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परिचय – डिप्रेशन क्या है? (What is Depression)

डिप्रेशन एक मानसिक बिमारी है, जिसका संबंध मनोविज्ञान में किसी व्यक्ति के मन की भावनाओं से जुड़े दुखों या निराशा से होता है। अवसाद या डिप्रेशन को मूड डिसऑर्डर के तौर पर क्लासीफाइड किया गया है। हर व्यक्ति समय-समय पर उदासी का अनुभव करता है। मगर जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक लगातार नकारात्मक सोच, दुखी मनोदशा मे घिर जाए और अपनी पसंदीदा गतिविधियों में भी दिलचस्पी न ले, तो इस तरह के लक्षण डिप्रेशन हो सकते हैं। इसे इंसान की उदासी, नुकसान या ऐसे गुस्से के रूप में समझा जा सकता है, जिससे किसी इंसान की रोजमर्रा की गतिविधियों पर असर पड़ता है।
उदासी की यह भावना अक्सर चिंता, निराशा की भावना और ऊर्जा की कमी के साथ होती है जो किसी व्यक्ति के उत्साह को घटा देती है। डिप्रेशन कई बार थोड़े समय के लिए हो सकता है मगर जब यह किसी व्यक्ति में लंबे समय तक हो तो स्थिति गंभीर हो सकती है. डिप्रेशन के चलते व्यक्ति मे जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है. डिप्रेशन को नैदानिक अवसाद, प्रमुख अवसाद या बायोलॉजिकल डिप्रेशन जैसे कई नामों से जाना जाता है.  पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन अधिक देखने को मिलता है।
अवसाद और उदासी में फर्क
उदासी भावनात्मक स्थिति है, जो तनाव, जिंदगी की बड़ी घटनाएं (पॉजिटिव और निगेटिव दोनों) और यहां तक कि मौसम के असर से भी पैदा होती हैं। उदासी और डिप्रेशन में फर्क इसके लक्षणों की तीव्रता और इसके बार-बार लौट आने से किया जा सकता है। यदि ये लक्षण दो हफ्ते तक रहते हैं, तो डिप्रेशन हो सकता है।

प्रकार – डिप्रेशन के प्रकार (Types of Depression)

डिप्रेशन के विभिन्न प्रकार हैं। कुछ लोगों में ये व्यापक रूप से होते हैं-
1- बाइपोलर डिसऑर्डर – यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति अचानक खुश और एकदम से दुखी हो जाता है। इस स्थिति में, अत्यधिक सिर चकराना, ऊर्जा में उतार-चढ़ाव और सक्रियता का स्तर घटता बढ़ता रहता है। इन सभी कारणों की वजह से व्यक्ति का दिन-प्रति-दिन जीना मुश्किल हो सकता है। बाइपोलर डिप्रेशनपागलपन सहित कई गंभीर मामलों को उत्पन्न कर सकता है।
2- मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर (एमडीडी) – एक व्यक्ति में मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर (एमडीडी) की पहचान तब होती है जब व्यक्ति के नींद, थकान, मौत का विचार और आत्महत्या के विचारों में परिवर्तन होने के कारण सामान्य रूप से आनंदित गतिविधियों में रुचि कम होने लगती है। इस व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक की अवधि तक चीजों को याद रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एमडीडी आमतौर पर नैदानिक अवसाद के रूप में जाना जाता है।
3- प्रजेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर – प्रजेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर को आमतौर पर डायस्थीमिया कहा जाता है। यह पुराने डिप्रेशन का एक प्रकार है जो कई दिन या वर्षों तक रह सकता है। यह तेजी के साथ कभी-कभी हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है।
4- प्रीमेस्ट्रल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) – यह बीमारी मूल रूप से किसी व्यक्ति की मनोदशा पर निर्भर होती है। इस बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति अत्यधिक थकान, उदासी, निराशा महसूस कर सकता है या खुद के लिए संकट पैदा कर सकता है। हार्मोनल उपचार और जीवन शैली में परिवर्तन पीएमडीडी के लिए सबसे अच्छा इलाज है।
5- एटिपिकल डिप्रेशन- जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस प्रकार के डिप्रेशन से जुड़े कोई सामान्य लक्षण नहीं हैं। एटिपिकल डिप्रेशन विशेष रूप से अत्यधिक वजन बढ़ने, थकान, अस्वीकृति के लिए तीव्र संवेदनशीलता, दृढ़ता से प्रतिक्रियाशील मूड और अस्थिरता से जुड़ा हुआ है।

कारण – डिप्रेशन का कारण/ वजह क्या है? (Causes of Depression)

जो बड़े होने पर विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति के लिए डिप्रेशन का कारण हो सकती है।
1- मानसिक आघात : बार-बार असफलता, नुकसान या किसी प्रियजन की मृत्यु आदि से भी ऐसा हो सकता है।
2- शारीरिक रोग : एड्स, कैंसर, नि:शक्तता या कोई अन्य मर्ज जिसमें रोगी लंबे समय तक बिस्तर पर रहता है। वह इस परेशानी से ग्रसित हो सकता है।
3- आनुवांशिक : परिवार में माता-पिता या कोई अन्य सदस्य डिप्रेशन (अवसाद) से पीडि़त होता है तो बच्चों में ऐसा होने का खतरा रहता है।
4- कमजोर व्यक्तित्व: बचपन में मां-बाप के प्यार का अभाव, कठोर अनुशासन, तिरस्कार, सामथ्र्य से अधिक अपेक्षा या ईष्र्या कई बार मस्तिष्क को ठेस पहुंचाती हैं। जो बड़े होने पर विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति के लिए डिप्रेशन का कारण हो सकती है।
5- अन्य कारण : पारिवारिक झगड़े, अशांति, संबंध-विच्छेद, व आर्थिक परेशानी आदि वजहों से भी ऐसा हो सकता है।

लक्षण – डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Depression in Hindi)

1. भूख और वजन में गिरावट
2. अनिद्रा या ज्यादा सोना
3. थकान और एनर्जी में कमी
4. चिड़चिड़ापन, आक्रामकता
5. अत्यधिक अपराध बोध या हीनता का बोध
6. एकाग्रता में कमी, खुद को उलझा महसूस करना
7. बार-बार मृत्यु या आत्महत्या का खयाल आना, कोशिश करना
8. स्ट्रेस वाली जॉब, परिवार से दूर रहना, नकारात्मक सोच
9. अस्त-व्यस्त दिनचर्या
10.हर कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लेने वाला व्यक्ति के व्यवहार में एकाकीपन आना

इलाज – डिप्रेशन का इलाज (Treatment of depression)

इलाज : डॉक्टर मरीज की काउंसलिंग करके रोग की वजह समझने का प्रयास करते हैं। इसके बाद आवश्यकता के अनुरूप 6-8 माह तक एंटीडिप्रेसेंट दवाएं देते हैं। दवाओं के साथ-साथ मनोचिकित्सा व व्यवहारिक चिकित्सा द्वारा रोगी की निराशाजनक सोच को बदलने का प्रयास किया जाता है। इस दौरान मरीज को पारिवारिक सहयोग जरूरी होता है।

उपाय – डिप्रेशन से बाहर कैसे निकले / डिप्रेशन से बचने के उपाय (How to avoid depression)

कुछ लोग पूरी तरह से सौंप देते हैं और महसूस करते हैं कि वे इसे कभी नहीं हरा सकते हैं, लेकिन यह विश्वास करने के लिए उचित धन्यवाद नहीं है, अगर आप वास्तव में अपने जीवन में चीजों को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो अपना दिमाग इसमें सेट करें और यहां दिए जा रहे उपाय करें। हम जानते हैं कि यह कठिन है। फिर भी आप इससे लड़ सकते हैं
1- बात करें, मदद मांगें –अवसाद से गुज़र रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना रामबाण साबित हो सकता है. आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनकी मदद मांगें. इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं है. हमारे सबसे क़रीबी लोग यदि हमें बुरे समय से बाहर नहीं निकालेंगे तो कौन मदद करेगा?
2- दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाएं –अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा बनाए रखते हैं. उनसे आपको आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है. वे आपकी बातों को ध्यान से सुनते हैं. डिप्रेशन के दौर में यदि कोई हमारे मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो हमें अच्छा लगता है. दोस्तों से जुड़ने के साथ-साथ आप उन लोगों से ख़ुद को दूर कर लें, जो नकारात्मकता से भरे होते हैं. ऐसे लोग हमेशा दूसरों का मनोबल गिराने का काम करते हैं.
3- नींदभर सोएं –एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है. अध्ययनों से पता चला है कि रोज़ाना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम देखे जाते हैं. इसलिए व्यस्तता के बावजूद अपनी नींद से समझौता न करें.
4- हल्का-फुल्का म्यूज़िक सुनें –जब लोग अवसादग्रस्त होते हैं तो अच्छा संगीत सुनकर उन्हें अच्छा लगता है. यह तथ्य कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हो चुका है. तो जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें. संगीत में मूड बदलने, मन को अवसाद से निकालने की अद्‍भुत ताक़त होती है. वैसे आप एक चीज़ का ख़्याल रखें, ज़रूरत से ज़्यादा ग़म में डूबे हुए गाने न सुनें, क्योंकि ऐसा करने से आपका डिप्रेशन अगले लेवल पर पहुंच जाएगा.
5- खुद की गतिविधियों पर इस तरह रखें नजर – पिछले सप्ताह जो काम किए हैं उन्हें लिखें। अपने मूड के पैटर्न को लिखिए। एनर्जी, हैल्थ और नींद पर असर डालने वाले पैटर्न को नोट करें। गौर करें कि इन गतिविधियों में कोई पैटर्न देख पा रहे हैं? कुछ काम जिन्हें आप खुशी-खुशी करते थे, क्या कोई कमी देख रहे हैं। अपने करीबी लोगों से पूछिए कि क्या उन्होंने आपके मूड में कोई फर्क देखा है। परिवार के किसी भरोसेमंद सदस्य या किसी दोस्त से भी पूछिए कि
क्या आपके व्यवहार में कोई बदलाव देखा है।
6- पुरानी बातों के बारे में न सोचें – अपनी पुरानी भूलों और ग़लतियों का शिकवा करना आपको पूरी तरह से अवसाद के चंगुल में फंसा सकता है. एक तो पुरानी बातें आपके नियंत्रण में नहीं होतीं. फिर उस बारे में सोच-सोचकर क्या फ़ायदा? आप बेवजह अपने दिलोदिमाग़ पर गिल्ट का बोझ बढ़ाते हैं. पुरानी बातों के बारे में सोचने के बजाय आज पर फ़ोकस करें.
7- ख़ुद को लोगों से दूर न करें – जब आप अवसादग्रस्त होते हैं तब ख़ुद को दुनिया से दूर कर लेना सबसे आसान और ज़रूरी समाधान लगने लगता है. क्योंकि आपको लगता है कि आपकी समस्या को कोई दूसरा नहीं समझ सकता. लेकिन ख़ुद को लोगों से काटकर आप अवसाद को फलने-फूलने का मौक़ा उपलब्ध कराते हैं. यदि आप अपने दोस्तों और क़रीबियों से अपनी समस्या साझा नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें. इससे अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी.
8- सेहतमंद खाएं और रोज़ाना व्यायाम करें –सेहतमंद और संतुलित खानपान से मन ख़ुश रहता है. वहीं कई वैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है. जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं. डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं. व्यायाम से हम न केवल सेहतमंद बनते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

आहार – डिप्रेशन से छुटकारा दिलाने में मददगार आहार (Diet for Depression)

यह वैज्ञानिक रूप से साबित हुआ है कि कुछ खाद्य पदार्थ खुश महसूस करा सकते हैं। खुश रहने और अवसाद से छुटकारा पाने के लिए उन आहार को शामिल करें।
1- काजू : काजू का सेवन घबराहट और तनाव कम करने में मदद करता है। अवसाद से छुटकारा दिलाने में यह दवा के बराबर काम करता है। काजू पोषक तत्वों और विटामिन सी से भरपूर है जो तंत्रिकाओं को आराम देता है और मूड अच्छा करता है।
2- बादाम : इसमें प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, फाइबर और कई जरूरी एमीनो एसिड पाए जाते हैं। एक चम्मच बादाम का पेस्ट अगर गर्म दूध के साथ लेंगे तो जल्दी डिप्रेशन से निकलने में मदद मिलेगी।
3- ग्रीन टी : ग्रीन टी भी डिप्रेशन कम करने में मदद कर सकती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एमिनो एसिड पाया जाता है जो कि डिप्रेशन से बाहर आने में मदद करती है।
4- अंडा : अंडे में विटामिन बी-12 भरपूर होता है जो कि तनाव को दूर रखने में मदद करता है। अंडे का सेवन करने से मूड सही होता है और डिप्रेशन भी नहीं होता है।
5- अखरोट : ओमेगा 3 मस्तिष्क के न्यूरॉन सेल के लिए बहुत जरूरी है। इसका सबसे अच्छा स्रोत मछली है। शाकाहारी लोगों को ड्राई फ्रूट, सरसों के बीज, सोयाबीन, फल और हरी सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए। अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।
6- पालक : अच्छा महसूस न करने पर अपने आहार में पालक शामिल करें, क्योंकि विटामीन-बी के साथ आयरन की प्रचूर मात्रा पाई जाती है जो इस मूड से उबारने में मदद करेगी।
7- साबुत अनाज : साबुत अनाज में कार्बोहाइड्रेट होता है जो मूड स्विंग्स की परेशानी को रोकता है और अवसाद में बहुत लाभदायक साबित होता है।
8- टमाटर : कई शोधों में अवसाद से ग्रस्त रोगियों में फोलेट की कमी देखी गई है। इसमें मौजूद फोलिक एसिड और अल्फा-लिपोइक एसिड डिप्रेशन से लड़ने के लिए अच्छा है।
9- केला : मूड को अच्छा करने और आत्मविश्वास को बढ़ाने में केले में मौजूद ट्रिपटोफान मददगार साबित हो सकते हैं। केलों में मैग्नीशियम भी काफी मात्रा में होता है। यह रिलेक्स करने में मदद कर सकते हैं। विटामिन बी 6 भी अवसाद से राहत देने में मदद करते हैं।
10- अंगूर : अंगूर डाइट में शामिल करने से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अंगूर से तैयार बायोएक्टिव डायटरी पोलीफिनॉल तनाव से हुई निराशा की स्थिति से बाहर निकलने में मददगार है और इस बीमारी के इलाज में प्रभावी हो सकता है।

घरेलू उपाय – डिप्रेशन (अवसाद) के घरेलू उपाय – Home Remedies for Depression in Hindi

1- डिप्रेशन दूर करने का उपाय है इलायची का तेल – इलायची एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट (Anti-Depressant) है। इसकी चाय मन को प्रभावित करती है और मूड को खुश करने में मदद करती है। लगभग 1.5 ग्राम इलायची पाउडर और पानी का काढ़ा बना लें और प्रतिदिन एक गिलास का सेवन करें। आप स्वाद के लिए चीनी का भी उपयोग कर सकते हैं। नहाने के पानी में इलायची के तेल को रख कर स्नान करें। यह तनाव को कम करने और निराशा से लड़ने में मदद करता है।
2- अवसाद से मुक्ति दिलाए लाल गुलाब – लाल गुलाब अवसाद पर काबू पाने में आपकी काफी मदद करेगा। इसके लिए 250 मिलीलीटर पानी में 25-30 गुलाब की पंखुड़ियों को डाल कर उबाल लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए मिश्री का उपयोग भी कर सकते हैं। प्रतिदिन दो बार इस काढ़े को पिएं। इससे आपकी नसों में शांति बनी रहती है।
3- डिप्रेशन को खत्म करे हल्दी से – आयुर्वेद में मौसम के कारण प्रभावित विकारों के इलाज में हल्दी का उपयोग करने के लिए कहा गया है। यानी मौसम परिवर्तन के कारण अवसाद की समस्या में मसाले के रूप में अपने भोजन में 2-3 ग्राम हल्दी का सेवन करें या फिर पानी या दूध के साथ भी इसका सेवन कर सकते हैं।
4- अवसाद से निकलने के उपाय के लिए खाएं काजू – काजू प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट हैं। काजू का सेवन घबराहट और तनाव कम करने में मदद करता है। अवसाद से छुटकारा दिलाने में काजू दवा के बराबर काम करता है। काजू पोषक तत्वों और विटामिन सी से समृद्ध स्रोत है जो तंत्रिकाओं को आराम देने और मूड को अच्छा करने में मदद करता है।
5- अवसाद से बचने के उपाय के लिए करें ब्राह्मी तेल की मालिश – ब्राह्मी फिर से जवान कर देने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसके तेल की मालिश मन को शांत करती है। यह अवसाद के इलाज में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
6- डिप्रेशन कम करने का उपाय है शतावरी – शतावरी मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें फोलिक एसिड (folic acid) और ट्रिप्टोफेन (Tryptophan) है। ये घटक मूड बढ़ाने वाले रसायनों का उत्पादन करते हैं। डिप्रेशन जैसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए गर्म दूध या शहद के साथ शतावरी पाउडर का सेवन करें या फिर सब्जी के रूप में अपने आहार में शतावरी का उपयोग करें।
7- डिप्रेशन से बाहर निकले बादाम के उपयोग से – बादाम में प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, फाइबर और कई आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं। गर्म दूध में एक चम्मच बादाम का पेस्ट रोजाना मिलाकर पीने से अवसाद जैसी समस्या में काफी तेजी से आराम मिलता है।
8- डिप्रेशन से छुटकारा दिलाए नींबू बाम – नींबू बाम केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कामकाज को नियमित करके तनाव, चिंता को कम करने और शांतिपूर्ण नींद को प्राप्त करने में मदद करता है। डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए आप नींबू बाम की चाय का सेवन करें या फिर आप अरोमा थेरेपी के लिए इसके तेल का उपयोग कर सकते हैं। इसका आकर्षक सुगंध उदास मन को ठीक करती है और मन को सुखदायक प्रभाव देती है। गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इसका उपयोग अच्छा नहीं होता है।
9- डिप्रेशन को खत्म करें केसर से – केसर अवसाद जैसी समस्या के लिए पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह एक शक्तिशाली और सुरक्षित जड़ी बूटी है जो आपके मूड को बहुत प्रभावी ढंग से खुश रखता है। अध्ययन ने यह साबित किया है कि हल्के और मध्यम अवसाद से पीड़ित कई लोगों ने अपने दैनिक आहार में केवल 30 ग्राम केसर का उपयोग करके अपने मूड में भारी बदलाव का अनुभव किया है। केसर व्यक्ति को आराम देने और मूड को सूधारने में मदद करता है।
10- डिप्रेशन का घरेलू उपाय है कैमोमाइल चाय – वैज्ञानिक तौर पर साबित हुआ है कि कैमोमाइल एक प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट जड़ी बूटी है। इसका उपयोग मन को शांत करता है और डिप्रेशन से बाहर निकलता है। इसका उपयोग बहुत ही सुरक्षित है। कैमोमाइल बच्चों द्वारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है। दवा के उपचार के विपरीत इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यह चिंता को दूर करने में भी बहुत प्रभावी है और डिप्रेशन के समय नींद नहीं आने की समस्या में भी बहुत लाभदायक है। रात के खाने के बाद एक कप कैमोमाइल चाय पीने से अच्छी नींद आती है और पाचन भी बेहतर होता है।
11- डिप्रेशन से बचने का तरीका है गिलोय – गुदुची या गिलोय फिर से युवा करने के गुणों के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग चिंता, अवसाद, सिरदर्द और मनोदशा विकारों के इलाज में व्यापक रूप से किया जाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा करता है और तनाव से राहत देता है। 500 मिली ग्राम गुदुची पाउडर को गोल्डन लिक्विड हनी (golden liquid-honey) के साथ मिलाकर प्रतिदिन दो बार इसका सेवन करें।

होम्योपैथी दवाई – डिप्रेशन को दूर करने की होम्योपैथी दवाई- (Depression homeopathy medicine)

होम्योपैथिक दवाई मन पर बहुत ही असर डालती है। और दोस्त और डिप्रेशन को दूर करने के लिए होम्योपैथिक की बहुत सारी दवाईयां है। डिप्रेशन के कारण को पूरी तरह से जड़ से खत्म कर देती है। तो दोस्तों जानिए होम्योपैथिक दवाइयों के बारे में।
1- औरम-मेट (AUR-MET) – अगर आपको भी यह समस्या है जिंदगी से निराश, मन में आत्महत्या करने का बार बार ख्याल आना या आत्महत्या के विचार अक्सर मन में आते हैं, पूरी तरह से नींद ना आना, लड़ाई झगड़े के सपने बार-बार देखना और नींद में रोए अगर आपको यह समस्या होती है तो आपके यह लिए यह दवाई बहुत ही उपयोगी है। आपको इस दवाई का सेवन करें और इन समस्याओं से छुटकारा पाएं।
2- आर्स अल्ब(ARS-ALB) – अगर आपके मन में भी यह ख्याल आते हैं मरने का डर, मरी सोचता है कि दवा खाना बेकार है, उसको अकेले रहने से डर लगता है, भूत प्रेत दिखने की बात करता है, आत्महत्या करने की इच्छा मन में होती है तो यह दवाई आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होती है आपको इस दवाई का सेवन जरूर करना चाहिए।
3- आर्ज़-नेट(ARG-NIT) – मानसिक और शारीरिक रूप से खुद पर कंट्रोल में ना रह पाना, हमेशा डरा हुआ और नर्वस रहना, डरावने सपने देखना, एग्जाम देने में डर लगता है, आत्मविश्वास की कमी, अगर आपको इस तरह के लक्षण में समस्या है तो आपको इस दवाई का जरूर सेवन करना चाहिए क्योंकि यह आपके लिए बहुत ही उपयोगी होती है।

साइड इफेक्ट – डिप्रेशन की दवाई/ एंटी डिप्रेसेंट्स के साइड इफेक्ट (Side effects of anti depressants)

फार्मास्युटिकल मार्केट रिसर्च संगठन एआईओसीडी एडब्लूएसीएस के अनुसार भारत में 20% के साथ ही विश्व में अवसादरोधी दवाओं यानी एंटी डिप्रेसेंट्स का कारोबार पिछले कुछ वर्षों में 550 फीसदी से ज्यादा का हो चुका है। जरनल न्यूरो सर्जन में पब्लिश एमआईटी (मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) की एक रिसर्च इस बात का दावा करती है कि अवसाद कम करने के लिए ली गई दवाएं न सिर्फ दिमाग का स्ट्रक्चर बदलने का काम करती हैं, बल्कि वह सोचने-समझने की शक्ति भी कम करती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक भारत 36 प्रतिशत की अवसाद दर के साथ दुनिया के सर्वाधिक अवसाद ग्रस्त देशों में से एक है। जानते हैं ये कैसे प्रभावित कर रही हैं-
एंटी डिप्रेसेंट दवाएं सबसे पहले 1950 में बनी थीं। कई रिसर्च में पाया गया है कि इनका असर तुरंत दिखाई देता है, लेकिन साइइइफेक्ट धीरे-धीरे नजर आते हैं। अमेरिका में एक अध्ययन के अनुसार एंटी-डिप्रेसेंट्स दवाएं आमतौर पर उन्हीं मामलों में कारगर हैं, जिनमें डिप्रेशन गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है। हमारे दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं। ये रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो कि न्यूरॉन्स यानी दिमाग की कोशिकाओं के बीच संपर्क कायम करते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर जो संदेश भेजते हैं, उन्हें अगले न्यूरॉन में लगे रेसेप्टर ग्रहण करते हैं। कुछ रेसेप्टर किसी खास न्यूरोट्रांसमीटर के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं या फिर असंवेदनशील भी। एंटी डिप्रेसेंट्स, मूड बदलने वाले न्यूरोट्रांसमीटर्स का स्तर धीरे-धीरे बढ़ाते हैं। इनका असर हाेने के बाद मरीज डिप्रेशन से बाहर आने लगता है।

एंटी डिप्रेसेंट के खतरे

1- धमनियां मोटी हो जाती हैं – इन दवाओं से धमनियां मोटी हो सकती हैं, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होने की आशंका रहती है। जो दिल के लिए खतरा पैदा करता है। ‘इमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन’ के एक अध्ययन में इसकी पुष्टि भी हुई है। अवसादरोधी दवाओं से रक्त वाहिकाओं पर नकारात्मक असर होने लगता है।
2- गर्भपात का भी खतरा – एंटी डिप्रेसेंट्स के इस्तेमाल से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। मोंट्रियल विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार 3.7 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान कभी न कभी इनका उपयोग करती हैं। अध्ययन में सामने आया था कि पैरोक्जीटीन और वीनलाफैक्जीन जैसी दवाओं के प्रतिदिन इस्तेमाल से गर्भपात का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

हिमालया मेडिसिन फॉर डिप्रेशन – Himalaya Mentat Tablets 60

मानसिक ऊर्जा का संचार करता है, याददाश्त और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है: मेंट में मौजूद प्राकृतिक तत्व मानसिक भागफल, याददाश्त की अवधि और एकाग्रता क्षमता में सुधार करते हैं।न्यूरोलॉजिकल विकारों का इलाज करता है: मेनेटैट ट्राइबुलिन के स्तर को कम करता है, एक अंतर्जात मोनोमाइन ऑक्सीडेज अवरोधक जो चिंता के दौरान ऊंचा हो जाता है। Mentat के शांत प्रभाव अनिद्रा और आक्षेप के इलाज में फायदेमंद होते हैं।
न्यूरोलॉजिकल रोगों में सहायक के रूप में: इसके एंटीकोलिनेस्टरेज़ (एंटीस्पास्मोडिक), डोपामिनर्जिक-न्यूरोप्रोटेक्टिव (मस्तिष्क में महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर), एडेप्टोजेनिक और एंटीऑक्सिडेंट गुणों के कारण, मेन्जट अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग के उपचार में सहायक के रूप में उपयोगी है।

Himalaya Mentat Tablets 60 हिमालया मंतत टेबलेट्स 60 मुख्य सामग्री

1- ब्राह्मी – Thyme-Leaved Gratiola (Brahmi) थाइम-लीव्ड ग्रैटिओला (ब्राह्मी) संज्ञानात्मक कार्य को बनाए रखता है। अच्छी तरह से अपने nootropic (मेमोरी बढ़ाने) प्रभाव के लिए जाना जाता है, जड़ी बूटी स्मृति और सीखने को बढ़ाती है। यह बेचैनी को शांत करने के लिए भी जाना जाता है और इसका उपयोग कई मानसिक विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
2- मधुकपर्णी – Indian Pennywort (Madhukaparni) इंडियन पेनीवोर्ट (मधुकपर्णी) में एंटीपीलेप्टिक गुण होते हैं और आमतौर पर इसका उपयोग मिरगी की दवाओं के लिए किया जाता है। यह अमीनो एसिड के स्तर के असंतुलन में सुधार करता है, जो अवसाद के इलाज में फायदेमंद है। यह संज्ञानात्मक हानि को भी रोकता है।
3- अश्वगंधाWinter Cherry (Ashvagandha (अश्वगंधा) का उपयोग चिंता और अवसाद की नैदानिक स्थितियों में मूड स्टेबलाइजर के रूप में किया जाता है। विथेनाहाइड्स, शीतकालीन चेरी में मौजूद रासायनिक घटक, कायाकल्प गुणों के अधिकारी हैं। जड़ी बूटी भी ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करती है, जिससे मानसिक थकान हो सकती है।
कंपनी  / Company –  हिमालया ड्रग कंपनी / Himalaya Drug Company
कीमत / Price  , MRP₹110 , 1 Bottle of 60 Tablets
इस्तेमाल केलिए निर्देश
कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें की क्या सही रहेगा।

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