Biography of Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू की जीवनी, जवाहरलाल नेहरू की बायोग्राफी, जवाहरलाल नेहरू का करियर, जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियां, Jawaharlal Nehru Ki Jivani, Jawaharlal Nehru Biography In Hindi, Jawaharlal Nehru Career, Jawaharlal Nehru Achievements

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जवाहरलाल नेहरू की जीवनी
आज हम आपको आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के बारें में बताने जा रहें है, जिन्होंने असहयोग आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया. नेहरु जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, देश को आजाद कराने के लिए नेहरु जी ने महात्मा गाँधी का साथ दिया था. नेहरु जी के अंदर देश प्रेम की ललक साफ दिखाई देती थी, महात्मा गाँधी उन्हें एक शिष्य मानते थे, जो उनके प्रिय थे. नेहरु जी को व्यापक रूप से आधुनिक भारत का रचियता माना जाता है. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे. इनके पिता प्रसिद्ध बैरिस्टर व् समाजसेवी थे . नेहरु जी सम्पन्न परिवार के इकलौते बेटे थे . इनके अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बहिने थी. नेहरु जी कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण थे. नेहरु जी ने देश विदेश के नामी विध्यालयों एवम महाविध्यालयो से शिक्षा प्राप्त की. इन्होने हैरो से स्कूल की प्रारम्भिक शिक्षा एवम ट्रिनिटी कॉलेज लन्दन से लॉ की शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए . 7 वर्ष इंग्लैण्ड में रहकर इन्होने फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की.

पूरा नाम: – पंडित जवाहरलाल नेहरु
जन्म: – 14 नवम्बर 1889
जन्म स्थान: – इलाहबाद, उत्तरप्रदेश
मृत्यु: – 27 मई 1964
मृत्यु स्थान: – नई दिल्ली
पद/कार्य: – इलाहाबाद के नगर निगम अध्यक्ष और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

जवाहरलाल नेहरू का प्रारंभिक जीवन
आपको बता दें कि जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के एक विख्यात वकील थे. जवाहरलाल नेहरू की माता का नाम स्वरुप रानी था. जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू की इकलौते पुत्र थे. जवाहरलाल नेहरू के अलावा मोतीलाल नेहरू की तीन पुत्रियां भी थीं. नेहरू कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण थे.

जवाहर लाल नेहरू ने दुनिया के कुछ सबसे अच्छे स्कूलों और विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने अपनी पढाई हैरो से की और कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से लॉ की डिग्री पूरी की. इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिससे वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित हुआ.

जवाहरलाल नेहरू का करियर
जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौट आये और वकालत की शुरूआत की. 1916 में कमला नेहरू से उनका विवाह हुआ. 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रूल लीग में शामिल हो गए. राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए. उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था. नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए. गांधीजी ने स्वयं युवा जवाहरलाल नेहरू में आशा की एक किरण और भारत का भविष्य देखा.

नेहरू परिवार ने महात्मा गांधी द्वारा दी गयीं दीक्षाओं के हिसाब से अपने आप को ढाल लिया. जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू ने पश्चिमी कपडों और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया. वे अब एक खादी कुर्ता और गाँधी टोपी पहनने लगे. जवाहर लाल नेहरू ने 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए. कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.

जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक सेवा की. यह बाद में उनके लिए एक मूल्यवान प्रशासनिक अनुभव साबित हुआ जब वो देश के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने अपने कार्यकाल का इस्तेमाल सार्वजनिक शिक्षा, स्वास्थय सेवा और साफ-सफाई के विस्तार के लिए किया. 1926 में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों की ओर से सहयोग न मिलने के कारण इस्तीफा दे दिया .

1926 से 1928 तक, जवाहर लाल ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में सेवा की .1928-29 में कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया. उस सत्र में जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेता ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ही प्रभुत्व सम्पन्न राज्य चाहते थे. इस मुद्दे के हल के लिए, गांधी ने बीच का रास्ता निकाला और कहा कि ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए दो साल का समय दिया जाएगा. यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस पूर्ण राजनैतिक स्वतंत्रता के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेगी. नेहरू और बोस ने मांग की कि इस समय को कम कर के एक साल कर दिया जाए. ब्रिटिश सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया.

दिसम्बर 1929 में, कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए. इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई और 26 जनवरी 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया. गांधी जी ने भी 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया. आंदोलन काफी सफल रहा और इसने ब्रिटिश सरकार को प्रमुख राजनैतिक सुधारों की आवश्यकता को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया .

जब ब्रिटिश सरकार ने 1935 का अधिनियम प्रख्यापित किया तब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. नेहरू चुनाव के बाहर रहे लेकिन ज़ोर-शोर से पार्टी के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया. कांग्रेस ने लगभग हर प्रांत में सरकारों का गठन किया और केन्द्रीय असेंबली में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की. नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 1936, 1937 और 1946 में चुने गए थे और राष्ट्रवादी आंदोलन में गांधी जी के बाद दूसरे नंबर के नेता बन गए. उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार भी किया गया और 1945 में छोड दिया गया. 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन और आजादी के मुद्दे पर अंग्रेजी सरकार के साथ हुई वार्ताओं में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

1947 में वह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने. पाकिस्तान के साथ नई सीमा पर बड़े पैमाने पर पलायन और दंगे, भारतीय संघ में 500 के करीब रियासतों का एकीकरण, नए संविधान का निर्माण, संसदीय लोकतंत्र के लिए राजनैतिक और प्रशासनिक ढांचे की स्थापना जैसे विकट चुनौतियों का सामना उन्होंने प्रभावी ढंग से किया.

जवाहरलाल नेहरू ने भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और लगातार तीन पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया. उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ. नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई. जवाहर लाल नेहरू ने टिटो और नासिर के साथ मिलकर एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खात्मे के लिए एक गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना की. वह कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते के लिए भारत की सेवाओं और अंतरराष्ट्रीय पुलिस व्यवस्था की पेशकश को मूर्तरूप देने जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका में रहे. पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया और लाओस जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए पर्दे के पीछे रह कर भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा.

नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए. पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुँचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए. वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया जिसका पूर्वानुमान करने में नेहरू विफल रहे. यह उनके लिए एक बड़ा झटका था और शायद उनकी मौत भी इसी कारण हुई. 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई.

जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियां
असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया, 1924 में इलाहाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में सेवा की, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की और आजादी की मांग का प्रस्ताव पारित किया, 1936, 1937 और 1946 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने, गुट निरपेक्ष आंदोलन के मुख्य शिल्पकारों में से एक

पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वंत्रता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नेताओं में से एक थे. वह आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने. जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में देखा जाना जाता है. वह बच्चों से अत्यधिक प्रेम करते थे और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू बुलाया जाता था.

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