Hriday Gati Rukne Ke KaranCardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi

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कार्डियक अरेस्ट, हृदय गति रुकना, Hriday Gati RuknaCardiac Arrest in Hindi

हृदय में एक आंतरिक विद्युतीय प्रणाली है जो हृदयगति की लय को नियंत्रित करती है।एरिथिमिया नामक समस्याओं की वजह से हृदय की धड़कन असामान्य हो सकती है। एरिथिमिया के कई प्रकार हैं। एरिथिमिया के दौरान, दिल बहुत तेजी से, बहुत धीमे धड़क सकता है या धड़कना बंद कर सकता है। जब हृदय में ऐसा एरिथिमिया विकसित हो जाता है जिसकी वजह से यह धड़कना बंद कर देता है तो अचानक कार्डियक अरेस्ट (एससीए) आ जाता है। यहहार्ट अटैक, या हृदयाघात से अलग होता है जहाँ आमतौर पर हृदय धड़कना बंद नहीं करता, लेकिन हृदय में आने वाले रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।एससीए के कई संभावित कारण हैं। इनमें कोरोनरी हृदय रोग, शारीरिक तनाव, और कुछ आनुवंशिक विकार शामिल हैं। कभी-कभी एससीए का कोई ज्ञात कारण नहीं होता है। Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi
चिकित्सीय सहायता उपलब्ध ना होने पर, व्यक्ति कुछ मिनटों के अंदर मर जाता है। यदि लोगों को जल्दी डीफाइब्रलेशन दे दिया जाता है तो उनके मरने की संभावना कम होती है। हृदयगति सामान्य करने के लिए डीफाइब्रलेशन इलेक्ट्रिक शॉक भेजता है। डीफाइब्रलेशन होने तक आपको एससीए से पीड़ित व्यक्ति को हृत्फुफ्फुसीय पुनर्जीवन/कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर) देना चाहिए।यदि आपको एक बार एससीए हो चुका है तो इम्प्लांटेबल कार्डियक डीफाइब्रलेटर(आईसीडी) दूसरे एससीए से मृत्यु की संभावना कम करता है।

हार्ट अटैक की वजह से हो सकता है कार्डियक अरेस्ट

जब दिल का इलेक्ट्रिक कंडक्टिंग सिस्टम फेल हो जाता है और दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और यह 1000 बार से भी ज्यादा तेज हो जाती है तो इस स्थिति को तकनीकी तौर पर वेंट्रीकुलर फिब्रिलेशन कहा जाता है। इसके तुरंत बाद दिल धड़कना एक दम बंद कर देता है और दिमाग को रक्त का बहाव बंद हो जाता है। इस वजह से व्यक्ति बेहोश हो जाता है और उसकी सांस रुक जाती है। कार्डियक अरेस्ट दिल के दौरे की तरह नहीं होता, लेकिन यह हार्ट अटैक की वजह हो सकता है। ज्यादातर मामलों में पहले दस मिनट में कार्डियक अरेस्ट को ठीक किया जा सकता है। यह इसलिए संभव है क्योंकि इस समय के दौरान दिल और सांस रुक जाने के बावजूद दिमाग जिंदा होता है। इस हालत को क्लिनिकल डेथ कहा जाता है।

हृदय गति रुकने में सीपीआर 10 से बच सकती है जान

जिन लोगों को हार्ट अटैक की प्रॉब्लम होती है, उनमें कार्डियक अरेस्ट का खतरा और भी बढ़ जाता है। हार्ट अटैक में अचानक ही हार्ट की किसी मसल में ब्लड सर्कुलेशन बंद हो जाता है, जिससे हार्ट को स्थायीतौर पर डैमेज होता है लेकिन हार्ट की इस सिचुएशन में भी बॉडी के दूसरे हिस्सों में ब्लड का सर्कुलेशन ठीक तरीके से होता है। इस सिचुएशन में इंसान केवल बेहोश रहता है। कुछ समय पहले हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों से इस बारे में जागरुकता फैलाने की अपील की है। इसे सीखना बेहद आसान है और यह तकनीक देश के ज्यादातर लोगों को सिखाई जानी चाहिए।

जितनी जल्दी सीपीआर 10 उतनी बचने की संभावना

सिर्फ लगातार दबाने (सीपीआर) से दिल स्ट्रनम और पिछली हड्डी के मध्य दब जाता है और इससे बने दबाव से ऑक्सीजन युक्त रक्त दिमाग की ओर बहता रहता है और तब तक डीफिब्रिलेशन की सुविधा या एक्सपर्ट मेडिकल हेल्प पहुंच जाती है इसलिए अगर आप किसी को आकस्मिक कार्डियक अरेस्ट की वजह से बेहोश होता देखें तो तुरंत उसकी जान बचाने का प्रयास करें। ऐसी स्थिति में तेजी से काम करें, क्योंकि हर एक मिनट के साथ बचने की संभावना 10 प्रतिशत कम हो जाती है। यानी अगर 5 मिनट व्यर्थ चले गए तो बचने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाएगी। कार्डियक अरेस्ट के पीड़ित को जितनी जल्दी सीपीआर 10 दिया जाए उसकी जान बचने की संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है। Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi

होश में आने तक हैंड्स ओनली सीपीआर जारी रखें

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आईएमए के मानद महासचिव डॉ. केके अग्रवाल ने कहा, ‘हर साल 2,40,000 लोग हार्ट अटैक से मर जाते हैं। हमारा मानना है कि अगर देश की 20 प्रतिशत जनता ‘हैंड्स ओनली सीपीआर’ तकनीक सीख ले तो इनमें से 50 प्रतिशत जानें बचाई जा सकती हैं। आसानी से सीखी जा सकने वाली यह तकनीक कोई भी कर सकता है और यह बेहद प्रभावशाली होती है।’ बस इतना याद रखें कि जो व्यक्ति सांस ले रहा हो, उसकी नब्ज चल रही हो और वह क्लिनिकली जिंदा हो, उस पर इसे न अपनाएं। इसे 10 मिनट के भीतर अपनाएं और एंबुलेंस आने तक या व्यक्ति के होश में आने तक इसे जारी रखें। कार्डियक अरेस्ट किसी को भी, कभी भी और कहीं पर भी हो सकता है लेकिन यह आसान तरीका किसी अपने की जान बचा सकता है।

क्या है हैंड्स ओनली सीपीआर 10?

डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया का हैंड्स ओनली सीपीआर 10 मंत्र है – मौत के दस मिनट के अंदर बल्कि जितनी जल्दी हो सके कम से कम 10 मिनट तक (बालिगों को 25 मिनट तक और बच्चों को 35 मिनट तक) पीड़ित व्यक्ति की छाती के बीचों बीच लगातार जोर से 10 गुना 10 यानी 100 बार प्रति मिनट की रफ्तार से दबाएं। Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi

इन संकेतों पर दें ध्यान

ऐसे मौके पर अक्सर हल्के चेतावनी संकेत मिलते हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इन बातों पर गौर करना जरूरी है।

  • 30 की उम्र के बाद एसिडिटी या अस्थमा के दौरे जैसे संकेतों को नजरअंदाज ना करें।
  • 30 सेकंड से ज्यादा छाती में होने वाले अवांछनीय दर्द को नजरअंदाज ना करें।
  • छाती के बीचोंबीच भारीपन, हल्की जकड़न या जलन को नजरअंदाज ना करें।
  • थकावट के समय जबड़े में होने वाले दर्द को नजरअंदाज न करें।
  • सुबह छाती में होने वाली बेचैनी को नजरअंदाज ना करें।
  • थकावट के समय सांस के फूलने को नजरअंदाज ना करें।
  • छाती से बाईं बाजू और पीठ की ओर जाने वाले दर्द को नजरअंदाज ना करें।
  • बिना वजह आने वाले पसीने और थकावट को नजरअंदाज ना करें।

अगर इनमें से किसी भी तरह की समस्या हो तो मरीज को तुरंत पानी में घुलने वाली एस्प्रिन दें और नजदीकी डॉक्टर के पास ले जाएं। अगर कार्डियक अरेस्ट की वजह से किसी की सांस फूलने लगे तो उसके दिल पर मालिश करें या कार्डियो पल्मनरी रेस्यूसाईटेशन दें। सीपीआर के बिना किसी को भी मृत घोषित न करें।

लक्षण – हृदय गति रुकने के लक्षण

निम्नलिखित लक्षणों से हृदय गति रुकना का संकेत मिलता है:

  • अचानक पतन
  • प्रेस न करें
  • सांस नहीं चल रही है
  • बेहोशी

कारण – हृदय गति रुकने के सामान्य कारण

निम्नलिखित हृदय गति रुकना के सबसे सामान्य कारण हैं:

  • कोरोनरी धमनी की बीमारी
  • दिल का दौरा
  • बढ़े हुए दिल
  • वाल्वुलर हृदय रोग
  • जन्मजात हृदय रोग
  • दिल में विद्युत समस्याएं

हृदय गति रुकने के जोखिम कारक

निम्नलिखित कारकों में हृदय गति रुकना की संभावना बढ़ सकती है:

  • कोरोनरी धमनी रोग का पारिवारिक इतिहास
  • धूम्रपान
  • उच्च रक्त चाप
  • उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल
  • मोटापा
  • मधुमेह
  • आसीन जीवन शैली
  • बहुत अधिक शराब पीना

निवारण – हृदय गति रुकने का निवारण

हाँ, हृदय गति रुकना को रोकना संभव है निम्न कार्य करके निवारण संभव हो सकता है: Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi

  • स्वस्थ शरीर के वजन को बनाए रखें
  • उच्च रक्तचाप के स्तर को कम करें
  • शराब नहीं पीएं। नियमित अंतराल पर दिनभर पानी पीते रहें
  • धूम्रपान से बचें
  • दिल से स्वस्थ भोजन खाएं
  • तेलीय व ज्यादा मीठा खाने से बचें। रात को तो यह बिल्कुल ना लें

हृदय गति रुकने के उपचार में स्वयं की देखभाल जरूरी

निम्नलिखित स्वयं देखभाल कार्यों या जीवनशैली में परिवर्तन से हृदय गति रुकने के उपचार या प्रबंधन में मदद मिल सकती है:

  • धूम्रपान छोड़ने
  • शराब का सेवन सीमित करें
  • नियमित व्यायाम करें: व्यायाम करके शारीरिक रूप से सक्रिय रहें

कार्डियक अरेस्ट का परीक्षण 

कार्डियक अरेस्ट का परीक्षण कैसे किया जाता है?
कार्डियक अरेस्ट एक अचानक व तीव्रता से होने वाली स्थिति होती है, इसलिए इसके लिए टेस्ट आदि करने का समय नहीं होता। कार्डियक अरेस्ट के बाद यदि कोई व्यक्ति जीवित बच जाता है तो कार्डियक अरेस्ट के कारण का पता लगाने के लिए काफी सारे टेस्ट किये जाते हैं। इनमें निम्न टेस्ट भी शामिल हैं:
ब्लड टेस्ट – एंजाइम की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। एंजाइम्स की मदद से यह पता लगाया जाता है कि कहीं आपको हार्ट अटैक तो नहीं आया था। इसके अलावा डॉक्टर खून टेस्ट का इस्तेमाल शरीर में कुछ प्रकार के खनिज, हार्मोन और केमिकल्स आदि की जांच करने के लिए करते हैं।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) – इस टेस्ट का इस्तेमाल हृदय की विद्युत गतिविधियों को मापने के लिए किया जाता है। ईसीजी टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है कि आपका हृदय क्षतिग्रस्त किसी जन्मजात हृदय रोग के कारण हुआ है या हार्ट अटैक के कारण हुआ है।
इकोकार्डियोग्राम – इस टेस्ट की मदद से यह देखा जाता है कि क्या आपका हृदय क्षतिग्रस्त हो गया है। अन्य प्रकार की हृदय संबंधी समस्याओं की जांच करने के लिए भी इको टेस्ट किया जाता है, जैसे हृदय की मांसपेशियों और वाल्व संबंधी समस्याएं।
कार्डियक कैथीटेराइजेशन – इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह देख पाते हैं कि आपकी धमनियां कहीं संकुचित या ब्लॉक तो नहीं हो गई हैं।
इंट्राकार्डियक इलेक्ट्रोफिसायलॉजी स्टडी (EPS) – इस टेस्ट की मदद से यह जांच की जाती है कि आपके हृदय के विद्युत सिग्नल कितने अच्छे से काम कर पा रहे हैं। अनियमित दिल की असामान्य धड़कनें और हृदय लय की जांच करने के लिए भी ईपीएस टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।
न्यूक्लियर वेंट्रीक्युलोग्रैफी (Nuclear ventriculography) – इस टेस्ट का इस्तेमाल यह देखने के लिए किया जाता है कि आपका हृदय कितने अच्छे से खून को पंप कर रहा है। Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi

कार्डियक अरेस्ट का इलाज 

यह जीवन के लिए घातक स्थिति होती है, कार्डियक अरेस्ट में जीवित रहने के लिए तत्काल एक्शन लेने की आवश्यकता पड़ती है।
सीपीआर –अचानक से होने वाले कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सीपीआर (CPR) बहुत महत्वपूर्ण होता है। सीपीआर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन युक्त खून के बहाव को मैन्टेन करके, जब तक कोई एडवांस इमर्जेंसी विकल्प उपलब्ध नहीं होता तब तक शरीर को जीवन प्रदान करता है।
यदि आप सीपीआर के बारे में नहीं जानते और आपके आस-पास कोई बेसुध होकर गिर जाता है या उसमें कार्डियक अरेस्ट जैसे लक्षण पैदा होने लगते हैं, तो ऐसे में आपको उसी समय एम्ब्युलेंस को फोन कर देना चाहिए। यदि व्यक्ति ठीक से सांस नही ले पा रहा तो आपको तुरंत उसके सीने को जोर-जोर से दबाना शुरू कर देना चाहिए। आपको लगभग एक मिनट में 100 से 120 बार छाती को दबाना है और यह भी ध्यान रखना है कि आप उस व्यक्ति की छाती को हर बार पूरा खुलने दे रहे हैं। यह प्रक्रिया लगातार तब तक करते रहें जब तक ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डेफीब्रिलेटर (AED) उपलब्ध हो जाए या इमर्जेंसी कर्मी पहुंच जाएं। Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi
डेफीब्रिलेशन – यह वेंट्रीक्युलर फेब्रिलेशन के लिए एडवांस केयर होती है। वेंट्रीक्युलर फीब्रिलेशन हृदय अतालता का एक प्रकार होता है, जो अचानक कार्डियक अरेस्ट पैदा करने का कारण बनता है। आमतौर पर इसमें छाती की दीवार के माध्यम से हृदय तक एक इलेक्ट्रिकल शॉक पहुंचाना होता है। इस प्रक्रिया को डेफीब्रिलेशन कहा जाता है, जो क्षणिक रूप से हृदय और अराजक लय को रोक देता है। इसकी मदद से हृदय फिर से सामान्य धड़कनों की लय प्राप्त कर लेता है।
डेफीब्रिलेशन का इस्तेमाल वेंटीक्युलर फीब्रिलेशन की पहचान होने के बाद ही इस्तेमाल किया जाता है और इलेक्ट्रिकल शॉक तभी दिया जाता है जब यह जरूरी होता है।
अस्पताल में – जब मरीज अस्पताल के इमर्जेंसी वार्ड तक पहुंच जाता है। तो मेडिकल स्टाफ मरीज की स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं और हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन आदि की संभावनाओं का इलाज करते हैं। मरीज के हृदय की असामान्य लय को नियंत्रण में लाने के लिए उसे दवाएं भी दी जाती हैं।
दीर्घकालिक उपचार – ठीक होने के बाद, आपके डॉक्टर आपको या आपके परिवार को यह बताएंगे कि कार्डियक अरेस्ट के कारण को निर्धारित करने के लिए आपको अतिरिक्त परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है। आपके डॉक्टर कार्डियक अरेस्ट फिर से होने के जोखिम को कम करने के लिए आपको कुछ रोकथाम उपचार के बारे में बताएंगे।

कार्डियक अरेस्ट के उपचार के लिए दवाएं

दवाएं – एरिथमिया (अनियमित दिल की धड़कनें) के आपातकालीन या दीर्घकालिक उपचार या फिर एरिथमिया से होने वाली कुछ संभावित जटिलताओं के लिए डॉक्टर कई प्रकार की एंटी-एरिथमिक (दिल की धड़कनों को नियंत्रित करने वाली) दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिन लोगों में अचानक कार्डियक अरेस्ट के जोखिम होते हैं उनके लिए आमतौर पर बीटा ब्लॉकर्स नामक दवाओं की एक क्लास का उपयोग किया जाता है। अन्य संभावित दवाएं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे एंजियोटेनसिन-कनवर्टिंग एंजाइम (ACE) और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स आदि शामिल हैं।
इम्पलांटेबल कार्डियोवर्टर-डेफीब्रिलेटर (ICD) – जब स्थिति नियंत्रित हो जाती है, तो आपके डॉक्टर द्वारा आईसीडी के प्रत्यारोपण का सुझाव दिया जाता है। आईसीडी एक बैटरी से चलने वाला यूनिट (उपकरण) होता है जिसको शरीर में कॉलर की हड्डी के पास प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। आईसीडी लगातार आपके हृदय की लय पर नजर रखता है और इनमें किसी भी प्रकार की असामान्यता को ठीक करने की कोशिश करता है।

कार्डियक अरेस्ट में  सर्जरी 

करेक्टिव हार्ट सर्जरी – यदि जन्म से आपको हृदय विकृति, एक दोषपूर्ण हार्ट वाल्व समस्या या हृदय की मांसपेशियां रोगग्रस्त हैं तो इनको ठीक करने के लिए इस सर्जरी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। इससे हृदय की दर और खून के बहाव में सुधार होता है।
कोरोनरी एंजियोप्लास्टी – एंजियोप्लास्टी ब्लॉक हुई कोरोनरी धमनियों को फिर से खोल देती है और खून को हृदय में स्वतंत्र रूप से बहने में मदद मिलती है। इससे गंभीर एरिथमिया होने के जोखिम भी कम हो जाते हैं।
कोरोनरी बाईपास सर्जरी – इस प्रक्रिया को कोरोनरी अर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग भी कहा जाता है। इसकी मदद से हृदय में खून की सप्लाई में सुधार किया जाता है और दिल की धड़कनें बढ़नें की आवृत्ति को भी कम किया जाता है।

हृदयगति का रुक जाना

हृदयगति के रुकने, जिसे रक्ताधिक्य हृदपात (congestive heart failure) भी कहा जाता है, के कारण हृदय की मांसपेशी कमज़ोर हो जाती है और उतनी ताकत से पम्प नहीं करती जितनी ताकत से इसे करना चाहिए। रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है और आपके फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों में तरल पदार्थ एकत्र हो सकता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि आपके हृदय ने रक्त को पम्प करना बंद कर दिया है। हृदय गति का रुक जाना हृदपात ठीक नहीं होता, इसलिए आपको यह जानने की आवश्यकता होगी कि अपने रोग पर कैसे नियंत्रण करना है।

कारण  – हृदयगति के रुकने के कारण 

  • हृदय-रोग
  • उच्चरक्तचाप
  • हृदय के वाल्व की समस्याएँ
  • फेफड़े के रोग
  • कोई संक्रमण या विषाणु
  • एल्कोहॉल और नशीली दवाओं का अत्यधिक उपयोग करना
  • जन्म के समय हृदय रोग
  • थायरायड या गुर्दे का रोग

आपकी देखभाल

  • अपने चिकित्सक के आदेश के अनुसार दवाओं का सेवन करें।
  • प्रत्येक सुबह एक ही समय पर अपना वज़न करें। अपने दैनिक वज़न का लेखा-जोखा रखें।
  • खाने की चीज़ों और पेय पदार्थों में नमक या सोडियम कम कर दें।
  • नीचे दिए गए किसी भी लक्षण के होने पर अपने चिकित्सक को फोन करें-फोन करने में देरी न करें।
  • इस बात पर ध्यान दें कि आप कैसा अनुभव कर रहे हैं।
  • प्रतिदिन व्यायाम करें, पर ज़रूरत के अनुसार आराम करें।
  • टखने की सूजन को कम करने के लिए अपने पैरों को ऊपर रखें।
  • अपने चिकित्सक से निर्धारित समय पर मिलें।
  • यदि आपका वज़न अधिक हो, तो इसे कम करें।
  • धूम्रपान छोड़ दें।
  • एल्कोहॉल का सेवन न करें।
  • प्रति वर्ष फ्लू का टीका लगवाएँ। अपने चिकित्सक से न्यूमोनिया के टीके के बारे में बात करें।
  • यदि आपका चिकित्सक आदेश दे, तो प्रतिदिन लिए जाने वाले तरल पदार्थों की मात्रा कम कर दें।

कब करें डॉक्टर से संपर्क

यदि आपको निम्नलिखित हो, तो अपने चिकित्सक को तुरन्त फोन करें

  • आपका वज़न एक दिन में 2 पाउंड या 1 किलोग्राम या 5 दिनों में 3 से 5 पाउंड या 1 से 2 किलोग्राम बढ़ गया हो।
  • आपकी टाँगों, पैरों, हाथों या पेट मे सूजन हो या आप यह अनुभव करते हों कि आपके जूते, कमरबंद या अंगूठियाँ तंग हो गई हैं।
  • आपकी साँस फूलती हो।
  • आप सोते समय अधिक तकियों का उपयोग करते हों या आपको कुर्सी पर सोना पड़ता हो।
  • आपको रात के समय खाँसी आती हो या बलगम बढ़ गया हो या सीने में रक्त का जमाव हो।
  • आप अधिक थकान और कमज़ोरी महसूस करते हों।
  • आपकी भूख कम हो गई यह आपको मतली हो।
  • आपको चक्कर आते हों या घबराहट होती हो।
  • आप पहले से कम बार मूत्रत्याग करते हों।
  • आराम करते समय भी साँस फूलती हो।
  • आपके सीने में दर्द, दबाव या जकड़न हो।
  • बेहोशी
  • आपके हृदय की धड़कन तेज़ और अनियमित हो। Cardiac Arrest Symptoms Causes Prevention Diagnosis Treatment in Hindi

कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव

कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए आप अपनी फिटनेस पर ध्यान दें और अपनी जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव लायें। रोजाना सुबह व्यायाम जरूर करें, पौष्टिक चीजों का जैसे हरी सब्जियों , फ्रूट्स , ड्राई फ्रूट्स का अधिक सेवन करें, तनाव से दूर रहें और खुश रहें और नियमित अंतराल पर अपने शरीर की जांच भी करवाना ना भूले ।

Disclaimer – हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसके उपभोक्ताओं को विशेषज्ञ-समीक्षा, सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिले। हालांकि, इसमें दी गई जानकारी को एक योग्य चिकित्सक की सलाह के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं की जाना चाहिए। यहां दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है यह सभी संभावित दुष्प्रभावों, या चेतावनी या अलर्ट को कवर नहीं कर सकता है। कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें और किसी भी बीमारी या दवा से संबंधित अपने सभी प्रश्नों पर चर्चा करें। हमारा मकसद सिर्फ जानकारी देना है।

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