Maa Kalratri Puja Vidhi

नवरात्रि सातवां दिन सप्तमी पूजा- Navratri 7th Day: मां कालरात्रि की पूजा विधि, सप्तम कालरात्रि मंत्र, मां कालरात्रि के मंत्र, माता कालरात्रि की कथा, मां कालरात्रि की आरती, मां कालरात्रि की पूजा का महत्व, Maa Kalratri Puja Vidhi, Maa Kalratri Mantra, Mata Kalratri Ki Aarti, Maa Kalratri Katha In Hindi

नवरात्रि सातवां दिन सप्तमी पूजा- Navratri 7th Day: मां कालरात्रि की पूजा विधि, सप्तम कालरात्रि मंत्र, मां कालरात्रि के मंत्र, माता कालरात्रि की कथा, मां कालरात्रि की आरती, मां कालरात्रि की पूजा का महत्व, Maa Kalratri Puja Vidhi, Maa Kalratri Mantra, Mata Kalratri Ki Aarti, Maa Kalratri Katha In Hindi

नवरात्रि सातवां दिन सप्तमी पूजा-Navratri 7th Day
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा मां के कालरात्रि रूप की पूजा-अराधना की जाती है। इस दिन को महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। मां कालरात्रि द्वारा भक्तों को सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि की विधिवत पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. जानिए नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, महत्व आदि के बारे में-

कौन हैं मां कालरात्रि
मां कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है। गर्दभ पर सवार रहने वाली मां कालरात्रि के केश खुले रहते हैं। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं। वहीं दो बाएं हाथ क्रमश: अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में होते हैं। गले में एक सफेद माला धारण करती हैं। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि देखने में बहुत ही भंयकर है लेकिन इनका हृदय बहुत ही कोमल है. इनकी नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. मां कालरात्रि का दायां हाथ हमेशा उपर की ओर उठा रहता है, इसका अर्थ मां सभी को आशीर्वाद दे रही हैं. मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है. उनके बाएं हाथ में लोहे का कांटेदार अस्त्र है. निचले बाएं हाथ में कटार है.

नवरात्र के सातवें दिन कैसी हो आपकी दिनचर्या
नवरात्रि में आहार और दिनचर्या का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बिना इसके नवरात्रि का शुभ फल नहीं मिल पाता. नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते हैं. नवरात्र में पूरे नौ दिन तक व्रत रखना आसान बात नहीं है इसलिए यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है. इन नौं दिनों में माता आदिशक्ति भवानी की कृपा प्राप्त करने के लिए केवल पूजा अर्चना करना ही काफी नहीं होता है बल्कि अपने व्यवहार और दिनचर्या का भी खास ध्यान रखना चाहिए. तभी आपको माता रानी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है. जानिए नवरात्र व्रत के दौरान कैसी हो आपकी दिनचर्या-

1. बाकि के दिन भले ही आप कुछ देर अधिक सो लें, लेकिन अगर नवरात्र का व्रत करते हैं तो आपको ब्रह्म मुहूर्त में ही सोकर उठ जाना चाहिए. पूरे नौ दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें घर की सफाई करें और नहाएं.
2. इसके बाद सूर्य देव को जल दें, पूरे घर में गौमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें और फिर अपने घर के पूजास्थल या मंदिर में जाकर विधि विधान से मैय्या की पूजा करें.
3. व्रत-उपवास में माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार करें. यानि सुबह माता जी की पूजा के बाद दूध और कोई फल ले सकते हैं. नमक न खाएं या खाने में सेंधा नमक का ही प्रयोग करें.
4. उसके बाद दिनभर मन ही मन माता जी का ध्यान करते रहें. नवरात्रि के दौरान अपने मन को पूर्णतया मां दुर्गा के ध्यान में लगाना चाहिए.
5. इस समय कोई भी नकारात्मक विचार मन में न लाएं और न ही किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना रखें. शांत रहने की कोशिश करें. झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें. अपनी इंद्रियों पर काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें.
6. व्रत रखने वाले लोगों को दिन में नहीं सोना चाहिए.

7. शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें. इसके बाद एक बार और फलाहार (फल खाना) कर सकते हैं. अगर न कर सके तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं.
8. माता जी की पूजा के बाद रोज 1 कन्या की पूजा करें और भोजन करवाकर उसे दक्षिणा दें.
नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करें. यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन नहीं करना चाहिए.
9. नवरात्रि के नौं दिनों तक साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इन दिनों में क्षौरकर्म न करें. यानि बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं. इनके साथ ही तेल मालिश भी न करें. नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं.
10. नवरात्रि के व्रत-उपवास बीमार, बच्चों और बूढ़ों को नहीं करना चाहिए. क्योंकि इनसे नियम पालन नहीं हो पाते हैं.
11. घर के मंदिर में कभी भी अंधेरा न रखें. किसी न किसी तरह से उसमें रोशनी आती रहे.
12. कभी भी घर को अकेला न छोड़ें. अखंड ज्योति जला रहे हैं तो उसमें समय समय पर घी डालते रहें.
13. व्रत रखने वाले लोगों को नौ दिन विधि विधान मां की पूजा करनी चाहिए और कथा भी सुनी या पढ़नी चाहिए.

पूजा विधि
नवरात्रि के सातवें दिन सुबह में स्नानादि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर मां कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अर्चना करें। देवी को अक्षत्, धूप, गंध, रातरानी पुष्प और गुड़ का नैवेद्य आदि विधिपूर्वक अर्पित करें। अब दुर्गा आरती करें। इसके बाद ब्राह्मणों को दान दें, इससे आकस्मिक संकटों से आपकी रक्षा होगी। मां कालरात्रि की आरती और पूजा के समय अपने सिर को खुला न रखें। पूजा के समय सिर पर साफ रूमाल आदि रख लें। इसके अलावा, सप्तमी के दिन रात में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है।

मंत्र Mantra, सप्तम कालरात्रि मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
प्रार्थना – Prarthana
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति – Stuti
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान – Dhyana
करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्त्रोत – Stotra
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

कवच – Kavacha
ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

सातवें दिन व्रत में क्या खाएं
नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि Navratri 7th Day Maa Kalratriati का होता है। इस दिन नाश्ते में सादा दूध, नमकीन राजगिरा दलिया, छाछ, सेब, कुट्टू आलू पराठा और फल वाला रायता, आलू चाट। डिनर में केसर और बादाम वाला दूध आदि का सेवन आप उचित मात्रा और समयानुसार सुबह 7 बजे, दोपहर 2 बजे और रात्रि में 8 बजे खा सकते हैं.
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां कालरात्रि की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मां को प्रसन्न कर आप अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता।

मां कालरात्रि की कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में अपना आंतक मचाना शुरू कर दिया तो देवतागण परेशान हो गए और भगवान शंकर के पास पहुंचे. तब भगवान शंकर ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा. भगवान शंकर का आदेश प्राप्त करने के बाद पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध किया. लेकिन जैसे ही मां दुर्गा ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त की बूंदों से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. तब मां दुर्गा ने मां कालरात्रि के रूप में अवतार लिया. मां कालरात्रि ने इसके बाद रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया.

मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली मां जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय॥

नवरात्रि व्रत के नियम
1. पूरे नौ दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नहाएं. इसके बाद सूर्य देव को जल दें
2. व्रत रखने वाले इस बात का भी ध्यान रखें कि वे पूरे नौ दिन तक नाखून, दाढ़ी-मूंछ और सिर के बाल न कटवाएं.
3. चमड़े के सामान जैसे बेल्ट, चप्पल, जूते या बैग का इस्तेमाल न करें.
4. व्रत रखने वाले लोगों को नींबू भी नहीं काटना चाहिए. साथ ही प्याज, लहसुन और नॉनवेज से दूरी बनाकर रखें.
5. व्रत रखने वाले लोग साफ सुथरे रहें. अनाज और नमक का बिल्कुल भी सेवन न करें. खाने में सेंधा नमक प्रयोग कर सकते हैं.
6. व्रत रखने वाले लोगों को दिन में नहीं सोना चाहिए.
7. व्रत-उपवास रखने वाले लोग माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार ग्रहण करें. अगर संभव न हो तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर ले.
8. नवरात्रि के दौरान अपने मन को पूर्णतया मां दुर्गा के ध्यान में लगाना चाहिए. इस समय कोई भी नकारात्मक विचार मन में न लाएं और न ही किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना रखें.
9. व्रत के दौरान शांत रहने की कोशिश करें. झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें. अपनी इंद्रियों पर काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें.

मां कालरात्रि की आरती, Video by T-Series Bhakti Sagar

नवरात्रि और हिंदू धर्म से संबंधित आर्टिकल पढ़ने के लिए निम्नलिखित लिंक्स पर क्लिक करें –

  1. नवरात्रि व्रत पूजा विधि, नवरात्र दुर्गा पूजन सामग्री, नवरात्रि घटस्थापना एवं पूजा विधि, कन्यापूजन, नवरात्र व्रत का भोजन, व्रत का प्रसाद, नौ दुर्गा के 9 मंत्र, नवरात्र की आरती.
  2. नवदुर्गा के 9 रूप हैं यह 9 दिव्य औषधियां, Navdurga Ke 9 Roop Hai Ye 9 Divya Ausdhiyan, दिव्य जड़ी बूटी, औषधीय पौधों के नाम, दिव्य गुणों वाली 9 औषधियां.
  3. नवरात्र का पहला दिन (नवरात्रि प्रथमा तिथि)-Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शैलपुत्री के मंत्र, शैलपुत्री की कथा, शैलपुत्री की आरती, Maa Shailputri Puja Vidhi.
  4. नवरात्रि का दूसरा दिन (द्वितीय नवरात्र)-Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, ब्रह्मचारिणी के मंत्र, ब्रह्मचारिणी की कथा, ब्रह्मचारिणी की आरती, Maa Brahmacharini.
  5. नवरात्रि तीसरा दिन (नवरात्रि तृतीय तिथि) Navratri 3rd Day: माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, माता चंद्रघंटा के मंत्र, मां चंद्रघंटा की कथा, मां चंद्रघंटा की आरती.
  6. नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि-Navratri 4th Day: माँ कुष्मांडा की पूजा विधि, मां कुष्मांडा के मंत्र, माँ कुष्मांडा व्रत कथा, मां कुष्मांडा की आरती, माता कुष्मांडा की पूजा का महत्व.
  7. नवरात्रि का पांचवा दिन नवरात्रि पंचमी-Navratri 5th Day: मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मां स्कंदमाता के मंत्र, मां स्कंदमाता की कथा, मां स्कंदमाता की आरती.
  8. नवरात्रि छठा दिन षष्ठी तिथि -Navratri 6th Day: मां कात्यायनी की पूजा विधि, मां कात्यायनी के मंत्र, माता कात्यायनी की कथा, मां कात्यायनी की आरती.
  9. नवरात्रि सातवां दिन सप्तमी पूजा-Navratri 7th Day: मां कालरात्रि की पूजा विधि, मां कालरात्रि के मंत्र, माता कालरात्रि की कथा, मां कालरात्रि की आरती.
  10. नवरात्रि आठवां दिन दुर्गा अष्टमी-Navratri 8th Day: दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि (Durga Ashtami Puja Vidhi) महाष्टमी पूजा विधि, महागौरी पूजा विधि, महागौरी की व्रत कथा.
  11. नवरात्रि का नौवां दिन नवमी-Navratri 9th Day Navratri Last Day: महानवमी पूजा विधि, मां सिद्धिदात्री पूजा विधि, दुर्गा नवमी पूजा (Durga Navami) मां सिद्धिदात्री की कथा.
  12. नवरात्रि Navratri: नव दुर्गा, मां दुर्गा के नौ रूप, मां दुर्गा के 9 नाम, नव दुर्गा के 9 शस्त्र, नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों का महत्व, नवदुर्गा से जुड़े 9 तथ्य, कैसे हुआ मां दुर्गा का जन्म.
  13. नवरात्रि की शुभकामनाएं संदेश, Happy Navratri Wishes In Hindi, नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं फोटो, आपको और आपके परिवार को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.
  14. प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी श्लोक, दुर्गा गायत्री मंत्र, शैलपुत्री गायत्री मंत्र, ब्रह्मचारिणी गायत्री मंत्र, चन्द्रघंटा गायत्री मंत्र, कूष्माण्डा गायत्री मंत्र, स्कंदमाता गायत्री मंत्र, कात्यायनी गायत्री मंत्र, कालरात्रि गायत्री मंत्र, महागौरी गायत्री मंत्र, सिद्धिदात्री गायत्री मंत्र.
  15. नव दुर्गा बीज मंत्र, माँ शैलपुत्री बीज मंत्र, माँ ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र, माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र, माँ कूष्माण्डा बीज मंत्र, माँ स्कंदमाता बीज मंत्र, माँ कात्यायनी बीज मंत्र, माँ कालरात्रि बीज मंत्र, माँ महागौरी बीज मंत्र, माँ सिद्धिदात्री बीज मंत्र, माँ चन्द्रघंटा बीज मंत्र.
  16. 7 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे, 11 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे, 100 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे, 108 बार हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे.
  17. संतोषी माता जी की चालीसा, Santoshi Mata Ji Ki Chalisa, श्री संतोषी माता चालीसा, Shri Santoshi Mata Chalisa, संतोषी माता चालीसा, Santoshi Mata Chalisa.
  18. श्री बजरंग बाण, बजरंग बाण लिरिक्स, Bajrang Baan Lyrics, हनुमान बजरंग बाण अर्थ के साथ, Hanuman Bajrang Baan Arth Ke Sath, बजरंग बाण लिरिक्स हिंदी.
  19. राम चालीसा, Ram Chalisa, श्री राम चालीसा, Shri Ram Chalisa, राम चालीसा पाठ, Ram Chalisa Path, श्री राम चालीसा इन हिंदी, Shree Ram Chalisa In Hindi.
  20. कृष्ण चालीसा, Krishna Chalisa, श्री कृष्ण चालीसा, Shri Krishna Chalisa, कृष्ण चालीसा पाठ, Krishna Chalisa Path, श्री कृष्ण चालीसा इन हिंदी, Shree Krishna Chalisa In Hindi.
  21. श्री शिव चालीसा, Shri Shiv Chalisa, श्री शिव भगवान का चालीसा, शिव चालीसा, Shri Shiv Bhagwan Chalisa, श्री शिव चालीसा लिरिक्स, Shri Shiv Chalisa Lyrics.