Betaal-Pachisi

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बैताल पचीसी, पहली कहानी ​पापी कौन
बैताल पचीसी 25 कथाओं का एक ग्रन्थ है. जिसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे. बैताल पचीसी की कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति को दर्शाती हैं. इस ग्रंथ के अनुसार बेताल प्रतिदिन राजा विक्रम को एक कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा सवाल पूछता है, राजा को उसका जवाब देना ही पड़ता है. उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा. लेकिन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा चुप नहीं रह पाता और बोल पड़ता है. आज हम आपके लिए बैताल पचीसी की सभी कहानियां लेकर आए हैं ताकि आप मुफ्त में ये कहानी पढ़ सकें. हर एक कहानी के नीचे बाकि की कहानियों का लिंक भी प्रकाशित किया गया है ताकि आप सभी कहानियों को एक ही जगह पर पढ़ सकें.

काशी में प्रतापमुकुट नाम का राजा राज्य करता था. उसके वज्रमुकुट नाम का एक बेटा था. एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के को साथ लेकर शिकार खेलने जंगल गया. घूमते-घूमते उन्हें तालाब मिला. उसके पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे. किनारों पर घने पेड़ थे, जिन पर पक्षी चहचहा रहे थे. दोनों मित्र वहाँ रुक गये और तालाब के पानी में हाथ-मुँह धोकर ऊपर महादेव के मन्दिर पर गये. घोड़ों को उन्होंने मन्दिर के बाहर बाँध दिया. वो मन्दिर में दर्शन करके बाहर आये तो देखते क्या हैं कि तालाब के किनारे राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ स्नान करने आई है. दीवान का लड़का तो वहीं एक पेड़ के नीचे बैठा रहा, पर राजकुमार से न रहा गया. वह आगे बढ़ गया. राजकुमारी ने उसकी ओर देखा तो वह उस पर मोहित हो गया. राजकुमारी भी उसकी तरफ़ देखती रही. फिर उसने किया क्या कि जूड़े में से कमल का फूल निकाला, कान से लगाया, दाँत से कुतरा, पैर के नीचे दबाया और फिर छाती से लगा, अपनी सखियों के साथ चली गयी.

उसके जाने पर राजकुमार निराश हो अपने मित्र के पास आया और सब हाल सुनाकर बोला, “मैं इस राजकुमारी के बिना नहीं रह सकता. पर मुझे न तो उसका नाम मालूम है, न ठिकाना. वह कैसे मिलेगी?”
दीवान के लड़के ने कहा, “राजकुमार, आप इतना घबरायें नहीं. वह सब कुछ बता गयी है.”
राजकुमार ने पूछा, “कैसे?”
वह बोला, “उसने कमल का फूल सिर से उतार कर कानों से लगाया तो उसने बताया कि मैं कर्नाटक की रहनेवाली हूँ. दाँत से कुतरा तो उसका मतलब था कि मैं दंतबाट राजा की बेटी हूँ. पाँव से दबाने का अर्थ था कि मेरा नाम पद्मावती है और छाती से लगाकर उसने बताया कि तुम मेरे दिल में बस गये हो.”
इतना सुनना था कि राजकुमार खुशी से फूल उठा. बोला, “अब मुझे कर्नाटक देश में ले चलो.”
दोनों मित्र वहाँ से चल दिये. घूमते-फिरते, सैर करते, दोनों कई दिन बाद वहाँ पहुँचे. राजा के महल के पास गये तो एक बुढ़िया अपने द्वार पर बैठी चरखा कातती मिली.

उसके पास जाकर दोनों घोड़ों से उतर पड़े और बोले, “माई, हम सौदागर हैं. हमारा सामान पीछे आ रहा है. हमें रहने को थोड़ी जगह दे दो.”
उनकी शक्ल-सूरत देखकर और बात सुनकर बुढ़िया के मन में ममता उमड़ आयी. बोली, “बेटा, तुम्हारा घर है. जब तक जी में आए, रहो.”
दोनों वहीं ठहर गये. दीवान के बेटे ने उससे पूछा, “माई, तुम क्या करती हो? तुम्हारे घर में कौन-कौन है? तुम्हारी गुज़र कैसे होती है?”
बुढ़िया ने जवाब दिया, “बेटा, मेरा एक बेटा है जो राजा की चाकरी में है. मैं राजा की बेटी पह्मावती की धाय थी. बूढ़ी हो जाने से अब घर में रहती हूँ. राजा खाने-पीने को दे देता है. दिन में एक बार राजकुमारी को देखने महल में जाती हूँ.”
राजकुमार ने बुढ़िया को कुछ धन दिया और कहा, “माई, कल तुम वहाँ जाओ तो राजकुमारी से कह देना कि जेठ सुदी पंचमी को तुम्हें तालाब पर जो राजकुमार मिला था, वह आ गया है.”

अगले दिन जब बुढ़िया राजमहल गयी तो उसने राजकुमार का सन्देशा उसे दे दिया. सुनते ही राजकुमारी ने गुस्सा होंकर हाथों में चन्दन लगाकर उसके गाल पर तमाचा मारा और कहा, “मेरे घर से निकल जा.”
बुढ़िया ने घर आकर सब हाल राजकुमार को कह सुनाया. राजकुमार हक्का-बक्का रह गया. तब उसके मित्र ने कहा, “राजकुमार, आप घबरायें नहीं, उसकी बातों को समझें. उसने देसों उँगलियाँ सफ़ेद चन्दन में मारीं, इससे उसका मतलब यह है कि अभी दस रोज़ चाँदनी के हैं. उनके बीतने पर मैं अँधेरी रात में मिलूँगी.”
दस दिन के बाद बुढ़िया ने फिर राजकुमारी को ख़बर दी तो इस बार उसने केसर के रंग में तीन उँगलियाँ डुबोकर उसके मुँह पर मारीं और कहा, “भाग यहाँ से.”
बुढ़िया ने आकर सारी बात सुना दी. राजकुमार शोक से व्याकुल हो गया. दीवान के लड़के ने समझाया, “इसमें हैरान होने की क्या बात है? उसने कहा है कि मुझे मासिक धर्म हो रहा है. तीन दिन और ठहरो.”

तीन दिन बीतने पर बुढ़िया फिर वहाँ पहुँची. इस बार राजकुमारी ने उसे फटकार कर पच्छिम की खिड़की से बाहर निकाल दिया. उसने आकर राजकुमार को बता दिया. सुनकर दीवान का लड़का बोला, “मित्र, उसने आज रात को तुम्हें उस खिड़की की राह बुलाया है.”
मारे खुशी के राजकुमार उछल पड़ा. समय आने पर उसने बुढ़िया की पोशाक पहनी, इत्र लगाया, हथियार बाँधे. दो पहर रात बीतने पर वह महल में जा पहुँचा और खिड़की में से होकर अन्दर पहुँच गया. राजकुमारी वहाँ तैयार खड़ी थी. वह उसे भीतर ले गयी.
अन्दर के हाल देखकर राजकुमार की आँखें खुल गयीं. एक-से-एक बढ़कर चीजें थीं. रात-भर राजकुमार राजकुमारी के साथ रहा. जैसे ही दिन निकलने को आया कि राजकुमारी ने राजकुमार को छिपा दिया और रात होने पर फिर बाहर निकाल लिया. इस तरह कई दिन बीत गये. अचानक एक दिन राजकुमार को अपने मित्र की याद आयी. उसे चिन्ता हुई कि पता नहीं, उसका क्या हुआ होगा. उदास देखकर राजकुमारी ने कारण पूछा तो उसने बता दिया. बोला, “वह मेरा बड़ा प्यारा दोस्त हैं बड़ा चतुर है. उसकी होशियारी ही से तो तुम मुझे मिल पाई हो.”

राजकुमारी ने कहा, “मैं उसके लिए बढ़िय-बढ़िया भोजन बनवाती हूँ. तुम उसे खिलाकर, तसल्ली देकर लौट आना.”
खाना साथ में लेकर राजकुमार अपने मित्र के पास पहुँचा. वे महीने भर से मिले नहीं. थे, राजकुमार ने मिलने पर सारा हाल सुनाकर कहा कि राजकुमारी को मैंने तुम्हारी चतुराई की सारी बातें बता दी हैं, तभी तो उसने यह भोजन बनाकर भेजा है.
दीवान का लड़का सोच में पड़ गया. उसने कहा, “यह तुमने अच्छा नहीं किया. राजकुमारी समझ गयी कि जब तक मैं हूँ, वह तुम्हें अपने बस में नहीं रख सकती. इसलिए उसने इस खाने में ज़हर मिलाकर भेजा है.”
यह कहकर दीवान के लड़के ने थाली में से एक लड्डू उठाकर कुत्ते के आगे डाल दिया. खाते ही कुत्ता मर गया.
राजकुमार को बड़ा बुरा लगा. उसने कहा, “ऐसी स्त्री से भगवान् बचाये! मैं अब उसके पास नहीं जाऊँगा.”

दीवान का बेटा बोला, “नहीं, अब ऐसा उपाय करना चाहिए, जिससे हम उसे घर ले चलें. आज रात को तुम वहाँ जाओ. जब राजकुमारी सो जाये तो उसकी बायीं जाँघ पर त्रिशूल का निशान बनाकर उसके गहने लेकर चले आना.”
राजकुमार ने ऐसा ही किया. उसके आने पर दीवान का बेटा उसे साथ ले, योगी का भेस बना, मरघट में जा बैठा और राजकुमार से कहा कि तुम ये गहने लेकर बाज़ार में बेच आओ. कोई पकड़े तो कह देना कि मेरे गुरु के पास चलो और उसे यहाँ ले आना.
राजकुमार गहने लेकर शहर गया और महल के पास एक सुनार को उन्हें दिखाया. देखते ही सुनार ने उन्हें पहचान लिया और कोतवाल के पास ले गया. कोतवाल ने पूछा तो उसने कह दिया कि ये मेरे गुरु ने मुझे दिये हैं. गुरु को भी पकड़वा लिया गया. सब राजा के सामने पहुँचे.
राजा ने पूछा, “योगी महाराज, ये गहने आपको कहाँ से मिले?”
योगी बने दीवान के बेटे ने कहा, “महाराज, मैं मसान में काली चौदस को डाकिनी-मंत्र सिद्ध कर रहा था कि डाकिनी आयी. मैंने उसके गहने उतार लिये और उसकी बायीं जाँघ में त्रिशूल का निशान बना दिया.”

इतना सुनकर राजा महल में गया और उसने रानी से कहा कि पद्मावती की बायीं जाँघ पर देखो कि त्रिशूल का निशान तो नहीं है. रानी देखा, तो था. राजा को बड़ा दु:ख हुआ. बाहर आकर वह योगी को एक ओर ले जाकर बोला, “महाराज, धर्मशास्त्र में खोटी स्त्रियों के लिए क्या दण्ड है?”
योगी ने जवाब दिया, “राजन्, ब्राह्मण, गऊ, स्त्री, लड़का और अपने आसरे में रहनेवाले से कोई खोटा काम हो जाये तो उसे देश-निकाला दे देना चाहिए.” यह सुनकर राजा ने पद्मावती को डोली में बिठाकर जंगल में छुड़वा दिया. राजकुमार और दीवान का बेटा तो ताक में बैठे ही थे. राजकुमारी को अकेली पाकर साथ ले अपने नगर में लौट आये और आनंद से रहने लगे.
इतनी बात सुनाकर बेताल बोला, “राजन्, यह बताओ कि पाप किसको लगा है?”
राजा ने कहा, “पाप तो राजा को लगा. दीवान के बेटे ने अपने स्वामी का काम किया. कोतवाल ने राजा को कहना माना और राजकुमार ने अपना मनोरथ सिद्ध किया. राजा ने पाप किया, जो बिना विचारे उसे देश-निकाला दे दिया.”
राजा का इतना कहना था कि बेताल फिर उसी पेड़ पर जा लटका. राजा वापस गया और बेताल को लेकर चल दिया. बेताल बोला, “राजन्, सुनो, एक कहानी और सुनाता हूँ.”

यहां पढ़ें बैताल पच्चीसी की बाकि की कहानियां

  1. पहली कहानी बैताल पचीसी: ​पापी कौन ? Baital Pachisi First Story: Papi Kaun?
  2. दूसरी कहानी बैताल पचीसी: ​पति कौन ? Baital Pachisi Second Story: Pati Kaun?
  3. तीसरी कहानी बैताल पचीसी: ​सबसे ज्यादा पुण्य किसका?, Baital Pachisi 3rd Story: Sabse Jyada Punya Kiska?
  4. चौथी कहानी बैताल पचीसी: ​ज्यादा पापी कौन?, Baital Pachisi Fourth Story: Jyada Paapi Kaun?
  5. पाँचवीं कहानी बैताल पचीसी : ​असली वर कौन?, Baital Pachisi Fifth Story: Asali Var Kaun?
  6. छठी कहानी बैताल पचीसी : ​पत्नी किसकी ?,aital Pachisi Sixth Story: Patni Kiski?
  7. सातवीं कहानी बैताल पचीसी : ​किसका पुण्य बड़ा?, Baital Pachisi Seventh Story:Kiska Punya Bada?
  8. आठवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सबसे बढ़कर कौन ?,Baital Pachisi Eighth Story: Sabse Badhkar Kaun?
  9. नौवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सर्वश्रेष्ठ वर कौन?, Baital Pachisi Ninth Story: Sarva Shrestha Var Kaun?
  10. दसवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सबसे अधिक त्यागी कौन?, Baital Pachisi Tenth Story: Sabse Adhik Tyagi Kaun?
  11. ग्याहरवीं कहानी बैताल पचीसी : ​सबसे अधिक सुकुमार कौन?, Baital Pachisi Eleventh Story: Sabse Adhik Sukumar Kaun?
  12. बारहवीं कहानी बैताल पचीसी : ​दीवान की मृत्यु क्यूँ ?Baital Pachisi Twelfth Story: Diwan Ki Mrityu Kyon?
  13. तेरहवीं कहानी बैताल पचीसी : ​अपराधी कौन?, Baital Pachisi Thirteenth Story: Apradhi Kaun?
  14. चौदहवीं कहानी बैताल पचीसी : ​चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा?, Baital Pachisi Fourteenth Story: Jor Jor Se Kyon Roya Aur Fir Hansa?
  15. पन्द्रहवीं कहानी बैताल पचीसी: ​क्या चोरी की गयी चीज़ पर चोर का अधिकार होता है? Baital Pachisi Fifteenth : Kya Chori Ki Gayi Chize Par Chor Ka Adhikar Hota Hai?
  16. सोलहवीं कहानी बैताल पचीसी : सबसे बड़ा काम किसने किया?, Baital Pachisi Sixteenth Story: Sabse Bada Kaam Kisne Kiya?
  17. सत्रहवीं कहानी बैताल पचीसी : अधिक साहसी कौन?,Baital Pachisi Seventeenth Story: Adhik Sahsi Kaun?
  18. अठारहवीं कहानी बैताल पचीसी : विद्या क्यों नष्ट हो गयी?Baital Pachisi Eighteenth Story: Vidya Kyon Nasht Ho Gayi?
  19. उन्नीसवीं कहानी बैताल पचीसी: पिण्ड दान का अधिकारी कौन?, Baital Pachisi Nineteenth Story: Pind Daan Ka Adhikari Kaun?
  20. बीसवीं कहानी बैताल पचीसी : बालक क्यों हँसा?, Baital Pachisi Twentieth Story: Balak Kyo Hansaa?
  21. इक्कीसवीं कहानी बैताल पचीसी : सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन था?, Baital Pachisi Twenty-first Story: Sabse Jyada Prem Me Andha Kaun Tha?
  22. बाईसवीं कहानी बैताल पचीसी: शेर बनाने का अपराध किसने किया?,Baital Pachisi Twenty-Second Story: Sher Bnaane Ka Apradh Kisne Kisne Kiya?
  23. तेइसवीं कहानी बैताल पचीसी ते: योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा?,Baital Pachisi Twenty-Third Story: Yogi Pahle Kyo Roya Fir Kyo Hansaa?
  24. चौबीसवीं कहानी बैताल पचीसी : माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ? Baital Pachisi Twenty-fourth Story: Maa Beti Ke Bacchon Me Kya Rishta Hua?
  25. पच्चीसवीं कहानी बैताल पचीसी , Baital Pachisi Twenty-fifth Story

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