Mahagauri-puja

नवरात्रि आठवां दिन दुर्गा अष्टमी- Navratri 8th Day: दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि (Durga Ashtami Puja Vidhi) महाष्टमी पूजा विधि, महागौरी पूजा विधि, अष्टम महागौरी मंत्र, महागौरी मंत्र, महागौरी की व्रत कथा, महागौरी की आरती, दुर्गा अष्टमी कथा, दुर्गा अष्टमी की आरती, दुर्गा अष्टमी का महत्व, Durga Ashtami Vrat Vidhi, Mahagauri Puja Vidhi, Mahagauri Mantra, Mahagauri Ki Aarti, Mahagauri Katha In Hindi, Durga Ashtami Ki Aarti, Durga Ashtami Vrat Katha

नवरात्रि आठवां दिन दुर्गा अष्टमी- Navratri 8th Day: दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि (Durga Ashtami Puja Vidhi) महाष्टमी पूजा विधि, महागौरी पूजा विधि, अष्टम महागौरी मंत्र, महागौरी मंत्र, महागौरी की व्रत कथा, महागौरी की आरती, दुर्गा अष्टमी कथा, दुर्गा अष्टमी की आरती, दुर्गा अष्टमी का महत्व, Durga Ashtami Vrat Vidhi, Mahagauri Puja Vidhi, Mahagauri Mantra, Mahagauri Ki Aarti, Mahagauri Katha In Hindi, Durga Ashtami Ki Aarti, Durga Ashtami Vrat Katha

नवरात्रि आठवां दिन दुर्गा अष्टमी-Navratri 8th Day
नवरात्रि के आठवें दिन को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। नवरात्रि में अष्टमी पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन कन्या पूजन और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराने का अत्यंत महत्व है। मां महागौरी की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट मिट जाते हैं। आज महाष्टमी के दिन आप मां महागौरी के दिए गए बीज मंत्र, प्रार्थना, स्तुति मंत्र का जाप करें और मां महागौरी की आरती करें। आपकी पूजा और श्रद्धा से प्रसन्न होकर माता आपकी मनोकामनाओं को पूरा करेंगी। यहां जानिए महागौरी की पूजा करने की विधि, आरती, कथा, मंत्र आदि के बारे में…

कौन हैं महागौरी?
महागौरी को लेकर दो पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं. एक मान्‍यता के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया.
एक दूसरी कथा के मुताबिक एक सिंह काफी भूखा था. वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी ऊमा तपस्या कर रही होती हैं. देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया. इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया. देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई. मां ने उसे अपना वाहन बना लिया क्‍योंकि एक तरह से उसने भी तपस्या की थी.

महागौरी का स्‍वरूप
धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है. इनकी आयु आठ साल मानी गई है. महागौरी के सभी आभूषण और वस्‍त्र सफेद रंग के हैं इसलिए उन्‍हें श्‍वेताम्‍बरधरा भी कहा जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं. उनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण किया हुआ है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है. मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्‍हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. मां सिंह की सवारी भी करती हैं.

नवरात्र के आठवें दिन कैसी हो आपकी दिनचर्या
नवरात्रि में आहार और दिनचर्या का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बिना इसके नवरात्रि का शुभ फल नहीं मिल पाता. नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते हैं. नवरात्र में पूरे नौ दिन तक व्रत रखना आसान बात नहीं है इसलिए यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है. इन नौं दिनों में माता आदिशक्ति भवानी की कृपा प्राप्त करने के लिए केवल पूजा अर्चना करना ही काफी नहीं होता है बल्कि अपने व्यवहार और दिनचर्या का भी खास ध्यान रखना चाहिए. तभी आपको माता रानी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है. जानिए नवरात्र व्रत के दौरान कैसी हो आपकी दिनचर्या-

1. बाकि के दिन भले ही आप कुछ देर अधिक सो लें, लेकिन अगर नवरात्र का व्रत करते हैं तो आपको ब्रह्म मुहूर्त में ही सोकर उठ जाना चाहिए. पूरे नौ दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें घर की सफाई करें और नहाएं.
2. इसके बाद सूर्य देव को जल दें, पूरे घर में गौमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें और फिर अपने घर के पूजास्थल या मंदिर में जाकर विधि विधान से मैय्या की पूजा करें.
3. व्रत-उपवास में माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार करें. यानि सुबह माता जी की पूजा के बाद दूध और कोई फल ले सकते हैं. नमक न खाएं या खाने में सेंधा नमक का ही प्रयोग करें.
4. उसके बाद दिनभर मन ही मन माता जी का ध्यान करते रहें. नवरात्रि के दौरान अपने मन को पूर्णतया मां दुर्गा के ध्यान में लगाना चाहिए.
5. इस समय कोई भी नकारात्मक विचार मन में न लाएं और न ही किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना रखें. शांत रहने की कोशिश करें. झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें. अपनी इंद्रियों पर काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें.
6. व्रत रखने वाले लोगों को दिन में नहीं सोना चाहिए.

7. शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें. इसके बाद एक बार और फलाहार (फल खाना) कर सकते हैं. अगर न कर सके तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं.
8. माता जी की पूजा के बाद रोज 1 कन्या की पूजा करें और भोजन करवाकर उसे दक्षिणा दें.
नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करें. यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन नहीं करना चाहिए.
9. नवरात्रि के नौं दिनों तक साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इन दिनों में क्षौरकर्म न करें. यानि बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं. इनके साथ ही तेल मालिश भी न करें. नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं.
10. नवरात्रि के व्रत-उपवास बीमार, बच्चों और बूढ़ों को नहीं करना चाहिए. क्योंकि इनसे नियम पालन नहीं हो पाते हैं.
11. घर के मंदिर में कभी भी अंधेरा न रखें. किसी न किसी तरह से उसमें रोशनी आती रहे.
12. कभी भी घर को अकेला न छोड़ें. अखंड ज्योति जला रहे हैं तो उसमें समय समय पर घी डालते रहें.
13. व्रत रखने वाले लोगों को नौ दिन विधि विधान मां की पूजा करनी चाहिए और कथा भी सुनी या पढ़नी चाहिए.

मां महागौरी की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि की महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के दिन प्रात:काल आप स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके पश्चात विधि विधान से मां महागौरी की पूजा करें। उनको नारियल का भोग लगाएं, जिससे वे प्रसन्न होकर आपकी संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर देंगी। इसके बाद आप मां महागौरी के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां महागौरी की आरती करें। महागौरी की आरती के बाद मां दुर्गा के साक्षात् स्वरूप कन्याओं का पूजन करें।
कन्या पूजा – इसमें आप 1 से लेकर 9 तक सम संख्या में कन्याओं का पूजन कर सकते हैं। उनको आसन पर बैठाएं और जल से उनके पैर धोएं। इसके बाद उनकी आरती के सा​थ पूजा करें। उनको घर पर बने पकवान खाने को दें। भोजन के बाद उनका चरण स्पर्श करें तथा दान-दक्षिणा देकर सहर्ष विदा करें।

महागौरी का मनपसंद रंग और भोग
महागौरी की पूजा करते वक्त गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है. अष्टमी की पूजा और कन्या भोज करवाते इसी रंग को पहनें. महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है. इस दिन ब्राह्मण को भी नारियल दान में देने का विधान है. मान्‍यता है कि मां को नारियल का भोग लगाने से नि:संतानों की मनोकामना पूरी होती है.
मंत्र Mantra, अष्टम महागौरी मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
प्रार्थना – Prarthana
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति – Stuti
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान – Dhyana
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥

स्त्रोत – Stotra
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
कवच – Kavacha
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम्‌ घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥

आठवें दिन व्रत में क्या खाएं
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी Navratri 2019 8th Day Maa Mahagauriti का होता है। इस दिन नाश्ते में लस्सी, साबुदाना पोहा। मिड डे स्नैक में अमरूद और लंच में दही वाली अरबी की सब्जी और कुट्टू पूड़ी, ईवनिंग स्नैक – रोस्ट किया हुआ पनीर और डिनर में साबुदाना का खीर खा कर नौ दिन तक सेहत मंद रह सकते हैं। इसे आप समयानुसार सुबह 7 बजे, दोपहर 2 बजे और रात्रि में 8 बजे खा सकते हैं.
मां महागौरी की पूजा का महत्व
महाष्टमी या दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट मिट जाते हैं और उसे जीवन के सभी पापों से मुक्ति भी मिल जाती है। मां महागौरी की कृपा से सौभाग्य में वृद्धि होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं और हर मनोकामना पूर्ण होती है।

महागौरी की व्रत कथा (Mahagauri Katha)
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा के अनुसार देवी सती ने पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह दिया जिससे देवी का मन आहत हो गया और पार्वती जी तपस्या में लीन हो गईं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद जब पार्वती नहीं आईं तो उनको खोजते हुवे भगवान शिव उनके पास पहुंचे। वहां पहुंचकर मां पार्वती को देखकर भगवान शिव आश्चर्यचकित रह गए। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओझ पूर्ण था, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत, कुंध के फूल के समान धवल दिखाई पड़ रही थी, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान दिया।
दूसरी कथा के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे उनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार कर लेते हैं और शिव जी उनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं तब देवी अत्यंत गौर वर्ण की हो जाती हैं और तभी से इनका नाम गौरी पड़ा था। महागौरी रूप में देवी करुनामय स्नेहमय शांत और मृदंग दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हेतु देव और ऋषिगण कहते हैं, “सर्वमंगल मांगलये शिवे सर्वाध्य साधिके शरन्य अम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते।”
एक कथा ये भी प्रचलित है कि एक सिंह काफी भूखा था। जब वो भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही थीं। देवी को देखकर सिंह की भूख और बढ़ गई। परन्तु वह देवी की तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठीं तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर दया आ गई और मां उसे अपनी सवारी बना लेती हैं, क्योंकि इस प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल भी है और सिंह भी है।

मां महागौरी की आरती/Maa Mahagauri Ki Aarti
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

नवरात्रि और हिंदू धर्म से संबंधित आर्टिकल पढ़ने के लिए निम्नलिखित लिंक्स पर क्लिक करें –

  1. नवरात्रि व्रत पूजा विधि, नवरात्र दुर्गा पूजन सामग्री, नवरात्रि घटस्थापना एवं पूजा विधि, कन्यापूजन, नवरात्र व्रत का भोजन, व्रत का प्रसाद, नौ दुर्गा के 9 मंत्र, नवरात्र की आरती.
  2. नवदुर्गा के 9 रूप हैं यह 9 दिव्य औषधियां, Navdurga Ke 9 Roop Hai Ye 9 Divya Ausdhiyan, दिव्य जड़ी बूटी, औषधीय पौधों के नाम, दिव्य गुणों वाली 9 औषधियां.
  3. नवरात्र का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)-Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शैलपुत्री के मंत्र, शैलपुत्री की कथा, शैलपुत्री की आरती, Maa Shailputri Puja Vidhi.
  4. नवरात्रि का दूसरा दिन (द्वितीय नवरात्र)-Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, ब्रह्मचारिणी के मंत्र, ब्रह्मचारिणी की कथा, ब्रह्मचारिणी की आरती, Maa Brahmacharini.
  5. नवरात्रि तीसरा दिन (नवरात्रि तृतीय तिथि) Navratri 3rd Day: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, माता चंद्रघंटा के मंत्र, मां चंद्रघंटा की कथा, मां चंद्रघंटा की आरती.
  6. नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि-Navratri 4th Day: माँ कुष्मांडा की पूजा विधि, मां कुष्मांडा के मंत्र, माँ कुष्मांडा व्रत कथा, मां कुष्मांडा की आरती, माता कुष्मांडा की पूजा का महत्व.
  7. नवरात्रि का पांचवा दिन नवरात्रि पंचमी-Navratri 5th Day: मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मां स्कंदमाता के मंत्र, मां स्कंदमाता की कथा, मां स्कंदमाता की आरती.
  8. नवरात्रि छठा दिन षष्ठी तिथि -Navratri 6th Day: मां कात्यायनी की पूजा विधि, मां कात्यायनी के मंत्र, माता कात्यायनी की कथा, मां कात्यायनी की आरती.
  9. नवरात्रि सातवां दिन सप्तमी पूजा-Navratri 7th Day: मां कालरात्रि की पूजा विधि, मां कालरात्रि के मंत्र, माता कालरात्रि की कथा, मां कालरात्रि की आरती.
  10. नवरात्रि आठवां दिन दुर्गा अष्टमी-Navratri 8th Day: दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि (Durga Ashtami Puja Vidhi) महाष्टमी पूजा विधि, महागौरी पूजा विधि, महागौरी की व्रत कथा.
  11. नवरात्रि का नौवां दिन नवमी-Navratri 9th Day Navratri Last Day: महानवमी पूजा विधि, मां सिद्धिदात्री पूजा विधि, दुर्गा नवमी पूजा (Durga Navami) मां सिद्धिदात्री की कथा.
  12. नवरात्रि Navratri: नव दुर्गा, मां दुर्गा के नौ रूप, मां दुर्गा के 9 नाम, नव दुर्गा के 9 शस्त्र, नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों का महत्व, नवदुर्गा से जुड़े 9 तथ्य, कैसे हुआ मां दुर्गा का जन्म.
  13. नवरात्रि की शुभकामनाएं संदेश, Happy Navratri Wishes In Hindi, नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं फोटो, आपको और आपके परिवार को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.
  14. प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी श्लोक, दुर्गा गायत्री मंत्र, शैलपुत्री गायत्री मंत्र, ब्रह्मचारिणी गायत्री मंत्र, चन्द्रघंटा गायत्री मंत्र, कूष्माण्डा गायत्री मंत्र, स्कंदमाता गायत्री मंत्र, कात्यायनी गायत्री मंत्र, कालरात्रि गायत्री मंत्र, महागौरी गायत्री मंत्र, सिद्धिदात्री गायत्री मंत्र.
  15. नव दुर्गा बीज मंत्र, माँ शैलपुत्री बीज मंत्र, माँ ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र, माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र, माँ कूष्माण्डा बीज मंत्र, माँ स्कंदमाता बीज मंत्र, माँ कात्यायनी बीज मंत्र, माँ कालरात्रि बीज मंत्र, माँ महागौरी बीज मंत्र, माँ सिद्धिदात्री बीज मंत्र, माँ चन्द्रघंटा बीज मंत्र.
  16. 7 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे, 11 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे, 100 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे, 108 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे.
  17. संतोषी माता जी की चालीसा, Santoshi Mata Ji Ki Chalisa, श्री संतोषी माता चालीसा, Shri Santoshi Mata Chalisa, संतोषी माता चालीसा, Santoshi Mata Chalisa.
  18. श्री बजरंग बाण, बजरंग बाण लिरिक्स, Bajrang Baan Lyrics, हनुमान बजरंग बाण अर्थ के साथ, Hanuman Bajrang Baan Arth Ke Sath, बजरंग बाण लिरिक्स हिंदी.
  19. राम चालीसा, Ram Chalisa, श्री राम चालीसा, Shri Ram Chalisa, राम चालीसा पाठ, Ram Chalisa Path, श्री राम चालीसा इन हिंदी, Shree Ram Chalisa In Hindi.
  20. कृष्ण चालीसा, Krishna Chalisa, श्री कृष्ण चालीसा, Shri Krishna Chalisa, कृष्ण चालीसा पाठ, Krishna Chalisa Path, श्री कृष्ण चालीसा इन हिंदी, Shree Krishna Chalisa In Hindi.
  21. श्री शिव चालीसा, Shri Shiv Chalisa, श्री शिव भगवान का चालीसा, शिव चालीसा, Shri Shiv Bhagwan Chalisa, श्री शिव चालीसा लिरिक्स, Shri Shiv Chalisa Lyrics.