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Khansi Me Khoon Aane Ka Gharelu Upachar

परिचय – खांसी से जुड़ी बीमारियां

ज्यादातर मामलों में वायरस के कारण खांसी होती है और साधारण खांसी बिना इलाज के ही ठीक भी हो जाती है, लेकिन खांसी में खून आना, वो स्थिति है, जिसमें तत्काल इलाज की जरूरत होती है।हम आमतौर पर यह सोचने लगते हैं कि चलो बाद में देखते हैं कि यह फिर से आता है कि नहीं? हम सब नजरअंदाज कर देते हैं और उस दिन का इंतजार करते हैं जब कभी यदि फिर से खून गिरे तो फिर हम डॉक्टर के पास जाने के बारे में सोंचें.लेकिन ऐसा इंतजार कभी-कभी महंगा भी साबित हो सकता है. यदि हम इसे मामूली बात मानकर डॉक्टर के पास जाना टाल जाते हैं तो बाज वक्त हम कभी फेफड़ों की टीबी या फेफड़ों के कैंसर जैसी कोई बहुत चिंताजनक बीमारी की इस चेतावनी को पकड़ पाने का अवसर चूक भी सकते हैं. इसीलिए यह निहायत जरूरी है कि हम खांसी में खून आने की समस्या के बारे में कम से कम कुछ बुनियादी चीजें तो अवश्य जान लें. यह भी जान लें कि ऐसा खून गिरने पर क्या किया जाए और क्या न किया जाए?

खांसी के प्रकार

खांसी को अवधि के अनुसार 2 प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है.
1- कम अवधि की खांसी: इस प्रकार की खांसी अचानक शुरू होती है पर 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाती है. इस प्रकार की खांसी के मुख्य कारण सर्दी, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इन्फैक्शन या ऐलर्जी, ब्रौंकाइटिस, निमोनिया, श्वसन नली में किसी वस्तु के फंस जाने से या फिर दिल का दौरा पड़ने से होती है.
2- लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी: इस प्रकार की खांसी 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है. लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी के मुख्य कारणों में धूम्रपान, सीओपीडी, दमा, टीबी, ऐलर्जी हैं

कितनी तरह की खांसी

1- नॉर्मल खांसी : यह वायरल की वजह से होती है। आमतौर यह सिजनेबल होती है और वायरस या निमोनिया की वजह से होती है।
2- बार्किंग खांसी : जब गले के ऊपरी भाग के एपिग्लोटिस में सूजन आ जाए तब लोग लगातार खांसते हैं और यह खांसी तुरंत नही रुकती है। इसमें सांस फूलने लगती है।
3- बुआइन खांसी : जब गले के वोकल कॉड में पैरालाइसिस हो जाए तो यह खांसी होती है। इसमें लो पिच हो जाता है और गला बैठ जाता है।
4- ब्रासी खांसी : जब ट्रैकिया पर प्रेशर पड़ता है तब यह खांसी होती है।
5- गले की खांसी: गले की खांसी सूखी व बलगम वाली, दोनों हो सकती है। एक में गले में सिर्फ खराश होगी और खांसी नहीं आएगी। दूसरे में खराश के साथ खांसी आएगी।
6- फेफड़े या दिल की खांसी : खांसी में अगर बलगम के साथ सीटी भी बज रही है तो फेफड़ों की खांसी कही जाएगी। अगर बिना बलगम और बिना सीटी के सूखी खांसी है तो यह हार्ट का अस्थमा हो सकता है।
7- मॉर्निंग की खांसी : जब सुबह-सुबह खांसी बढ़ जाए तो यह खतरनाक है। यह पॉल्यूशन की वजह से हो सकता है या फिर जो लोग लगातार स्मोकिंग करते हैं उन्हें हो सकता है।
8- नाइट खांसी : अस्थमा वाली खांसी रात में बढ़ जाती है। इसमें खांसी के साथ पसीना भी आता है। यह खांसी टीबी और कैंसर की भी वजह हो सकती है।
9- सूखी खांसी : इसमें खांसी तो होती है लेकिन बलगम नहीं निकलता है, इसलिए इसे सूखी खांसी कहते हैं।
10- गीली खांसी : इसमें खांसी के साथ बलगम भी निकलने लगता है। इसमें कई बार ज्यादा तो कई बार कम बलगम निकलता है।

बीमारी का वॉर्निंग सिग्नल है खांसी

फॉरिंग्स, लॉरिंग्स, ब्रोंकस लेफ्ट और राइट, ट्रैकिया, लंग्स में जब किसी वजह से सूजन हो जाती है तो खांसी होती है। इस में एक सेंसरी नर्व होती है, जिसमें मिकोजा लेयर होती है, अगर इसमें किसी वजह से सूजन होती है तो खांसी होने लगता है। नोवा स्पेशलिटी सेंटर की डॉक्टर नवनीत कौर के अनुसार अस्थमा की वजह से, गले में इन्फेक्शन से, टॉन्सिल्स से, फेरनजाइटिस से, ब्रोंकाइटिस से, लंग्स में इनफेक्शन, न्यूमोनिया से, हार्ट की बीमारियों की वजह से, एसिडिटी और कुछ दवाओं की वजह से यह सूजन या इरिटेशन होती है, जिसकी वजह से खांसी की शुरुआत होती है।

खांसी से जुड़ी बीमारियों की लिस्ट

1- लम्बी या गंभीर खांसी: लगातार खांसी का असर ऊपरी सांस नली (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट) पर पड़ता है और रक्त वाहिकाओं के फटने के कारण खून आता है।
2- ब्रोंकाइटिस: बलगम के कारण हवा को फेफड़ों तक ले जाने वाली नली में सूजन आ जाती है। इस स्थिति को ब्रोंकाइटिस कहते हैं। इसके खांसते समय कफ निकलता है। लगातार ब्रोंकाइटिस बना रहे तो खांसी के साथ खून आने लगता है।
3- ब्रोन्किइक्टेसिस: ब्रोन्किइक्टेसिस के कारण भी खांसी में खून आता है। फेफड़ों के वायु मार्ग के कुछ हिस्सों के स्थायी रूप से फैलने के कारण यह स्थिति बनती है। इसके कारण संक्रमण, सांस की तकलीफ और घरघराहट होती है।
4- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी): सीओपीडी यानी फेफड़ों तक आने-जाने वाली वायु के मार्ग में अवरोध। इसके कारण खांसी बनी रहती है, सांस लेने में कठिनाई और घरघराहट होती है।
5- निमोनिया: इसके कारण फेफड़ों में संक्रमण होता है और खून वाला बलगम निकल सकता है। निमोनिया में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण सांस लेने में परेशानी होती है, खांसी, थकान, बुखार, पसीना और सीने में दर्द बना रहता है।
6- फेफड़ों का कैंसर: जो लोग 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और तंबाकू का सेवन करते हैं, तो उन्हें फेफड़े के कैंसर की आशंका अधिक होती है। इसकी शुरुआत खांसी से होती है जो दूर नहीं होती है, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द और कभी-कभी हड्डी में दर्द या सिरदर्द होता है।
7- गर्दन का कैंसर: यह आमतौर पर गले या विंडपाइप में शुरू होता है। इससे गले में सूजन या खराश पैदा होती है जो आसानी से ठीक नहीं होती। इसके कारण खांसी में खून आता है।
8- टीबी: एक बैक्टीरिया फेफड़ों के इस गंभीर संक्रमण का कारण बनता है, जिससे बुखार, पसीना, सीने में दर्द, सांस लेते समय दर्द या खांसी होती है।
9- हार्ट वाल्व का सिकुडना: हार्ट के माइट्रल वाल्व की सिकुड़ना सांस की तकलीफ और लगातार खांसी का कारण बन सकता है। इस स्थिति को माइट्रल वाल्व स्टेनोसिस कहा जाता है।
10- नशीली दवाओं का सेवन: नाक के जरिए ली जाने वाली ड्रग्स, जैसे कोकीन, के कारण श्वास मार्ग पर असर पड़ता है और खांसी में खून आता है। साथ ही खून का थक्का बनने से रोकने वाली दवाएं जैसे वारफारिन, रिवेरोकाबान, डाबीगाट्रान और एपिक्सबैन भी इसका कारण बनती हैं।

बलगम से करें बीमारी की पहचान

1- काला बलगम – बेहद काला बलगम का मतलब होता है कि आपने काफी प्रदूषक या धूआं सांस के ज़रिये भीतर लिया है। लेकिन यह क्रोनिक साइनस संक्रमण या कवक का संकेत भी हो सकता है। प्रोफेसर स्ट्रिंगर के अनुसार, कवक मृत ऊतकों में रहना पसंद करती है, तो बलगम के जम जाने पर यह कवक के लिये के लिए सही माहौल होता है।
2- सफेद बलगम : अगर सफेद बलगम आए तो यह इरिटेशन की वजह से होता है।
3- येलो या ग्रीन बलगम : जब बैक्टीरियल खांसी हो तो बलगम येलो या ग्रीन हो जाता है।
4- ब्लड आए तो : अगर बलगम के साथ ब्लड आए तो टीबी या कैंसर भी हो सकता है या सिर्फ ज्यादा खांसी की वजह से गला छिलने से भी हो सकता है।
5- रस्टी रंग : अगर बलगम का कलर जंग की तरह हो तो निमोनिया की वजह से खांसी हो सकती है।
6- पिंक बलगम : यह हार्ट फेल या लंग्स में सूजन की वजह से हो सकता है। यह झाग झाग की तरह होता है।
7- बदबू आए तो : अगर बलगम के साथ बदबू आने लगे तो यह लंग्स में एपसिस की वजह से हो सकता है। इसमें पस हो जाता है।
8- गोल्ड और बहुत चिपचिपा –पीले रंग का गहरा शेड वाला, कुछ पीनट बटर जैसी स्थिरता वाला बलगम फंगल साइनसाइटिस की और इशारा करता है (नाक में फंसे मोल्ड स्पोर्स के कारण होने वाला संक्रमण का एक प्रकार)।
9- बुखार के साथ खांसी : इनफेक्शन या निमोनिया की वजह से हो सकता है।
10- अगर छाती में दर्द : खांसी के साथ छाती में दर्द हो तो यह लंग्स से रिलेटेड हो सकता है।

11- टीबी हो सकता है : तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर टीबी की जांच करवा लेनी चाहिए।
12- ऐसा भी हो सकता है : कई बार एसिडिटी की वजह से भी खांसी होती है क्योंकि पेट में बना एसिड ऊपर चढ़कर सांस की नली में चला जाता है। ऐसे में एसिडिटी का इलाज जरूरी है, न कि खांसी का। कई बार दिल का बायां हिस्सा बढ़ जाए या फेफड़ों की नसों का प्रेशर ज्यादा हो तो भी खांसी होने लगती है। इसे दिल का अस्थमा भी कहते हैं।

बलगम (कफ) में खून आने के लक्षण, कारण, बचाव, परीक्षण, इलाज, दवा, उपचार

बलगम में खून आना

खासी में बलगम में खून आना एक ऐसा संकेत है, जिसको कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जब बलगम या खांसते अथवा थूकते समय खून आता है तो यह हीमोप्टाइसिस बीमारी हो सकती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा। युवावस्था या स्वस्थ्य व्यक्ति में कभी-कभार ऐसा होना स्वाभाविक है, लेकिन यदि खांसी के साथ लगातार ब्लड आ रहा है और अधिक मात्रा में आ रहा है तो यह चिंताजनक है। यह फेफड़े या पेट की किसी बीमारी या कैंसर का संकेत है। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आप तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाए।

लक्षण – बलगम में खून के लक्षण

1. मुंह से गहरे या हल्के लाल रंग का खून आना जो बलगम या थूक के साथ या उनके बिना भी आ सकता है.
2. झागदार थूक या कफ (बलगम) आना, जिसमें गुलाबी, जंग जैसे रंग या खून की धारियां दिखाई देना.
3. गहरे लाल रंग का खून निकलना जिसमें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन भी आता है.
4. थूक में गहरे लाल रंग का खून जो कॉफी की तलछट जैसा दिखाई देता है.
5. इसके अलावा खांसी, बुखार, सीने में दर्द, सांस फूलना, वजन घटना जैसे कुछ अन्य लक्षण भी बलगम में खून आने के साथ दिखाई देते हैं.

कारण – बलगम में रक्त आने का कारण

बलगम में खून आने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, बलगम में खून आने का सबसे आम कारण एक्यूट ब्रोंकाइटिस है। टी.बी. और फेफड़ों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी बलगम में खून आने के काफी मुख्य कारण होते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारण से भी बलगम के साथ खून आ सकते हैं जे इस प्रकार है-

  • लंग कैंसर
  • परजीवी संक्रमण
  • निमोनिया
  • पल्मोनरी एम्बोलिस्म (इस स्थिति में फेफड़ों में खून का थक्का जम जाता है, जिससे सांस फूलना और छाती में दर्द होने लगता है)
  • खून को पतला करने वाली या अन्य किसी प्रकार की दवा लेना
  • पलमॉनेरी एडिमा (इस स्थिति में फेफड़ों में द्रव जमा होने लगता है, यह रोग अक्सर ऐसे लोगों को होता है जिनको पहले ही हृदय संबंधी कोई समस्या है)
  • कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
  • सूजन संबंधी कोई दीर्घकालिक समस्या
  • स्व-प्रतिरक्षित रोग
  • कोकेन लेना
  • सिगरेट पीना
  • चोट लगना
  • शरीर के अंदर कोई बाहरी वस्तु घुस जाना
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस
  • सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज)

बचाव – बलगम में खून आने से बचाव

  1. यदि आप धूम्रपान करते हैं तो उसे तुरंत ही छोड़ दें या कभी धूम्रपान करें ही न। साथ ही साथ जब बाहर प्रदूषण या धुंध (कोहरा) अधिक हो तो बाहर नहीं निकलना चाहिए।
  2. यदि आपको गंभीर खांसी हो गई है तो जल्द से जल्द उसका इलाज करवाएं क्योंकि यह भी बलगम में खून आने का कारण बन सकती है।
  3. यदि हम बलगम में खून आने के लक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो इसके अंदरुनी कारण और बदतर हो सकते हैं। इसके अंदरूनी कारण का पता लगाकर और उसका इलाज करके ही बलगम में खून आने की रोकथाम की जा सकती है।
  4. यदि आपको साइनस या किसी अन्य संक्रमण के कुछ लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो खूब मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थ पिएं। ऐसे में संक्रमण से होने वाले कई लक्षण ठीक होने लगते हैं और संक्रमण के दौरान बनने वाला कफ पतला होने लगता है जिससे वह आसानी से शरीर से बाहर निकल जाता है।
  5. जिन क्षेत्रों में आप रहते हैं उनको साफ करें और वहां पर धूल व कचरे को इकट्ठा ना होने दें। ऐसा करने से वहां की हवा में ऐसे उत्तेजक पदार्थ कम हो जाते हैं, जो श्वसन तंत्र में परेशानी पैदा करते हैं। ऐसी हवा में सांस लेने से संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।

परीक्षण – खासी के बलगम में खून आने का परीक्षण

जिन लोगों को खासी के बलगम के साथ खून आता है, उनका टेस्ट्स करने के दौरान मुख्य रूप से उनके बलगम में खून की मात्रा और सांस संबंधी हर समस्या की जांच की जाती है। इन दोनों समस्याओं का परीक्षण करके बलगम में खून आने के कारण का पता लगाया जा सकता है।जांच करने के लिए किये जाने वाले टेस्ट निम्नलिखित है।

  1. शारीरिक परीक्षण और पुरानी हेल्थ डिटेल्स – मरीज की पिछली मेडिकल जानकारी लेना और फिर शारीरिक परीक्षण करना.
  2. छाती का एक्स रे ( Chest X-Ray ) – यदि फेफड़ों में बलगम या छाती में द्रव आदि जमा हो गया है, छाती का एक्स रे करके उसका पता लगाया जा सकता है।
  3. यूरिन टेस्ट ( Clinical Urine Tests ) – बलगम में खून आने के कुछ कारणों का पता यूरिन टेस्ट के द्वारा भी लगाया जा सकता है।
  4. ब्लड केमिस्ट्री प्रोफाइल (Blood chemistry profile) – इस टेस्ट का उपयोग इलेक्ट्रोलाइट ( जो की शरीर का एक प्राकृतिक तत्व है ) और किडनी के कार्यों की जांच करने के लिए किया जाता है। क्योंकि यदि ये असाधारण रूप से काम करने लगें तो बलगम में खून आ सकता है।
  5. पल्स ओक्सिमेट्री ( Pulse Oximetry Test ) – इस टेस्ट में ऑक्सिमीटर नामक एक उपकरण के साथ नाड़ी की जांच की जाती है। इस उपकरण को उंगली पर लगाया जाता है और उससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जाता है।
  6. ब्रोंकोस्कोपी ( Bronchoscopy  )-  ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया फेफड़ों के वायुमार्ग के अंदर देखती है और फेफड़ों की बीमारियों का पता लगाने के लिए प्रयोग की जाती है। इस टेस्ट में डॉक्टर एंडोस्कोप नामक एक उपकरण का उपयोग करते हैं, यह एक लचीली ट्यूब होती है जिसके सिरे पर एक कैमरा व लाइट लगी होती है। टेस्ट के दौरान एंडोस्कोप को मुंह या नाक के माध्यम से श्वासनली में पहुंचाया जाता है। ब्रोंकोस्कोपी से भी बलगम में खून आने के कारण का पता लगाने में मदद मिलती है।
  7. स्पुटम कल्चर ( Routine Sputum Culture ) – इस टेस्ट में थूक के सेंपल को शीशे की स्लाइड पर फैलाया जाता है और फिर संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणुओं की जांच करने के लिए उसका परीक्षण किया जाता है।
  8. कम्पलीट ब्लड काउंट ( Complete Blood Count (CBC) Test ) – इस टेस्ट की मदद से खून में लाल रक्त कोशिकाएं, सफेद रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स की जांच की जाती है।
  9. धमनियों के खून में उपस्थित गैसों की जांच (Arterial Blood Gas) – इस टेस्ट के द्वारा खून में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड गैसों की जांच की जाती है। यदि खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया है तो थूक या बलगम में खून आ सकता है।
  10. सीटी स्कैन (Computerized Tomography Scan) – इस टेस्ट की मदद से छाती की अंदरुनी संरचना की तस्वीरें निकाली जाती हैं। इस टेस्ट की मदद से बलगम में खून आने के कुछ कारणों का पता लगाया जाता है।
  11. कोग्युलेशन टेस्ट (Coagulation Tests) – ये टेस्ट इसलिए होता है क्यों की कभी कभी खून का थक्का बनाने की क्षमता में किसी प्रकार का परिवर्तन होने से भी खांसी के दौरान खून आ सकता है।

इलाज – खासी के बलगम में खून आने का इलाज

खासी के बलगम में खून आने का इलाज कैसे होता हैं ये जानना बहुत आवश्यक है। बलगम में खून का इलाज उसके कारण और साथ ही साथ बलगम में खून की मात्रा के अनुसार किया जाता है। यदि आपके बलगम में खून आता है तो बिना देरी किये आपको जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी है।बलगम में खून आने के इलाज का मुख्य काम खून को बंद करना और इसके अंदरूनी कारण को ठीक करना होता है। बलगम में खून आने के इलाजनिम्नलिखित है।

  1. ऑपरेशन करना ( Pneumonectomy )- यदि बलगम में खून आने की स्थिति बहुत ही गंभीर हो गई है जो जीवन के लिए घातक हो सकती है। तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन करके मरीज के एक फेफड़े को निकाल दिया जाता है , इस प्रक्रिया को न्यूमोनेक्टॉमी (Pneumonectomy) कहा जाता है।
  2. ब्रोंकोस्कोपी ( Bronchoscopy  )- ब्रोंकोस्कोपी एक ऐसी चिकित्सकीय प्रक्रिया है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग के अंदर देखती है और फेफड़ों की बीमारियों का पता लगाने के लिए प्रयोग की जाती है।इसमें एंडोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है, एंडोस्कोप की मदद से बलगम मे खून आने के कुछ कारणों का इलाज किया जा सकता है।
  3. ब्रोंकाइल आर्टरी इंबोलाइजेशन (Bronchial artery embolization) – इस प्रक्रिया में डॉक्टर उस जगह का पता लगा लेते हैं, जहां से खून बह रहा है। उसके बाद उस धमनी को एक विशेष प्रकार की तार या पदार्थ की मदद से बंद कर दिया जाता है।, जिससे बलगम में खून आना बंद हो जाता है और अन्य धमनियां बंद हुई धमनी की कमी पूर्ति कर देते हैं।

उपचार – बलगम में खून आने के अन्य उपचार

थूक या बलगम में खून आने के अन्य उपचारों में ये भी शामिल हो सकते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है जब टेस्ट्स के बाद रोगी सही जानकारी मिल जाती है अथवा बलगम में खून आने का सही कारण।

  1. निमोनिया और टीबी के लिए डॉक्टर्स एंटीबायोटिक्स दवाएं देते है।
  2. लंग कैंसर के लिए कीमोथेरेपी और/या रेडिएशन थेरेपी होती है।
  3. ब्रोंकाइटिस जैसी सूजन व जलन संबंधी बीमारियों के लिए स्टेरॉयड दवाएं का प्रयोग होता है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

जब भी आपको लगे कि आपके थूक या बलगम में खून आ रहा है, तो उसी समय आपको डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए, क्योंकि यह श्वसन तंत्र में संक्रमण का संकेत हो सकता है। इसके अलावा गिरने या छाती में चोट आदि लगने के बाद खांसी के साथ खून आए, बलगम के साथ मल और पेशाब में भी खून आएं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें.

बलगम में खून आने की दवा, Balgam Ke Sath Khoon Aane ki medecine

बलगम में खून आना के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से परामर्श लिये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान पहुंच सकता है।
दवा का नाम व कीमत
Vaidyaratnam Madhookasavam, कीमत – ₹128.0
Arya Vaidya Sala Kottakkal Rajatha Bhasmam Capsule, कीमत – ₹145.0
Vaidyaratnam Koosmanda Rasayanam, कीमत – ₹106.0
REPL Dr. Advice No.71 Nose Bleed Drop, कीमत – ₹146.3
SBL Natrum nitricum Dilution, कीमत – ₹97.2
Bioforce Blooume 12 Digestisan Drop, कीमत – ₹125.0
SBL Harungana madagascariensis Dilution, कीमत – ₹97.2
Bjain Natrum nitricum Dilution, कीमत – ₹71.1
Schwabe Natrum nitricum CH, कीमत – ₹108.0
Bjain Harungana madagascariensis Dilution, कीमत – ₹71.1
Schwabe Harungana madagascariensis CH, कीमत – ₹108.0

सलाह – यदि खासी के साथ बलगम में अत्यधिक खून आ रहा है, तो इसका जल्द से जल्द इलाज करवाना जरूरी होता है नहीं तो यह मरीज की मृत्यु का कारण भी बन सकता है। यहां तक कि अगर बलगम में कम खून आ रहा है, तो भी इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह फेफड़ों के कैंसर का शुरूआती लक्षण हो सकता है।आप बिना देरी के डॉक्टर को दिखाए।

Disclaimer – हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसके उपभोक्ताओं को विशेषज्ञ-समीक्षा, सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले। हालांकि, इसमें दी गई जानकारी को एक योग्य चिकित्सक की सलाह का विकल्प के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है यह सभी संभावित दुष्प्रभावों, दवा के साइड इफेक्ट्स या चेतावनी या अलर्ट को कवर नहीं कर सकता है। कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी या दवा से संबंधित अपने सभी प्रश्नों पर चर्चा करें। हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है।

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