Acidity Ka Turant Ilaj, Follow some home remedies to get rid of acidity

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Acidity Ka Turant Ilaj

एसिडिटी क्या है?, Acidity Kya Hai

एसिडिटी कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन आधुनिक जीवन शैली के बुरे प्रभाव के कारण इसके खतरे का स्तर बढ़ता जा रहा है. जब पेट की गेस्ट्रिक ग्लेंड, एसिड का उत्पादन बढ़ाने लगती है तो इस स्थिति को एसिडिटी कहते हैं. एसिडिटी आम तौर पर खाने की गलत आदतों, स्ट्रेस, धूम्रपान, शराब के सेवन, एक्सरसाइज का अभाव और खराब लाइफस्टाइल के चलते होती है. इसके अलावा एसिडिटी अधिकतर उन लोगों को भी होती है जो नॉनवेज का ज्यादा सेवन करते हैं या ऑयली और स्पासी फूड खाना पसंद करते हैं. जब कोई व्यक्ति एसिडिटी से जूझता है तो उसके शरीर में अपच, गैस्ट्रिक सूजन, हार्टबर्न, एसोफेगस में दर्द, पेट में अल्सर और पेट में जलन जैसे लक्षण दिखते हैं.
ऐम्स की डॉ. वीके राजलक्ष्मी के अनुसार, पेट के अम्लीय पदार्थों का खाने की नली में आ जाना एसिडिटी का मुख्य कारण होता है. लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचता है.

कारण – एसिडिटी होने के कारण, Acidity Ke Karan

हमारा पेट आमतौर पर गैस्ट्रिक एसिड पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है। इन एसिड के संक्षारक(करोसिव) प्रभाव, प्रोस्टाग्लैंडीन और प्राकृतिक बाइकार्बोनेट के उत्पादन से संतुलित होते हैं जो श्लेष्म अस्तर में स्रावित होते हैं। यह पेट की परत को नुकसान पहुंचाता है और एसिडिटी का कारण बनता है। एसिडिटी के अन्य कारण निम्नलिखित है-
1. अत्यधिक मिर्च-मसालेदार और तैलीय भोजन करना.
2. अधिक भोजन करना और भोजन करते ही सो जाना.
3. पहले खाए हुए भोजन के बिना पचे ही पुन: भोजन करना.
4. अधिक अम्ल पदार्थों के सेवन करने पर.
5. बहुत देर तक भूखे रहने से भी एसिडिटी की समस्या होती है.
6. पर्याप्त नींद न लेने से भी हाइपर एसिडिटी की समस्या हो सकती है.
7. गर्भवती महिलाओं में भी एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो जाती है.
8. नमक का अत्यधिक सेवन करने से.
9. कभी-कभी अत्यधिक तनाव लेने के कारण भी भोजन ठीक प्रकार से हजम नहीं होता और एसिडिटी की समस्या हो जाती है.
10. लम्बे समय से पेनकिलर जैसी दवाइओं का सेवन करने से.
11. शराब, धूम्रपान और कैफीन युक्त पदार्थ का अधिक सेवन.

लक्षण – एसिडिटी के लक्षण, Acidity Ke Symptoms

हार्टबर्न: सीने में जलन जो भोजन करने के बाद कुछ घंटो तक लगातार रहती है या यूं कहे कि एक जलन जैसा दर्द या बेचैनी जो पेट से छाती या गले तक भी हो सकती है.
रेगुर्गिटेशन: कड़वा या खट्टा स्वाद वाला एसिड वापस गले या मुंह में चला जाएगा जो अंततः कुछ जगहों में घाव कर देता है.
अन्य लक्षण: पेट में सूजन, बार-बार डकार आना, निगलने में कठिनाई, लगातार हिचकी आना, जी मिचलाना, उल्टी, हमेशा पेट भरा हुआ महसूस होना, गले में खराश, लगातार सूखी खांसी, बेचैनी, अपच और अप्रत्याशित वजन घटना, रक्तगुल्म (हेमाटेमेसिस), खूनी या काले रंग का मल

एसिडिटी की जांच कैसे की जाती है?

विभिन्न तरीकों से एसिडिटी की जांच की जाती है. इनमें से कुछ तरीके नीचे दिए जा रहे हैं-
1. पीएच मॉनिटरिंग: यह एसोफैगस में एसिड के स्तर की जांच करता है. डॉक्टर द्वारा अन्नप्रणाली में एक उपकरण डाला जाता है; अन्नप्रणाली में एसिड की मात्रा को मापने के लिए इसे 2 दिनों के लिए वहीं छोड़ दिया जाता है.
2. बेरियम स्वैलो: यह संकुचित अन्नप्रणाली और अल्सर का पता लगाने में मदद करता है. एक सोल्युशन का पालन करना होगा और फिर एक एक्स-रे लिया जाएगा.
3. एंडोस्कोपी: नीचे एक छोटे कैमरे के साथ एक लंबी, लचीली रोशनी वाली ट्यूब को मुंह के माध्यम से डाला जाता है और कैमरा एसोफैगस की मदद से पेट की समस्याओं की जांच की जाती है. यह बेहोश करने की क्रिया या एनेस्थीसिया की मदद से किया जाता है.

घरेलू उपाय – एसिडिटी को काबू करने के घरेलू उपाय

कुछ सरल प्राकृतिक उपायों की मदद से एसिडिटी का इलाज किया जा सकता है.
1– जिन लोगों को अक्सर इसकी समस्या रहती है, वे रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पीएं. खाना खाते समय या खाना खाने के ठीक बाद पानी पीने से बचें. खाना खाने के करीब 15 मिनट तक कुछ न खाएं. जब शरीर को पानी की जरूरत होगी, वह अपने आप मांग लेगा.
2– एसिडिटी के इलाज में तुलसी रामबाण दवा है. जैसे ही एसिडिटी की समस्या हो, तुलसी के कुछ पत्ते चबा लें. तत्काल आराम मिलेगा. इसके अलावा तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है.
3– दालचीनी पाचन के लिए अच्छी होती है. एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी डालें और उबाल लें. इसको ठंडा होने पर दिन में चार से पांच बार पिएं. सलाद या सूप में दालचीनी का उपयोग किया जा सकता है.
4– छाछ भी एसिडिटी का कारगर उपाय है. छाछ में लैक्टिक एसिड होता है, जो एसिडिटी को सामान्य करने में मदद करता है. छाछ में काली मिर्च और धनिया की पत्तियां मिलाकर सेवन करें. इसके अलावा छाछ में मैथी बीज का पेस्ट मिलकर सेवन करने से एसिडिटी से होने वाला पेट दर्द दूर हो जाता है.
5– पेट में ज्यादा जलन हो रही है तो लौंग चबाएं. इसके उपयोग का दूसरा तरीका है- लौंग को क्रश कर लें और उतनी ही मात्रा में इलायची मिलाकर खाएं. इससे एसिड की समस्या से निजात पाने में मदद मिलेगी.
6– इसके अलावा जीरा, अदरक, गुड़ और सौफ को किसी भी रूप में लिया जाए, एसिडिटी में मदद करते हैं.
7– दूध गैस्ट्रिक एसिड को स्थिर करता है. कैल्शियम में समृद्द होने के कारण दूध पेट में एसिडिटी बढ़ने से रोकता है.

एसिडिटी से बचने के उपाय

1. टमाटर भले ही खट्टा होता है लेकिन इससे शरीर में क्षार की मात्रा बढ़ती है और इसके नियमित सेवन से एसिडिटी की शिकायत नहीं होती.
2. खाने के बाद नियमित रूप से एक कप अनानास के रस का सेवन करें.
3. सुबह उठकर नियमित रूप से 2–3 गिलास ठंडा पानी पिए तथा उसके लगभग एक घंटे तक कुछ न खाए.
4. चाय और कॉफी का सेवन कम से कम करें.
5. एक ही बार में बहुत सारा खाना खाने की बजाय कम मात्रा में 2–3 बार खाए.
6. अनार और आँवला को छोड़कर अन्य खट्टे फलों से परहेज करना चाहिए.
7. नाश्ते में पपीते के फल का सेवन करें.
8. योग एवं प्राणायाम करें.
9. जंकफूड, प्रिजरवेटिव युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन बिल्कुल न करें.
10. तैलीय एवं मिर्च-मसालेदार भोजन से दूर रहें, जितना हो सके सादा एवं कम मसाले वाला भोजन करें.
11. पेट भर भोजन के बाद तुरन्त न सोए. सोने से लगभग दो घंटे पहले ही भोजन कर लें.
12. भोजन करने के बाद टहलने की आदत डालें.

सावधानियां – एसिडिटी के लिए सावधानियां

1. एसिडिटी को रोकने के लिए निम्न सावधानियां बरतें.
2. रिफ्लक्स पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों यानी कि अधिक मसालेदार भोजन, कॉफी, कार्बोनेटेड पेय, अम्लीय और वसायुक्त भोजन न करें.
3. अपने भोजन को विभाजित करें. 3 बार नियमित भोजन से न चिपके. इसे 5 छोटे भागों में विभाजित करें ताकि दबाव और रिफ्लक्स से बचा जा सके.
4. खाने के तुरंत बाद न लेटें: खाने के बाद कम से कम 2 घंटे बाद ही लेटें या सोएं क्योंकि खाना वापस अन्नप्रणाली में प्रवाहित हो जाएगा.
5. कुछ हफ्तों के लिए एसिडिटी ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थों को खत्म करने की कोशिश करें, जांच करें और फिर से शुरू करें.
6. अत्यधिक वसा पेट के क्षेत्र पर दबाव डालता है, इस प्रकार गैस्ट्रिक जूस को अन्नप्रणाली में धकेलता है. अगर आपका वजन ज्यादा है तो वजन कम करने की कोशिश करें.
7. कमर और पेट के क्षेत्र में ढीले कपड़े पहनने की कोशिश करें क्योंकि इससे क्षेत्रों के आसपास तनाव कम हो सकता है.

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