Betaal-Pachisi

बैताल पचीसी: चौथी कहानी: ​ज्यादा पापी कौन?, विक्रम -बेताल की कहानियाँ, बैताल पच्चीसी की कहानियाँ, Baital Pachisi Fourth Story: Jyada Paapi Kaun, Vikram-Baital Stories In Hindi, Vikram-Baital ki Kahani In Hindi, Vikram-Baital Hindi Stories

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बैताल पचीसी, चौथी कहानी ​ज्यादा पापी कौन
बैताल पचीसी 25 कथाओं का एक ग्रन्थ है. जिसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे. बैताल पचीसी की कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति को दर्शाती हैं. इस ग्रंथ के अनुसार बेताल प्रतिदिन राजा विक्रम को एक कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा सवाल पूछता है, राजा को उसका जवाब देना ही पड़ता है. उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा. लेकिन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा चुप नहीं रह पाता और बोल पड़ता है. आज हम आपके लिए बैताल पचीसी की सभी कहानियां लेकर आए हैं ताकि आप मुफ्त में ये कहानी पढ़ सकें. हर एक कहानी के नीचे बाकि की कहानियों का लिंक भी प्रकाशित किया गया है ताकि आप सभी कहानियों को एक ही जगह पर पढ़ सकें.

बैताल पचीसी: चौथी कहानी: ​ज्यादा पापी कौन? Baital Pachisi Fourth Story: Jyada Paapi Kaun?
भोगवती नाम की एक नगरी थी. उसमें राजा रूपसेन राज करता था. उसके पास चिन्तामणि नाम का एक तोता था. एक दिन राजा ने उससे पूछा, “हमारा ब्याह किसके साथ होगा?”
तोते ने कहा, “मगध देश के राजा की बेटी चन्द्रावती के साथ होगा.” राजा ने ज्योतिषी को बुलाकर पूछा तो उसने भी यही कहा.
उधर मगध देश की राज-कन्या के पास एक मैना थी. उसका नाम था मदन मञ्जरी. एक दिन राज-कन्या ने उससे पूछा कि मेरा विवाह किसके साथ होगा तो उसने कह दिया कि भोगवती नगर के राजा रूपसेन के साथ.
इसके बाद दोनों को विवाह हो गया. रानी के साथ उसकी मैना भी आ गयी. राजा-रानी ने तोता-मैना का ब्याह करके उन्हें एक पिंजड़े में रख दिया.
एक दिन की बात कि तोता-मैना में बहस हो गयी. मैना ने कहा, “आदमी बड़ा पापी, दग़ाबाज़ और अधर्मी होता है.” तोते ने कहा, “स्त्री झूठी, लालची और हत्यारी होती है.” दोनों का झगड़ा बढ़ गया तो राजा ने कहा, “क्या बात है, तुम आपस में लड़ते क्यों हो?”
मैना ने कहा, “महाराज, मर्द बड़े बुरे होते हैं.”
इसके बाद मैना ने एक कहानी सुनायी.

इलापुर नगर में महाधन नाम का एक सेठ रहता था. विवाह के बहुत दिनों के बाद उसके घर एक लड़का पैदा हुआ. सेठ ने उसका बड़ी अच्छी तरह से लालन-पालन किया, पर लड़का बड़ा होकर जुआ खेलने लगा. इस बीच सेठ मर गया. लड़के ने अपना सारा धन जुए में खो दिया. जब पास में कुछ न बचा तो वह नगर छोड़कर चन्द्रपुरी नामक नगरी में जा पहुँचा. वहाँ हेमगुप्त नाम का साहूकार रहता था. उसके पास जाकर उसने अपने पिता का परिचय दिया और कहा कि मैं जहाज़ लेकर सौदागरी करने गया था. माल बेचा, धन कमाया; लेकिन लौटते में समुद्र में ऐसा तूफ़ान आया कि जहाज़ डूब गया और मैं जैसे-तैसे बचकर यहाँ आ गया.
उस सेठ के एक लड़की थी रत्नावती. सेठ को बड़ी खुशी हुई कि घर बैठे इतना अच्छा लड़का मिल गया. उसने उस लड़के को अपने घर में रख लिया और कुछ दिन बाद अपनी लड़की से उसका ब्याह कर दिया. दोनों वहीं रहने लगे. अन्त में एक दिन वहाँ से बिदा हुए. सेठ ने बहुत-सा धन दिया और एक दासी को उनके साथ भेज दिया.

रास्ते में एक जंगल पड़ता था. वहाँ आकर लड़के ने स्त्री से कहा, “यहाँ बहुत डर है, तुम अपने गहने उतारकर मेरी कमर में बाँध दो, लड़की ने ऐसा ही किया. इसके बाद लड़के ने कहारों को धन देकर डोले को वापस करा दिया और दासी को मारकर कुएँ में डाल दिया. फिर स्त्री को भी कुएँ में पटककर आगे बढ़ गया.
स्त्री रोने लगी. एक मुसाफ़िर उधर जा रहा था. जंगल में रोने की आवाज़ सुनकर वह वहाँ आया उसे कुएँ से निकालकर उसके घर पहुँचा दिया. स्त्री ने घर जाकर माँ-बाप से कह दिया कि रास्ते में चोरों ने हमारे गहने छीन लिये और दासी को मारकर, मुझे कुएँ में ढकेलकर, भाग गये. बाप ने उसे ढाढस बँधाया और कहा कि तू चिन्ता मत कर. तेरा स्वामी जीवित होगा और किसी दिन आ जायेगा.

उधर वह लड़का जेवर लेकर शहर पहुँचा. उसे तो जुए की लत लगी थी. वह सारे गहने जुए में हार गया. उसकी बुरी हालत हुई तो वह यह बहाना बनाकर कि उसके लड़का हुआ है, फिर अपनी ससुराल चला. वहाँ पहुँचते ही सबसे पहले उसकी स्त्री मिली. वह बड़ी खुश हुई. उसने पति से कहा, “आप कोई चिन्ता न करें, मैंने यहाँ आकर दूसरी ही बात कही है.” जो कहा था, वह उसने बता दिया.
सेठ अपने जमाई से मिलकर बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे बड़ी अच्छी तरह से घर में रखा.
कुछ दिन बाद एक रोज़ जब वह लड़की गहने पहने सो रही थी, उसने चुपचाप छुरी से उसे मार डाला और उसके गहने लेकर चम्पत हो गया.
मैना बोली, “महाराज, यह सब मैंने अपनी आँखों से देखा. ऐसा पापी होता है आदमी!”
राजा ने तोते से कहा, “अब तुम बताओ कि स्त्री क्यों बुरी होती है?”
इस पर तोते ने यह कहानी सुनायी.

कंचनपुर में सागरदत्त नाम का एक सेठ रहता था. उसके श्रीदत्त नाम का एक लड़का था. वहाँ से कुछ दूर पर एक और नगर था श्रीविजयपुर. उसमें सोमदत्त नाम का सेठ रहता था. उसके एक लड़की थी वह श्रीदत्त को ब्याही थी. ब्याह के बाद श्रीदत्त व्यापार करने परदेस चला गया. बारह बरस हो गये और वह न आया तो जयश्री व्याकुल होने लगी. एक दिन वह अपनी अटारी पर खड़ी थी कि एक आदमी उसे दिखाई दिया. उसे देखते ही वह उस पर मोहित हो गयी. उसने उसे अपनी सखी के घर बुलवा लिया. रात होते ही वह उस सखी के घर चली जाती और रात-भर वहाँ रहकर दिन निकलने से पहले ही लौट आती. इस तरह बहुत दिन बीत गये.
इस बीच एक दिन उसका पति परदेस से लौट आया. स्त्री बड़ी दु:खी हुईं अब वह क्या करे? पति हारा-थका था. जल्दी ही उसकी आँख लग गई और स्त्री उठकर अपने दोस्त के पास चल दी.

रास्ते में एक चोर खड़ा था. वह देखने लगा कि स्त्री कहाँ जाती है. धीरे-धीरे वह सहेली के मकान पर पहुँची. चोर भी पीछे-पीछे गया. संयोग से उस आदमी को साँप ने काट लिया था ओर वह मरा पड़ा था. स्त्री ने समझा सो रहा है. वहीं आँगन में पीपल का एक पेड़ था, जिस पर एक पिशाच बैठा यह लीला देख रहा था. उसने उस आदमी के शरीर में प्रवेश करके उस स्त्री की नाक काट ली औरा फिर उस आदमी की देह से निकलकर पेड़ पर जा बैठा. स्त्री रोती हुई अपनी सहेली के पास गयी. सहेली ने कहा कि तुम अपने पति के पास जाओ ओर वहाँ बैठकर रोने लगो. कोई पूछे तो कह देना कि पति ने नाक काट ली है.

उसने ऐसा ही किया. उसका रोना सुनकर लोग इकट्ठे हो गये. आदमी जाग उठा. उसे सारा हाल मालूम हुआ तो वह बड़ा दु:खी हुआ. लड़की के बाप ने कोतवाल को ख़बर दे दी. कोतवाल उन सबको राजा के पास ले गया. लड़की की हालत देखकर राजा को बड़ा गुस्सा आया. उसने कहा, “इस आदमी को सूली पर लटका दो.”
वह चोर वहाँ खड़ा था. जब उसने देखा कि एक बेक़सूर आदमी को सूली पर लटकाया जा रहा है तो उसने राजा के सामने जाकर सब हाल सच-सच बता दिया. बोला, “अगर मेरी बात का विश्वास न हो तो जाकर देख लीजिए, उस आदमी के मुँह में स्त्री की नाक है.”
राजा ने दिखवाया तो बात सच निकली.
इतना कहकर तोता बोला, “हे राजा! स्त्रियाँ ऐसी होती हैं! राजा ने उस स्त्री का सिर मुँडवाकर, गधे पर चढ़ाकर, नगर में घुमवाया और शहर से बाहर छुड़वा दिया.”
यह कहानी सुनाकर बेताल बोला, “राजा, बताओ कि दोनों में ज्यादा पापी कौन है?”
राजा ने कहा, “स्त्री.”
बेताल ने पूछा, “कैसे?”
राजा ने कहा, “मर्द कैसा ही दुष्ट हो, उसे धर्म का थोड़ा-बहुत विचार रहता ही है. स्त्री को नहीं रहता. इसलिए वह अधिक पापिन है.”
राजा के इतना कहते ही बेताल फिर पेड़ पर जा लटका. राजा लौटकर गया और उसे पकड़कर लाया. रास्ते में बेताल ने पाँचवीं कहानी सुनायी.

यहां पढ़ें बैताल पच्चीसी की बाकि की कहानियां

  1. पहली कहानी बैताल पचीसी: ​पापी कौन ? Baital Pachisi First Story: Papi Kaun?
  2. दूसरी कहानी बैताल पचीसी: ​पति कौन ? Baital Pachisi Second Story: Pati Kaun?
  3. तीसरी कहानी बैताल पचीसी: ​सबसे ज्यादा पुण्य किसका?, Baital Pachisi 3rd Story: Sabse Jyada Punya Kiska?
  4. चौथी कहानी बैताल पचीसी: ​ज्यादा पापी कौन?, Baital Pachisi Fourth Story: Jyada Paapi Kaun?
  5. पाँचवीं कहानी बैताल पचीसी : ​असली वर कौन?, Baital Pachisi Fifth Story: Asali Var Kaun?
  6. छठी कहानी बैताल पचीसी : ​पत्नी किसकी ?,aital Pachisi Sixth Story: Patni Kiski?
  7. सातवीं कहानी बैताल पचीसी : ​किसका पुण्य बड़ा?, Baital Pachisi Seventh Story:Kiska Punya Bada?
  8. आठवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सबसे बढ़कर कौन ?,Baital Pachisi Eighth Story: Sabse Badhkar Kaun?
  9. नौवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सर्वश्रेष्ठ वर कौन?, Baital Pachisi Ninth Story: Sarva Shrestha Var Kaun?
  10. दसवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सबसे अधिक त्यागी कौन?, Baital Pachisi Tenth Story: Sabse Adhik Tyagi Kaun?
  11. ग्याहरवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सबसे अधिक सुकुमार कौन?, Baital Pachisi Eleventh Story: Sabse Adhik Sukumar Kaun?
  12. बारहवीं कहानी बैताल पचीसी : ​दीवान की मृत्यु क्यूँ ?Baital Pachisi Twelfth Story: Diwan Ki Mrityu Kyon?
  13. तेरहवीं कहानी बैताल पचीसी : ​अपराधी कौन?, Baital Pachisi Thirteenth Story: Apradhi Kaun?
  14. चौदहवीं कहानी बैताल पचीसी : ​चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा?, Baital Pachisi Fourteenth Story: Jor Jor Se Kyon Roya Aur Fir Hansa?
  15. पन्द्रहवीं कहानी बैताल पचीसी: ​क्या चोरी की गयी चीज़ पर चोर का अधिकार होता है? Baital Pachisi Fifteenth : Kya Chori Ki Gayi Chize Par Chor Ka Adhikar Hota Hai?
  16. सोलहवीं कहानी बैताल पचीसी : सबसे बड़ा काम किसने किया?, Baital Pachisi Sixteenth Story: Sabse Bada Kaam Kisne Kiya?
  17. सत्रहवीं कहानी बैताल पचीसी : अधिक साहसी कौन?,Baital Pachisi Seventeenth Story: Adhik Sahsi Kaun?
  18. अठारहवीं कहानी बैताल पचीसी : विद्या क्यों नष्ट हो गयी?Baital Pachisi Eighteenth Story: Vidya Kyon Nasht Ho Gayi?
  19. उन्नीसवीं कहानी बैताल पचीसी: पिण्ड दान का अधिकारी कौन?, Baital Pachisi Nineteenth Story: Pind Daan Ka Adhikari Kaun?
  20. बीसवीं कहानी बैताल पचीसी : बालक क्यों हँसा?, Baital Pachisi Twentieth Story: Balak Kyo Hansaa?
  21. इक्कीसवीं कहानी बैताल पचीसी : सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था?, Baital Pachisi Twenty-first Story: Sabse Jyada Prem Me Andha Kaun Tha?
  22. बाईसवीं कहानी बैताल पचीसी: शेर बनाने का अपराध किसने किया?,Baital Pachisi Twenty-Second Story: Sher Bnaane Ka Apradh Kisne Kisne Kiya?
  23. तेइसवीं कहानी बैताल पचीसी ते: योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा?,Baital Pachisi Twenty-Third Story: Yogi Pahle Kyo Roya Fir Kyo Hansaa?
  24. चौबीसवीं कहानी बैताल पचीसी : माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ? Baital Pachisi Twenty-fourth Story: Maa Beti Ke Bacchon Me Kya Rishta Hua?
  25. पच्चीसवीं कहानी बैताल पचीसी , Baital Pachisi Twenty-fifth Story

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