Balgam Wali Khansi Ke Gharelu Upay खांसी के साथ बलगम आना , लंंबे समय तक आए खांसी तो हो सकती है ब्रॉन्काइटिस की समस्या

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Balgam Wali Khansi Ke Gharelu Upay

खांसी के साथ बलगम आना, Balgam Wali Khansi

खांसी के साथ बलगम आना – क्या कभी निमोनिया हुआ था? इंफेक्शन तो नियंत्रण में आ गया, पर न थमने वाली खांसी का दौर शुरू हो गया है। खांसी के साथ बलगम की शिकायत है या बलगम की मात्रा जाड़े में सुबह के समय ज्यादा होती हो। ये सब लक्षण फेफड़े की ब्राॅनकियकटेसिस नामक बीमारी के हैं।
ब्रॉन्काइटिस बच्चों या बड़े किसी को भी हो सकता है। खासतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उनके होने वाले शिशु के शरीर में कुछ खास एंजाइम्स की मात्रा बढ़ने से फेफड़े अविकसित रह सकते हैं। ब्रॉन्काइटिस सांस की नली में सूजन की समस्या है। इसमें लगातार खांसी आने के साथ फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ता है और शरीर में कई बदलाव दिखते हैं जिन्हें समय रहते दवाओं और परहेज से रोक सकते हैं। यह रोग दो तरह का है- एक्यूट व क्रॉनिक। एक साल में तीन बार से ज्यादा खांसी की शिकायत लगातार दो साल तक बनी रहे तो ये क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस की श्रेणी में आता है। प्रमुख कारण धूम्रपान करना या वातावरण में मौजूद अधिक प्रदूषण का होना है। सिगरेट पीने वाले 22 फीसदी लोगों को रोग का खतरा अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में चूल्हे पर काम करने वाली महिलाओं में इसके धुएं से फेफड़ों को नुकसान होता है।

ब्रॉन्काइटिस – रोग के लक्षण

श्वास नली में सूजन होने पर तेज खांसी, सूखी खांसी, बलगम आना, गंभीर परिस्थिति में गाढ़ा पीला व हरे रंग का बलगम आता है। सीने में दर्द के साथ सीने से सीटी जैसी आवाज आने की शिकायत। इन लक्षणों के दिखते ही चेस्ट फिजिशियन को दिखाएं वर्ना लापरवाही से संक्रमण अन्य अंगों में फैल सकता है।
ब्रॉन्काइटिस – ऐसे होती दिक्कत
सांसनली में सूजन के बाद फेफड़े की म्यूकोसा जिसे श्वांस नली की झिल्ली कहते हैं, में सूजन आ जाती है व ग्रंथि बढ़ जाती है। इससे भीतर ही भीतर म्यूकस नाम का पदार्थ निकलता है जिससे खास तत्त्वों की मात्रा बढ़ने से संक्रमण फैलता है व सांस लेने में दिक्कत होती है।
रोग की जांच –
चेस्ट एक्स-रे कर रिपोर्ट में सीने व उसके आसपास कफ या संक्रमण होने पर बलगम की जांच की जाती है। इससे संक्रमण का स्तर व बैक्टीरिया का ग्रेड पता चलता है जिसके आधार पर दवा देते हैं। रोगी को छह मिनट तक पैदल चलने के लिए कहते हैं जिसे मेडिकली सिक्स मिनट वॉक कहते हैं। इससे सांस लेने की गति मापते हैं। फिर स्पाइरोमेट्री से फेफड़ों की क्षमता जांचते हैं।
ऐसे करें बचाव –जिन्हें कभी ब्रॉन्काइटिस हुआ है, वे बचाव के लिए इंफ्लूएंजा वैक्सीन साल में एक बार लगवाएं। वहीं ब्रॉन्काइटिस के गंभीर रोगियों को साल में दो बार निमोकोकल वैक्सीन लगवानी चाहिए। वैक्सीनेशन के बाद रोग की आशंका घट जाती है। विशेषज्ञ इसके लिए ली जाने वाली दवा तीन हफ्ते तक रोजाना लेने की सलाह देते हैं।
इन्हें बीमारी का अधिक खतरा- रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो या जिन्हें टीबी, एचआईवी और किडनी संबंधी रोग हैं उन्हें इसका खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा कैंसर के रोगी जिनकी कीमोथैरेपी या रेडियोथैरेपी चल रही है उन्हें भी इसकी आशंका रहती है। ऐसे में मरीज को सिगरेट पीने की लत से तौबा करने और प्रदूषण से बचाव के लिए मुंह पर मास्क लगाने के लिए कहते हैं।

आयुर्वेदिक इलाज – बलगम वाली खांसी के लिए घरेलू दवा

मौसम में बदलाव आते ही और सर्दी का मौसम आते ही लोग बीमार पड़ने शुरू हो जाते हैं। इसके कई कारण होते है जैसे कि ठण्ड लगना, खांसी, जुखाम, गले का इन्फेक्शन होना आदि। इन दिनों में इन्फेक्शन होने से और ठण्ड से खांसी लगातार बनी रहती हैं जिसके कारण छाती में बलगम जमा हो जाता है। हालांकि इससे कोई खतरा नहीं होता है लेकिन यह सामान्य जीवन को असहज बना देता हैं। बलगम वाली खांसी का अगर समय इलाज नहीं किया जाए तो यह अन्य बीमारियों का कारण बन सकता हैं।
शहद और नींबू
शहद और नींबू से जमा हुआ बलगम शरीर से बाहर निकल जाता हैं। 1 गिलास गुनगुने पानी में 2 चम्मच शहद के साथ आधा नींबू का रस मिलाएं। अब इस मिश्रण को धीरे-धीरे पीएं। नींबू के रस से शरीर से एसिड और बलगम पिघलकर निकल जाता है और शहद गले को ठंडक देता है।
काली मिर्च और शहद
काली मिर्च गले के इन्फेक्शन और बलगम को ठीक करने में मदद करती हैं। 1 चुटकी काली मिर्च पाउडर को शहद के साथ मिलकर उंगली से चांटे। दिन में कई बार ऐसा करने से सारा बलगम निकल जाता है।
तुलसी और शहद
तुलसी प्राकृतिक गुणों की खान होती है और ये आसानी से उपलब्ध भी है। तुलसी के पत्तों का रस निकालकर शहद में मिलाकर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को अंगुली से दिन में 5 -6 बार चांटे। ऐसा करने से गले के बलगम वाली खांसी में आराम मिलता है।
काली मिर्च और देसी घी
काली मिर्च और देसी घी बलगम वाली खाँसी के लिए रामबाण इलाज होता है। एक चम्मच देसी घी में एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर मिला लें और अब इस मिश्रण को हलकी आंच पर गर्म करें। जब घी अच्छे से पक जाए तो दिन में कम से कम 3 बार इसका सेवन करें। इसका सेवन करने से सारा बलगम निकल जाता हैं और खांसी भी ठीक हो जाती है।
अदरक और शहद
अदरक में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो बलगम को सहज करके गले से नीचे उतार देता है और जो मल के रास्ते निकल जाता है। अदरक को छीलकर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर लें। अब इन टुकड़ो को हलकी आंच पर पका लें। अब इन टुकड़ों को एक कटोरी शहद में डुबो दें। अब इन टुकड़ों को दिन में 4 – 5 बार चूसें। ऐसा करने से सारा बलगम निकलकर खाँसी ठीक हो जाती है।
कच्ची हल्दी और गर्म दूध
कच्ची हल्दी वाला दूध गले में बैक्टीरिया और वायरस को ख़त्म करने में कारागार सिद्ध होता हैं। ये बलगम वाली खांसी भी ठीक करता हैं। एक गिलास दूध में एक गांठ कच्ची हल्दी डालकर तब तक उबालें जब तक दूध का रंग पीला ना हो जाएं। अब इस दूध को रात में सोते समय लगातार 5 दिन तक बच्चे को हल्का गर्म पिलाएं। ऐसा करने पर गले के टॉन्सिल इन्फेक्शन ठीक हो जाते हैं। इस दूध से बच्चे को बीमारी से भी दूर रख जा सकता हैं। सर्दियों में बच्चे को रोजाना ये दूध पिलाने से बच्चा गले की खराश, खांसी, सर्दी, जुकाम, फ्लू आदि में से दूर रहता है।

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