Biography of abraham lincoln

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अब्राहम लिंकन की जीवनी
आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बारें में. इनका कार्यकाल १८६१ से १८६५ तक था. ये रिपब्लिकन पार्टी से थे. उन्होने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट – गृहयुद्ध (अमेरिकी गृहयुद्ध) से पार लगाया. अमेरिका में दास प्रथा के अंत का श्रेय लिंकन को ही जाता है. अब्राहम लिंकन का जन्म एक गरीब अश्वेत परिवार में हुआ था. वे प्रथम रिपब्लिकन थे जो अमेरिका के राष्ट्रपति बने. उसके पहले वे एक वकील, इलिअन्स स्टेट के विधायक (लेजिस्लेटर), अमेरिका के हाउस ऑफ् रिप्रेस्न्टेटिव्स के सदस्य थे. वे दो बार सीनेट के चुनाव में असफल भी हुए.

पूरा नाम: – अब्राहम थॉमस लिंकन
जन्म: – 12 फरवरी 1809
जन्म स्थान: – केंटुकी (अमेरिका)
मृत्यु: – 15 अप्रैल 1865
पद/कार्य: – राष्ट्रपति

31 वे साल में वो Business में fail हो गया. 32 वें साल में वो state legislator का चुनाव हार गया, 33 वें साल में उसने एक नया business try किया, और फिर fail हो गया. 35 वें साल में उसकी मंगेतर का निधन हो गया. 36 वें साल में उसका nervous break-down हो गया. 43 वें साल में उसने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा पर हार गया, 48 वें साल में उसने फिर कोशिस की पर हार गया. 55 वें साल में उसने Senate के लिए चुनाव लड़ा पर गया, अगले साल उसने Vice President के लिए चुनाव लड़ा पर हार गया. 59 वें साल में उसने फिर से Senate के चुनाव लड़ा पर हार गया. 1860 में वो आदमी जो A. Lincoln sign करता था अमेरिका का 16 वाँ राष्ट्रपति बना.

अब्राहम लिंकन का प्रारंभीक जीवन
बात करें अब्राहम लिंकन के जन्म की तो उनका जन्म 12 फरवरी 1809 को केंटुकी के हार्डिन काउंटी में एक लकड़ी के बने घर में हुआ था. उनके पिता का नाम थोमस लिंकन और माता का नाम नैंसी लिंकन था. उनके वंशज इंग्लैंड से आये थे जो बाद में न्यू जर्सी , पेनिसिलवानिया और विर्जिनिया में आकर बस गये थे.Abraham Lincoln लिंकन के दादाजी का नाम बहे कैप्टेन अब्राहम लिंकन था जो 1780 में विर्जिनिया से केंटुकी आकर बस गये थे. कैप्टेन लिंकन की 1786 में एक भारतीय शिकारी गिरोह ने हत्या कर दी थी. अब कैप्टेन लिंकन के पुत्र थोमस ने भी अपने पिता हुए हमले को आँखों से देखा था. अब अनाथ थोमस ने अपना रास्ता खुद बनाया और अलग अलग जगह काम करकर अपना जीवनयापन करना शुरू किया.

अब्राहम लिंकन को बचपन से ही कड़ा परिश्रम करना पसंद नही था जिसके कारण उसके परिवार के लोग और पडौसी उसे आलसी कहा करते थे. वो अपना अधिकतर समय किताबे ओढने और कविताये लिखने में बिताता था. उसकी प्रारंभिक शिक्षा किसी स्कूल के बजाय घुमन्तु शिक्षको से हुयी थी जिन्होंने लिंकन को कम समय में ही काफी पढ़ा दिया था. अब थोडा बड़ा होने पर लिंकन को रूढ़िवादी प्रथाओ के खिलाफ लड़ने का विचार आया था. अब धीरे धीरे परिवार की मदद के लिए उसने काम करना शुरू कर दिया था और अब्राहम कुल्हाडी चलाने में माहिर था. लिंकन को शुरू से गुलामो पर हो रहे अत्याचारों से सख्त नफरत थी और वो दास प्रथा को खत्म करना चाहता था.

लिंकन अपने उन मुवक्किलों से अधिक फीस नहीं लेते थे जो उनकी ही तरह गरीब थे. एक बार उनके एक मुवक्किल ने उन्हें पच्चीस डॉलर भेजे तो लिंकन ने उसमें से दस डॉलर यह कहकर लौटा दिए कि पंद्रह डॉलर पर्याप्त थे. आमतौर पर वे अपने मुवक्किलों को अदालत के बाहर ही राजीनामा करके मामला निपटा लेने की सलाह देते थे ताकि दोनों पक्षों का धन मुकदमेबाजी में बर्बाद न हो जाये.

इसके बदलें में उन्हें न के बराबर ही फीस मिलती था. एक शहीद सैनिक की विधवा को उसकी पेंशन के 400 डॉलर दिलाने के लिए एक पेंशन एजेंट 200 डॉलर फीस में मांग रहा था. लिंकन ने उस महिला के लिए न केवल मुफ्त में वकालत की बल्कि उसके होटल में रहने का खर्चा और घर वापसी की टिकट का इंतजाम भी किया.

देश में गुलामी की प्रथा की समस्याओं चल रही थी ,गोरे लोग दक्षिणी राज्यों के बड़े खेतों के स्वामी थे , और वह अफ्रीका से काले लोगो को अपने खेत में काम करने के लिए बुलाते थे और उन्हें दास के रूप में रखा जाता था ..उत्तरी राज्यों के लोग गुलामी की इस प्रथा के खिलाफ थे और इसे समाप्त करना चाहते हैं अमेरिका का संविधान आदमी की समानता पर आधारित है. इसलिए वहाँ है कि देश में गुलामी के लिए कोई जगह नहीं थी, इस मुश्किल समय में, अब्राहम लिंकन 1860 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे.

वह गुलामी की समस्या को हल करना चाहता था. दक्षिणी राज्यों के लोग गुलामी के उन्मूलन के खिलाफ थे. इससे देश की एकता में खतरे आ सकता है . दक्षिणी राज्य एक नए देश बनाने की तैयार कर रहा था परन्तु . अब्राहम लिंकन चाहता था की सभी राज्यों एकजुट हो कर रहे.

अब्राहम लिंकन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. वह किसी भी कीमत पर देश की एकता की रक्षा करना चाहता था. अंत में उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच एक नागरिक युद्ध छिड़ गया. उन्होंने युद्ध बहादुरी से लड़ा और घोषणा की, एक राष्ट्र आधा दास और आधा बिना दास नहीं रह सकता(A Nation cannot exist half free and half slave.). वह युद्ध जीत गए और देश एकजुट रहा.

लिंकन शुरू से ही दास प्रथा के विरोधी थे इसके लिए उन्हें पुरे जीवन संघर्ष भी करना पढ़ा. इसी समय उन्हें रतलेज नामक युवती से प्रेम हो गया पर शादी से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई लिंकों को इस बात का बहुत सदमा लगा. लिंकन अपने बचे हुए समय में कानून की जानकारी प्राप्त करते और कुछ समय बाद उन्होंने एक वयक्ति के साझे में वकालत शुरू कर दी पर वह ज़्यदा दिन न चल सकी.

1842 में उनका विवाह एक बड़े घर की लड़की मेरी टॉड से हुआ दोनों के विचार आपस में मिलते नहीं थे.इसी बीच उन्हें राष्ट्यपति पद के लिए आवेदन किया. मगर उनके दास प्रथा के विरोधी होने के कारण कई प्रांतो से विरोध सहना पढ़ा. 4 मार्च 1861 में लिंकन ने राष्टपति पद की सपथ ली. लिंकन के दासप्रथा के विरोधी होने के कारण विरोध की आग बढ़ने लगी. और अमेरिका में युद्ध छिड़ गया . जिसे बहुत ही मेहनत करके लिंकन ने ४ साल में जीता.

1840 के आसपास गुलामगिरी का समर्थन करनेवाले और गुलामगिरी का धिक्कार करनेवाले राज्य. ऐसा साफ विभाजन अमेरिका मे होने लगा था. कान्यासनेस्ब्रास्का कानून के अनुसार इन राज्यो के लोगोंको गुलाम रखनेकी छुट मिलने वाली थी. इसके वजह से अब्राहम लिंकन इनकी निंद उड गयी. इस कानुन के खिलाफ उन्होंने बहोत से भाषण किये. इसी दरम्यान लिंकन इनको खुद के सामर्थ्य का अंदाज आया और उसके बाद लिंकन इन्होंने राजनीती मे कभी भी पीछे मुडकर नहीं देखा.

1860 को हुयी राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव इस संदर्भ मे महत्त्वपूर्ण रहा. फरवरी, 1861 को मतलब अब्राहम लिंकन इन्होंने राष्ट्राध्यक्ष पद के सुत्र स्वीकार करने के ग्यारह राज्योंने संघराज्य से बाहर निकलने की घोषणा की. 8 फरवरी 1861 की अलाबामा राज्य के मॉटेगोमोरी इस जगह द कॉनफिडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका ये स्वतंत्र संघराज्य अस्तित्व मे आनेका घोषीत किया. लिंकन इनके जैसे नव निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष के आगे इन घटनाओं से अगल ही चुनौती निर्माण हुयी.

लिंकन इन्होंने 1 जनवरी 1863 को एक हुकुम व्दारा गुलामगिरी नष्ट की और दो साल बाद मतलब 31 जनवरी 1865 को तेरावी घटना ठिक करके इस आदेश को घटना मे स्थान दिया.यादवी जंग का अब्राहम लिंकन के तरफ झुक रहा था और उनका समय 1864 मे खतम होने वाला था. उन्होंने फिरसे चुनाव लढवाने की का निर्णय लिया और वो 8 नवंबर 1865 को आसानी से चुनकर आये. तब तक यादवी जंग आखरी मोड पर आ चुकी थी.

अब्राहम लिंकन के विचार
1- तुम जो भी हो, नेक बनो.
2- मैं एक धीमी गति से चलता ज़रूर हूँ, लेकिन कभी वापस नहीं चलता
3- अगर एक बार आप अपने नागरिकों (जनता) का भरोसा तोड़ दें, तो आप फिर कभी उनका सम्मान और आदर नहीं पा सकेंगे.
4- निश्चित कर लो कि तुम्हारे पैर सही जगह पर पड़े हैं तब सीधे खड़े हो.
5- यदि शांति चाहते हो तो लोकप्रिय होने से बचो.
6- साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं : यही वजह है कि ईश्वर ऐसे ही बहुत से लोगों का सृजन करते हैं.
7- हमेशा ध्यान में रखिये कि आपके द्वारा सफल होने का लिया गया संकल्प किसी भी अन्य संकल्प से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है.
8- एक पेड़ काटने के लिए आप मुझे 6 घंटे दें और मैं पहले 4 घंटे अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करने में लगाऊंगा.

अब्राहम लिंकन की मृत्यु
4 मार्च 1864 को लिंकन को दुबारा अमेरिका का राष्टपति चुना गया. इसके एक महीने बाद १४ अप्रैल को गृह युद्ध पर विजय के उपलक्ष में एक आयोजन रखा गया. 15 अप्रैल 1865 को उनकी मौत हुयी. वहां पर ष्टयन्त्रकार्यों ने धोखे से लिंकन पर गोली चला दी और लिंकन की मृत्यु हो गयी. इसके बाद लिंकन की महानता का सने अनुभव किया एक बिना पढ़ा लिखा वयक्ति किस प्रकार अपनी प्रतिभा के बल पर अमेरिका के राष्टपति में सबसे सफल राष्टपति बना.

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