Alauddin Khilji

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अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी, Biography of Alauddin Khilji
अलाउद्दीन खिलजी के नाम से प्रसिध्द मुगल शासक का पूरा नाम अली गुरशास्प उर्फ़ जूना खान खिलजी है. जो खिलजी वंश का दूसरा शासक बना (1296-1316). अलाउद्दीन खिलजीने अपने युग के दौरान एक उथल-पुथल भरे किन्तु सफल शासनकाल का नेतृत्व किया. उसने खिलजी राजवंश का नेतृत्व कर भारतीय इतिहास में एक सम्माननीय मुकाम हासिल किया.अल्लाउद्दीन खिलजी को उनके चाचा द्वारा अलाहबाद शहर के नज़दीक कड़ा का राज्यपाल नियुक्त किया गया, और वह केवल भीलसा और देवगिरि पर चढ़ाई के बाद ही था कि अलाउद्दीन के मन में अगला सुल्तान बनने की इच्छा जागी. एक बरछी पर अपने चाचा के सिर के साथ दिल्ली के लिए उसका नाटकीय जुलुस भयानक था. इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था. मेवाड़ चित्तौड़ का युद्धक अभियान इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है. ऐसा माना जाता है कि वो चित्तौड़ की रानी पद्मिनी की सुन्दरता पर मोहित था. इसका वर्णन मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी रचना पद्मावत में किया है.

नाम – अली गुरशास्प उर्फ़ जूना खान खिलजी
उपनाम – सिकंदर-ए-सानी, सिकन्दर द्वितीय
शासकीय नाम – अलाउद्दीन वाड दिन मुहम्मद शाह सुल्तान
जन्म – 1266-1267 (16 वीं-17 वीं शताब्दी के इतिहासकार हाजी-उद-दबीर के अनुसार)
आयु – 49-50 वर्ष (मृत्यु के समय)
जन्म स्थान – कलात, ज़ाबुल प्रान्त, अफ़ग़ानिस्तान
मृत्यु तिथि – 4 जनवरी 1316
मृत्यु स्थान – दिल्ली, भारत
मृत्यु का कारण – ज़ियाउद्दीन बरनी (14 वीं शताब्दी के कवि और विचारक) के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी की हत्या मलिक काफ़ूर ने की थी.
कुछ अन्य इतिहासकारों के अनुसार एक दीर्घकालिक बीमारी की वजह से अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गई थी.
समाधि/मकबरा – कुतुब परिसर, दिल्ली
शौक – घुड़सवारी, तलवारबाजी, तैरना
व्यवसाय – शासक (दिल्ली के सुल्तान)
राज्यकाल – 1291–1296: कारा के मुक्ति (उत्तर प्रदेश)
1296: अवध के मुक्ति
1296: दिल्ली के सुल्तान

अलाउद्दीन खिलजी का निजी जीवन, Alauddin Khilji’s personal life
उसके समय में उत्तर पूर्व से मंगोल आक्रमण भी हुए. उसने उसका भी डटकर सामना किया. अलाउद्दीन खिलजी का बचपन का नाम था अली गुरशास्प, अलाउद्दीन खिलजी के पिता का नाम था शिहाबुद्दीन मसूद दोस्तों शिहाबुद्दीन मसूद भाई था खिलजी साम्रज्य का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी का तोह जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी के चाचा था, अलाउद्दीन खिलजी के ३ और भाई थे अलमस बेग, कुतलुग तिगिं और मोहम्मद, अलाउद्दीन खिलजी तीनो भाई मैं सब से बड़ा था. जलालुद्दीन खिलजी जब सत्ता पर बैठा तोह लोगो को लगा की यह बहुत ही निर्दयी शासक होगा लेकिन इसका उल्टा हो गया जलालुद्दीन खिलजी एकदम नरमदिल और दयालु शासक निकला और इसके इसी दयाभाव स्वभाव इसी के लोगो को पसंद नहीं आता था तोह अलाउद्दीन खिलजी ने सोच लिया था की मुझे मेरे चाचा को सत्ता से हटाना होगा.

अलाउद्दीन खिलजी धीरे धीरे योजना बनाता गया क्योँकि जलालुद्दीन खिलजी सुल्तान था उसे हटाना के लिए सेना की ताक़त और पैसा चाहिए था तब अलाउद्दीन खिलजी के पास यह दोनों ही नहीं थे तोह अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण पर आक्रमण कर दिया क्योँकि वहा पैसा ज़्यादा था तोह दक्षिण पर आक्रमण कर दिया जलालुद्दीन खिलजी ने वह भी अपने सुल्तान की इज़ाज़त के बिगर. दक्षिण मैं देवगिरि पर आक्रमण किया वहा के राजा रामचंद्र को हरा दिया और हारने के बाद रामचंद्र ने कहा मैं तुम्हे हर साल पैसा दूंगा और अभी जितना भी खज़ाना है वह भी ले जाओ मेरी जान बक्श दो, अलाउद्दीन खिलजी सारे पैसे लेकर वापस आया और जलालुद्दीन खिलजी को इसके बारे में कुछ नहीं पता था, जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी पर काफी ग़ुस्सा हो गया लेकिन अलाउद्दीन खिलजी पर फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की.

अब अलाउद्दीन खिलजी के मन में कुछ और चल रहा है उसने अपने भाई अलमस बेग के साथ साज़िश रची अपनी चाचा को जान से मारने की और अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी को मार दिया. अलाउद्दीन खिलजी ने जब जलालुद्दीन खिलजी को मारा तोह बहुत ज़्यादा लोग दुखी नहीं थे लोग खुश थे क्योँकि जैसे मैंने कहा की बड़ा ही दयालु राजा था तोह जो भी राजदरबारी थे वह तोह चाहते ही थे के जलालुद्दीन खिलजी हठ जाए क्योँकि अगर यह सत्ता पर रहे तोह सारा शाही खज़ाना खतम हो जायगा और खिलजियों का शासन ख़तम हो जायगा.

अलाउद्दीन खिलजी का शासनकाल, Alauddin Khilji’s reign
जलालुद्दीन खिलजी को मारकर अलाउद्दीन खिलजी सुल्तान बन गया और अलाउद्दीन खिलजी ने जलालुद्दीन खिलजी की बेटी मलिका ए जहाँ से शादी कर ली, मलिका ए जहाँ के बारे मैं कहा जाता है की यह अलाउद्दीन खिलजी पर काफी हावी थी तोह बोला जाता है की यह शादी बिलकुल भी कामयाब नहीं थी. 21 अक्टूबर 1296 में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने आप को आधिकारिक तौर पर दिल्ली सल्तनत का सुल्तान घोषित कर दिया और यहाँ से इसने अपने शासन का विस्तार करना शुरू कर दिया. बलबन का जब शासन था तोह उसने कई राज्यों को इकठ्ठा और मज़बूत कर दिया था लेकिन विस्तार जो है वह करेगा अलाउद्दीन खिलजी. अलाउद्दीन खिलजी ने सब पर आक्रमण कर दिया था किसी को भी नहीं छोड़ा.

अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का सुल्तान तोह बन गया था लेकिन इसका सफर इतना आसान नहीं होने वाला, परेशानी क्या क्या थी अलाउद्दीन खिलजी के लिए एक तोह राजदरबारियौ को अलाउद्दीन खिलजी पर भरोसा नहीं था क्योँकि धोके से राजा बना था तोह राजदरबारियौ को लगने लगा की यह तोह कभी भी धोका दे सकता है और किसी को भी मार सकता है. दूसरी परेशानी अर्काली खान, अर्काली खान, जलालुद्दीन खिलजी का बड़ा बेटा था अर्काली खान को पंजाब और मुल्तान का शासक बनाया गया था तोह अलाउद्दीन खिलजी को लगता था की यह कही आक्रमण न कर दे. अलाउद्दीन खिलजी के शासन मैं बहुतो ने सर उठाये लेकिन इसने सबके सर काट दिए अर्काली खान को भी मार डाला और जो परेशानिया उसे सता रही थी वह सारी परेशानियों को ख़त्म कर दिया.

लेकिन अब ऐसा नहीं है की इसने कत्लेआम मचा रक्खा था नहीं जिसने भी आत्मसमर्पण किया उसको अलाउद्दीन खिलजी ने बक्श दिया और इनाम भी दिया और दूसरी बात अलाउद्दीन खिलजी के महेल मैं हिन्दू भी काम करते थे और उनके साथ अच्छे से व्यवहार किया जाता था.

अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्दावती, Alauddin Khilji and Rani Paddavati
1302 से 1303 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी ने राजपूत राजा रतन सिंह के राज्य चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था, इस हमले के पीछे कुछ इतिहासकार यह तर्क देते हैं कि, खिलजी ने रतन सिंह की बेहद खूबसूरत पत्नी रानी पद्दावती को अपने हरम में शामिल होने को कहा. लेकिन जब उन्होंने इंकार कर दिया तो उसने चित्तौड़़गढ़ दुर्ग पर हमला कर दिया, इस हमले में राजा रतन सिंह तो मारे गए, लेकिन रानी पद्मावती ने खिलजी से खुद की आत्मरक्षा के लिए कई हजार राजपूत रानियों के साथ जौहर (आत्मदाह) कर लिया था.

इसके बाद 1306 में खिलाजी ने बंग्लाना राज्य पर जीत हासिल की और फिर 1308 ईसवी में खिलजी की सेना ने मेवाड़ के सिवाना किले पर अपना सिक्का जमा लिया. 1310 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी ने होयसल साम्राज्य कोहासिल पर भी विजय प्राप्त कर हासिल कर लिया. 1311 ईसवी में अलाउ्ददीन की सेना ने मबार के इलाके में खूब लूटपाट की और उत्तर भारतीय राज्यों में अपना तानाशाह शासन चलाया.

अलाउद्दीन खिलजी और मलिक काफूर, Alauddin Khilji and Malik Kafur
इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सबसे विश्वासपात्र सेनापति मलिक काफूर की मद्द से दक्षिण भारत में विजय प्राप्त कर ली थी. इस दौरान दक्षिण भारत के सभी राज्य खिलजी को भारी टैक्स देते थे, जिसके चलते खिलजी के पास काफी धन और संपत्ति हो गई थी. इसके अलावा खिलजी ने अपने शासनकाल में कृषि पर करीब 50 फीसदी टैक्स माफ कर दिया था, जिससे किसानों की हालत में काफी सुधार हुआ था.

अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु, Death of Alauddin Khilji
इतिहास के सबसे क्रूर और निर्दयी शासकों में से एक अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 1316 ईसवी में हो गई. इसकी मृत्यु के विषय में इतिहासकारों के मुताबिक उसकी मौत किसी लंबे समय तक रहने वाली गंभीर बीमारी की वजह से हुई थी, जबकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उसके सेनापति एवं सबसे करीबी माने जाने वाले मलिक काफूर ने ही उसकी हत्या की थी.

अलाउद्दीन खिलजी की कब्र, Tomb of Alauddin Khilji
फिलहाल, अलाउद्दीन खिलजी की मौत के बाद भारत की राजधानी दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब कॉम्प्लेक्स में उनकी कब्र बनाई गई थी. वहीं अलाउद्दीन खिलजी की मौत के कुछ साल बाद ही खिलजी साम्राज्य का अंत हो गया था और फिर हिन्दुस्तान की तल्ख पर तुगलक वंश ने शासन किया था.

अलाउद्दीन खिलजी के जीवन पर आधारित फ़िल्म
साल 2017 में अलाउद्दीन खिलजी और चित्तौड़ की महारानी रानी पद्मावती पर फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली ने पदमावती फिल्म बनाई थी, जो कि बॉक्स ऑफिस पर काफी हिट रही थी. इस फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी का किरदार मशहूर एक्टर रणबीर सिंह और पदमावती का किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया था.

अलाउद्दीन खिलजी की उपलब्धियां, Achievements of Alauddin Khilji
एक तरफ महत्वकांक्षी शासक खिलजी ने जहां अपने शासनकाल में लूटपाट कर कई राज्यों पर अपना तानाशाह शासन चलाया तो वहीं उसने अपने राज में कई ऐसी सराहनीय व्यवस्थाएं भी लागू की, जिससे आम जनता को काफी फायदा हुआ और वह इतिहास में एक कुशल एवं सफल शासक के रुप में उभरा.
1- अलाउद्दीन खिलजी दक्षिण भारत पर जीत हासिल करने वाला भारत का पहला मुस्लिम सुल्तान था, यहां उसने भव्य मस्जिद का निर्माण भी करवाया था.
2- अलाउ्दीन ने अपने शासनकाल में एक कुशल राजस्व प्रशासन की स्थापना की थी. उसके शासन के समय कृषि की स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ, भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े नियम बनाए गए, प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए कई बड़े अधिकारियों एवं एजेंट को रोजगार पर रखा गया.
3- अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण नीति लागू की, अलाउद्दीन ने कपड़े, अनाज और रोजर्मरा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की कीमत के मुताबिक उनके मूल्य निर्धारित किए, जिसका आम जनता और सिपाहियों को काफी फायदा हुआ.
4- अपनी क्रूरता के लिए मशहूर अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासन में एक ऐसी टैक्स प्रणाली लागू की थी, जिसे 19वीं और 20वीं सदी के शासकों ने भी अपने समय में जारी रखा था. आपको बता दें कि खिलजी ने हिन्दुओं पर भूमि कर (खराज), चारागाह कर (चरह), चुनाव कर (जजिया) एवं घर कर (घरी) आदि को लागू किया था.

अलाउद्दीन खिलजी से जुड़ी कुछ रोचक बातें, Some interesting things related to Alauddin Khilji
1- 16 वीं-17 वीं शताब्दी के इतिहासकार हाजी-उद-दबीर के मुताबिक, अलाउद्दीन का जन्म अली गुरशप के रूप में कलात, ज़ाबुल प्रान्त, अफ़्ग़ानिस्तान में हुआ.
2- अलाउद्दीन अपने पिता शिहाबुद्दीन मसूद (जो खिलजी वंश के संस्थापक सुल्तान अलौद्दीन के बड़े भाई थे) के चार पुत्रों में सबसे बड़े थे.
3- बचपन में पिता के देहांत के बाद, अलाउद्दीन का पालन-पोषण उनके चाचा जलालुद्दीन खिलजी के द्वारा किया गया.
4- जलालुद्दीन ने अपनी बेटीयों की शादी अलाउद्दीन और उनके छोटे भाई अलमास बेग के साथ करवाई थी.
5- जब जलालुद्दीन दिल्ली के सुल्तान बने, तो उन्होंने अलाउद्दीन को अमीर-ए-तुजुक (अनुष्ठान प्रमुख के समकक्ष) के रूप में नियुक्त किया और अलमास बेग को अखुर-बेग (अश्व प्रमुख के समकक्ष) के रूप में नियुक्त किया.
6- वह जमलुद्दीन की बेटी से शादी कर के खुश नहीं थे. जलालुद्दीन के सुल्तान बनने के बाद उनकी पत्नी एक राजकुमारी बन गई थी, और उनके बर्ताव में अचानक से अभिमान आ गया .
7- अलाउद्दीन का दूसरा विवाह महरू नाम की महिला के साथ हुआ था.
8- 1291 में कारा के राज्यपाल मालिक छज्जू ने सुल्तान के राज्य में विद्रोह कर दिया था, इस समस्या को अलाउद्दीन ने बहुत अच्छे से संभाला, जिसके बाद उन्हें कारा का मुक्ति (राज्यपाल) बना दिया गया.
9- मालिक छज्जू ने जलालुद्दीन को एक अप्रभावी शासक माना और दिल्ली के सिंहासन को हड़पने के लिए अलाउद्दीन को उकसाया.
10- जलालुद्दीन के साथ विश्वासघात करना आसान काम नहीं था, क्योंकि इसके लिए उन्हें एक बड़ी सेना और हथियारों के लिए पैसे की आवश्यकता थी. इस योजन में लगने वाले धन की कमी को पूरा करने के लिए अलाउद्दीन ने आसपास के हिंदू साम्राज्यों में लूट-पाट शुरू कर दी.
11- 1293 में अलाउद्दीन ने भिलसा (मालवा के परमार राज्य में एक अमीर शहर) में लूट-पाट की और सुल्तान का विश्वास जीतने के लिए, अलाउद्दीन ने पूरी लूट को जलालुद्दीन को सौंप दी. इसे खुश हो कर जलालुद्दीन ने उन्हें अरीज़-आई ममालिक (युद्ध सेनापति) नियुक्त किया और उन्हें सेना को मजबूत बनाने के लिए अधिक राजस्व बढ़ाने जैसे अन्य विशेषाधिकार भी दे दिए.
12- भिलसा में लूट की सफलता के बाद अलाउद्दीन ने अपनी अगली लूट 1296 में देवगिरी (जो कि दक्कन क्षेत्र स्थित दक्षिणी यादव साम्राज्य की राजधानी) में की, वहाँ से उन्होंने रत्नों, कीमती धातुओं, रेशम उत्पादों, घोड़ों, हाथियों और दासों सहित भारी मात्रा में धन की लूट-पाट की. इस बार भी जलालुद्दीन लूट का सारा सामान अलाउद्दीन द्वारा सौंपे जाने की उम्मीद कर रहे थे. हालांकि, दिल्ली लौटने के बजाय अलाउद्दीन लूट का सामान कारा लेकर चला गया.
13- अलाउद्दीन ने जलालुद्दीन को एक पत्र लिखा और लूट के साथ दिल्ली वापस नहीं आने के कारण माफ़ी मांगी. इसके बाद जलालुद्दीन ने व्यक्तिगत रूप से अलाउद्दीन से मिलने के लिए कारा आने का फैसला किया. जब वह कारा के रास्ते पर थे, तब उन्होंने (जलालुद्दीन) करीब 1,000 सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी के साथ गंगा नदी पार करने का फैसला किया.
14- 20 जुलाई 1296 को जब जलालुद्दीन ने गंगा नदी के किनारे अलाउद्दीन से मुलाकात की तब अलाउद्दीन ने जलालुद्दीन को गले लगाते समय उनकी पीठ पर चाकू से वार कर दिया और उनकी मृत्यु के बाद खुद को दिल्ली का नया सुल्तान घोषित कर दिया.
15- अलाउद्दीन को पहले अली गुरशास्प के रूप में जाना जाता था. जुलाई 1296 कारा में अलाउद्दीन ने अपने आप को औपचारिक रूप से अलाउद्दीन उद-दीन मुहम्मद शाह-सुल्तान की उपाधि के रूप में नया सुल्तान घोषित किया.
16- अलाउद्दीन ने अपने अधिकारियों को यथासंभव कई सैनिकों की भर्ती करने और उन्हें (अलाउद्दीन) एक उदार सुल्तान के रूप में पेश करने का आदेश दिया. उन्होंने कारा में अपने मुकुट के साथ-साथ 5 मन (लगभग 35 किलोग्राम) सोना वितरित किया.
17- भरी बारिश और नदियों में बाढ़ की स्थिति के कारण, उन्होंने दिल्ली की ओर प्रस्थान किया. 21 अक्तूबर 1296 को अलाउद्दीन खिलजी ने औपचारिक रूप से खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया.
18- इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी के अनुसार, दिल्ली के सुल्तान के रूप में अलाउद्दीन का पहला वर्ष सबसे खुशहाल वर्ष रहा, जिसे दिल्ली के लोगो ने पहले कभी नहीं देखा था.
19- अपने शासनकाल के दौरान, अलाउद्दीन ने अपने राज्य को भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल इलाके में फैला दिया. उन्होंने रणथम्भोर, गुजरात, मेवाड़, जालोर, मालवा, मबर, वारंगल और मदुरई पर विजय प्राप्त की.
20- हर बार जब मंगोलों ने दिल्ली पर हमला किया, तो अलाउद्दीन ने उन्हें हरा दिया. उन्होंने मंगोल को जालंधर (1298), किली (1299), अमरोहा (1305) और रवि (1306) की लड़ाइयों में हराया. जब मंगोल सैनिकों में से कुछ एक ने विद्रोह किया, तो अलाउद्दीन के प्रशासन ने विद्रोहियों को क्रूर दंड दिया, उनके परिवारों और उनके बच्चों की हत्या उनकी माताओं के सामने कर दी गयी.

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