Biography of Madan Mohan Malviya

मदनमोहन मालवीय की जीवनी, मदनमोहन मालवीय की बायोग्राफी, मदनमोहन मालवीय का करियर, मदनमोहन मालवीय का विवाह, Madan Mohan Malviya Ki Jivani, Madan Mohan Malviya Biography In Hindi, Madan Mohan Malviya Career, Madan Mohan Malviya Shadi

मदनमोहन मालवीय की जीवनी, मदनमोहन मालवीय की बायोग्राफी, मदनमोहन मालवीय का करियर, मदनमोहन मालवीय का विवाह, Madan Mohan Malviya Ki Jivani, Madan Mohan Malviya Biography In Hindi, Madan Mohan Malviya Career, Madan Mohan Malviya Shadi

मदनमोहन मालवीय की जीवनी
आज हम आपको जिसके बारें बताने जा रहें है उन्हें महात्मा गांधी ने अपना बड़ा भाई कहा और भारत निर्माता की संज्ञा दी. जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें एक ऐसी महान आत्मा कहा, जिन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्रीयता की नींव रखी. वह व्यक्ति और कोई नहीं मदन मोहन मालवीय हैं, जिन्हें महात्मना (एक सम्मान) के नाम से भी जाना जाता है. वह एक महान राजनेता और शिक्षाविद थे. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जो भारत के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों में से एक है, की स्थापना की. वह एक ऐसे देशभक्त थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए हरसंभव कोशिश की और आज वह युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं.

पूरा नाम: – मदनमोहन मालवीय
जन्म: – 25 दिसंबर 1861
जन्म स्थान: – इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु: – 12 नवंबर 1946
मृत्यु स्थान: – इलाहबाद
पद/कार्य: – राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद

मदनमोहन मालवीय का प्रारंभिक जीवन
आपको बता दें कि मदन मोहन मालवीय का जन्म इलाहाबाद के एक ब्राह्मण परिवार में 25 दिसंबर 1861 को हुआ था. वह अपने पिता जी पंडित बैजनाथ और माता जी का नाम मीना देवी के आठ बच्चों में से एक थे. पांच वर्ष की उम्र में उनकी शिक्षा प्रारंभ हुई और उन्हें महाजनी स्कूल भेज दिया गया. इसके बाद वह धार्मिक विद्यालय चले गए जहां उनकी शिक्षा-दीक्षा हरादेव जी के मार्गदर्शन में हुई. यहीं से उनकी सोच पर हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा. वर्ष 1868 में उन्होंने तब हाल ही में स्थापित हुए शासकीय हाईस्कूल में दाखिला लिया. 1879 में उन्होंने मूइर सेंट्रल कॉलेज (अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय) से मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी की. वर्ष 1884 में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए की शिक्षा पूरी की और 40 रुपये मासिक वेतन पर इलाहाबाद जिले में शिक्षक बन गए. वह आगे एम.ए. की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाए.

मदनमोहन मालवीय का करियर
अगर बात करें उनके करियर की तो वो एक राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके जीवन की शुरुआत वर्ष 1886 में कलकत्ता में दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में भाग लेने के साथ हुई. इस शुरुआती अधिवेशन में उनके द्वारा दिए गए भाषण को वहां मौजूद लोगों ने काफी सराहा. मदन मोहन के भाषण का असर महाराज श्रीरामपाल सिंह पर पड़ा. प्रभावित होकर महाराज ने उनसे साप्ताहिक समाचार पत्र हिंदुस्तान का संपादक बनने और उसका प्रबंधन संभालने की पेशकश की. ढाई वर्ष तक संपादक के पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद वह एल.एल.बी. की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद वापस चले आए. 1891 में उन्होंने अपनी एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की और इलाहाबाद जिला न्यायालय में प्रेक्टिस शुरू कर दी. वर्ष 1893 में प्रगति करते हुए वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रेक्टिस करने लगे. वर्ष 1907 में मदन मोहन ने अभ्युदय नामक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र शुरू किया और 1915 में इसे दैनिक समाचार पत्र में तब्दील कर दिया. इस अवधि के दौरान उन्होंने कुछ मासिक पत्रिकाएं और अंग्रेजी में एक दैनिक पत्र भी निकाला. 1909 में पहली बार मदन मोहन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. भारत में स्काउटिंग की स्थापना मदन मोहन मालवीय, न्यायमूर्ति विवियन बोस, पंडित ह्रदयनाथ कुंजरू, गिरजा शंकर बाजपेयी, एनी बेसेंट और जॉर्ज अरुणदले के संयुक्त प्रयास से हुई. वर्ष 1913 से स्काउट में भारतीयों को प्रवेश मिलने लगा.

मदन मोहल मालवीय वर्ष 1912 से 1926 तक इंपीरियल विधानपरिषद के सदस्य रहे. 1919 में इस परिषद को केंद्रीय विधान परिषद का नाम दिया गया. बनारस में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 21वें अधिवेशन में मदन मोहन ने एक हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का विचार सबके सामने प्रस्तुत किया. 1915 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय विधेयक पास हो गया और 4 फरवरी 1916 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. अब तक यह भारत में शिक्षा का प्रमुख संस्थान बना हुआ है. हालांकि शिक्षा और समाज कल्याण के लिए काम करने के लिए मदन मोहन मालवीय ने अपनी न्यायिक प्रेक्टिस सन 1911 में ही छोड़ दी थी लेकिन उन्होंने चौरी-चौरा कांड में दोषी बताए गए 177 लोगों को बचाने के लिए न्यायालय में केस लड़ा, इन सभी को फांसी की सजा सुनाई गई थी. 177 में 156 को कोर्ट ने दोष मुक्त घोषित किया. उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा 1920 में शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई और भारतीय इतिहास की दिग्गज हस्तियों जैसे लाला लाजपत राय, जवाहरलाल नेहरू समेत कई अन्य के साथ साइमन कमीशन का विरोध किया. 30 मई 1932 को मदन मोहन ने घोषणा पत्र जारी कर भारतीय खरीदो/ स्वदेशी खरीदो आंदोलन पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश की. जब स्वतंत्रता लगभग मिलने ही वाली थी तब उन्होंने महात्मा गांधी को देश के विभाजन की कीमत पर स्वतंत्रता स्वीकार न करने की राय दी. वह लखनऊ पैक्ट के तहत मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल के पक्ष में नहीं थे और 1920 के दशक में खिलाफत आंदोलन में कांग्रेस की भागीदारी के भी विरोध में थे. वर्ष 1931 में उन्होंने पहले गोलमेज सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें  सत्य की ही जीत होगी नारे को प्रसिद्ध करने वाले के तौर पर भी जाना जाता है.

मदन मोहन मालवीय ने बी.एच.यू. के कुलपति का पद शिक्षाविद एस. राधाकृष्णन के लिए छोड़ दिया, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने. इस दौर में हिंदुस्तान टाइम्स अपने बुरे दिनों से गुजर रहा था और बंद होने की कगार पर था, तभी मदन मोहन मालवीय इसके तारणहार बनकर सामने आए. उन्होंने दैनिक जीवन में एक समाचार पत्र के महत्व और इसकी भूमिका का अहसास कराया. लाला लाजपत राय और एम. आर. जयकर जैसे राष्ट्रीय नेताओं तथा उद्योगपति जी डी बिरला के आर्थिक सहयोग से उन्होंने समाचार पत्र को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया. 1946 तक वह इसके अध्यक्ष पद पर रहे. 1936 में समाचार पत्र का हिंदी संस्करण शुरू हो गया, यह उनके ही प्रयास का परिणाम था . वर्तमान में इस समाचार पत्र का स्वामित्व बिरला परिवार के पास है.

मदनमोहन मालवीय का निजी जीवन
वहीं बात करें उनकी शादी की तो उनकी विवाह महज 16 वर्ष की उम्र में मिर्जापुर की कुंदन देवी के साथ वर्ष 1878 में हो गया. उनकी पांच पुत्रियां और पांच पुत्र थे.

मदनमोहन मालवीय की विरासत
मदनमोहन मालवीय के नाम पर इलाहाबाद, लखनऊ, दिल्ली, भोपाल और जयपुर में रिहायशी क्षेत्रों को मालवीय नगर नाम दिया गया.

उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया .

उनके नाम पर मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्टनोलॉजी, जयपुर और मदन मोहन इंजीनियर कॉलेज गोरखपुर, उत्तरप्रदेश का नामकरण किया गया.

मदन मोहन मालवीय की पहल पर शुरू की गई आरती हरिद्वार में हर की पौड़ी घाट पर अब भी की जाती है.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में असेंबली हॉल के मुख्य द्वार पर और पोर्च के बाहर पंडित मदन मोहन मालवीय की अर्द्ध प्रतिमाएं हैं. इनका उद्घाटन 25 दिसंबर 1971 को पंडित जी की जयंती पर किया गया था.

मदनमोहन मालवीय का जीवन घटनाक्रम
1- 1861: मदनमोहन मालवीय का जन्म इलाहाबाद में हुआ
2- 1878: कुंदन देवी से विवाह किया
3- 1879: मुइर सेंट्रल कालेज से मेट्रिक की पढ़ाई पूरी की
4- 1884: कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई पूरी की और इलाहाबाद जिले के विद्यालय में शिक्षक बन गए
5- 1886: दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन में भाग लिया
6- 1887: राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र में बतौर संपादक नौकरी शुरू की
7- 1889: संपादक की नौकरी छोड़कर एलएलबी की पढ़ाई शुरू की
8- 1891: एलएलबी पूरा करने के बाद इलाहाबाद जिला न्यायालय में प्रेक्टिस शुरू की
9- 1907: अभ्युदय नामक साप्ताहिक हिंदी समाचारपत्र शुरू किया
10- 1909: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने
11- 1910: मर्यादा नामक हिंदी मासिक पत्रिका शुरू की
12- 1911: समाज और देश सेवा के लिए अपनी जमी हुई वकालत की प्रेक्टिस छोड़ दी
13- 1912.1926: इंपीरियल विधान परिषद के सदस्य रहे
14- 1914.1946: ऑल इंडिया सेवा समिति में अपनी सेवाएं दीं
15- 1915: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय विधेयक पास कराने में मुख्य भूमिका निभाई
16- 1916: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई
17- 1916 – 1918: औद्योगिक आयोग के सदस्य के तौर पर सेवाएं दीं
18- 1919 – 1939: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर काम किया
19- 1924 -1946: हिंदुस्तान टाइम्स समाचार पत्र के संचालक दल के चेयरमैन रहे
20- 1928: साइमन कमीशन का विरोध किया
21- 1931: प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया
22- 1932: भारतीय खरीदो आंदोलन की बात करने वाला घोषणापत्र जारी किया
23- 1939: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लाइफ रेक्टर नियुक्त किए गए
24- 1941: गोरक्षा मंडल की स्थापना की
25- 1946: 12 नवंबर को उनकी मृत्यु हो गई

मदनमोहन मालवीय की मृत्यु
इस तरह के अनेक कार्यों में संलग्न होते हुए सदा समाज की सेवा में तत्पर रहने वाले महामना जी का स्वर्गवास सन 12 नवम्बर, 1946 में इलाहबाद में हुआ. आज भी उनके सराहनीय कार्यों की अमिट छाप हम भारतवासियों के ह्रदय में विद्यमान है. मरणोपरांत 2014 में महामना जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

ये भी पढ़े –

  1. विवेकानंद की जीवनी, स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय, स्वामी विवेकानंद की बायोग्राफी, Swami Vivekananda In Hindi, Swami Vivekananda Ki Jivani
  2. शहीदे आज़म भगत सिंह की जीवनी, शहीद भगत सिंह की बायोग्राफी हिंदी में, भगत सिंह का इतिहास, भगत सिंह का जीवन परिचय, Shaheed Bhagat Singh Ki Jivani
  3. महात्मा गांधी की जीवनी, महात्मा गांधी का जीवन परिचय, महात्मा गांधी की बायोग्राफी, महात्मा गांधी के बारे में, Mahatma Gandhi Ki Jivani
  4. डॉ. भीम राव अम्बेडकर की जीवनी, डॉ. भीम राव अम्बेडकर का जीवन परिचय हिंदी में, डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनमोल विचार, Dr. B.R. Ambedkar Biography In Hindi
  5. सुभाष चन्द्र बोस की जीवनी, सुभाष चंद्र बोस की जीवनी कहानी , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस बायोग्राफी, सुभाष चन्द्र बोस का राजनीतिक जीवन, आजाद हिंद फौज का गठन
  6. महादेवी वर्मा की जीवनी , महादेवी वर्मा की बायोग्राफी, महादेवी वर्मा की शिक्षा, महादेवी वर्मा का विवाह, Mahadevi Verma Ki Jivani
  7. तानसेन की जीवनी , तानसेन की बायोग्राफी, तानसेन का करियर, तानसेन का विवाह, तानसेन की शिक्षा, Tansen Ki Jivani, Tansen Biography In Hindi
  8. वॉरेन बफे की जीवनी, वॉरेन बफे की बायोग्राफी, वॉरेन बफे का करियर, वॉरेन बफे की पुस्तकें, वॉरेन बफे के निवेश नियम, Warren Buffet Ki Jivani, Warren Buffet Biography In Hindi
  9. हरिवंश राय बच्चन की जीवनी, हरिवंश राय बच्चन की बायोग्राफी, हरिवंश राय बच्चन की कविताएं, हरिवंश राय बच्चन की रचनाएं, Harivansh Rai Bachchan Ki Jivani
  10. रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी , रामधारी सिंह दिनकर की बायोग्राफी, रामधारी सिंह दिनकर के पुरस्कार, रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं, Ramdhari Singh Dinkar Ki Jivani
  11. मन्नू भंडारी की जीवनी, मन्नू भंडारी की बायोग्राफी, मन्नू भंडारी का करियर, मन्नू भंडारी की कृतियां, Mannu Bhandari Ki Jivani, Mannu Bhandari Biography In Hindi
  12. अरविन्द घोष की जीवनी, अरविन्द घोष की बायोग्राफी, अरविन्द घोष का करियर, अरविन्द घोष की मृत्यु, Arvind Ghosh Ki Jivani, Arvind Ghosh Biography In Hindi
  13. सम्राट अशोक की जीवनी, सम्राट अशोक की बायोग्राफी, सम्राट अशोक का शासनकाल, सम्राट अशोक की मृत्यु, Ashoka Samrat Ki Jivani, Ashoka Samrat Biography In Hindi
  14. मिल्खा सिंह की जीवनी, मिल्खा सिंह की बायोग्राफी, मिल्खा सिंह का करियर, मिल्खा सिंह का विवाह, मिल्खा सिंह के पुरस्कार, Milkha Singh Ki Jivani, Milkha Singh Biography In Hindi
  15. अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी, अटल बिहारी वाजपेयी की रचनाएं, अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं, Atal Bihari Vajpayee, Atal Bihari Vajpayee Biography In Hindi