Biography of Pranab Mukherjee

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प्रणब मुख़र्जी की जीवनी, Biography of Pranab Mukherjee
आजादी के बाद से अब तक भारत में 14 14 राष्ट्रपति सत्ता में आ चुके है. 13वें राष्ट्रपति के रूप में महामहिम प्रणब मुखर्जी विराजमान रहे. वे एक वरिष्ठ नेता हैं और अपने 60 साल के राजनितिक करियर में अलग-अलग समय पर भारत सरकार के अनेक महत्वपूर्ण मंत्रालयों और पदों पर कार्य कर चुके हैं. राष्ट्रपति बनने से पहले वे यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में केन्द्रीय वित्त मंत्री थे. राष्ट्रपति चुनाव में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के उम्मीदवार थे और उन्होंने उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया और 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली. भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी की मदद से उन्होंने सन 1969 में राजनीति में प्रवेश किया जब वे कांग्रेस टिकट पर राज्य सभा के लिए चुने गए. धीरे-धीरे वे इंदिरा गाँधी के ख़ास बन गए और सन 1973 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल कर लिए गए. सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनपर ज्यादती के आरोप भी लगे. कई मंत्रालयों में काम करने के अनुभव के बाद प्रणब 1982-84 तक देश के वित्त मंत्री रहे. सन 1980 से 1985 तक वे राज्य सभा में सदन के नेता रहे.

इंदिरा गाँधी की मौत के बाद राजीव गाँधी देश के प्रधानमंत्री बने जिसके बाद प्रणब मुख़र्जी हासिये पर आ गए क्योंकि इंदिरा गाँधी के बाद वे अपने आप को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे काबिल उम्मीदवार मानते थे. उनका राजनैतिक करियर नरसिम्हा राव सरकार में फिर पुनर्जीवित हुआ जब सन 1991 में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और फिर सन 1995 में देश का विदेश मंत्री. सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. सन 2004 से लेकर 2012 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में वे लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

नाम – प्रणव मुखर्जी
अन्य नाम – पोल्टू, प्रणब डा
जन्म – 11 दिसंबर, 1935
जन्म स्थान – मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत
उम्र – 83 वर्ष
राष्ट्रीयता – भारतीय
मृत्यु – 31 अगस्त, 2020
व्यवसाय – राजनेता, भारत के तेरहवें राष्ट्रपति
माता का नाम – राजलक्ष्मी मुखर्जी
पिता का नाम – कामदा किंकर मुखर्जी

प्रणब मुख़र्जी का प्रारंभिक जीवन, Pranab Mukherjee’s Early Life
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में बंगाल प्रांत (अब पश्चिम बंगाल) के बीरभूम जिले में स्थित मिराती नामक गाँव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. वे श्री कामदा किंकर मुखर्जी और श्रीमती राजलक्ष्मी मुखर्जी के पुत्र है. उनके पिता, भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में स्वतंत्रता सेनानी थे और सन 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के सदस्य रहे. प्रणब जी ने अपनी स्नातक की शिक्षा बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से पूरी की, उसके बाद राजनीति शाष्त्र और इतिहास के विषय में एम.ए. की शिक्षा पूरी की. फिर उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री भी हासिल की. शिक्षा पूरी करने के बाद प्रणब साहब ने पोस्ट और टेलीग्राफ के कोलकाता कार्यालय में प्रवर लिपिक का काम किया. बाद में 1963 में पश्चिम बंगाल के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर बने, इस नौकरी के साथ ही वे देशेर डाक नामक पत्र से जुड़े और पत्रकार भी बन गए.

प्रणब कुमार मुखर्जी का निजी जीवन, Personal Life of Pranab Kumar Mukherjee
13 जुलाई 1957 को प्रणब मुखर्जी का विवाह सुव्रा मुखर्जी से हुआ, जो बांग्लादेश के नरेला से थीं, और 10 साल की उम्र में कोलकाता चली गईं थी. इस दंपत्ति की एक बेटी और दो बेटे हैं. उनकी बेटी एक कत्थक नृत्यांगना है. उनका बड़ा बेटा अभिजीत मुखर्जी ने, उनके पिता प्रणब मुखर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल के जंगीपुर की सीट खाली करने के बाद, वहां से उप-चुनाव में चुनाव लड़े और कांग्रेस के सांसद बने. इससे पहले, अभिजीत मुखर्जी बीरभूम जिले के नलहटी नामक स्थान से विधायक रहे है.प्रत्येक वर्ष प्रणब मुखर्जी अपने परिवार के साथ और मिराती गांव में अपने पैतृक स्थान पर दुर्गा पूजा करने के लिए जाते है.

प्रणब मुख़र्जी का राजनीतिक जीवन, Political Life of Pranab Mukherjee
प्रणब मुख़र्जी का राजनितिक करियर सन 1969 में प्रारंभ हुआ जब उन्होंने वी.के. कृष्ण मेनन के चुनाव प्रचार (मिदनापुर लोकसभा सीट के लिए उप-चुनाव) का सफल प्रबंधन किया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल कर जुलाई 1969 में राज्य सभा का सदस्य बना दिया. इसके बाद मुख़र्जी सन कई बार (1975, 1981, 1993 और 1999) राज्य सभा के लिए चुने गए.

धीरे-धीरे प्रणब मुख़र्जी इंदिरा गाँधी के चहेते बन गए और सन 1973 में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए. सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनपर गैर-संविधानिक तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगे और जनता पार्टी द्वारा गठित शाह आयोग ने उन्हें दोषी भी पाया. बाद में प्रणब इन सब आरोपों से पाक-साफ़ निकल आये और सन 1982-84 में देश के वित्त मंत्री रहे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकार की वित्तीय दशा दुरुस्त करने में कुछ सफलता पायी. उन्ही के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह को रिज़र्व बैंक का गवर्नर बनाया गया. सन 1980 में वे राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाये गए. इस दौरान मुख़र्जी को सबसे शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री माना जाने लगा और प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वे ही कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते थे.

इंदिरा गाँधी के हत्या के बाद प्रणब मुख़र्जी को प्रधानमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था पर राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनते ही प्रणब को हासिये पर कर दिया गया. ऐसा माना जाता है की वे राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र का शिकार हुए जिसके बाद उन्हें मन्त्रिमणडल में भी शामिल नहीं किया गया. इसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस छोड़ अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया पर सन 1989 में उन्होंने अपने दल का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया. पी.वी. नरसिंह राव सरकार में उनका राजनीतिक कैरियर पुनर्जीवित हो उठा, जब उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और सन 1995 में विदेश मन्त्री के तौर पर नियुक्त किया गया. उन्होंने नरसिंह राव मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया. सन 1997 में प्रणब को उत्कृष्ट सांसद चुना गया.

प्रणब मुख़र्जी को गाँधी परिवार का वफादार माना जाता है और सोनिया गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. सन 1998-99 में जब सोनिया गाँधी कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं तब उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया. सन 2004 मं प्रणब ने पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की. वे लोक सभा में पार्टी के नेता चुने गए और ऐसा माना जा रहा था कि सोनिया गाँधी के इनकार के बाद उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाया जायेगा पर अटकलों के बीच मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया. सन 2004 से लेकर 2012 में राष्ट्रपति बनने तक प्रणब मुख़र्जी यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आये. इस दौरान वे देश के रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री रहे. इसी दौरान मुख़र्जी कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधान दल के मुखिया भी रहे.

प्रणब मुखर्जी जी का राष्ट्रपति बनने का सफर, Pranab Mukherjee’s journey to become President
जुलाई सन 2012 में प्रणब मुखर्जीजी पी.ए. संगमा को 70% वोटों से हराकर राष्ट्रपति पद पर विराजमान हो गए. ये पहले बंगाली थे जो राष्ट्रपति बने थे. प्रणब जी ने गाँधी परिवार को करीब से देखा था, उनका इंदिरा गाँधी से काफी करीबी रिश्ता था, जबकि राजीव गाँधी के साथ उनके रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे, इसके बावजूद उनकी पत्नी सोनिया गाँधी से प्रणब जी ने अच्छे सम्बन्ध रखे और राजनैतिक जीवन में उनका साथ दिया. प्रणब जी का राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र आसान नहीं रहा, उन्हें काफी उतार चढाव का सामना करना पड़ा. प्रणब जी ने अपने जीवन के 40 साल भारतीय राजनीती को दिए है, जो एक महत्वपूर्ण योगदान है. उम्र के इस पड़ाव में आकर जहाँ लोग हार मान जाते है और आपा खो बैठते है, वही प्रणब जी ने संयम, धैर्य से अपने राजनैतिक जीवन को एक दिशा प्रदान की और आज इस मुकाम में आ पहुचें. प्रणब जी कांग्रेस की मजबूत धरोहर है, जिसे कांग्रेस कभी भी नहीं खोना चाहेगी.

प्रणब मुखर्जी जी की मृत्यु, Death of Pranab Mukherjee
पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी का 31 अगस्त 2020 को स्वास्थ्य ख़राब होने की वजह से देहवसान हो गया है. प्रणब दा का पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य ठीक नहीं था, जिसके चलते उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती किया गया था. हालही में कुछ दिन पहले यह खबर आ रही थी कि प्रणब जी की हालत काफी गंभीर है वे कोमा में चले गया हैं और बाद में उन्हें वेंटीलेटर में भी रखा गया. इस बीच यह अफवाह भी फेल गई थी कि प्रणब दा का देहांत हो गया है. लेकिन अब यह खबर सही साबित हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी अब हमारे बीच में नहीं है.

प्रणब मुखर्जी जी मिले अवार्ड्स, Pranab Mukherjee Received Awards
सन 2019 में यानि की पिछले साल प्रणब मुखर्जी जी को भारत रत्न पुस्कार से नवाजा गया है. इसके पहले इन्होने अपने जीवन में कई अवार्ड्स हासिल किये हैं जोकि इस प्रकार है –
1- सन 2008 में देश के दुसरे बड़े सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
2- सन 2010 में प्रणब जी को एक रिसर्च के बाद फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ़ दी इयर फॉर एशिया के लिए अवार्ड दिया गया.
3- सन 2011 में वोल्वरहैम्टन विश्वविद्यालय द्वारा प्रणब जी को डोक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया.
4- प्रणब जी विदेश में भी उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति बने थे. साल 2013 में बांग्लादेश सरकार की ओर से वहां के दूसरे सबसे बड़े अवार्ड बांग्लादेश लिबरेशन वॉर ओनर से सम्मानित किया गया था.
5- सन 2016 में आइवरी कोस्ट की ओर से ग्रैंड क्रॉस ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ द आइवरी कोस्ट अवार्ड दिया गया था.
6- सन 1984 में विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में उन्हें उपलब्धी मिली थी. इसी तरह से सन 1997 में सबसे अच्छे सांसद के रूप में भी उन्हें सम्मानित किया गया.
7- सन 2012 में विश्वेस्वराईया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और असम विश्वविध्यालय की ओर से उन्हें ओनररी डी लिस्ट पुरस्कार से नवाजा गया था.
8- सन 2013 में ढाका विश्वविध्यालय में मुखर्जी जी ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति के द्वारा कानून की डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.

प्रणब मुखर्जी द्वारा लिखी गई किताबें, Books Written by Pranab Mukherjee
एक विपुल पाठक, श्री मुखर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण पर कई किताबें लिखी हैं, जिनमे से कुछ हमने निचे प्रदर्शित की है.
1- वर्ष 1969 में मिड-टर्म पोल
2- बियॉन्ड सर्वाइवल – वर्ष 1984 में भारतीय अर्थव्यवस्था के उभरते आयाम.
4- वर्ष 1987 में, ऑफ़ द ट्रैक
5- वर्ष 1992 में, चैलेंज बिफोर द नेशन
6- वर्ष 1992 में, सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस

प्रणब मुखर्जी जी से जुड़ी कुछ रोचक बातें, Some Interesting Things Related to Pranab Mukherjee
1- जब प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के पश्चात कई दया याचिकाओं प्राप्त की जिनमे से उन्होंने 7 याचिकाओं को पूरी तरह से रद्द कर दिया. इसमें मुंबई हमले का आतंकवादी कसाब की दया याचिका भी शामिल थी.
2- जब वे राष्ट्रपति बने तब पूर्व कमुनिस्ट लीडर सोमनाथ चटर्जी जी ने मुखर्जी जी को भारत के स्टेट्समैन का नाम दिया था.
3- प्रनब जी पहले बंगाली थे जिन्हें इस पद पर विराजमान रहने का मौका मिला.
4- प्रणब जी ने अपने 40 वर्षों के बारे में एक डायरी लिखी है जिसे प्रणब जी के मरने के बाद प्रकाशित किया जायेगा.
5- सन 1986 में मुखर्जी जी ने पश्चिम बंगाल में एक नाइ कांग्रेस पार्टी बने जिसका नाम था राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी. हालांकि बाद में यह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ ही जुड़ गई.

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