हल्का हल्का खुलने लगता है। और अगर आप अपने 38 या 39 वीक में है तो डॉक्टर आपका फिंगर टेस्ट करते हैं और फिंगर टेस्ट करने से पता चलता है कि डिलीवरी में कितना समय है और सरविक्स का मुंह खुला है या नहीं? अगर आप डॉक्टर को पूछेंगे तो वह आपको बता देंगे। और डिलीवरी होने से 4 से 5 दिन पहले से धीरे-धीरे सर्विस का मुंह थोड़ा थोड़ा करके खुलने लगता है लेकिन कई बार गर्भ में शिशु की सही स्थिति ना होने पर या किसी और कारण की वजह से सर्विस का मुंह नहीं खुलता है जिसकी वजह से सर्जीरियन होता है।

बच्चेदानी का मुंह खोलने के लिए उपाय, बच्चेदानी का मुंह खोलने के लिए क्या खाना चाहिए

बच्चेदानी का मुंह अपने आप ही खुलता है , अगर आप की प्रेग्नेंसी में कोई कंप्लीकेशन नहीं है तो वॉक कीजिए , कुकड़ू पोजीशन में उठना और बैठना (Squat Position), गर्म पानी से नहाए, गर्म चीजें खाएं आदि। अगर बच्चे की पोजीशन सही रहती है तो इस समय तक बच्चा है डाउन पोजीशन में आ जाता है ऐसे में आपको थोड़ा वाकिंग और एक्सरसाइज करना चाहिए गर्म दूध में दो चम्मच देसी घी डालकर पीना चाहिए इसके अलावा जमीन पर बैठकर पूछा लगा सकती हैं और पाइनएप्पल का जूस पीने से भी लेबर पेन जल्दी शुरू हो सकता है .

आहार – गर्भाशय मजबूत करने के आहार

सेहतमंद गर्भाशय – सेहतमंद गर्भाशय के लिए जरूरी है सभी पोषक तत्वों से भरपूर डाइट और नियमित व्यायाम। शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने, एक्सरसाइज न करने से गर्भाशय और दूसरे प्रजनन अंगों में रक्त का उचित प्रवाह नहीं होता है। शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण गर्भाशय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करें या पैदल चलें। योग भी गर्भाशय की मांसपेशियों को लचीला और शक्तिशाली बनाए रखने में कारगर है। इसके अलावा पौष्टिक और संतुलित भोजन लें। तनाव न पालें। नियमित रूप से गाइनेकोलॉजिस्ट के पास जाएं और स्क्रीनिंग कराती रहें, ताकि बीमारी के गंभीर होने से पहले ही उसका उपचार किया जा सके।
1- फाइबर – अपनी डाइट में अधिक से अधिक फाइबर युक्त चीजें जैसे ब्रोकली, फल, ओट्स, नट्स, पालक, बीन्स, एवोकाडो आदि का सेवन करें। एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को रोजाना 25 ग्राम फाइबर जबकि 50 साल से अधिक उम्र में लगभग 21 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है।
2- सब्जियां खाएं –  अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा आर्गेनिक हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल करें। रोजाना इसका सेवन करने से बच्चेदानी में मजबूती आएगी।
3- विटामिन सी युक्त फल – अगर यूट्रस में कोई भी समस्या है तो विटामिन-सी युक्त फलों का अधिक सेवन करें। इससे आपकी बच्चेदानी तो मजबूत होती ही है और साथ में कैंसर की समस्या भी दूर रहती है।इन फलो में विटामिन सी होता है आपको बता दें कि इस समस्या से आपको बचने के लिए इन फलों का सेवन करना चाहिए। आपको बता दें कि अमरूद, संतरा, नींबू, पपीता इत्यादि आपको सेवन करना चाहिए। इसमें विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है।
4- डेयरी प्रॉडक्ट्स – अगर आप अपने खान-पान की चीजों में लगातार दही, पनीर और दूध आदि का सेवन करेंगी तो गर्भाशय और ओवरी दोनों स्वस्थ रहेंगे। इसके अलावा इनमें कैल्शियम और विटामिन भी पाए जाते हैं, जो गर्भाशय के फाइब्रॉयड्स को दूर करता है।
5- ग्रीन टी – ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जिससे ना सिर्फ यूट्रस मजबूत होता है बल्कि इससे आप कई अन्य समस्याओं से भी बची रहती हैं।
6- मछली – मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इससे महिलाओं में उन प्रोस्टाग्लैंडिंस का निर्माण कम होता है जोकि महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
7- कैस्टर ऑयल – इसमें मौजूद रिकोनोलेयिक एसिड ओवरी में बनने वाले सिस्ट और गर्भाशय के फाइब्रोइड्स को ठीक करता है और शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
8- बेरी – बेरी में ऐसे एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ओवरी को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करते हैं। यह ओवरी और गर्भाशय को कई तरह की दिक्कतों से बचाता है। इसके आप सलाद के रूप में डाइट में शामिल कर सकती हैं।
9- ड्राई फ्रूट और बीज आपके यूटरस की कमजोरी को दूर करने के लिए जो आपके लिए सबसे जरूरी है वो होता है ड्राई फ्रूट्स और बीज। ड्राई फ्रूट और बीज में कई तरह के पोषक तत्व होते है जो आपके यूटरस को मजबूत करते है
10- आयुर्वेद है पक्का इलाज – 20-20 धुले हुए तिल व जौ को पीसकर उसमें 40 ग्राम खांड मिक्स करें। इसकी 5 ग्राम की मात्रा सुबह शहद के साथ लें। इससे गर्भाश्य मजबूत होता है और प्रसव के समय दर्द भी कम होता है।

योग भी है मददगार

रोजाना गर्भासन करने से ना सिर्फ यूट्रस की कमजोरी दूर होती है बल्कि इससे आप बच्चेदानी में होने वाली अन्य समस्याओं से भी बची रहती हैं। इसके लिए सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपने हाथों को जांघ व पिंडलियों के बीच से फंसाकर कोहनियों तक बाहर निकालें। फिर दोनों कोहनियों को मोड़ते हुए घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं। शरीर को संतुलित रखते हुए दोनों हाथों से दोनों कान को पकड़ें। शरीर का पूरा भार नितंब पर डालें और 5 मिनट तक इसी स्थिति में ठहरें। इसके बाद धीरे-धीरे समान्य हो जाए।

Disclaimer – हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाठको सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले. हालांकि, इसमें दी गई जानकारी को एक योग्य चिकित्सक की सलाह के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है यह सभी संभावित दुष्प्रभावों, चेतावनी या अलर्ट को कवर नहीं कर सकता है. कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी या दवा से संबंधित अपने सभी प्रश्नों पर चर्चा करें. हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है.

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