Biography of Jamsetji Tata

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जमशेदजी टाटा की जीवनी
आज हम आपको भारत के प्रसिध्द उद्दोगपति और औद्दोगिक घराने के टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बारें में बताने जा रहें जा रहें है. भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया वह अति असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. जब सिर्फ यूरोपीय, विशेष तौर पर अंग्रेज़, ही उद्योग स्थापित करने में कुशल समझे जाते थे, जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था. टाटा साम्राज्य के संस्थापक जमशेदजी द्वारा किए गये कार्य आज भी लोगों प्रोत्साहित करते हैं. उनके अन्दर भविष्य को भाँपने की अद्भुत क्षमता थी जिसके बल पर उन्होंने एक औद्योगिक भारत का सपना देखा था. उद्योगों के साथ-साथ उन्होंने विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के लिए बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध करायीं.

पूरा नाम: – जमशेदजी टाटा
जन्म: – 3 मार्च 1839
जन्म स्थान: – नवसारी, गुजरात
मृत्यु: – 19 मई 1904
मृत्यु स्थान: – जर्मनी
पद/कार्य: – उद्योगपति, टाटा समूह के संस्थापक

जमशेदजी टाटा का प्रारंभिक जीवन
आपको बता दें कि जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 में दक्षिणी गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में हुआ था. उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी तथा माता जी का नाम जीवनबाई टाटा था. उनके पिता अपने ख़ानदान में अपना व्यवसाय करने वाले पहले व्यक्ति थे. मात्र चौदह वर्ष की आयु में ही जमशेदजी अपने पिता के साथ बंबई आ गए और व्यवसाय में क़दम रखा. छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता का साथ देना शुरू कर दिया था. जब वे सत्रह साल के थे तब उन्होंने मुंबई के एलफ़िंसटन कॉलेज, में प्रवेश ले लिया और दो वर्ष बाद सन 1858 में ग्रीन स्कॉलर (स्नातक स्तर की डिग्री) के रूप में उत्तीर्ण हुए और पिता के व्यवसाय में पूरी तरह लग गए. इसके पश्चात इनका विवाह हीरा बाई दबू के साथ करा दिया गया.

व्यापार के सम्बन्ध में जमशेदजी ने इंग्लैंड, अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों की यात्राएं की जिससे उनके व्यापार सम्बन्धी ज्ञान और सूझ-बूझ में बृद्धि हुई. इन यात्राओं से उनको यह अनुभव हो गया था कि ब्रिटिश आधिपत्य वाले कपड़ा उद्योग में भारतीय कंपनियां भी सफल हो सकती हैं.

जमशेदजी टाटा का उद्योग में प्रवेश
29 साल की अवस्था तक उन्होंने अपने पिता जी की कंपनी में कार्य किया फिर उसके बाद सन 1868 में 21 हज़ार की पूँजी लगाकर एक व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थापित किया. सन 1869 में उन्होने एक दिवालिया तेल मिल ख़रीदा और उसे एक कॉटन मिल में तब्दील कर उसका नाम एलेक्जेंडर मिल रख दिया! लगभग दो साल बाद जमशेदजी ने इस मिल को ठीक-ठाक मुनाफे के साथ बेच दिया और इन्ही रुपयों से उन्होंने सन 1874 में नागपुर में एक कॉटन मिल स्थापित किया. उन्होंने इस मिल का नाम बाद में इम्प्रेस्स मिल कर दिया जब महारानी विक्टोरिया को भारत की रानी का खिताब दिया गया.

जमशेदजी एक ऐसे भविष्य-द्रष्टया थे जिन्होंने न सिर्फ देश में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों के कल्याण का भी बहुत ध्यान रखा. श्रमिकों और मजदूरों के कल्याण के मामले में वे अपने समय से कहीँ आगे थे. वे सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नही समझते थे, बल्कि उनके लिए सफलता का मतलब उनकी भलाई भी थी जो उनके लिए काम करते थे.

दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता जैसे अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से उनके नजदीकी संबंध थे और दोनों पक्षों ने अपनी सोच और कार्यों से एक दूसरे को बहुत प्रभावित किया था.

वे मानते थे कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है. जमशेद जी के जीवन के बड़े लक्ष्यों में थे – एक स्टील कंपनी खोलना, एक विश्व प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना, एक अनूठा होटल खोलना और एक जलविद्युत परियोजना लगाना. हालाँकि उनके जीवन काल में इनमें से सिर्फ एक ही सपना पूरा हो सका – होटल ताज महल का सपना. बाकी की परियोजनाओं को उनकी आने वाली पीढ़ी ने पूरा किया. होटल ताज महल दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के भारी खर्च से तैयार हुआ. उस समय यह भारत का एकमात्र होटल था जहाँ बिजली की व्यवस्था थी. इस होटल की स्थापना उनके राष्ट्रवादी सोच के कारण हुई. भारत में उन दिनों भारतीयों को बेहतरीन यूरोपिय होटलों में घुसने नही दिया जाता था – ताजमहल होटल का निर्माण कर उन्होंने इस दमनकारी नीति का करारा जवाब दिया था.

जमशेदजी टाटा का देश के औद्योगिक विकास में योगदान
देश के औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी का असाधारण योगदान है. इन्होंने भारत में औद्योगिक विकास की नीवं उस समय डाली जब देश गुलामी की जंजीरों से जकड़ा था और उद्योग-धंधे स्थापित करने में अंग्रेज ही कुशल समझे जाते थे. भारत के औद्योगीकरण के लिए उन्होंने इस्पात कारखानों की स्थापना की महत्वपूर्ण योजना बनाई. उनकी अन्य बड़ी योजनाओं में पश्चिमी घाटों के तीव्र धाराप्रपातों से बिजली उत्पन्न करने की योजना (जिसकी नींव 8 फ़रवरी 1911 को रखी गई) भी शामिल है.

इन विशाल योजनाओं की परिकल्पना के साथ-साथ उन्होंने बंबई में शानदार ताजमहल होटल खड़ा किया जो उनके राष्ट्रवाद को दर्शाता है.

एक सफल उद्योगपति और व्यवसायी होने के साथ-साथ जमशेदजी बहुत ही उदार प्रवित्ति के व्यक्ति थे इसलिए उन्होंने अपने मिलों और उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों और कामगारों के लिए कई कल्याणकारी नीतियाँ भी लागू की. इसी उद्देश्य से उन्होंने उनके लिए पुस्तकालयों, पार्कों, आदि की व्यवस्था के साथ-साथ मुफ्त दवा आदि की सुविधा भी उन्हें प्रदान की.

जमशेदजी टाटा का जीवन घटनाक्रम
1- 1839: 3 मार्च गुजरात के नवसारी में जन्म
2- 1868: जमशेदजी ने 29 साल की उम्र में एक निजी फर्म प्रारंभ किया
3- 1874: दोस्तों के समर्थन से पन्द्रह लाख रुपये की पूंजी से एक नई कंपनी सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग, वीविंग एंड मैनुफैक्चरिंग कंपनी शुरू की
4- 1877: 1 जनवरी को इस मिल ने कार्य करना प्रारम्भ किया
5- 1886: जमशेदजी ने एक पेंशन फंड प्रारंभ किया
6- 1903: ताजमहल होटल का निर्माण हुआ
7- 1904: जमशेदजी टाटा ने 19 मई को जर्मनी के बादनौहाइम में अपने जीवन की अंतिम साँसें लीं

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