Andruni Chot Ki Dava Homeopathic,homeopathy can help in healing wounds Homeopathic Medicines Treatment

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Andruni Chot Ki Dava Homeopathic

परिचय – कटने छिलने जलने व चोट लगने पर होम्योपैथी दवा

कटने, छिलने, जलने, चोट लगने पर प्राथमिक उपचार का अच्छा विकल्प है होम्योपैथी, होम्योपैथी सुरक्षित भी है और प्रभावी भी,  घर में कोई न कोई दुर्घटना हो ही जाती है. सब्जी काटते समय यदि हाथ में चाकू लग गया तो खून बहने लगता है. कई बार रोके नहीं रुकता. यदि डाक्टर तक भागा जाए तो डाक्टर तक पहुंचने में काफी देर जाएगी, ऊपर से वहां लाईन लगी मिली तो और भी दिक्कत. जब तक शरीर के लिए अमृत खून काफी मात्रा में बह जाएगा. बहुतों को तो खून देखते ही घबराहट होने लगती है. कई बार परिवारों में चोट लगने या कटने पर घरेलू कपड़ा या पट्टी बांध ली जाती है, जो कि कई बार जोखिम बन जाती है. क्योंकि वहां सेप्टिक बनने का खतरा बन जाता है या हो जाता है- जिसके बाद घाव ठीक होना मुश्किल हो जाता है या ठीक होता ही नहीं, फिर वह अंग काटना पड़ सकता है. लेकिन होम्योपैथी से ऐसा कोई जोखिम नहीं रहता. घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है.
होम्योपैथी दवा – होम्योपैथी उपचार का एक रूप है जिसमें नगण्य साइड इफेक्ट्स हैं. साथ ही चोटों और अन्य घावों के लिए उपचार प्रक्रिया को तेज करने में बहुत प्रभावी है. यहां कुछ सामान्य होम्योपैथिक दवाएं दी गई हैं जिन्हें आपको घर पर रखना चाहिए, ताकि चोट लगने पर आप तुरंत मरीज का उपचार कर सकें.

सामान्य इमरजेन्सी – घाव सुखाने की होम्योपैथिक दवा

  1. सामान्य चोट
  2. रक्तस्त्राव
  3. सामान्य या अचानक उत्पन्न होने वाले दर्द
  4. संक्रमण
  5.  मोच

1. सामान्य चोट– बच्चो को खेलते वक्त चोट लगना और काम करते समय मामूली चोट या कट लगना अथवा वाहन से मामूली दुर्घटना होना .ये सभी सामान्य चोट के अर्न्तगत आते है. ऐसे समय में कुछ उपयोगी होम्योपैथिक दवाए न केवल कटे हुए घाव भरने , रक्तस्त्राव रोकने में उपयोगी है बल्कि ये दर्द को भी कम कर देती है जैसे – Calendula, Arnica, Hypericum आदि.

2. रक्तस्राव– यद्यपि रक्तस्राव किसी भी प्रकार की बाह्य या आन्तरिक चोट का परिणाम होता है लकिन रक्तस्राव को कई प्रकारून मैं विभक्त किया जा सकता है – सामान्य चोट लगने पर होनेवाला रक्तस्राव, नाक से रक्तस्राव (नकसीर), महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होनेवाला अतिस्राव आदि. कभी-२ किडनी मे पथरी की समस्या होनेपर भी मूत्र के साथ रक्तस्राव संभव है. होम्योपैथी मैं रक्तस्राव फ़ौरन रोकने के लिए भी पर्याप्त दावा उपलब्ध हैं जैसे – Calendula, Millofolium , Hammamalis , Crot-Hor आदि. .

3. सामान्य या अचानक उत्पन्न होने वाले दर्द – शरीर के किसी भी भाग मे होनेवाला दर्द स्वयं मे कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह अन्य बीमारियों का अलार्म है. दर्द अनेक तरह के हो सकते हैं – शरीर के किसी भी भाग मे बिना किसी कारण के अचानक होनेवाला दर्द, चोट लगने का दर्द, बीमारी का दर्द, मासिक धर्म मे दर्द आदि. कुछ ख़ास होम्योपैथिक दवाए न केवल दर्द को स्थायी रूप से ख़त्म करती हैं बल्कि कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता किन्तु दवाए लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेलेना उचित है. उपलब्ध दवाई हैं – Rhus Tox, Mag. Phos, Arnica आदि.

4. संक्रमण– किसी भी प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित करने मैं होम्योपैथिक दवाए सक्षम हैं.मौसमी संक्रमण, फोडे, मुहांसे, खुजली, एक्सिमा,एलर्जी आदि के लिए Gunpowder, Silicea आदि होम्योपैथिक दवाए कारगर हैं.

5. मोच– सामान्य कार्य के दौरान,भारी वजन उठाने से, गलत तरीके से कसरत करने से आदि अनेक कारन हैं जो मोच के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं.प्रायः मोच शरीर के लचीले भागों जैसे कलाई, कमर, पैर,आदि को प्रभावित करती है. लोगों का सोचना है के मालिश ही इसका सर्वोत्तम उपचार है लेकिन मोच के लिए भी होम्योपैथिक दवाए उपलब्ध हैं जो ना केवल मोच के दर्द से राहत देती हैं बल्कि सुजन को दूर करने मे भी सहायक हैं –Ruta, Rhus Tox आदि.

जलने पर होम्योपैथी दवा

इसी तरह यदि किसी कारण शरीर का कोई भाग जल जाए तो आप कैन्थरिश की क्यू व 30 पावर जरूर रखें. कैन्थरिश की क्यू पावर की कुछ बूंदे पानी में डालकर जले भाग लगाएं, तुरंत आराम आएगा, फफोले भी नहीं पड़ेंगे. जलन भी खत्म होगी व घाव जल्दी ठीक होगा. कैन्थरिश क्यू की क्रीम भी होम्योपैथी की दुकान पर मिलती है. इसे घर में रखें. कुछ दिन कैन्थरिश -30 व फेरम फास-30 को गोली में बनाकर 4-4 गोली दिन में चार बार लें. देखिए, घाव कितनी जल्दी ठीक होता है, आप भी अचंभा करेंगे. दो दवाओं के बीच में 10 मिनट का अंतर रखें.

सेप्टिक(टिटनेस) की होम्योपैथी दवा

सेप्टिक(टिटनेस) को भी ठीक करती है होम्योपैथी – आर्निका माण्टेना-30 एंटीसेप्टिक का बहुत बढि़या काम करती है. किसी भी तरह से चोट लगने पर, यानी लोहे से भी चोट लगने पर आर्निका माण्टेना-30 ले लेनी चाहिए. इसके साथ लिडम पैलस्टर-30 भी ले सकते हैं. यह सेप्टिक नहीं बनने देती. इसे लेने पर आपको कोई इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं. यदि चोट लगने के बाद सेप्टिक बन गया है, इलाज कराते-कराते भी ठीक नहीं हो रहा है तो एक बार होम्योपैथी का जरूर इस्तेमाल करके देखें. सेप्टिक होने की वजह से गल रहा अंग कटने से बच सकता है. घाव सुखाने, पीप रोकने-सोखने, ठीक करने में केल्केरिया सल्फ जैसी अनेक दवाईंया हैं, जो घाव को ठीक कर देती हैं. आर्निका माण्टेना, लीडम जैसी दवाईंयां सेप्टिक को ठीक करने में बहुत कारगर है. आर्निका माण्टेना, कैलेण्डूला के मरहम भी मिलते हैं. मरहम चोट पर लगाएं. कैलेण्डुला भी कटे-छिले घाव के लिए अच्छी दवा है. यह दर्द को कम करती है.

कीट पतंगे काटने पर होम्योपैथी दवा

कई बार घर में या दूसरी जगह ततैया, मधु मक्खी, आदि शरीर में कहीं न कहीं डंक मार देते हैं. डंक इतना भयंकर होता है कि डंक वाले स्थान पर बहुत दर्द होता है. शरीर का वह हिस्सा सूज भी जाता है. आप इस तरह के समय के लिए घर में लिडम पैलस्टर व एपिस मेल रखें. डंक वाले स्थान पर लिडम पैलस्टर क्यू की कुछ बूंद छिड़के या रूई से लगाएं. साथ ही लिडम पैलस्टर-30 तथा एपिस मे.30 की 4-4 बूंदे 10-10 मिनट के अंतर से जीभ पर डालकर लें. यह दवाईंया सूजन नहीं होने देगी, यदि सूजन हो गई तो उसे जल्द ठीक करेगी. दर्द को भी कम करेगी. चूहे के काटने पर भी यह दवा प्रयोग कर सकते हैं, उसी तरह.

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