Biography of king ramanna

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राजा रमन्ना की जीवनी
भारत की धरती पर कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया जिनमें से एक थे राजा रमन्ना जो भारत के एक जाने माने परमाणु वैज्ञानिक थे, उन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम को विकसित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. आपको बता दें कि राजा रमन्ना सन् 1964 में भारत के परमाणु कार्यक्रम में शामिल हुए थे और प्रारंभ में प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉ होमी जहाँगीर भाभा के देख-रेख में कार्य किया और उनके निधन के बाद सन 1967 में इस कार्यक्रम के निदेशक बन गए. उन्होंने परमाणु हथियारों के विकास से सम्बंधित वैज्ञानिक शोध का निरिक्षण किया और बढ़ावा दिया. वे सन 1974 में भारत के पहले परमाणु परिक्षण (स्मायिलिंग बुद्धा) करने वाले वैज्ञानिक दल के मुखिया भी थे.

राजा रमन्ना ने लगभग चार दशक तक भारत के परमाणु कार्यक्रम का संचालन किया जिसके कारण उन्हें भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है. राष्ट्र के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री (1968), पद्म भषण (1973) और पद्म विभूषण (1975) जैसे उच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा.

नाम- राजा रमन्ना
जन्म – 28 जनवरी, 1925
जन्म स्थान – तिप्तुर, तुमकूर, कर्नाटक
मृत्यु – 24 सितम्बर 2004
मृत्यु स्थान – मुंबई, महाराष्ट्र
कार्यक्षेत्र – परमाणु वैज्ञानिक, भारत के परमाणु कार्यक्रम से 4 दशक तक जुड़े रहे

राजा रमन्ना का प्रारंभिक जीवन
राजा रमन्ना का जन्म 28 जनवरी, 1925 को मैसोर राज्य के तुमकूर में तिप्तुर नामक स्थान पर हुआ था. उनके पिता जी का नाम रमन्ना और माता का नाम रुक्मिणी था. बालक रमन्ना ने बचपन में संगीत के प्रति गहरी रूचि दिखाई जिसके बाद उनके माता पिता ने उन्हें पारंपरिक पश्चिमी संगीत से अवगत करवाया. उनकी प्रारंभिक शिक्षा बेंगलुरु के बिशप कॉटन बोयज़ स्कूल से प्रारंभ हुई जहाँ उन्होंने मुख्यतः साहित्य और पारंपरिक संगीत की शिक्षा ग्रहण दिया. उन्होंने मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज से भौतिकी विषय में बी.एस.सी. की डिग्री अर्जित की और सन 1947 में पारंपरिक संगीत में बी.ए. की डिग्री भी ली. इसके पश्चात उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने भौतिकी में एम.एस.सी. और फिर संगीत विषय में M. Mus. किया.

उसके बाद सन 1952 में रमन्ना को राष्ट्रमंडल छात्रवृत्ति मिली जिसके उपरान्त वे डॉक्टरेट करने के लिए इंग्लैंड चले गए. उन्होंने लन्दन विश्वविद्यालय के किंग्स कॉलेज में डॉक्टरेट के लिए दाखिला लिया और सन 1954 में परमाणु भौतिकी में अपना डॉक्टरेट पूरा किया. यूनाइटेड किंगडम में उन्होंने अपना शोध एटॉमिक एनर्जी रिसर्च एस्टाब्लिश्मेंट (AERE) में किया जहाँ उन्होंने नुक्लेअर फ्यूल साइकिल और नुक्लेअर रिएक्टर डिजाइनिंग में निपुणता हासिल की. संगीत में उनकी गंभीर रूचि थी और इंग्लैंड प्रवास के दौरान उन्होंने यूरोपिय संगीत का खूब आनंद लिया और पश्चिमी दर्शन के बारे में भी पढ़ा और जाना.

पश्चिमी संगीत और सभ्यता में राजा रमन्ना की रूचि और उत्साह जीवन पर्यंत रहा और भारत लौटने के बाद उन्होंने अपने आप को प्रतिभावान पियानो वादकों जैसा पारंगत किया. उन्होंने भारत और विदेशों में कई संगीत कार्यक्रमों में परंपरागत यूरोपिय संगीत का प्रदर्शन किया. सन 1956 में पाकिस्तान के नेशनल कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स और नेशनल अकैडमी ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स के आमंत्रण पर उन्होंने वहां क्लासिकल पियानो पर एक भाषण दिया और अपनी कला का प्रदर्शन भी किया.

भारत का परमाणु कार्यक्रम
आपको बता दें कि डॉ राजा रमन्ना भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा प्रारंभ किये गए देश के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े हुए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे. सन 1954 में इंग्लैंड से डॉक्टरेट करने के बाद वे भारत लौट आये और डॉ होमी जहाँगीर भाभा के नेतृत्व में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेण्टर में वरिष्ठ तकनिकी दल में नियुक्त हो गए. सन 1958 में उन्हें इस कार्यक्रम का चीफ डायरेक्टिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया. डॉ होमी जहाँगीर भाभा के दुखद मौत के बाद उन्हें इस कार्यक्रम का मुखिया बना दिया गया और सन 1974 में उनके नेत्रत्व में भारत ने पहले परमाणु परीक्षण (स्मायिलिंग बुद्धा) किया जिसके बाद राजा रमन्ना को अन्तराष्ट्रीय ख्याति मिली और भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.

सन 1978 में इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने राजा रमन्ना के सामने इराक के लिए परमाणु बम बनाने का प्रस्ताव रखा पर उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत वापस लौट गए.

अपने करियर के बाद के दिनों में राजा रमन्ना ने सख्त नीतियों को बनाने की वकालत की ताकि परमाणु प्रसार रोका जा सके. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी सम्मलेन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की भी यात्रा की और परमाणु भौतिकी पर भाषण दिया. उन्होंने भारत-पाकिस्तान के मध्य शांति स्थापित करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस क्षेत्र में परमाणु टकराव रोकने में अग्रणी भूमिका भी निभाई.

भारत की इस उपलब्धि ने रमन्ना की ख्याति दुनियाभर में फैला दी. वर्ष 1978 में इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने रमन्ना से संपर्क साधा और परमाणु हथियार बनाने के लिए सहायता मांगी. सद्दाम हुसैन ने उन्हें इराक में ही रहकर परमाणु कार्यक्रम को अपनी निगरानी में संपन्न करवाने का प्रस्ताव रखा, जिसे रमन्ना ने ठुकरा दिया और अगली ही फ्लाइट से भारत लौट आए. भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इस वैज्ञानिक को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया.

सन 1984 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा संस्थान ज्वाइन कर लिया और IAEA के 30वें महा अधिवेशन का अध्यक्ष भी रहे.

राजा रमन्ना राज्य मंत्री के तौर पर
बता दें कि सन् 1990 में वी.पी.सिंह सरकार में राजा रमन्ना को रक्षा राज्य मंत्री बनाया गया. सन 1997 से लेकर 2003 तक वे राज्य सभा का सदस्य भी रहे. वे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे के साथ भी करीब से जुड़े थे और इसके बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स का लगातार तीन सत्रों के लिए अध्यक्ष भी रहे. सन 2000 में उन्हें नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज बैंगलोर का पहला निदेशक बनाया गया.

राजा रमन्ना की रूचि
डॉ राजा रमन्ना महुमुखी प्रतिभा के धनि व्यक्ति थे. परमाणु भौतिकी के साथ-साथ संगीत और दर्शन में भी उनकी गहरी रूचि थी. वे पियानो बजाने में बहुत पारंगत थे और देश-विदेश में कई समारोहों में अपनी कला का प्रदर्शन भी किया. संगीत उनके दिल के बहुत करीब था और इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी – द स्ट्रक्चर ऑफ़ म्यूजिक इन रागा एंड वेस्टर्न सिस्टम्स (1993). उन्होंने एक और पुस्तक (आत्मकथा) इयर्स ऑफ़ पिल्ग्रिमेज (1991) भी लिखी.

राजा रमन्ना के सम्मान/पुरस्कार
देश के लिए किये गए उनके कार्यों के मद्देनजर भारत सरकार ने समय-समय पर राजा रमन्ना को सम्मानित किया.
1- सन 1963 में उन्हें विज्ञानं और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार दिया गया
2- सन 1968 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया
3- सन 1973 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया
4- सन 1976 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया

राजा रमन्ना का निधन
24 सितम्बर 2004 को डॉ राजा रमन्ना परलोक सिधार गए. मृत्यु के समय उनकी आयु 79 साल थी.

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